Kuchh ankahi in Hindi Poems by Shreyas Apoorv Narain books and stories PDF | कुछ अनकही

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कुछ अनकही

'1'

'इजहार'

कभी कभी उसे बताना जरूरी लगता है।

उसे भी अपना बनाना जरूरी लगता है।

जो कई गुलफाम बिन पानी सूख गए थे,

उनका खुल के मुस्कुराना जरूरी लगता है।

ये जो मोहब्बत सरगोशी से बिक जाती है,

उसे कीमती बनाना जरूरी लगता है।

ऐ दुनिया तेरी बदमिजाजी की मिसाल क्या,

फिर टूट के दिल लगाना जरूरी लगता है।

धोखा देना तो गैरत में है ऐ इंसान तुझमे,

तुझे पाक साफ बनाना जरूरी लगता है।

बहुत जिंदादिल हैं 'मैकश' जश्ने-हासिल में,

मगर मैय्यत में भी जाना जरूरी लगता है।

'मैकश'

'2'

'मुलाकात'

तेरी संजीदगी की बात,

एक छोटी सी मुलाकात,

तेरा बता कर आ जाना,

बिन बताये चला जाना।

नखरे भी दिखा देना,

दिल का हाल बता देना।

किसी रोज आना ही नहीं,

एक रोज जाना ही नहीं।

कभी अनसुलझा बचपन,

कभी अल्हड़ सा यौवन।

कभी समंदर की तरह,

कभी तिल ना रखने की जगह।

कभी गलत कह देना मुझे,

कभी सही कह देना मुझे।

अपनापन भी रख देना कभी।

इलज़ाम भी सर देना कभी।

जानते हो ये सब मेरी जिंदगी है।

कुछ बाकी है क्या कहना,बताओ,

मेरी ग़ज़लें ही तेरी बंदगी है।

'मैकश'

'3'

'कह देता हूँ'

बात तुम्हारी करनी है तो,लो बात अभी कर देता हूँ,

पर जब भी मेरी बात उठे,लिख देता हूँ मौन रहोगे।

मुझसे अपनापन चाहो तो,लो गले मिला कर देता हूँ,

पर जब भी बन अंजान मिलो,कह देता हूँ कौन रहोगे।

गर अकेले रहना चाहो तो,लो हाथ छुड़ा के जाता हूँ,

पर जब भी बन सामान मिलो,कह देता हूँ पौन रहोगे।

बात नजर की करनी हो तो,लो आँखें मिला कर देता हूँ,

जब भी बन नीयत बुरी मिलो,कह देता हूँ डिठौन रहोगे।

'मैकश'

'4'

'इत्तिला'

तुम तक पहुचने के बहुत से किस्से मन में हैं।

एक ख़याल आया है,सोचा तुम्हे बता दूं।

अपना दिल बहलाने केे बहुत से जरिये मन में हैं,

तुमपे प्यार आया है,सोचा तुम्हे बता दूं।

तुम्हे बदनाम करने को बहुत से रिश्ते मन में हैं,

तुम्हारा यार आया है,सोचा तुम्हे बता दूं।

तुम्हे खाकसार करने के बहुत से किस्से मन में हैं,

नहीं एक बार आया है,सोचा तुम्हे बता दूं।

तुम्हे छीन लेने के बहुत से जरिये मन में हैं,

एकतरफा प्यार आया है,सोचा तुम्हे बता दूं।

तुम्हे पागल बनाने के बहुत से हिस्से मन में हैं,

'मैकश' बेकरार आया है,सोचा तुम्हे बता दूं।

'मैकश'

'5'

'खो दिया'

मैंने उसे पाया,पाया और खो दिया।

वो एक वादा था,निभाया और खो दिया।

मैंने उसे पाया,पाया और खो दिया।

वो एक काँटा था,चुभाया और खो दिया।

मैंने उसे पाया,पाया और खो दिया,

वो रंग था हिना का,लगाया और खो दिया।

मैंने उसे पाया,पाया और खो दिया,

वो फर्ज था फ़ना का,निभाया और खो दिया।

मैंने उसे पाया,पाया और खो दिया,

वो अब्र था समां का,सजाया और खो दिया।

मैंने उसे पाया,पाया और खो दिया,

वो धुँआ था चिलम का,उड़ाया और खो दिया।

'मैकश'

'6'

'सजा'

तुम्हे भूल जाने की सजा तो दो।

क्यों हो नाराज भला, बता तो दो।

कई गुर सीखे हैं मनाने की कोशिश में,

कौन सा रह गया बाकी,बता तो दो।

मन उदास हो जाता है तेरी इफ्तारी पर,

कल की सहरी का वक़्त,बता तो दो।

बस कहते हो तुम मेरे हर एक कुफ्त पर,

कब कुछ और कहोगे,बता तो दो।

'मैकश है शायर,तनहा भी और अपना भी,

पूरी होगी ग़ज़ल कभी,बता तो दो।

'मैकश'

'7'

'फिर टूटन'

