प्रस्तावना
एक तरफ़ा इश्क़…
वह प्रेम जो पूरा नहीं होता, फिर भी सबसे गहरा होता है।
जो दिल में बसता है पर होंठों तक नहीं आता।
जो किसी की आँखों में चमक ढूँढता है, लेकिन अपना अक्स नहीं पाता।
जो ख़ामोशी में खिलता है और तन्हाई में रोकर भी मुस्कुराता है।
यह कविता-संग्रह उसी दर्द, उसी मिठास और उसी अदृश्य रिश्ते का रूप है—
जहाँ इश्क़ एक स्वीकार है, पर इज़हार नहीं।
जहाँ उम्मीद टूट कर भी परछाईं की तरह साथ चलती रहती है।
जहाँ दिल का हर टुकड़ा एक नयी कविता बन जाता है।
इन 30 कविताओं में एकतरफ़ा प्रेम के अलग-अलग रंग हैं—
कहीं इंतज़ार का धुआँ है, कहीं स्मृतियों की बारिश,
कहीं खामोशी की धड़कनें हैं, तो कहीं सपनों की उड़ान।
हर कविता एक एहसास है, एक घाव है, एक मरहम है।
ये पंक्तियाँ उन दिलों का प्रतिनिधित्व करती हैं
जो प्रेम में हारे नहीं—बस ख़ुद से जीतना सीख गए।
जो हर दर्द को कविता में और हर आँसू को मोती में बदल देते हैं।
जो जानते हैं कि इश्क़ भले एकतरफ़ा हो,
पर उसकी गहराई किसी दोतरफ़ा मोहब्बत से कम नहीं होती।
यह संग्रह उन सभी प्रेमियों के नाम है
जो प्रेम करते हैं… बदले में कुछ माँगते नहीं।
जो किसी को पाने से ज़्यादा उसे दिल में बसाए रखना जानते हैं।
जो समझते हैं —
कि इश्क़ का सबसे सच्चा रूप वही है,
जिसमें एक दिल टूटे बिना भी टूट जाना सीखता है।
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यह पुस्तक उन सभी दिलों के नाम,
जो किसी को ख़ामोशी से चाहकर भी
कभी कह नहीं पाए।
उनके नाम
जो मुस्कुराते रहे, जबकि भीतर टूटे हुए थे।
जो इंतज़ार करते रहे, जबकि कोई लौटकर नहीं आया।
जो प्रेम में हारकर भी प्रेम को ही जीत मानते रहे।
ये पंक्तियाँ तुम्हें समर्पित हैं,
क्योंकि तुम जैसे प्रेमी इस दुनिया में कम हैं,
पर उनकी मोहब्बत
सबसे सच्ची, सबसे पवित्र, सबसे गहरी होती है।
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एकतरफ़ा प्रेम—यह कोई घटना नहीं, एक यात्रा है।
वह यात्रा जिसमें कदम तो एक का होता है,
पर रास्ता पूरा ब्रह्मांड जितना बड़ा महसूस होता है।
जहाँ दिल हर धड़कन में किसी और को पुकारता है,
और दिमाग हर बार उसे समझाने की कोशिश करता है
कि “छोड़ दो”…
पर दिल कब मानता है?
