हमने पिछले अध्याय में देखा की ...पुजारी जी ने श्रद्धा को जन्माष्टमी के कार्यक्रम करने को कहा ...लेकिन श्रद्धा राधा बन ने से इंकार करती है!!!
अब आगे...!!!!
अध्याय ३
प्रीति:(हैरानी से) पर क्यूं?? हमेशा राधा तू ही तो बनती है !!
श्रद्धा:प्रीति तू तो जानती है वो सोसाइटी की आंटियां....(कह ही रही होती है..की)
प्रीति:(टोकते हुए) अरे...!! वो जलकुकड़िया...उनकी चिंता मत कर!!!
श्रद्धा:प्रीति!!
प्रीति: जलकुकड़िया ना कहूं तो क्या कहूं! हर समय सिर्फ जलन !वो सब चाहती है उनकी बेटियां राधा बने , जिनकी ना तो शक्ल है राधा जी बनने वाली और न ही हरकते!!..
श्रद्धा:बस कर प्रीति ! शांत हो जा!!! (हरी प्रसाद से) काका इस बार आप किसी और को ही राधा बना दीजिए बाकी डेकोरेशन का काम तो मैं देख लूंगी!!
हरिप्रसाद:(शांतिदायक मुस्कान के साथ) बेटा, तू 15 वर्ष की थी तब से राधा बन रही है ! और किसी को कैसे बना सकता हूं!!
श्रद्धा: पर काका , वो लोग मुझसे नाराज रहती हैं।मुझे अच्छा नही लगता!!
हरिप्रसाद:(मुस्कुराते हुए) कुछ लोगो की इच्छा के लिए तू बाकियों की इच्छा नजरंअदाज के देगी!! सोसाइटी के सभी लोग चाहते है की राधा तू ही बने !! हो सकता है तेरे कान्हा जी भी यही चाहते हो!!,
(श्रद्धा मन में कुछ सोच रही होती है )
प्रीति: हरी काका ...!!! आप चिंता मत कीजिए , बचपन से थोड़ी नखरेबाज है ।। मैं समझा लूंगी!!
श्रद्धा: प्रीति....!!!
(हरिप्रसाद मुस्कुरा देते है!!)
प्रीति: चल (कह कर श्रद्धा को खींच कर वहा से ले जाती है!!!)
(रास्ते में दोनो साथ में जाते हुए!!)
प्रीति:, क्या यार..!!! तू इतना भाव क्यूं खाती है!!
श्रद्धा:(थोड़ा मायूस होकर) मैं भाव नही खाती प्रीति !!
प्रीति: हा हा ...पता हैं मजाक कर रही थी यार...तू भी क्या सीरियस हो जाती है!! और हां इतनी चिंता न किया कर दूसरों की !! उन जलकुकड़ियों की तो बिलकुल भी नहीं!!! समझी
श्रद्धा: हम्मम...!!
प्रीति : (श्रद्धा को थोड़ा मायूस देखकर) क्या यार...!! खुद में एनर्जी ला ...तुझे बहुत काम करना है !! (कुछ दूरी पर आ रहे पानी पूरी के ठेले की और इशारा करते हुए)वो देख ...पानी पूरी ...तेरी टेंशन दूर करने का तरीका .....
श्रद्धा:( खुश होकर) चल ....!!
( दोनो खुश होकर ठेले के पास पहुंचती है!!)
श्रद्धा~प्रीति(साथ में) भैया ...!!एक प्लेट पानी पूरी!!
(पानीपुरी वाला लड़का उन्हें पानी पूरी की प्लेट देता है ...!! दोनो बड़े मज़े से पानी पूरी खाती हैं!!)
श्रद्धा: भैया!!आपकी पानी पूरी वर्ल्ड बेस्ट है!! जितनी भी थकान या टेंशन हो,खाते ही दूर हो जाती हैं!!
पानी पूरी वाला (खुश होकर) हम इस सोसाइटी में आपय के लिए तो आते हैं.. श्रद्धा दीदी,!!
(यह सुनकर श्रद्धा और प्रीति दोनो हस पड़ती है!!)
प्रीति:(श्रद्धा को चिड़ाते हुए) हम्म..!!ये तो सभी को पता है की श्रद्धा कितनी बड़ी भूखकड़ है!!
श्रद्धा: प्रीति तू फिर मेरे खाने को लेकर मजाक बना रही हैं!! तू मेरी टांग खिंचाई कब बंद करेगी!!
प्रीति:(हसते हुए)..कभी भी नही!! ये तो मेरा favrouit काम है ...!!
(श्रद्धा उसको घूरती है)
श्रद्धा: अच्छा भैया....ये लीजिए आपके पैसे ...!!(पैसे देती है!!)
(प्रीति से) जल्दी घर चल ...!!! वहा मां फालतू का टेंशन लेके बैठी होंगी!!
प्रीति: हां। चल
(दोनो साथ में घर की और चली जाती हैं!!)
(आज के चैप्टर में बस इतना ही...!!! आगे हमारी मुलाकात होगी हमारी कहानी के नायक...हमारे हीरो से)
राधे राधे.... हरे कृष्णा!!🙏