Mere Ishq me Shamil Ruhaniyat he - 23 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 23

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 23

 
💫 एपिसोड 23 – “काली रौशनी का वादा”
 
सुबह की धूप अब हवेली की टूटी खिड़कियों से नहीं, बल्कि हर दीवार से छनकर आ रही थी — जैसे बरसों बाद हवेली ने चैन की सांस ली हो।
अनाया सीढ़ियों से नीचे उतरी, उसके कदमों की आहट फर्श पर गूंज रही थी, पर अब वो आवाज़ डरावनी नहीं लग रही थी। वो हवेली अब किसी क़ब्रगाह की नहीं, बल्कि किसी अधूरे प्रेम की याद बन चुकी थी।
 
पर उसके दिल में अब भी एक खालीपन था — राज़ की अनुपस्थिति का।
उसने वही पुराना लॉकेट अपनी गर्दन से निकाला, जिसमें राज़ की तस्वीर धुंधली हो चुकी थी।
उसके होंठों पर हल्की मुस्कान थी,
“अब मैं डरती नहीं राज़… क्योंकि तुम्हारा वादा अब मेरी रूह में समा चुका है।”
 
जैसे ही उसने वो कहा, हवेली की दीवारों से एक हल्की आवाज़ आई —
जैसे किसी ने “अनाया…” पुकारा हो।
 
वो पलटी — हवेली की खिड़की पर फिर वही “काला प्रतीक” जल रहा था।
धुआँ धीरे-धीरे फैलता गया, और हवा में वही गंध घुलने लगी — जली हुई चंदन की गंध।
 
अनाया का दिल ज़ोर से धड़का —
“राज़?” उसने फुसफुसाया।
 
पर इस बार आवाज़ राज़ की नहीं थी…
वो किसी और की थी — गहरी, ठंडी और अपरिचित।
 
> “प्रेम की रौशनी से अंधेरा मिटता नहीं, अनाया…
कभी-कभी वही रौशनी अंधेरे को जन्म देती है।”
 
 
 
अनाया ने घबराकर कहा, “कौन हो तुम?”
 
> “वो, जिसे इस हवेली ने भुला दिया…
वो, जो राज़ के साथ कभी इसी जगह क़ैद थी…”
 
 
 
हवा ठंडी हो गई। दीवारों से धुंध की परत उतरने लगी, और सामने एक स्त्री का आकार बनने लगा —
सफ़ेद वस्त्रों में, मगर आँखें पूरी तरह काली।
वो मुस्कुरा रही थी।
 
अनाया के पाँव पीछे हटे,
“तुम… राज़ को जानती थीं?”
 
> “जानती थी?”
उस स्त्री ने ठंडी हँसी हँसी,
“मैं उसकी सज़ा हूँ।”
 
 
 
 
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🌒 अतीत की परछाईं
 
दीवारों पर अचानक पुराने दृश्यों की झिलमिलाहट उभरी —
राज़, वही पुरानी हवेली, और एक और लड़की — जिसका नाम था “मिराया।”
 
वो राज़ की बचपन की सखी थी, जिसने हवेली के रहस्यों को उजागर करने के लिए अपनी आत्मा को शापित कर दिया था।
पर राज़ ने तब किसी और को चुना — अन्विका को।
 
और उसी रात मिराया हवेली में जिंदा जल गई।
 
अब वही आत्मा फिर से सामने थी — मिराया की।
 
> “राज़ ने मुझसे वादा किया था कि मौत के पार भी मुझे याद रखेगा…
लेकिन उसने वो वादा तुम्हारे साथ निभाया।”
 
 
 
अनाया ने काँपती आवाज़ में कहा,
“उसने तुम्हें नहीं भुलाया। उसने तुम्हें मुक्त करने की कोशिश की थी।”
 
> “झूठ!”
मिराया की चीख़ से दीवारें काँप उठीं।
“प्रेम के नाम पर उसने मुझे अधूरा छोड़ दिया।
और अब, उसका प्रेम तुम्हारे ज़रिए पूरा होगा — मेरी तरह तुम्हें भी अधूरा बनाकर!”
 
 
 
हवेली का तापमान अचानक गिर गया।
दीपक बुझने लगे।
अनाया के पैरों के नीचे की ज़मीन दरकने लगी।
 
 
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🌫 राज़ की रूह की पुकार
 
अचानक हवेली के बीचोंबीच सुनहरी आभा उठी।
राज़ की रूह वहाँ प्रकट हुई — मगर इस बार उसकी आँखों में थकान नहीं, बल्कि गुस्सा था।
 
“मिराया… रुक जाओ!”
 