इस कविता-संग्रह की शुरुआत एक एहसास से हुई थी—
कि दर्द को दबाने की बजाय उसे सुंदर बनाया जाए,
इश्क़ को छुपाने की बजाय उसे शब्द दिए जाएँ,
और तन्हाई को बोझ न बनाकर
एक कला में ढाला जाए।
यहाँ लिखी गई हर कविता अपने भीतर
एक अलग पीड़ा, अलग चाहत और अलग कहानी लिए हुए है।
कहीं इंतज़ार है, कहीं शिकायत,
कहीं सपनों का टूटना है,
और कहीं सिर्फ इतना-सा प्रेम है
जिसे पाने की इच्छा नहीं—बस निभाने की चाह है।
मेरा उद्देश्य बस इतना है कि
जो लोग इस प्रेम की आग में खामोश जलते हैं,
वे इन शब्दों में अपना प्रतिबिंब देखें।
उन्हें लगे कि वे अकेले नहीं हैं।
उनकी खामोशी, उनकी तकलीफ़,
उनकी मोहब्बत… किसी ने समझी है,
किसी ने महसूस की है।
कविताएँ दिल से निकली हैं,
इस उम्मीद के साथ कि
दिल तक पहुँचेंगी।
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1. इंतज़ार
तेरे आने की आस में शामें धीमी चलती हैं,
सन्नाटों में तेरे कदमों की तस्वीर बनती है।
घड़ी की टिक-टिक अब गीत सा लगने लगा,
हर इक आवाज़ में तेरा नाम मुझे सुनाई देता है।
आँखें खिड़की पर टिक जाती हैं नींद से पहले,
और दिल फिर भी हर बार तुझसे मिलने की राह देखता है।
तू न आए तो क्या — मेरी उम्मीदें तुझ पर क़ायम रहती हैं।
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2. अधूरापन
मेरे घर का हर कमरा तेरे बिना पूरा नहीं लगता,
किसी चीज़ की कमी नहीं पर कुछ नामुराद-सा है।
तेरे हँसने की गूँज दीवारों में अटक कर रहती है,
तेरे जाने से भी मेरा वजूद टुकड़ों में बिखरता है।
मैंने चाहा था तुझसे पूरा होना, पर किस्मत ने अलग लिखा,
अब वो अधूरी डोर ही मेरी पहचान बन गई है।
और यही अधूरापन, मेरी वफ़ा का सिला बन गया।
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3. चुप रहना
कभी शब्दों में कह दिया होता तो शायद हल्का हो जाता,
पर मेरे होंठों पर चुप्पी ने अपना क़दम जमा लिया।
कहना आसान था, पर डर था कि कहीं सब कुछ मिट न जाए,
करेरा-सा दर्द अंदर पिघल कर मुस्कान बन गया।
तेरे पास बैठकर भी काफ़ी कुछ अनकहा रह जाता,
ये चुप्पी मेरी मजबूरी नहीं, मेरी गहराई है।
कभी-कभी चुप रहना भी इश्क़ को बचा ले जाता है।
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4. तन्हाई
भीड़ में भी तन्हा मैं तेरी यादों के साथ चलता हूँ,
हर चेहरे में तेरा अक्स मगर कोई पहचान न देता है।
तू कहां और मैं कहां — दूरी ने हमें परछाई बना दिया,
रातों की खामोशी में तेरी हँसी गूँजती रहती है।
लोगों के पास होने का दिखावा करता हूँ, पर अंदर से सूना,
तेरी एक झलक पाने की हसरत अब मेरी पूजा बन गई है।
तन्हाई ने मुझे तेरे बिना भी जीना पढ़ाया — पर जीना अधूरा।
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5. बेनाम रिश्ता
हमारे बीच कोई नाम नहीं, पर मर्म को पहचान है,
तेरी हर अदा मेरे लिए किसी दस्तूर की तरह सुरक्षित है।
