the story of heartbeats in Hindi Love Stories by Secret Story Girl books and stories PDF | धड़कनों की दास्तान

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धड़कनों की दास्तान

सिय्या मुंबई की भीड़ में भी अकेली सी चल रही थी। हाथ में फाइल, चेहरे पर हल्की थकान और दिल में हज़ार सवाल।
नौकरी का पहला दिन था… और हमेशा की तरह उसे देर हो चुकी थी।
भागते-भागते जब उसने बस पकड़ने की कोशिश की तो पैर फिसल गया। गिरते-गिरते एक कसकर पकड़ने वाले हाथ ने उसे संभाल लिया।
“सावधान… दुनिया तो पहले ही खतरनाक है, तुम खुद को और मुश्किल में मत डाला करो,” उस अनजान लड़के ने मुस्कुरा कर कहा।
सिय्या ने पहली बार गौर से उसे देखा—
गहरी आँखें, हल्की दाढ़ी और चेहरे पर कुछ ऐसा शांत भाव जिसे देखकर ही डर कम लगने लगता था।
“थ…थैंक्यू…” वह बस इतना ही बोल पाई।
“अरे मैडम, धन्यवाद छोड़िए… बस में चढ़ना है या ऐसे ही गिरने का प्लान है?”
सिय्या पहली बार हँसी और चढ़ गई।
लड़का पूरे रास्ते उसके सामने खड़ा रहा, लेकिन एक बार भी उसे घूरकर नहीं देखा। मानो उसकी मौजूदगी ही सिय्या को सुरक्षित महसूस करा रही हो।
बस से उतरते समय उसने सिर्फ इतना कहा—
“मैं आर्यम।”
और चल दिया।
सिय्या बस उसकी जाते हुए पीठ को देखती रह गई…
क्योंकि पहली बार किसी अजनबी ने उसके दिल की धड़कन तेज़ कर दी थी।
अनजानी चाहतें
दूसरे ही दिन ऑफिस पहुँचकर वह चौंक गई।
आर्यम वहीं खड़ा था… उसी कंपनी में।
“ओह… तो मिस गिरनहार यहाँ काम करती हैं?” उसने मज़ाक में कहा।
सिय्या शर्म से लाल।
दिन बीतते गए।
दोनों की बातें बढ़ती गईं।
कॉफी ब्रेक, मीटिंग्स, स्टेशन तक साथ का सफ़र…
आर्यम हमेशा बात कम करता, पर उसके चेहरे पर एक गहरी चाहत छुपी रहती थी, जिसे सिय्या महसूस तो करती लेकिन समझ नहीं पाती।
एक शाम उसने धीरे से कहा—
“तुम जानती हो सिय्या… कुछ लोग जिंदगी में देर से आते हैं पर सही कारण से आते हैं।”
सिय्या उस वक़्त उसकी आंखों में अपने लिए कुछ ऐसा देख रही थी… जो किसी ने पहले कभी नहीं दिया।
✨PART 3 — दिल का इकरार
बारिश का मौसम था।
ऑफिस जल्दी छुट गया।
आर्यम ने कहा, “चलो, Marine Drive चलते हैं?”
सिय्या पहले हिचकिचाई, फिर मान गई।
समंदर के किनारे बैठकर हवा बालों में उलझ रही थी और बीच-बीच में लहरों की आवाज़ दिल की धड़कनों को छू रही थी।
आर्यम ने धीरे से उसका हाथ पकड़ा।
सिय्या चौक गई।
“डरो मत… सिर्फ पकड़ रहा हूँ, छीन नहीं रहा,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।
कुछ पल चुप्पी रही… फिर आर्यम ने पूछा—
“अगर मैं कहूँ कि मैं तुम्हें पसंद करता हूँ… बहुत पसंद… तो क्या तुम हँस दोगी?”
सिय्या की आँखें भर आईं।
“नहीं… शायद मैं भी वही महसूस करती हूँ।”
आर्यम ने उसका हाथ थोड़ा और कस कर पकड़ा।
“तो चलो… आज से तुम्हारी मुस्कान मेरी ज़िम्मेदारी।”
पहला प्यार
अगले कई दिनों तक दोनों साथ में लंच करते, शाम की चाय पीते, और ऑफिस से घर जाने का हर रास्ता साथ चलता।
सिय्या ने अपने भीतर एक नई खुशी महसूस की।
आर्यम की आवाज़, उसकी मौजूदगी, उसकी चुप्पी… सब कुछ अच्छा लगने लगा।
एक दिन आर्यम ने उसे अपने घर बुलाया—
“माँ कुछ लोगों को देखकर ही पसंद कर लेती हैं। शायद वो तुम्हें भी पसंद कर लें।”
सिय्या का दिल धड़क उठा।
क्या यह सिर्फ प्यार था या कुछ और…?
उसी evening, जब वह जाने लगी, आर्यम ने उसकी कमर पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लिया।
“मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता सिय्या…”
उसकी आवाज़ धीमी, लेकिन सच्ची थी।
सिय्या ने पहली बार उसे बिना हिचककर गले लगा लिया।
उसी पल उसे समझ आया—
यह रिश्ता सिर्फ प्यार नहीं… एक इबादत है।
एक छोटी सी गलतफहमी
कुछ ही दिनों बाद ऑफिस में नई लड़की आई— मेघा।
मेघा और आर्यम एक पुराने प्रोजेक्ट में साथ काम कर चुके थे।
वह थोड़ी फ्रेंडली थी और आर्यम से खुलकर हँस-बोल लेती थी।
सिय्या को यह पसंद नहीं आया।
उसे लगा शायद आर्यम उससे दूर हो रहा है।
एक शाम उसने पूछ ही लिया—
“क्या तुम मेघा को पसंद करते हो?”
आर्यम हँसा।
“पागल हो? मैं अगर किसी को पसंद करता हूँ तो वो तुम हो।”
लेकिन सिय्या की आँखों में अभी भी डर था।
आर्यम ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया—
“सिय्या, भरोसा करना सीखो। तुम्हारे सिवा मेरे दिल में किसी के लिए जगह नहीं है।”
वह पहली बार उसके सीने पर सिर रखकर रो पड़ी।
आर्यम ने बस उसे पकड़े रखा…
और यही उसकी सबसे बड़ी ताकत थी।
हमेशा के लिए
एक महीने बाद, वही जगह… Marine Drive।
लहरें शांत थीं और हवा बिल्कुल वैसी ही।
आर्यम घुटनों पर बैठ गया।
“सिय्या… क्या तुम मेरी जिंदगी बनोगी?
मैं तुम्हारी हर डर, हर तकलीफ़, हर खुशी में तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ।”
सिय्या की आँखों से आँसू बह निकले, पर होंठ मुस्कुराते रहे।
“हाँ… हज़ार बार हाँ…”
आर्यम ने उसे कसकर गले लगा लिया।
पीछे सूरज डूब रहा था…
और सामने दो धड़कनों का नया सफर शुरू हो रहा था।