THE PRISONER OF LORD - 4 in Hindi Love Stories by Euphoria Light books and stories PDF | THE PRISONER OF LORD - 4

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THE PRISONER OF LORD - 4


अगली सुबह... 
हॉस्पिटल से  डिस्चार्ज लेकर मै मां को घर ले आई। मैंने मम्मी को बेड पर लेटाया और उन्हें दवाईयां दी। मैने उन्हें आराम करने को कहा और बाहर जाने लगी तभी मां ने कहा,"बेटा.. तुम ठीक तो हो न.."
मैने कुछ सेकेंड मां को देखा फिर मुस्कुरा कर कहा,"हां. .. मैं तो बिलकुल ठीक हूं"
मां ने थोड़ा गुस्से से कहा, "देखो तुम्हे उस आदमी के लिए खुद को बर्बाद करने की कोई जरूरत नहीं है...", मैने मां से कहा"आप आराम करो .. अभी आपको आराम की जरूरत है"
"तुम मेरी बात सुनती क्यों नहीं हो?"मेरी मां ने चीखते हुए कहा।"उस आदमी ने मुझसे पैसों के लिए शादी की ,मेरी पापा की कंपनी हड़प ली और मुझे धोखा देकर दूसरी शादी कर ली। मुझे मारा पीटा मुझसे जानवरों की तरह बर्ताव किया और जैसे ही उसे पता चला कि मुझे कैंसर है मुझे धक्के मारकर घर से निकाल दिया......4 साल से हम जिंदा है या मर गए पूछा तक नहीं और अब अचानक आकर तुम्हे, अपनी खुद की बेटी को किसी के साथ रात बिताने बोल रहा है। ये सब देखने से अच्छा मैं मर ही जाती..", ऐसा कहकर मां ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।
"मां.. चुप हो जाओ.. नहीं तो आपकी तबीयत बिगड़ जाएगी.." मैंने जैसे तैसे मां को संभाला।
"तू वादा कर तू नहीं जाएगी..", मां ने कहा।
"आप आराम करो.. मां आपकी तबियत बिगड़ जाएगी.."मैंने मां को संभालते हुए कहा। पर मां ज़िद करने लगी उन्होंने मेरे हाथों को पकड़ रखा था। कुछ ही देर में मां को नींद आने लगी जिससे मां की पकड़ कमजोर होने लगी और धीरे धीरे मां सो गई, शायद ये दवाईयां का असर था। मैने मां को सुलाया और उनके बागल में बैठकर रोते हुए बोलने लगी"मां मै जानती हुं आपको कैसा लग रहा है, आपका दर्द मै अच्छे से समझ रही हूं, यहां मेरा ही बाप मुझे बेच रहा है पर मैं क्या कर सकती हु अगर मैने उनकी बात नहीं मानी तो वह आपकी जान ले लेंगे .. मेरे पास आपके अलावा कोई नहीं है ... और मैं आपको खोना नहीं चाहती...", मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं बोल पाई और वहां से रोते हुए बाहर निकल गई।

आज दिन भर  स्टोर में मेरा काम पर मन नहीं लग रहा था, मेरे दिल में यही खयाल आ रहा था कि कैसे कोई बाप अपने फायदे के लिए अपनी बेटी को ही बेच सकता हैं, वैसे तो मेरे पिता ने मुझे कभी अपनी औलाद माना ही नहीं , हमेशा मेरी सौतेली बहन लिली को ही अपना प्यार दिया, मुझे सिर्फ एक जानवर कि तरह मारापीटा पर आज उनकी बात सुनकर मैं तो अंदर से पूरी तरह टूट गई थी।

स्टोर से अपना सारा काम खत्म करके मैं घर गई, मैंने मां को डिनर कराया और दवाईयां दे कर सुला दिया। मैने टाइम देखा तो रात के 9 बज रहे थे, अचानक मेरे पास किसी का कॉल आया, मैने कॉल अटेंड किया तो दूसरी ओर से मेरे पिता ने बड़े गुस्से में कहा,"कहां रह गई हो.. तुम्हें याद है न 10 बजे तुम्हें होटल पहुंचना है। जल्दी होटल के लिए निकलो नहीं तो कल सुबह तुम्हारी मां की लाश भी नहीं मिलेगी.."
"नहीं मेरी मां को कुछ मत करना ... मै अभी होटल पहुंचती हूं "मैंने कहा पर उन्होंने कॉल काट दिया।

मैं तुरंत इसी हालत में घर से निकाल गई। मैने घर को अच्छी तरह लॉक किया था। मैंने एक ब्लैक टीशर्ट और एक ग्रे लेगिंग पहनी हुई थी, मेरे हाथ में एक होटल कार्ड था जिसमे शायद एड्रेस और रूम नंबर लिखा हुआ था । कुछ दूर पैदल चलने के बाद मुझे एक टैक्सी मिली , मैने ड्राइवर को कार्ड दिखाया और कहा"यहां ले चलो..", ड्राइवर ने ठीक है मैडम कहा और ड्राइव करने लगा। 