तू अनजान सी गुज़रा, पर मेरे दिल के नक्शे पर अमर हुआ,
मैंने तुझसे बांटी नहीं बातें, पर सारी दुनिया से सीखा तुझसे।
रिश्तों की परिभाषा बदल गई है तेरे लिए — एक सवाल बनकर,
तू जाने-अनजाने मेरी ज़िन्दगी में धड़कन बन गया।
नाम न सही — तेरी मौजूदगी मेरे लिए वफ़ा ही तो है।
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6. दर्द
दर्द की भी क़िस्में होती हैं — तेरे लिए जो चुनी गई, वो खास,
हर मुस्कान के पीछे खिंची हुई एक लकीर है जो तुझे बताती है।
तू हँसता है तो दिल में शांति सी झलकती है, तू न देखे तो आग,
मैंने सीखा है दर्द सहना — पर तेरे बिना वो भी मुश्किल है।
रिश्तों का हिसाब नहीं मांगता, बस एक धुन में बंधा रहता हूँ,
ये दर्द मेरा साथी बन गया है और मैं उसे अपने गीत में पिरो देता हूँ।
हर ठोकर में तेरी याद आती है — और मैं फिर से उठकर तेरे लिए मुस्कुरा देता हूँ।
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7. मुस्कान
तू हँसती है तो सब कुछ उजला लगने लगता है,
मेरे दिन की सुबह तेरी मुस्कान से ही रोशन होती है।
लोग कहते हैं ये मामूली बात है — पर मेरे लिए वह ख़ास है,
तेरी हँसी में मेरी सारी छोटी-छोटी खुशियाँ समा जाती हैं।
मैं छुप-छुपकर तेरी खुशबू अपनी सांसों में भर लेता हूँ,
और दुनिया के सामने जैसे कुछ भी नहीं, बस तू और तेरी हँसी।
तेरे हँसने से मेरा अस्तित्व पूरा होता है — पर यह राज़ मैं छुपा लेता हूँ।
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8. खामोश चाहत
बिना शब्दों की चाहत अक्सर सबसे भारी होती है,
दिल की किताब में तेरा नाम बिना किसी पंक्ति के दर्ज है।
मैंने सीखा है तेरे लिए खामोश रहना — यह एक संवेदनशील इबादत है,
कभी-कभी चिल्लाकर भी मोहब्बत कमज़ोर पड़ जाती है।
मेरे जज़्बात छुपे हैं, मगर हर सांस में तू बसता है,
तेरी यादों की परतें हर रोज़ मेरे भीतर गहरी होती जाती हैं।
यह खामोश चाहत मेरी रूह की कसक है और मुझे इसका गुरूर है।
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9. खो जाना
तेरे खयालों में खोना मेरी सबसे मीठी आदत बन गया,
हर सड़कों, हर गीत, हर मौसम में तेरा अक्स मिलता है।
लोग पूछते हैं कैसा है मैं बस कह देता हूँ, “खोया हुआ”,
तेरी तस्वीर से बातें करता हूँ और अपनी तलब मिटाता हूँ।
यह खो जाना कहीं बेवकूफी नहीं, यह तुझसे जुड़ने का तरीका है,
तेरे बिना मेरा रास्ता भी नादान-सा हो गया है।
हर बार खोकर भी मैं फिर तेरी ओर चल पड़ता हूँ क्योंकि वही मंज़िल है।
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10. छिपी मोहब्बत
कभी कह न पाया — इसलिए ये मोहब्बत अंदर ही अंदर पली,
दिन के उजाले में छुपी, रात के पर्दे में खुलती।
मैंने तेरे नाम पर खामोशी के फूलों से बगिया लगा ली,
किसी को दिखाया नहीं पर हर फूल में तेरी खुशबू है।
