I missed you in Hindi Love Stories by M K books and stories PDF | I missed you

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I missed you

तुम्हें पता है, आज भी जब मैं आँखें बंद करती हूँ, तुम्हारा चेहरा सबसे पहले दिखता है।

पर अब वो चेहरा सुकून नहीं देता... दर्द देता है।

तुम चले गए... बिना कुछ कहे, बिना वजह बताए, बस ऐसे जैसे मैं कभी थी ही नहीं तुम्हारी ज़िंदगी में।


कितनी बार सोचा था कि अगर कभी तुमसे लड़ाई भी हो जाएगी, तो हम बात करके सब ठीक कर लेंगे...

पर तुम तो बात करने से पहले ही चले गए।

तुम्हारे “ऑफलाइन” हो जाने के बाद मेरी ज़िंदगी भी जैसे पॉज़ पर आ गई।

मैं साँस तो ले रही हूँ, पर जैसे जी नहीं पा रही हूँ।


कभी-कभी अपने कमरे की दीवारों से बातें करती हूँ 

क्योंकि अब कोई नहीं है जो सुने,

ना वो देर रात वाले कॉल्स जो मैं कर के तुम्हे ऑनलाइन बुलाती थी,

ना “खाना खा लिया?” वाले मैसेज,

ना वो “तुम्हें कुछ हुआ तो मुझे बताना , कहां गायब थी ” जैसी फिक्र।

अब सब ख़ामोश है... बस मेरी साँसे और आँसू रह गए हैं।

जो हर रोज मुझे और तकलीफ देते हैं।


लोग कहते हैं, “टाइम सब ठीक कर देता है।”

पर उन्हें कैसे बताऊँ 

टाइम ने तो मुझे और तोड़ दिया है।

हर मिनट, हर सेकंड तुम्हारी कमी को और गहरा कर देता है।

मैंने खुद को समझाने की कोशिश की,

“शायद उसे कोई मजबूरी रही होगी...”

पर अब दिल भी मानने से इंकार करता है।

चाहे कितनी भी लड़ाई हो मैं तुमसे रूठ कर जाने वाला कहां हूं??? मैं तुम्हारा हूं और तुम्हारे पास रहूंगा ।

जो मुझे तकलीफ हो रही है तेरी नामौजूदगी से उस पर क्या कहोगे तुम ???


तुम्हारे जाने के बाद, मैं हँसना भूल गई हूँ।

कभी कभी अपने ही हँसते हुए चेहरे को शीशे में देखकर डर जाती हूँ,

क्योंकि अब वो मुस्कान नकली लगती है या यूं कहूं दर्द छुपाने का एक छोटी सी कोशिश होती है।

लोग कहते हैं, “तुम पहले जैसी क्यों नहीं रही?” 

कैसे बताऊँ... वो “पहली वाली मैं” तो तुम्हारे साथ ही चली गई।


रात को नींद नहीं आती।

सोचती हूँ काश! तुम एक बार लौट आते...

कम से कम ये तो बता देते कि गलती मेरी थी या तुम्हारी?

मेरी थी तो कौन सी बात चुभ गई तुम्हे ?? जो यह तक भूल गए, मैं कितना परेशान होती हूं।

मैं तो बस इतना चाहती थी कि तुम एक बार “अलविदा” तो कह कर जाते ।

शायद तब इतना टूटी हुई महसूस न करती। समझ जाती न 

मैं तुम अपनी मर्जी से जा रहे हो।


अब तो हालत ये है कि भीड़ में भी अकेली महसूस होती हूँ।

लोग बात करते हैं, हँसते हैं,

पर मैं भीतर से बस खाली हूँ।

मन करता है सब छोड़ दूँ , फोन, सोशल मीडिया, सब ... कर लूं खुद के साथ कुछ ऐसा जहां से कभी वापस न आऊं मैं।

पर फिर कहीं न कहीं उम्मीद बची रह जाती है

कि शायद किसी दिन तुम्हारा एक मैसेज आ जाएगा...

बस एक “कैसी हो?”

और मैं फिर से टूटकर मुस्कुरा उठूँगी। तुम कैसे हो?? यह सवाल तुम से बड़े प्यार से पूछ लूंगी । 


पर वो दिन शायद कभी नहीं आएगा...

क्योंकि तुम वो इंसान बन गए हो

जो बिना पीछे देखे चले जाते हैं। क्या मैं इतनी बुरी हूं ?? सब तुम्हे पता है फिर भी....


और मैं...

मैं अब भी उसी मोड़ पर खड़ी हूँ,

जहाँ तुम मुझे छोड़कर गए थे 

आँखों में सवाल,

सीने में यादें,

और दिल में वो न मिटने वाला दर्द।


कभी लौटना मत अब, यह नहीं कहूंगी , बस तुम्हारा इंतज़ार करूंगी। 

क्योंकि मैं अब फिर से टूटना नहीं चाहती।

अब जो बची हूँ न,

वो मैं बड़ी मुश्किल से जोड़ी हूँ खुद को।

इसीलिए तेरे अलावा किसी और के बारे में सोचना नहीं चाहती । 


पर हाँ, एक बात कहना चाहती हूँ 

तुम्हारे जाने से मैंने सीखा है

कि प्यार जितना खूबसूरत होता है,

उतना ही दर्दनाक भी होता है।


अब मैं ठीक नहीं हूँ...

पर एक दिन हो जाऊँगी।

तब शायद तुम्हें देखकर मुस्कुरा भी लूँगी 

बिना किसी उम्मीद के।



लौट आओ ... वरना ऐसा लगेगा ....!!!


Thanks for reading,,,,