Sarja Raja - 2 in Hindi Drama by Raj Phulware books and stories PDF | सर्जा राजा - भाग 2

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सर्जा राजा - भाग 2

सर्जा राजा – भाग 2

(नया घर, नया परिवार, पहली आरती और पहला भरोसा)

लेखक राज फुलवरे


अध्याय 6 – हिम्मतराव के घर की दहलीज़

जैसे-जैसे शाम ढल रही थी,
आसमान लाल-नारंगी रंगों से भर रहा था।
हल्की-हल्की हवा पेड़ों की पत्तियों को सरसराती थी।

इस शांत वातावरण में
हिम्मतराव अपने नए दो साथियों—
सर्जा और राजा —
को लेकर धीरे-धीरे अपने गाँव में दाखिल हो रहे थे।

गाँव वालों ने जैसे ही उन्हें दो बैलों के साथ आते देखा,
सब उत्सुकता से पास आने लगे।

गाँववाला 1 (हैरान होकर):
“अरे हिम्मतराव! दो-दो बैल ले आए?
कहाँ से खरीदे?”

गाँववाला 2 (थोड़ा ताना देकर):
“इतने छोटे बैल? कुछ दिन बाद काम आएँगे भी कि नहीं?”

हिम्मतराव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया—

हिम्मतराव (शांत विश्वास के साथ):
“जिस बैल की आँखों में निष्ठा हो,
उसे उम्र देखकर नहीं खरीदा जाता।
ये दोनों मेरे घर की शान बढ़ाएँगे।”

गाँव वाले एक-दूसरे को देखते हुए चुप हो गए।
सर्जा ने यह सब सुना और मन में सोचा—

सर्जा (मन में):
“हम छोटे हैं…
लेकिन हमारा दिल बड़ा है।”

राजा धीरे से बोला—

राजा (सर्जा से):
“हिम्मतराव सच में हमें समझते हैं… लग रहा है सही घर मिल गया।”


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अध्याय 7 – विमला देवी का स्वागत

घर के दरवाज़े पर
हिम्मतराव की पत्नी विमला देवी खड़ी थीं।

सादगी में सुंदर,
चेहरे पर ममता,
आँखों में शांति और मुस्कान…

जैसे ही उन्होंने हिम्मतराव को बैलों के साथ आते देखा,
वे हल्के से चौंकीं, और बोलीं—

विमला (आश्चर्य से):
“अरे हिम्मता!
आज तो दो-दो मेहमान लेकर आए हो।
ये किसके बैल हैं?”

हिम्मतराव ने रस्सी आगे बढ़ाते हुए कहा—

हिम्मतराव (गर्व से):
“अब हमारे हैं।
सर्जा और राजा नाम है इनका।”

विमला ने दोनों बैलों को देखा।
सर्जा शांत खड़ा था,
राजा थोड़ा शरमा कर नीचे देख रहा था।

विमला की आँखों में ममता भर आई।

उन्होंने प्यार से दोनों के सिर पर हाथ फेरा और बोलीं—

विमला (मधुर स्वर में):
“तुम दोनों अब हमारे परिवार का हिस्सा हो।
थके होगे… आओ, घर में स्वागत करते हैं।”

सर्जा और राजा ने मानो मुस्कुराते हुए सिर हिलाया।


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अध्याय 8 – पहली आरती

विमला देवी तुरंत घर के अंदर गईं
और एक थाल लेकर बाहर आईं।
थाल में कपूर, हल्दी, रोली, फूल, और दीया था।

गाँव के कई लोग यह देख रहे थे।
कुछ हैरान, कुछ खुश, कुछ ईर्ष्या से भरे।

विमला दीये को जलाकर धीरे-धीरे दोनों बैलों की आरती उतारने लगीं।

विमला (आशीर्वाद देती हुई):
“भगवान तुम्हें शक्ति दे…
तुम हमारे घर में सुख, समृद्धि और सुकून लेकर आओ।”

सर्जा ने अपनी आँखें बंद कीं,
जैसे उसने उन आशीर्वादों को महसूस किया हो।

राजा धीरे से बोला—

राजा (धीमे स्वर में):
“सर्जा… कोई पहली बार हमें इतना प्रेम दे रहा है।”

सर्जा ने उसकी ओर गर्मजोशी से देखा—

सर्जा:
“हम अब अकेले नहीं…
हमारा परिवार मिल गया, राजा।”

हिम्मतराव गर्व से अपनी पत्नी को देख रहे थे।


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अध्याय 9 – पहली रात का स्नेह

आरती के बाद विमला बैलों को आँगन के पास बने बड़े साफ़ गोठ में ले गईं।
चारों तरफ़ ताज़ा कटा हुआ चारा,
स्वच्छ पानी,
और आरामदायक जगह थी।

विमला बोलीं—

विमला:
“लो बेटा… यहाँ आराम करो।
मैं तुम्हारे लिए गुड़ भी लाती हूँ।”

राजा आश्चर्य से सर्जा से बोला—

राजा:
“गुड़? हमें?”

सर्जा मुस्कुराया—

सर्जा:
“हाँ राजा। यह घर दिल से अमीर है।”

विमला गुड़ लेकर आईं और दोनों को खिलाया।
राजा ने खुशी में हल्का-सा उछलकर पूंछ हिलाई।
विमला हँस पड़ीं—

विमला (हंसते हुए):
“अरे वाह! यह तो बहुत प्यारा है!”

हिम्मतराव गोठ के पास खड़े होकर बोले—

हिम्मतराव:
“तुम दोनों आराम करो…
कल से तुमसे काम नहीं कराऊँगा।
पहले घर को पहचानो, वातावरण को समझो।
काम की बात बाद में।”

राजा ने गहरी साँस ली।

राजा (मन में):
“हमने सच में अच्छा मालिक पाया है।”


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अध्याय 10 – नया रिश्ता, नई सुबह

सुबह होने को थी।
मुर्गे की आवाज़,
गायों का रंभाना,
हल्की ठंडी हवा,
और पूर्व दिशा से आती लाल रोशनी…

सर्जा और राजा दोनों शांत खड़े थे।

हिम्मतराव गोठ में आए और धीरे से बोले—

हिम्मतराव:
“उठ गए मेरे वीर?
आज तुम्हें गाँव की सैर करवाऊँगा।”

राजा उत्साहित होकर—

राजा:
“सर्जा! लगता है आज हमारा दिन खास होगा!”

सर्जा शांत आवाज़ में—

सर्जा:
“हाँ… चलें।
हमारा सफर शुरू हो गया है।”

विमला बाहर से पुकारते हुए बोलीं—

विमला:
“अरे हिम्मता! पहले इन्हें पानी पिलाओ।
खाली पेट कोई कहीं नहीं जाता!”

हिम्मतराव हँस पड़े—

हिम्मतराव:
“हाँ हाँ, मालकिन।”

सर्जा और राजा के लिए यह सब नया था—
पर अजनबी नहीं।
यहाँ हर बात में अपनापन था।