यह चाहत किसी दावे की मोहताज नहीं, बस अहसास की मूरत है,
मैं जियोंगा तेरे बिना भी पर मेरी ज़िन्दगी तुझपे फिदा रहेगी।
छिपी मोहब्बत ने मुझे सिखाया चुप रहकर भी किसी को चाहा जा सकता है।
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11. सौगात
तेरी यादें मेरी अमानत हैं, मैं उन्हें संभाल कर रखता हूँ,
हर सुबह उनका टीका करता हूँ, और रात को उन्हें गले से लगाता हूँ।
तू मेरी नहीं तो क्या — पर तेरी हर बात मेरे दिल की तिजोरी में है,
कभी-कभी लगता है, मैं तेरे बिना भी तेरा ही सेवक हूँ।
लोग पूछते हैं किसका है यह आलम — मैं उत्तर देता नहीं, मुस्कुरा देता हूँ,
क्योंकि ये सौगात मेरे अंदर की वह धरोहर है जिसे मैं बेशर्म तरीके से प्यार करता हूँ।
तेरी यादों से ही मेरी दुनिया तल्खियों में भी मीठी रहती है।
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12. टूट जाना
चटक कर टूटा था दिल पर जैसे हर दरार में रोशनी झलकती है,
टुकड़ों से भी एक नयी तस्वीर बनती है जिसे मैं प्यार से जोड़ता हूँ।
किसी ने कहा था टूटना बर्बादी है पर यह मेरा नया होठों का गीत बना,
मैंने टूटा हुआ दिल संभाला, उस पर तेरे नाम की मिट्टी छिड़की।
इश्क़ का मतलब सिर्फ पूरा होना नहीं, कई बार टूट कर निखरना भी है,
मैंने सीखा कि दर्द में भी एक अनकही शान होती है।
टूटना मेरा दर्द है पर वही मुझे एक कवि की तरह पूरा कर देता है।
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13. उम्मीद
उम्मीद की किरनें मेरी रातों की रौशनी हैं,
शायद एक दिन तू दृष्टि फेर कर देखे या नहीं फिर भी आस कायम है।
हर नई सुबह में एक नया रंग जोड़ देती है यह उम्मीद,
यह मानना आसान नहीं, पर दिल उसे अपनाकर जीता है।
किसी की नज़र बदल जाएगी, किसी मौक़े पर कदम मिल जाएगा,
मैं नहीं जानता कल क्या होगा, पर आज मेरी उम्मीद मुझे जीने की वजह है।
उम्मीद का ये वजूद, एकतरफा इश्क़ का जिंदा रहना है।
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14. अधूरी चिट्ठी
तेरे नाम की चिट्ठियाँ अलमारी की एक दरार में पड़ी हैं,
हर पन्ने पर मेरा मन, हर शब्द में तेरी परछाई।
लिखकर मैंने ठहरा, पर भेज न सका डर था खो देने का,
हर अक्षर पर मेरे उम्मीदों का टिका हुआ घर लिखा था।
चिट्ठी अधूरी रह गयी पर उसका दर्द पूरा हो गया मेरे भीतर,
कभी-कभी अधूरापन भी किसी शख़्स के लिए जिंदा यादगार बन जाता है।
तेरी नज़र न पढ़ पाई वह चिट्ठी पर मेरी आत्मा ने उसे छोड़ दिया नहीं।
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15. यादों का मौसम
तेरी यादों का मौसम हर घड़ी बदलता रहता है,
कभी बारिश बनकर भीगाता, कभी धूप बनकर सुखा देता।
वो दिन जब तू साथ थी, गुलाब खिले थे मेरे आंगन में,
आज वही यादें ठंडी हवाओं में तड़प कर आ जाती हैं।
दुनिया बढ़ती है, लोग बदलते हैं, पर मेरी घड़ियाँ वहीं अटकी रहती हैं,
तेरी यादों का मौसम मेरी आत्मा का मौसम बन गया है।
