Aasman ki Talash in Hindi Moral Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | Aasman ki Talash

Featured Books
Categories
Share

Aasman ki Talash

कहानी एक 



एक लड़की अपने फोन की अलार्म बजने की वजह से उठाती है, और अपने फोन के अलार्म को वापस बंद कर कर सो जाती है। 

तो वहीं दूसरी तरफ किचन में इस लड़की की मां अर्चना जी खाना बनाती है। अपने पति बच्चों का टिफिन बनाती है। 

और साथ में पूजा करती है। 
तभी उनके पति उठकर कमरे से बाहर आते हैं। 
जिसे देखकर उनकी मां जल्दी से किचन में जाकर चाय बनाती है और उनके हाथों में देती है, साथ में एक न्यूज़पेपर और पानी बिस्किट भी। 

वह यह सब एक साथ कर रही थी एक तरफ वह खाना बना रही थी तो दूसरी तरफ पूजा कर रही तो तो तीसरी तरफ अपने पति को चाय दे रही थी। 
(बिल्कुल वैसे ही जैसे हमारी मां करती है । मल्टीटास्किंग) 

अर्चना जी घड़ी की तरफ देखती है तो घड़ी में सुबह के 7:30 बजे थे जिसे देखकर वह जल्दी से उसे लड़की के कमरे में जाती है और उसे लड़की को उठाने की कोशिश करती है। 

"निक्कू बेटा उठ जा तेरे दफ्तर के लिए तुझे देर हो जाएगा और बाद में तुम मुझसे खिच खिच करती रहेगी ,,उठ जा ..........निक्कू। 

वह इतना बोलकर उसे लड़की के कपड़े और उसके जरूरत के सारे सामान का कपबोर्ड से निकाल देती है।


वह लड़की अपनी मां की बात सुनकर अपने कान पर तकिया रखती है। 

जिसे देखकर अर्चना जी उसके पास जाती है और उसके शरीर से चादर को हटा देती है फिर जिस तकिया को उसने कान पर रखा था उसे तकिया को भी हटा देती है।

लेकिन मजाल है वह लड़की उठने के लिए तैयार हो। वह फिर से दूसरा तकिया लेकर उसे तकिए अंदर अपना मुंह छुपाए कर सो जाती है। 

अर्चना जी परेशान होकर खिड़कियों की पर्दों को हटा देती है ‌। लाइट चालू कर देती है और फन को ऑफ। 

जिसकी वजह से वह लड़की यानी निकिता थक हार कर उठ जाती है। 

जिसे देखकर अर्चना जी कहती है उठ गई हैं तो फ्रेश होने के लिए बाथरुम में चली जाओ जब तक तुम फ्रेश होकर आओगे तब तक तुम्हारे नहाने का गर्म पानी तैयार रखूंगी। 

निकिता अपनी मां की बात मानकर वॉशरूम के अंदर चली जाती है और कुछ ही देर में फ्रेश होकर नहा धोकर रेडी होकर कमरे से बाहर निकल आती है।

जिसे देखकर अर्चना जी उसके सामने खाने के लिए नाश्ता रख देती है। 

तो वहीं सोफे पर बैठे हुए उसके पिता रघु नाथ जी अपनी पत्नी को कुछ इशारा करते हैं जिसे देखकर अर्चना जी ना में सर हिलाती है पर रघुनाथ जिओ उनकी बात नहीं मानते और उन्हें निकिता से बात करने का इशारा करते हैं। 

तो वही निकिता अपने माता-पिता की यह इशारे वाली बातें देख रही थी। 
तभी निकिता का भाई (निखिल )भी तैयार होकर आता है जिसको देखकर अर्चना जी उसके लिए भी नाश्ते को परोस देती है। 

निकिता की उम्र 25 है तो वही निखिल की उम्र 23 है। 

अर्चना जी अपने पति के इशारे वाली बात मानकर डाइनिंग टेबल पर अपना हाथ को पहुंचते हुए। 

निकिता से बात करने की कोशिश करती है पहले तो वह निकिता से बात करने के लिए हिचकी जा रही थी लेकिन वह जैसे तैसे कर कर निकिता से बात करना शुरू कर देती है। 