गाड़ी में बैठे हुए मैं अपनी किस्मत पर रो रही थी, मुझे लग रहा था कि ऐसी हरकत करने से अच्छा मैं मर जाती पर मैं ये भी नहीं कर सकती थी क्योंकि मुझे मां के लिए जीना था,  फिर खयाल आया कि मां को लेकर कही भाग जाती हूं पर मेरे पिता अपने पैसों की ताकत से हमे ढूंढ ही लेते.., समझ नहीं आ रहा था कि मैं करु क्या..। पर सच तो ये था कि मैं अपनी किस्मत पर रोने के सिवा कुछ नहीं कर सकती थी। 

कुछ ही देर में मैं होटल पहुंच गई। मै टैक्सी से उतर कर होटल के अंदर गई, मैने डेस्क में कार्ड दिखाया उस स्टाफ ने मुझे उस रूम का रास्ता बता दिया। मै रूम की तरफ जाने लगी, कुछ देर में मैं बिलकुल रूम के सामने पहुंच गई। थोड़ी देर में रूम के बाहर खड़े होकर रोने लगी फिर मैने खुद को संभाला, अपने आंसू पोछे और दरवाजा नॉक किया। 2 से 3 बार नॉक करने के बाद अचानक ही उस शख्स ने काफी ज़ोर से दरवाजा खोला जिससे मैं थोड़ा डर गई। जैसे ही मैंने उस आदमी को देखा मेरे तो होश ही उड़ गए। ये वही मर्डर था जिसे मैने कल देखा था,। मैने सोचा,"तो क्या इसके साथ मुझे...", तभी उस आदमी के अचानक ही मेरा गला कसकर पकड़ लिया और रूम के अंदर खींच लिया। उसने डोर बंद किया और मुझे दरवाजे से टीका दिया, उसने अभी भी मेरा गला कसकर पकड़ा हुआ था जिससे मुझे काफ़ी तकलीफ हो रही थी।

मैने उसे देखा वो बहुत ही ज्यादा गुस्से में था और उसकी आँखें लाल हो गई थीं। उसने मुझसे गुस्से से कहा,"तुम यहां क्यों आई हो ... जवाब दो", मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी मैने अटकती हुई आवाज में कहा,"मैं.. मैं य ..यहां आपको... सर्विस द.. देने आई... आई हूं ", उसने अपनी पकड़ और टाइट करी और कहा," मुझे सर्विस देने..", ऐसा कहकर उसने मुझे छोड़ दिया। मै सांस लेने की कोशिश करने लगी, तभी उसने मेरा बाल कसकर पकड़ा और बेड तक खींचते लेजाकर मुझे बेड पर फेंक दिया। उसने अपना ब्लैक ब्लेजर निकाल कर फ्लोर पर फेका और मेरे ऊपर आकर मुझे काफी जोरों से किस करने लगा, मुझे ऐसा लग रहा था मानो वो मुझपर अपना गुस्सा निकल रहा हो। कुछ 15 मिनट लगातार किस करने के बाद वो रुका, उसने अपने जेब से गन निकाली और मेरे माथे पर रखा, मै डर के मारे कांपने लगी। उसने गन मेरे चेहरे पर घूमना शुरू कर दिया, घूमते हुए वह मेरे चेहरे से मेरे गले पर और फिर मेरे सिने पर आया। उसने मेरे सिने के बीचों बीच अपनी बंदूक रखी और मुझसे कहा," इसे निकलो"

मै सहम गई और मैने अपनी टीशर्ट निकाल दी। वो मेरी बॉडी को घूरे जा रहा था, उसने फिर से अपना गन मूव करना शुरू कर दिया और मूव करते हुए मेरे पेट के नीचे रोक दिया और कहा,"इसे भी" मैने तुरंत अपनी लेगिंग भी उतार दी। उसने फिर से अपना गन मेरे बॉडी पर चलना शुरू कर दिया और मुझसे कहा," तुम्हें देखकर लगता नहीं कि आज तक तुम्हे किसी ने छुआ है", मैने जवाब में कहा,"हां ये मेरा फर्स्ट टाइम है", उसने एक शैतानी मुस्कान देते हुए कहा,"दिस इस सो क्यूट", अचानक ही उसने अपना गन फेंका और मुझे दोबारा किस करने लगा।उसने बड़े बेरहमी से घंटों तक मेरे साथ वो सब किया जो मैने सपनों में भी नहीं सोचा था.....