और मैं हर बार उसी मौसम में लौट आकर तुझे ढूँढता हूँ।
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16. बेबस दिल
मोहब्बत मैंने कर ली, पर हक़ न माँग सका यही मेरी विडम्बना,
दिल ने तेरा नाम पुकारा, ज़ुबान ने कुछ न कहा।
मेरी धड़कनें तुझ तक पहुँचती रहीं, पर तेरा कदम पीछे रहा,
मैंने माना कि ये दिल तेरा मालिक है, पर अधिकार नहीं।
बेबसी ने सिखाया मुझे चाहत का नाम प्यार है, पर दावा कम होता है,
तू मेरी धड़कन में बस गई, मैं तेरे बाहर भी तेरा ही दीवाना रहा।
और इस बेबसी में भी मेरा वजूद तेरे लिए पूरी तरह हाज़िर रहा।
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17. सवाल
कभी तूने पूछा नहीं “तू कैसा है मेरे बिना?”और मैं बताने में धीमा,
शायद शब्द नहीं थे, या हिम्मत कहीं छुप कर बैठी थी।
मैंने चाहा कि तू समझे बिना पूछे, पर लोग सवालों से ही तो जुड़ते हैं,
मेरी चुप्पी तेरे लिए भी एक जवाब थी — पर तूने उसे पढ़ा नहीं।
कभी-कभी सवाल को छोड़ देना भी रिवायत बन जाता है,
तेरे बिना मेरा अक्स बदल गया पर तूने फर्क नहीं समझा।
और मैं आज भी उन अनकहे सवालों का बोझ अपने सीने से हटाता नहीं।
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18. रोज मरना
तेरी बेरुख़ी हर रोज़ एक नई चोट देती है,
एक नयी सुबह में मैं खुद को थोड़ा और खो देता हूँ।
पर जैसे साँप अपना बियाँक छोड़ देता है, मैं भी हर बार उठ खड़ा होता हूँ,
क्योंकि तेरे लिए मरना और उठना मेरी आदत बन गयी है।
हर रोज़ मर कर मैं फिर तेरे लिए जी उठता हूँ और यह महज़ वक़्त का खेल नहीं,
यह मेरा अपना चुनाव है कि मैं तेरे ख्यालों में क्यों न जी लूँ।
तुझसे जुड़ा हर दर्द मेरे उस प्यार का हिस्सा है जो कभी न मरे।
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19. चिंगारी
तेरी एक नज़र ने मेरे भीतर आग लगा दी थी,
बिना माँगे ही मेरे दिल के जंगल को जला दिया।
उस चिंगारी का असर अब राख में बदल गया है, पर गर्माहट बाकी,
कभी-कभी धुंए में भी तेरी परछाई नाचती रहती है।
इश्क़ अजनबी सा होता है कोई चेताता नहीं, बस झोंक देता है,
तूने देखा भी नहीं होगा पर मेरी दुनिया बदल गई थी उस दिन।
और मैं आज भी उसी चिंगारी की गर्मी में रोशन रहता हूँ।
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20. अल्फ़ाज़
तेरे नाम पर लिखे अल्फ़ाज़ रुके नहीं, पर शब्द रो पड़े,
कई पंक्तियाँ अधूरी छूट गईं, कई खामोश रह गईं।
कलम ने तेरे चेहरे पर ठहर कर अपना इरादा बदल लिया,
शब्दों का कोई बचपन नहीं, फिर भी वे तुझ तक पहुँचने को लालायित रहे।
यह जज़्बात ऐसे हैं कि शब्द कम पड़ जाएँ, पर दिल बोलता रहे,
हर अल्फाज़ में तेरी सूरत उतरी, पर तुमने पढ़ा न किसी एक शब्द को।
और मैं अब भी तेरे लिए नई कविताओं में उन अल्फाज़ को सजाता हूँ।
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21. नशा