"निक्कू , मुझे ना तुझे एक जरूरी बात करनी है,, अर्चना जी की बात सुनकर निकिता आपने गर्दन को ऊपर नीचे करती है। 

अर्चना जी उसको हां करते देखकर, बात को आगे बढ़ाती है वह निकिता की तरफ नहीं देख रही थी वह बस उसे छोटे से टॉवल को अपने उंगलियो के बीच घूमते हुए कहती है 

निक्कू तेरे लिए ना एक..... एक रिश्ता आया है । वह इतना बोलकर एक गहरी सांस लेती है। सांस लेकर वह रघुनाथ जी की तरफ देखती है। 

तो वही रघुनाथ जी ने बात आगे बढ़ाने को बोलते हैं जिसे समझ कर अचान जी आगे कहती है 

मैं ना उसे लड़के का सारा बायोडाटा तेरे फोन पर भेज दिया है, यह रिश्ता तेरी दूर वाली चाचा की मासी ने लाया है लड़का अमेरिका में जॉब करता है। 

उसका महीने की तनक₹200000 है। और उन्हें बताया कि लड़का बड़ा अच्छा है उसकी उम्र 28 की है। 

और वह लड़का है अमेरिका में बेल सेटल्ड है उसका अपना एक घर है। उसके परिवार में उसके माता-पिता एक बहन और वह रहते हैं। 


और वह लोग इस शनिवार तुझे देखने के लिए आ रहे हैं। 


अर्चना जी की बात सुनकर जो निकिता खाना खा रही थी वह खाना खाना बंद कर देती है और एक नजर भरकर पहले अर्चना जी को देखते हैं तो दूसरे नजर अपने पिता पर डालती है।

जब रघुनाथ और अर्चना जी अपनी बेटी का गुस्से वाली नजर को अपने ऊपर महसूस करते हैं तो वह घबरा जाते हैं। 

निकिता आपने खाने की चम्मच को नीचे रखती है और अपने हाथों को फोल्ड कर कर अपने माता-पिता से कहती है। 

कितनी बार कहा है आपसे कि मेरे सामने यह शादी की बातें ना लाइए ।

मुझे नहीं करनी शादी कितनी बार समझाओ आपको मुझे उड़ाना है, दुनिया देखनी है, इस 1 bhk फ्लैट से निकालकर अपना एक घर लेना है।

उसकी बात सुनकर रघुनाथ जी कहते हैं "तुम यह सब शादी के बाद भी कर सकती हो? पहले तो तुमने पढ़ाई काह कर शादी को टाल दिया अब यह सब बोलकर शादी को टाल रही हो कब तक शादी को टलोगी। कभी ना कभी तुम्हें शादी करनी होगी ना। 

वैसे भी तुम्हारी शादी की उमर निकलती जा रही है, अगर उम्र निकालने के बाद शादी करोगी तो तुमसे कोई शादी करने नहीं आएगा? 

वैसे भी यह लड़का इतना पढ़ा लिखा है 2 लाख का महीना का कमाता है अच्छा घर परिवार है फिर तुम्हें क्या दिक्कत है शादी करने से। वैसे भी तुम 26 होने वाली हो अगर यह लड़का हाथ से छूट गया तो तुम्हारी शादी करवाना कितना मुश्किल होगा। 

तुम्हें पता है सोसाइटी के लोग क्या कह रहे हैं लड़की की उम्र 25 हो गई है अभी भी बिन बिहाही घर पर बैठी हुई है। हम लोग जानबूझकर तेरी शादी नहीं कर रहे हैं क्योंकि हमें तेरे सैलरी का लालच है। 

तुझे पता है उन लोगों की बात सुनकर हमारे दिल में कैसा महसूस होता है।

उनकी बात सुनकर निकिता कहती है उन लोगों को बात करने के अलावा कुछ काम है नहीं? और वैसे भी आप उन लोगों की बात सुन क्यों रहे हो?

