शहेर लगभग पाँच किलोमीटर दूर एक पुराना, जर्जर मकान था।
लोग उसे “हॉरर हाउस” कहते थे।
कोई नहीं जानता था कि उसका असली नाम क्या था, क्योंकि जिसने भी उस घर के बारे में ज्यादा जानने की कोशिश की… वह कभी वापस नहीं लौटा।
रवि, अमन और नील तीनों बचपन के दोस्त थे।
तीनों को डरावनी कहानियों पर विश्वास नहीं था।
एक रात रवि ने कहा,
“यार, आज उस हॉरर हाउस में चलते हैं। देखते हैं, असल में क्या है वहाँ।”
अमन हँसते हुए बोला,
“भूत-वूत कुछ नहीं होता, सब अफवाह है।”
नील थोड़ा डरा हुआ था, पर दोस्तों के सामने कमजोर नहीं दिखना चाहता था।
तीनों रात 11 बजे टॉर्च लेकर उस घर की तरफ निकल पड़े।
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🏚️ हॉरर हाउस के अंदर
जैसे ही वे घर के सामने पहुँचे,
तेज ठंडी हवा चली।
घर का टूटा हुआ दरवाजा अपने आप चरमराता हुआ खुल गया।
“ये… ये अपने आप कैसे?” नील ने काँपती आवाज में पूछा।
रवि ने हिम्मत दिखाते हुए कहा,
“हवा होगी, चलो अंदर।”
अंदर घुसते ही सन्नाटा छा गया।
दीवारों पर पुराने खून के निशान थे।
फर्श पर किसी के खरोंच मारने के निशान दिखाई दे रहे थे।
तभी ऊपर से किसी के चलने की आवाज आई…
धप… धप… धप…
अमन ने टॉर्च ऊपर की ओर घुमाई,
लेकिन वहाँ कोई नहीं था।
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😱 पहली चीख
अचानक पीछे से एक तेज चीख सुनाई दी।
तीनों पलटकर देखे —
पीछे कोई नहीं था, लेकिन दरवाजा बंद हो चुका था।
“हम फँस गए!” नील चिल्लाया।
तभी दीवार पर एक साया उभरा।
साया धीरे-धीरे इंसान की शक्ल लेने लगा।
उसका चेहरा जला हुआ था,
आँखों से खून बह रहा था,
और मुँह से सिर्फ एक आवाज निकल रही थी—
“तुम यहाँ क्यों आए…?”
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🩸 घर का सच
रवि डरते हुए बोला,
“क… कौन हो तुम?”
वह आत्मा हँसने लगी।
उसकी हँसी पूरे घर में गूँजने लगी।
“यह घर मेरा है…
यहाँ एक परिवार रहता था।
उन्हें ज़िंदा जला दिया गया…
और उनकी आत्माएँ यहीं कैद हैं।”
अचानक फर्श से हाथ निकल आए।
अमन को किसी ने पकड़ लिया।
“बचाओ!” अमन चिल्लाया।
रवि और नील ने उसे खींचकर छुड़ाया और सीढ़ियों की तरफ भागे।
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🏃♂️ मौत से दौड़
ऊपर की मंजिल पर पहुँचते ही दरवाजा बंद हो गया।
चारों तरफ अँधेरा था।
तभी एक के बाद एक परछाइयाँ दिखने लगीं।
कुछ रो रही थीं,
कुछ हँस रही थीं,
और कुछ बस उन्हें घूर रही थीं।
नील डर के मारे गिर पड़ा।
“मैं नहीं जा सकता… ये हमें मार देंगे…”
तभी एक परछाई नील के बहुत करीब आ गई।
रवि ने पूरी ताकत से नील को उठाया और बोला,
“अगर रुके, तो यहीं मर जाएँगे!”
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🔥 आखिरी कोशिश
रवि को याद आया कि नीचे किचन में गैस सिलेंडर पड़ा था।
वह चिल्लाया,
“अगर ये घर ही खत्म हो गया, तो ये आत्माएँ भी आज़ाद हो जाएँगी!”
तीनों किसी तरह नीचे पहुँचे।
रवि ने आग लगा दी।
पूरा घर जलने लगा।
आत्माओं की दर्द भरी चीखें सुनाई दीं।
“मत जाओ…!”
लेकिन तीनों बाहर निकल चुके थे।
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🌑 अंत… या शुरुआत?
सुबह होते-होते हॉरर हाउस राख बन चुका था।
तीनों दोस्त बच गए थे…
लेकिन उनकी ज़िंदगी कभी पहले जैसी नहीं रही।
नील आज भी रात में चीखकर उठ जाता है।
अमन को जलती हुई आँखें सपने में दिखती हैं।
और रवि…
रवि के घर के बाहर हर रात
उसी जले हुए चेहरे वाली आत्मा खड़ी रहती है…
क्योंकि
हॉरर हाउस जल गया था…
लेकिन उसकी आत्माएँ आज़ाद नहीं हुई थीं। 👻
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