तेरी यादें मेरे खून में घुलती रही, एक मीठा ज़हर बन कर,
जैसे कोई शराब बरसों से पी रहा हो पर नशा नहीं छूटता।
तू दूर है, पर तेरी खुशबू मेरे कंबल की तरह मुझे घेर लेती है,
हर साँस में तेरा जलसा, हर पल में तेरी क़सक बनी रहती है।
यह नशा जानलेवा नहीं पर जिंदा रहना मुश्किल कर देता है,
कभी-कभी मुझे लगता है मैं तुझसे ज़्यादा उस नशे का आदी हूँ।
और इस नशे ने मुझे तेरे बिना भी तेरा दीवाना बनाए रखा।
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22. खोया हुआ
मैं खो गया हूँ पर इस खोने में एक अजनबी शांति भी है,
किस्मत ने मेरा सफ़र और मंज़िल अलग रख दिया।
खो कर भी मैं तुझे पाना चाहता था पर पाना मेरी नियति में न था,
मेरी चाहतें तेरे नाम लिख दीं, पर इन्साफ़ ने अलग पासा दिखाया।
कभी-कभी खो जाना भी किसी दिशा की खोज बन जाता है,
मैंने जाना कि हर चाहत पूरी नहीं होती पर चाहना बंद नहीं होता।
और इस खोएपन में भी मैं तेरे बारे में अहसास बनाए रखता हूँ।
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23. सफर
मैं तेरी राहों में चला तू किसी और की राहों में मुसाफिर,
हमारे सफ़र एक ही थे पर मंज़िलें जुदा रह गईं।
राह में मैंने तेरे लिए फूल बिछाए, तूने अपने जूतों का रास्ता चुना,
हमने साथ चलना चाहा, मगर वक्त ने किसी और रास्ते का निर्देश दिया।
एकतरफा इश्क़ यही सिखाता है कभी-कभी सफर ही अंतिम कविता बन जाता है,
मैं चलता रहा तेरी याद लेकर, और तू किसी नए गीत में खो गयी।
फिर भी मेरे कदम तेरी राह से लौटते नहीं क्योंकि तुम मेरी मंज़िल हो।
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24. धड़कन
तू मेरी धड़कन बनकर भी मेरे पास नहीं आई,
हर धड़कन तेरे नाम का इशारा करती है पर तू सुनती नहीं।
दिल की हर थाप में तेरी यादों का संगीत है, पर मंज़िल तुझसे परे,
मैंने हर पल तुझे अपनी रूह में बसाया पर तू समझी नहीं।
तू जितनी दूर होती गई, मैं उतनी ही तेरे करीब बना चला गया,
मेरी धड़कनें मेरी वफ़ा की गवाही देतीं पर तेरे कानों तक न पहुँची।
और आज भी जब दिल तेज़ धड़कता है तो तेरा ही नाम चल पड़ता है।
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25. अधूरा सपना
रातों में तुझे पाना और सुबह में खो देना मेरी दास्तां है,
तेरे ख्वाबों का शहर मीठा था, हकीकत का रास्ता कठोर।
हर सुबह मेरे ख्वाब टूटते, पर शाम को फिर नई लगन जगती,
तुझे पाया नहीं पर तेरा एहसास मेरी नींदों का रखवाला रहा।
अधूरा सपना भी कभी-कभी सिखा देता है ज़िन्दगी के सबक,
कि हर चीज़ पूरी न हो तो भी उसकी कसक खूबसूरत रह जाती है।
और मैं उन अधूरे सपनों में तेरी हँसी को सहेज कर जीता हूँ।
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26. सामना
तेरा सामने आना मेरे लिए त्यौहार सा होता,
पर तुम्हारे पास होते हुए भी तेरा साथ न होना क्यूँ?