जिस पर रघुनाथ जी कहते हैं हम समझ में रहते हैं हमें समाज का बारे में भी सोचना पड़ता है। और वैसे भी वह लोग गलत क्या कह रहे हैं एक समय था जहां लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र में हो जाती थी। 

और तुम्हारी उम्र 25 की हो चुकी है और जल्दी 26 की होने वाली हो। लोग बातें नहीं बनाएंगे तो क्या करेंगे।


ऐसे ही दोनों के बीच बहस चिढ़ जाती है तो वही अर्चना जी अपने पति और बेटी को बहस करने से रुकती है पर दोनों में से कोई नहीं रुकता है। 

तो निकिता बहस खत्म होते ही अपने कमरे में जाती है और अपने कपड़ों को पैक कर कर बाहर आती है,

फिर अपने पापा के पास जाकर वह उनसे कहती है आपको इतनी ही परवाह है ना समाज की तो आप समाज के साथ ही रहिए मैं अब यहां से जा रही हूं हमेशा हमेशा के लिए। ना मैं इस घर में रहूंगी ना मेरी शादी की बात होगी ना आपको कोई कुछ आएगा!।
इतना बोलकर वह बैग लेकर वहां से चली जाती है तो वही उनके पिता अपनी बेटी की बात सुनकर गुस्से में अपने कमरे की तरफ चले जाते हैं। 

तो वही निखिल भी अपने काम की तरफ बढ़ जाता है क्योंकि यह चीज उसके लिए आम सी हो गई थी ‌।

उसकी बहन शादी नहीं करना चाहती थी लेकिन उसके परिवार वाले उसे पर हर दिन दबाव डालते थे तो थक हार कर निकिता घर छोड़कर चली गई थी। 

वैसे भी निखिल जानता था कि उसकी बहन एक दिन घर छोड़कर जाने वाली है क्योंकि दोनों भाई-बहन एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते थे। 
निकिता ने पहले ही निखिल से कहा था कि अगर फिर से इस घर में शादी की बात होगी तो वह घर छोड़कर चली जाएगी। 

पता नहीं क्यों पर उसकी बहन को बचपन से ही शादी के नाम से चीड़ होती थी। उसे लगता था की शादी करने से ज्यादा खुद को ऊंची बिल्डिंग से नीचे फेंकना आसान होता है। 

तो वही निकिता गुस्से से अपने बैग लेकर अपने ऑफिस में जाती है ।

वह आईटी कंपनी में H.R थी।

वह अपने केबिन की तरफ जाती है और केबिन के एक साइड अपने बैग को रखती है और अपने चेयर पर बैठी है। 

चेयर पर बैठते ही एक गिलास पानी पीती है और ऑफिस बॉय को कॉफी लाने के लिए कहती है। 
कुछ देर में ऑफिस बाय कॉफ़ी लाकर निकिता की टेबल के सामने रखकर उसे गुड मॉर्निंग कहता है जिस पर निकिता भी अपने मूड को ठीक करते हुए उसे ऑफिस बॉय को रिप्लाई देती है "गुड मॉर्निंग भैया,,

जीस के बाद ऑफिस बॉय वहां से चला जाता है तो निकिता अपने कॉफी को पीने लगती है।

तभी उसकी नजर टेबल पर रख एक लेटर पर जाती है जिसे खोलकर देखी है तो एक एंप्लॉय ने कंपनी से रिजाइन कर दिया था और उसे रिजाइन लेटर में यह बताया गया कि वह कंपनी से इसलिए रिजाइन कर रही है क्योंकि उसे लड़की की शादी है और वह जल्द ही शादी कर कर शहर से दूर जाने वाली है।

जिसे पढ़ कर निकिता बड़े बेड़ंगी तरीके से उसे रिजाइन लेटर को फेंक देती है। 

क्योंकि ऑफिस में जितना ही फीमेल एम्पलाइज अप्वॉइंट नहीं होती है उससे ज्यादा तो वह रिजाइन कर कर चली जाती है। 

कभी रिजाइन में यह लिखा होता है कि वह शादी करने वाली है तो कभी होता है कि वह कंपनी इसलिए छोड़ दे क्योंकि उसके बच्चे का देखभाल करना होता है। 
या कभी-कभी यार तो हद हो जाती है कि कुछ लड़कियों को इसलिए अपने जॉब को छोड़ना पड़ता है क्योंकि उनके ससुराल वाले उसे लड़की को जॉब करना नहीं देना चाहते हैं। 

जिसे सोच सोच कर निकिता का सर फट रहा जा रहा था उसका बस चलता तो वह इस दुनिया से
 शादी नाम की चीज को हटा देती। 