बड़े दिनों के बाद भरोसा,जो तिनके सा टूट गया।

जो कठोर था पत्थर जैसे,वो हिम् मनके सा टूट गया।

हाथ पकड़कर चलने की ख्वाहिश अब तो काफूर हुई,

साथ थमा जो हाथ ना जाने,कबसे पीछे छूट गया।।

तुझपे एहसान किया हमने,अनचाहे ही चाहत की,

वो चाहत का चाह महल,शीशे की माफिक फूट गया।

तुझे भी चाहा था हमने,जाना था फिर गैर है तू,

अपनेपन का कमजोर घरोंदा,ठोकर लगने से फूट गया।

बेइज़्ज़त हुए थे सदियों तक,फिर भी उसके दीवाने थे,

नाराज हुए एक बार जो हम,यार हमारा रूठ गया।

वो हाथ फैलाये रहता था,घर से रहता बाहर बरगद,

जबसे अपनों ने तोड़ दिया,वो बेचारा ठूठ गया।

'मैकश' फिर से जोड़ेंगे हम,तेरी इज़्ज़त के कतरे कतरे,

सच नंगा फिरता रहता था,ओढ़ कपस फिर झूठ गया।

'मैकश'

'8'

आइये कुछेक दुआएँ तो दें।

वो हमें दर्द की सदायें तो दें।

आइये कुछेक दुआएँ तो दें।

जिन्दा तो हैं पर साँसे अकेली हैं,

आइये कुछ साफ़ हवाएँ तो दें।

मुश्किल है उड़ने में पंछियों को भी,

आइये कुछ आप फिजाएँ तो दें।

कब से रुका हुआ है दर्दे-दिल,

आइये उन्हें आप हटायें तो दें।

वादे निभाने में वो थोड़े कच्चे हैं,

आइये उन्हें हम निभाएं तो दें।

दिल का सितमगर दिल का जुल्मी,

आइये उन्हें हम सजाएँ तो दें।

जिन्दा ही क्या वो जो गुनाह ना करें,

आइये उन्हें हम खतायें तो दें।

वो तनहा समझते हैं हर कदम खुदको,

आइये उन्हें अपना बताएं तो दें।

पढ़ नहीं सकते वो गजल अधूरी,

आइये 'मैकश' उन्हें पढ़ायें तो दें।

'मैकश'

'9'

'तुम्हारा आना'

कल ही तो आये थे तुम,आज ही चले गए।

थोड़ी देर तो रुक जाते,आज ही भले गए।

तुमसे अलविदा कहते फकत हम भी रोये,

तुम्हे पाया हमने उनमे,जिनसे भी छले गए।

दिलों को जुदा रखना तो आदत तुम्हारी थी,

बुरा लगा हम भी उसी,आदत ही पले गए।

एहसास,ख़ास,आस,रास,और एक काश भी,

'मैकश' हाथ थामे साथ,तुम्हारे भी चले गए।

'मैकश'

'10'

'यादें'

तुझे भुला के यूं लगा,बोझ कम हुआ हो जैसे।

धोते हुए यादों को तेरी,दम बेदम हुआ हो जैसे।

जाते हैं हम अब तू,टूटे हुए दरख़्त पर रोले,

फिर बिछा मेरी यादो को,सिरहाने रख कर सो ले।

जगाएंगी ना ये कोयल,ना दोहराएंगे ये तोते,

रोते रोते मत सोचना,काश हम भी वहाँ होते।

तुझे मुबारक दे दी,अब अपनी सौगात ख़तम।

तुझे चाह कर की हमने,अपनी ही औकात ख़तम।

चल मेरी ही बात भुला दे,हम जी लेंगे,

तू तोड़ दे दिल,आता है सीना,सी लेंगे।

जब भी बदरा बरसेंगे,बूंदों को लेकर,

कसम है 'मैकश',आँसू पीकर जी लेंगे।

'मैकश'

'11'

अभी मिलन की रात कहाँ

अभी गहन है अँधियारा,जगने की वो बात कहाँ।

मुझे करो तुम माफ़ प्रिये,अभी मिलन की रात कहाँ।

अभी तो जगना हर पल मुझको,स्वप्न तेरे ले आने को,

तेरे स्वप्न की नींद जो लाये,किस्मत में वो रात कहाँ।

तुझको पाना आसाँ है,बस हाथ बढ़ाया थाम लिया,

हाथ बढ़ा सकने लायक पर,मेरी वो औकात कहाँ।

मैं एक दड़बे का राजा हूँ,तुम शहजादी महलों की,

तुझ नूर महल को देख सके,मेरी है वो जात कहाँ।

जुल्फ घटायें रेशम तेरी,बिखराती हो सफ से सफ तक,

जिसमे ऐसा खुशबूदार नशा,गिरती वो बरसात कहाँ।

तुम साधारण देवी सूरत सी,हुस्न बला कातिल नूरानी,

खुद देख अक्स शीशे से कहदो,तुझमे भी वो बात कहाँ।

'मैकश'