तेरी आँखों में अनजानी बेख़बरियाँ क्यों पढ़ता हूँ मैं,
तू मुस्कुराती है और मेरा दिल टूट कर भी झूठ बोलता है।
इश्क़ में सबसे बड़ा कष्ट यही है पास होकर भी तुझ तक न पहुँचना,
तू मेरी बातों की गहराई न समझे, और मैं तेरे शब्दों का तिलिस्म।
यह सामना बार-बार मुझे मेरी कमज़ोरियों का एहसास करवा देता है।
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27. बस तू ही तू
मैं खुद को ढूँढता रहा पर हर आरप-पर तेरी परछाई मिली,
मेरे लफ़्ज़, मेरे ख्वाब, मेरी राहें सब में तू ही तू नजर आया।
लगता है मेरा वजूद तेरे नाम से लिखा गया, कोई और पहचान न रही,
मैं तन्हा था तो भी तेरा असर मेरे साथ था, जैसे तेरी परछाईं।
तू मेरी सोच की सीमाएँ पार कर गई और मेरे अंदर बस गई,
यह एहसास कभी भारी होता है पर मैं उसे अपनाये हुए चलता हूँ।
मेरे लिए अब दुनिया की कोई चीज़ तेरे बिना मायने नहीं रखती।
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28. मोहब्बत का सच
कभी-कभी प्यार का सच सिर्फ़ यह होता है कि दोनों बराबरी से न आएँ,
ना तेरा गुनाह, ना मेरा, बस दिलों की धड़कनें बेतरीक रह जाती हैं।
एकतरफा इश्क़ का कसूर किसी पर ठोपना आसान नहीं, यह बस कोई फैसला है,
किस्मत ने अलग लिखा और हम दोनों अपने-अपने हिस्से में सिमट गए।
इश्क़ में दोष ढूँढना व्यर्थ है कभी-कभी चाहते रहना ही इज़हार है,
मैंने सीखा कि मोहब्बत का सच सामंजस्य नहीं, सच्ची चाहत है।
और मैं अपनी चाहत को सच मानकर उसी में जीता रहूँगा।
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29. खोखला दिल
मुँह पर हँसी और अंदर एक सुनसान कोठरी यही मेरी पहचान है,
लोग कहते हैं मुस्कुराओ, पर मैं अंदर से सूख चुका हूँ।
तेरे बिना हर शौक ढल गया, हर इच्छा अपना रंग खो बैठी,
मेरा दिल बाहर से हरा-भरा, अंदर से खाली सैलाब बन गया।
कभी-कभी यह खोखलापन मुझे डराता भी है, पर मैं उसे छुपा लेता हूँ,
क्योंकि दुनिया की नज़रों में टूटना आसान नहीं होता।
फिर भी तेरी यादें मेरे अंदर की खाली जगहों में शांति भर देती हैं।
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30. अंतिम दर्द
शायद एक दिन तू समझ जाएगी कि कोई था जो चुपचाप तुझसे प्यार करता था,
उस दिन तेरे होठों पर जो हल्की कसक आएगी, वह मेरी विरासत होगी।
मगर तब तक मैं कहीं दूर होगा — शायद अपनी तक़दीर का कोई नया गीत गा रहा,
तुम्हें दर्द होगा पर तब मेरा होना या न होना अब मायने नहीं रखेगा।
इश्क़ की आख़िरी सज़ा यही है कि पता चले तो बहुत देर हो चुकी हो,
मैंने प्यार किया था बिना शोर-शराबे के, और वो स्मृति तुम्हें देर से मिलेगी।
और मैं उस दिन भी, किसी को चाहकर, तेरे लिए एक दुआ कर जाऊँगा।
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एक तरफ़ा प्रेम पूरा कभी नहीं होता,
पर खत्म भी कभी नहीं होता।
यह दिल का वह कोना है
जिसे समय मिटा नहीं पाता,
और कोई नया रिश्ता छू नहीं पाता।
इन कविताओं को लिखते हुए
यह समझ और भी गहरी हो गई—
कि मोहब्बत पाने का नाम नहीं,
मोहब्बत रहने का नाम है।
कई बार वह इश्क़ किसी की ज़िन्दगी में नहीं जाता,
लेकिन उसकी आत्मा में उतर जाता है।
अगर इन पंक्तियों ने
आपके किसी पुराने ज़ख्म को सहलाया,
या किसी भूले एहसास को फिर जगा दिया,
तो यह संग्रह अपने उद्देश्य में सफल है।
आख़िर में बस इतना—
प्रेम करना कमजोरी नहीं,
किसी को बिना शर्त चाहना
इस धरती की सबसे बड़ी ताक़त है।
अगर कभी लगे कि आप अकेले इश्क़ में हैं,
तो यह याद रखिए—
हर अधूरी मोहब्बत,
किसी न किसी रूप में पूरी होकर ही रहती है।
आर्यमौलिक 🙏