ऐसे ही हफ्ता निकल जाता है और शनिवार का दिन आ गया था। तो कंपनी में निकिता स्टाफ की कमी की वजह से बहुत परेशान थी और ऊपर से अपने घर से शादी के लिए प्रेशर आ रहा था। 

रघुनाथ जी ने निकिता को जैसे तैसे ब्लैकमेल कर कर घर बुला लिया था। उन्होंने निकिता से यह कहा कि अगर वह शनिवार के दिन लड़के वालों से मिलने नहीं आए तो वह सुसाइड कर लेंगे। 

उनकी धमकी सुनकर निकिता को हार मानकर वापस घर आना पड़ता है।

निकिता की माउस को तैयार कर रही थी निकिता ने इस समय साड़ी पहनी हुई थी और लाइट मेकअप किया हुआ था, कानों में हल्की-फुल्की झुमके गले में एक छोटा सा लॉकेट था तो एक हाथ में घड़ी था तो दूसरे हाथ में चूड़ियां। 

और उसने बालों को खुला छोड़ दिया था। जो उसे और भी ज्यादा सटल बट ब्यूटीफुल लुक आ रहा था।

सुबह के 11:00 चुके थे अब तक लड़के वाले भी आ गए थे। 

लड़के का नाम सागर था। लड़के का रंग रूप हाइट 5 फुट 8 इंच थी तो रंग हल्का गोरा था। शारीरिक दुबला पतला था।

तो वही लड़के के मां-बाप का नाम लक्ष्मी और नारायण था उसे लड़के की बहन का नाम सोनिया था। 

रघुनाथ जी और निखिल दोनों भी बड़े आदर सम्मान से लड़के वालों का वेलकम करते हैं तो वही अर्चना जी किचन से उनके लिए चाय नाश्ता लाती है। 

कुछ देर बाद वह लोग सभी बात करते हैं तो वही लड़के की मां यानी लक्ष्मी जी कहती है "बहन जी लड़की को भी लाइए देखे तो सही हमारे बेटे के लिए आपकी बेटी सही है या नहीं ,,

उनके बात सुनकर रघुनाथ जी अर्चना जी को निकिता को लाने के लिए कहते हैं तो अर्चना जी वहां से निकिता को लाने के लिए चली जाती है। 

निकिता एक बार फिर से फॉर्मेलिटी के लिए चाय के ट्रे के साथ अर्चना जी के पीछे-पीछे आती है। 

वह एक-एक कर कर चाय के कप सबको दे रही थी उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे लेकिन उसकी आंखों में तो गुस्सा साफ-साफ दिखाई दे रहा था। 

उसके बाद अर्चना जी अंकित को लड़के के माता-पिता के पैर छूने के लिए कहती है जिसे ना चाह कर भी निकिता को मारना पड़ता है। 

लक्ष्मी जी निकिता को अपने करीब बिठाकर उसे अच्छे से देख रही थी। 
उसे कुछ सवाल कर रही थी जैसे ही उसे खाना बनाना आता है या नहीं घर के काम आते हैं या नहीं सिलाई बुनाई इत्यादि चीज आती है या नहीं। 

जिसका जवाब निकिता कभी ना मे और हमें दे रही थी।
उसके बाद लक्ष्मी जी निकिता को उठती है और उसे चलने के लिए कहती है। 
निकिता ना समझी मैं उन्हें देखते हैं तो वह मुस्कुरा कर कहती है एक बार चल के तो दिखाओ बेटा। 
जिस पर अर्चना जी उसे चलने का इशारा करती है तो वह पैर पटक कर उठती है। 
अपने हाल का एक पूरा चक्कर लगाकर आती है। और उसके बाद लक्ष्मी जी कभी निकिता के चेहरे को पहुंच कर देखी तो कभी उसके बालों को खींचकर कभी उसे की चप्पल उतार कर चलने के लिए कहती तो कभी सैंडल पहन कर। 

 लक्ष्मी जी की हरकत से निकिता को बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा था लेकिन वह अपने मां-बाप के लिए चुपचाप यह लोगों की बदतमीजी सेंड कर रही थी।

आखिर में वह अपने बेटे से कहती है बेटा मुझे तो लड़की पसंद है तुम क्या कहते हो , उनके बाद पर उनका बेटा कुछ नहीं कहता है। 

