Mere Ishq me Shamil Ruhaniyat he - 52 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 52

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 52


🌌 एपिसोड 52 — “अधूरी रूह की पहली रात”


(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)




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🌙 1. हवेली में अनया की पहली रात — जहाँ नींद भी डर कर भाग जाए


दरभंगा की हवेली की हवा कुछ अलग थी।

दीवारें धीमे-धीमे साँस ले रही थीं—

जैसे वे भी किसी अधूरी नींद से जागी हों।


अनया को कमरे तक लाते हुए

आर्या ने उसका हाथ मजबूती से थाम रखा था।

अर्जुन पीछे-पीछे चल रहा था,

उसकी नज़र हर कोने पर थी—

मानो कहीं से काली स्याही का कोई कतरा फिर न उभर आए।


अनया को जो कमरा दिया गया,

वह हवेली का सबसे शांत कमरा था—

पर आज उसकी खिड़कियों पर

नीली रोशनी का एक अजीब कंपन था।


अनया फुसफुसाई—


“क्या ये कमरा सुरक्षित है…?”


अर्जुन बोला—


“हाँ।

यहाँ नीली कलम की सुरक्षा होती है।

काला लेखक यहाँ कुछ नहीं कर सकता।”


पर हवेली ने दीवार पर लिख दिया—


> “सुरक्षा कमरे में नहीं…

अर्जुन में है।”




आर्या ने अर्जुन की ओर देखा।

वह नजरें चुराकर खिड़की की तरफ देखने लगा—

पर अंदर एक अनकहा सच हल्का-सा चमक उठा था।



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💫 2. अधूरी रूह का अधूरा कमरा


अनया कमरे के अंदर गई।

कमरा सुंदर था—

पुरानी लकड़ी का फ़र्श,

नरम पर्दे,

और एक दर्पण…


दर्पण—


जिसमें अनया की परछाईं नहीं दिख रही थी।


उसने धीरे से पूछा—


“क्या मेरा यहाँ भी कोई निशान नहीं है?”


आर्या ने कहा—


“अभी नहीं…

जब तक तुम्हारी कहानी पूरी न हो जाए।”


अर्जुन ने दर्पण को ध्यान से देखा।

दर्पण पर हल्की सी दरारें थीं—

जैसे किसी रूह ने उसे भीतर से छूकर वापस हट गई हो।


आर्या बोली—


“अगर तुम चाहो तो हम यहीं रुक सकते हैं।”


अनया ने सिर हिलाया।


“नहीं…

मुझे आज रात अकेले रहना चाहिए।

अगर मैं हर बार किसी पर निर्भर रहूँगी…

तो कैसे जानूँगी

कि मैं खुद कितनी मजबूत हूँ?”


अर्जुन की आँखों में चिंता थी।

पर वह उसके फैसले का सम्मान कर रहा था।


“ठीक है।

लेकिन मैं पास वाले कमरे में रहूँगा।

कुछ भी हो—

बस पुकारना।”


अनया हल्की-सी मुस्कान दे सकी।


“तुम्हें पता है ना…

अगर तुम दूर चले जाओ

तो मैं धुंध बन जाती हूँ।”


अर्जुन की साँस अटक गई।


“इसलिए तो…

मैं दूर नहीं जाऊँगा।”


उस एक वाक्य में

एक अनकही भावना छिप गई थी।


आर्या चुपचाप उन्हें देख रही थी—

एक अनजानी जलन…

एक अजीब डर…

और एक रूहानी खिंचाव—

सब मिलकर उसके दिल में एक हलचल पैदा कर रहे थे।



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🌙 3. आधी रात — जब हवेली ने करवट बदली


रात गहरी हो चुकी थी।

हवेली के आँगन में नीली धुंध धीमे-धीमे तैर रही थी।

अर्जुन जाग रहा था—

कमरे की लाइट बंद,

लेकिन मौन में सांसें तेज़।


आर्या भी सो नहीं पा रही थी।

उसे लग रहा था

कि हवेली आज कुछ कहना चाहती है।


अचानक हवेली की छत पर

एक काली परछाईं दौड़ी।

इतनी तेज़, इतनी ठंडी—

कि हवा काँप उठी।


आर्या ने चीखकर कहा—


“अर्जुन! बाहर आओ!”


दोनों उसी पल कमरे से बाहर निकले।


पर अनया का दरवाज़ा

धीरे-धीरे

अपने आप खुलने लगा।


अंदर

एक नीली धुंध घूम रही थी।


अर्जुन अंदर घुसा—


“अनया!”


अनया बिस्तर पर बैठी थी—

पर उसकी आधी देह

धुंध में बदल रही थी।


उसकी आँखों में डर भरा था।


“अर्जुन…

मुझे बचाओ…

मैं गायब हो रही हूँ!”