तो वही निकिता कुछ कहना चाहती थी लेकिन अर्चना जी बार-बार उसकी हाथों को दबाकर उसे कुछ भी बोलने के लिए मना कर देती है।

तभी उसे लड़के के पिता कहते हैं भाई साहब हमें तो लड़की पसंद है अब लड़के और लड़की को कुछ देर एक दूसरे से बात करने दीजिए फिर हम आपको जवाब दे देंगे। 

उसे लड़के के पिता की बात सुनकर रघुनाथ जी अपने बेटे को इशारा करते हैं तो निखिल उसे लड़के यानी सागर को लेकर निकिता के कमरे की तरफ जाता है तो निकिता भी उन दोनों के पीछे-पीछे चली जाती है। 

निकिता के साथ सागर की बहन सोनिया भी पीछे-पीछे आती है। 

सागर और निकिता कमरे में जाते हैं तो सोनिया कमरे का दरवाजा बंद कर देती है। और निखिल को अंदर जाने नहीं देती है। 

जिसका गुस्सा निखिल को आता है मगर वह अपने गुस्से को कंट्रोल कर कर दरवाजे के बाहर खड़ा हो जाता है। 

तो कमरे के अंदर 
सागर निकिता के कमरे को गौर से देखने लगता है। निकिता का कैमरा बहुत ही ज्यादा छोटा था। इतना छोटा था कि उसे कमरे में सिंगल बेड और सिंगल अलमारी थी उसके अलावा कुछ भी नहीं था बस दीवारों पर कुछ तस्वीरें और कुछ कलाकृतियां थी जिसे निकिता ने खुद अपने हाथों से सजाया था। 
इन शॉर्ट कमरा छोटा बट डीसेंट था।

सागर कहता है आपका कैमरा तो बहुत ही सुंदर है जिस पर निकिता बस मुस्कुराने का नाटक करती है।

उसके बाद सागर निकितासे सवाल जवाब करता है तो निकिता भी उस के सवालों का जवाब देती है। 

सवाल खत्म होते ही निकिता अपनी बात करना शुरू कर देती है देखिए। अगर हमारी शादी होगी तो मैं जाँब कभी छोडूंगी नहीं। और बच्चा शादी के 5 साल बाद प्लान करने के बारे में सोचूंगी और बच्चे को पैदा करना है या नहीं इसका पूरा निर्णय मेरा होगा। 

जिस तरह से आप अपने मां-बाप का ध्यान उनके बुढ़ापे में रखना चाहते हो मैं भी उसी तरह अपने मां-बाप का ध्यान बड़ा पर में रखना चाहती हूं।
अपने छोटे भाई की कैसे पूरी करना चाहती हूं। 
मेक हाउसवाइफ, तो नहीं बन सकती हो। 

 और मुझे ऑफिस और घर का पूरा काम करना नहीं हो पाएगा। 

अगर घर का काम भी मुझे करना है तो मैं इसमें आपकी , आपके घर वालों की मदद की उम्मीद जरूर करती हूं। नहीं तो हम लोग एक सर्वेंट को रख लेंगे। 

वह ऐसे ही अपने तरफ की बातें रखने लगती है। 
जैसे जैसे सागर निकिता की बातें सुनता है तो उसका चेहरा काला पड़ने लगता है। 

वह निकिता के बातों को बीच में रोकड़ कहता है यह आप सब बोल क्या रही हो अगर मेरी मां को इस उम्र में भी घर का काम करना है तो आपके साथ शादी करने का क्या फायदा है? अगर बच्चे को पैदा करना है इसमें भी पूरा ओपिनियन आपका ही है तो मेरा क्या काम है? 

और बात रही जॉब करने की देखिए हमारे घर में लेडिस को जॉब करना अलाउड नहीं है। उन्हें घर को संभाल ना ही होता है। हमारे घर की औरतों का काम घर संभालना बच्चे पैदा करना बच्चों को संभालना सास ससुर की देखभाल करना होता है। 

निकिता सागर के बाद को तर्क देते हुए कहती है देखिए शादी हमारी हो गई तो गृहस्थी हमारी होगी तो रास्ते में काम करना हम दोनों का जिम्मेदारी है। 

चाहे वह परिवार का ख्याल रखना हो या घर के काम करना हो या बाहर के इसमें हम दोनों की बराबरी जिम्मेदारी होगी। 

ऐसे ही दोनों की बसें बहस चिढ़ जाती है जिसकी आवाज बाहर तक सुनाई दे रही थी।

उन दोनों को ऐसी बहस करते की तेरे सुनकर निखिल जल्दी से दरवाजे को खोल देता है। 

जिसके पास अगर कमरे से बाहर आकर अपने बाबा से कहता है मां पापा मुझे इस लड़की से शादी नहीं करनी है।यहां से चलिए इतना बोलकर वह चला जाता है। 

सागर को ऐसे गुस्से में जाते देखकर उसके मां-बाप और सोनिया तीनों उसके पीछे चले जाते हैं। 

तो वही रघुनाथ जी अर्चना निकिता के कमरे में जाते हैं। तो वह लोग देखते हैं कि निकिता बेड पर बड़े गुस्से से बैठी हुई थी तो वही निखिल उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था। 

रघुनाथ जी गीता से पूछते हैं क्या हुआ लड़का ऐसा क्यों चला गया?

 क्या कहा तुमने? 

निकिता रघुनाथ जी की बात सुनकर उन्हें बेकिंग से देखने लगती है फिर उन्हें सब कुछ बता देती है जिस पर रघुनाथ जी उल्टा उसे पर ही गुस्सा करते हैं। 

जिसे देखकर निकिता पूरी तरह से टूट जाती है उसके आंखों से आंसू बहने लगते हैं या आशु दर्द के नहीं थे ।

इस आशु की वजह उसका खुद का पिता था। उसके दिमाग में अभी कहीं सारे बात चल रही थी। 
उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके पिता को हो क्या गया है। आखिर क्यों वह अपनी बेटी की खुशियों का गला घोटने चाहते हैं। 

वह अपने सवालों का जवाब चाहती थी मगर उसे उसके सवालों का जवाब नहीं मिला जिसकी वजह से वह वहां से आप हॉस्टल के लिए चली गई। 

उसे दिन से निकिता ने एक बार भी घर आने की कोशिश नहीं की ना ही घर में किसी से बात करने की। 

बीच-बीच में निखिल हमेशा उसे मिलने चला जाता था। और अर्चना जी को निकिता की खबर देते था। 



ऐसे ही 2 साल बीत जाते हैं। पहले तो जिस औरत ने निकिता की रिश्ते की बात की थी उसने रघुनाथ जी और अर्चना जी को बहुत सारी बातें सुनाई थी। 

लेकिन आज अखबार में यह खबर छपी थी कि जिस लड़के से रघुनाथ जी अपनी बेटी की जबरदस्ती से शादी करवाना चाहते थे उसे पर उसकी बीवी के परिवार वालों ने दहेज प्रताड़ना, मानहानि जबरदस्ती का केस किया हुआ है।

यहां तक कि उसे लड़की की तस्वीर भी अखबार में छपी हुई थी उसे लड़की की हालत इतनी बुरी थी कि तस्वीर में भी उसे लड़की की हालत लोग देख नहीं पाते। 


उन्हें यह न्यूज़ देखकर आज कहीं ना कहीं लग रहा था कि जो फैसला निकिता ने लिया वह सही था अगर वह जबरदस्ती उसकी शादी उसे घटिया आदमी से करते तो आज उसे लड़की की जगह निकिता होती। 

जिसे सोच सोच कर उनका दिल मानो टूट रहा था। उन्हें अभी पछतावा हो रहा था कि आखिर उन्होंने क्यों निकिता की बातें नहीं सुनी थी। 

पर इस बात पर भी उन्हें खुशी हो रही थी कि उनकी निकिता अपने बात पर आदि रही और उनकी बात नहीं मानी जिसकी वजह से वह इतने बड़े मुसीबत से बच गई है। 

तभी निखिल निकिता के कमरे से चिल्लाते हुए आता है मां पापा दी का प्रमोशन हुआ है। वह अब आईटी कंपनी की मैनेजर बन गई है और उनकी सैलरी अब महीने की 5 लाख है। 