अर्जुन ने बिना सोचे

उसका हाथ पकड़ा।


जैसे ही उसने उसे छुआ—

अनया की रूह फिर ठोस हो गई।

चेहरा स्थिर,

साँसें लौट आईं।


आर्या ने देखा—

अर्जुन का हाथ

अब भी अनया के हाथ को पकड़कर

थरथरा रहा था।


हवेली ने दीवार पर लिखा—


> “यह शुरुआत थी। अब असली परीक्षाएँ शुरू होंगी।”





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💫 4. रूह का सच — जिस पर अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया था


अर्जुन ने अनया को सीने से लगा लिया—

अनजाने में,

बिना सोचे।


अनया का सिर अर्जुन के कंधे पर था।

उसकी आवाज़ काँप रही थी—


“जब तुम पास नहीं होते…

मेरी रूह बिखरने लगती है।”


अर्जुन की साँसें भारी हो गईं।


“मतलब…

मैं तुम्हारा सहारा हूँ?”


अनया ने सिर हिलाया—


“सिर्फ सहारा नहीं…

तुम ही वह पंक्ति हो

जो मुझे पूरा कर सकती है।”


आर्या के पैरों तले जमीन जैसे खिसक गई।


“मतलब…

अनया की कहानी का अंत

अर्जुन से जुड़ा है…?”


हवेली ने तुरंत दीवार पर शब्द बनाए—


> “हाँ।”




आर्या वहीं रुक गई।

दिल कसकर सिकुड़ गया।


अर्जुन ने अनया की ओर देखा—


“तुम्हारी कहानी मेरे बिना पूरी नहीं होगी?”


अनया की आँखों में

एक गहरा, दर्द भरा सच चमका।


“नहीं।”



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🌙 5. काले लेखक की छोड़ी हुई परछाईं


तभी…

कमरे के कोने में

एक ठंडी आवाज़ फुसफुसाई—


> “कहानी पूरी तभी होगी…

जब कोई नयी मौत लिखी जाए।”




अर्जुन घूमकर खड़ा हो गया।

आर्या भी उसका हाथ पकड़े खड़ी हो गई।


कमरे की दीवारों पर

काली स्याही की पतली रेखाएँ रेंगने लगीं।


अनया ने डर से आँखें बंद कर लीं।


“ये… क्या है?” उसने काँपते हुए पूछा।


अर्जुन बोला—


“काला लेखक नहीं…

उसकी छाया है।

उसकी आख़िरी कहानी की परछाईं!”


हवेली ने दीवार पर लिखा—


> “छाया को खत्म नहीं किया जा सकता— लेकिन उसे बाँधा जा सकता है।”




आर्या ने पूछा—


“कैसे?”


नीली कलम अपने आप उठी

और तीन शब्द हवा में चमके—


> “कहानी लिखकर।”





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💫 6. अनया का भविष्य — जो आज रात ही बदलना था


अर्जुन ने अनया का हाथ फिर पकड़ा।

उसके स्पर्श से

अनया की रूह स्थिर हो गई।


अर्जुन बोला—


“तुम्हें अपनी कहानी खुद लिखनी होगी।

और उसका पहला अध्याय आज से शुरू होता है।”


अनया की आवाज़ काँप रही थी—


“पर मुझे लिखना नहीं आता…”


आर्या बोली—


“लिखना कागज़ पर नहीं होता— दिल पर होता है।”


हवेली ने फिर शब्द उभारे—


> “जो दिल में सच है… वही कहानी की पहली लाइन है।”




अनया ने अर्जुन की ओर देखा।

लम्बी खामोशी के बाद

उसने वही पंक्ति बोली

जो हवेली सुनना चाहती थी—


“मेरी कहानी शुरू हुई…

जिस दिन अर्जुन मुझे देखता रह गया।”


अर्जुन के चेहरे की रगें खिंच गईं।

क्योंकि…

उसने सचमुच उसे पहली बार देखकर

कुछ महसूस किया था।


आर्या ने अपना दिल कसकर पकड़ा।

कुछ टूट रहा था…

पर वह इसे स्वीकार नहीं कर पाई।



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🌙 7. रात की आख़िरी चेतावनी


अचानक कमरे की लाइट बंद हो गई।

गलियारे में काली धुंध फैल गई।


और उस धुंध में

काले लेखक की आवाज़ गूँजी—


> “कहानी लिखो…

पर याद रखना— हर कहानी का अंत सुखद नहीं होता…”




अर्जुन चिल्लाया—


“दूर रहो!”


धुंध झटके से पीछे हटी

और गायब हो गई।


अनया अर्जुन के सीने से लगी थी—

उसका शरीर अब भी काँप रहा था।


अर्जुन ने फुसफुसाकर कहा—


“अब मैं तुम्हें

अकेले नहीं छोड़ूँगा।”


आर्या ने यह सुना।

अंधेरे में उसका चेहरा कठोर हो गया।

हवेली ने भी

उसकी धड़कनों की बेचैनी महसूस की।


और दीवार पर उभरा—


> “मोहब्बत जितनी मजबूत होती है…

उतनी ही खतरनाक भी।”





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🌌 एपिसोड 52 — हुक लाइन


> “कहानी की पहली लाइन लिख दी गई है—

अब हवेली तय करेगी

कि अनया अर्जुन की तकदीर बनेगी…

या उसका सबसे बड़ा इम्तेहान।” 💙🔥