निखिल की बात सुनकर अर्चना जी तो भगवान को शुक्रिया करने लगती है तो वही रघुनाथ जी बहुत ही ज्यादा खुश होते हैं। अपनी बेटी की का कामयाबी देखकर ।

तभी निखिल अपनी बात को आगे बढ़ता है आपको पता है हमेशा की तरह इस बार भी दी को एंपलॉयर का थे एयर कवर्ड मिला है। 

उसकी बात सुनकर उनकी खुशियों में ,चार चांद जुड़ गया था।

अर्चना जी जल्दी से किचन में जाती है और किचन से चीनी का डब्बा लाती है और निखिल रघुनाथ जी को देते हैं और उन्हें निकिता के कामयाबी का बधाई देता है। 
तो वही निखिल और रघुनाथ जी भी ऐसा ही अर्चना जी के साथ करते हैं। 

उसके बाद रघुनाथ जी ने किसे कहते हैं चलो अभी मुझे अपनी गुड़िया से मिलना है और उसे अपने किए की माफी मांगनी है।

उनकी बात सुनकर निखिल और अर्चना जी को और ज्यादा खुशी होती है और वह लोग तुरंत तैयार होकर निकिता के ऑफिस की तरफ चले जाते हैं। 

निकिता के ऑफिस में अवॉर्ड फंक्शन था 
इसकी वजह से वहां एम्पलाइज और उनकी फैमिली दोनों मौजूद थी। 
एक-एक कर कर सभी एम्पलाइज को अलग-अलग कैटेगरी में अवार्ड मिलता है। 
आखिर में निकिता की बारी आती है वह अवार्ड लेने के लिए स्टेज पर चली जाती है।

उसके चेहरे पर तो हंसी थी पर उसकी आंखों में कोई खुशी नहीं थी। 
वैसे ही अवार्ड लेती है फिर 2 मिनट का स्पीच देकर स्टे से नीचे उतरती है तो देखी है कि एम्पलाइज के फैमिली के क्षेत्र में उसकी फैमिली भी थी जो जोर जोर से उसका नाम चिल्लाते हुए ताली बजा रहे थे।

जिसे देखकर जो उसकी आंखें अब तक खाली थी उसमें खुशी की आंसू आती है और वह दौड़कर उनके पास जाती है। 
पहले वह अर्चना जी से गले लगाती है फिर निखिल से जैसे ही वह रघुनाथ जी से गले लगने जाती है तो उन्हें उन दोनों की आखिरी बहस याद आती है जिसकी वजह से वह रुक जाती है। 
पीछे हट जाती है। 

जिसे देखकर रघुनाथ जी कहते हैं क्या तुम अपने पिता को अभी माफ नहीं कर पाओगी? मानता हूं कि उसे गलती हो गई थी। मुझे तुम्हारी बात समझनी चाहिए थी लोगों की बात सुनकर तुम पर दबाव नहीं डालना चाहिए था। 

इतनी बार मैंने तुम्हारी गलती को माफ किया क्या इस बार तुम अपने पिता को माफ नहीं कर पाओगी इतना बोलकर रघुनाथ जी अपनी हाथ जोड़ लेते हैं जिसे देखकर निकिता जल्दी से उनके हाथ को अलग कर कर उनसे गले लगा कर रोती है। 


रघुनाथ जी को तो अपनी गलती का एहसास हो गया है, लेकिन उन पीताओं का क्या जो रूढ़िवादी समाज की बातों में आकर अपनी बेटी की बलिदान दे देते हैं, अपनी झूठी इज्जत झूठी शान के लिए उसे बेचारी लड़की की सारी जिंदगी बर्बाद कर देते हैं।
 
आज हमें हमारी समिति को बदलना जरूरी है जिस तरह से रघुनाथ जी अपनी निकिता के लिए खड़े थे वैसे ही हर रघुनाथ अपनी निकिता के लिए खड़े होना चाहिए।





इस कहानी की निकिता को उसका आसमान मिल गया उसके सितारों के साथ लेकिन आज भी कितनी सारी निकिता है जो अपनी आसमान को छूना चाहती है उसे आसमान में घूमना चाहती है लेकिन उनके मौका नहीं मिलता है या यह कह सकते हैं उनसे उनका मौका छीन लिया जाता है।