मिराया ठिठकी, उसकी काली आँखों में लाल चमक उभरी।
 
> “अब तुम मुझे रोकोगे? जिस वादे ने मुझे जलाया, उसी वादे से अब तुम्हारा प्रेम राख बन जाएगा।”
 
 
 
राज़ ने अनाया की ओर देखा, “पीछे हट जाओ।”
 
अनाया बोली, “नहीं राज़! अब मैं भागूँगी नहीं।
अगर ये हवेली मेरे प्रेम की परीक्षा ले रही है, तो मैं उसका हिस्सा बनूँगी।”
 
राज़ की रूह मुस्कुराई —
 
> “यही रुमानियत है, अनाया… जब डर के बाद भी दिल अपनी जिद पर कायम रहे।”
 
 
 
मिराया ने हाथ उठाया —
एक काली लपट उभरी और सीधे अनाया की ओर बढ़ी।
 
अनाया ने आँखें बंद कर लीं,
“अगर मेरे प्रेम की रौशनी सच्ची है, तो ये अंधेरा मुझमें समा जाएगा, मुझे तोड़ेगा नहीं।”
 
लपट उसके चारों ओर घूमी —
लेकिन जलाने की बजाय सुनहरी चमक में बदल गई।
 
मिराया चौंकी, “ये कैसे संभव है!”
 
राज़ की रूह ने कहा,
 
> “क्योंकि प्रेम का त्याग ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति है…
और अनाया अब उसी शक्ति का प्रतीक है।”
 
 
 
 
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🌹 हवेली की शांति
 
हवेली की दीवारें एक-एक करके रोशन होने लगीं।
हर कोने से रोशनी फूटी —
कभी जो हवेली मौत का घर थी, अब वो जीवन की गवाही देने लगी।
 
मिराया धीरे-धीरे पीछे हटने लगी। उसकी आँखों से आँसू निकले — काले नहीं, पारदर्शी।
 
> “तो ये प्रेम… मेरी नफ़रत से बड़ा था।”
 
 
 
राज़ ने कहा,
 
> “तुम्हें मुक्त कर रहा हूँ, मिराया। अब लौटो उस सुकून में, जहाँ कोई अधूरापन नहीं।”
 
 
 
मिराया मुस्कुराई,
 
> “और तुम दोनों… अपने प्रेम को इस हवेली से आगे ले जाओ।
क्योंकि अब ये हवेली तुम्हारे अधूरे वादे नहीं, बल्कि तुम्हारे पूरे इश्क़ की निशानी बनेगी।”
 
 
 
उसकी आत्मा धुएँ की तरह घुल गई, और हवेली में एक मीठी खुशबू फैल गई — चंदन और गुलाब की मिली-जुली ख़ुशबू।
 
 
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🌅 नई सुबह का संकेत
 
राज़ की रूह अब लगभग पारदर्शी थी।
उसने अनाया की ओर देखा,
 
> “अब मेरा समय पूरा हो चुका है। लेकिन मैं जाऊँगा नहीं…
मैं इस हवेली की हवा बनकर रहूँगा — जब भी तुम सांस लोगी, मैं वहीं होऊँगा।”
 
 
 
अनाया की आँखें भर आईं,
“मैं तुम्हें महसूस कर लूँगी, राज़। हमेशा।”
 
राज़ मुस्कुराया — और उसकी रूह सुनहरी कणों में बदलकर हवा में घुल गई।
अनाया वहीं खड़ी रही, आँखें बंद, दिल में रुमानियत और आत्मा में शांति लिए।
 
 
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✨ हवेली की नई रक्षक
 
हवेली के द्वार पर अब एक नया चिन्ह उभर आया —
सुनहरी और काले रंग का मिला-जुला प्रतीक, जो धीरे-धीरे चमकने लगा।
 
वो अब “सत्य-द्वार” नहीं था,
वो “रुमानियत-द्वार” था।
 
अनाया ने धीमे से कहा,
 
> “अब ये हवेली किसी श्राप की नहीं… बल्कि प्रेम की रखवाली करेगी।”
 
 
 
वो सीढ़ियों से नीचे उतरी, और पहली बार हवेली के मुख्य द्वार को खोला।
सामने सूरज उग चुका था।
पंछियों की चहचहाहट सुनाई दी।
दरवाज़े से बाहर एक नई हवा आई — जीवन की।
 
 
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💔 परछाईं का लौटना (Suspense Hook)
 
अनाया हवेली से बाहर निकलने लगी, तभी उसे अपने पीछे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी।
उसने पलटकर देखा — कोई नहीं था।
मगर ज़मीन पर दो परछाईं थीं — एक उसकी, और दूसरी… किसी मर्द की।
 
धीरे-धीरे हवा में वही आवाज़ गूंजी,
 
> “मैं गया नहीं, अनाया…
बस अब प्रेम का दूसरा रूप बन गया हूँ।”
 
 
 
अनाया ने चौककर चारों ओर देखा —
हवा में हल्की सुनहरी और काली चमक साथ-साथ तैर रही थी।
 
उसने फुसफुसाया —
“राज़…?”
 
और हवेली की सबसे ऊँची खिड़की से एक पंख गिरा —
आधा सुनहरा, आधा काला।
 
अनाया ने उसे उठाया और मुस्कुराई —
 
> “अगर अंधेरा भी मोहब्बत का हिस्सा है,
तो मैं उसे भी अपनाऊँगी…”
 
 
 
 
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🌙 हुक लाइन (Episode Ending)
 
हवेली से दूर, पुराने जंगल के बीच एक और पुरानी हवेली की खिड़की में कोई जाग रहा था…
वहाँ दीवार पर लिखा था —
“प्रेम कभी खत्म नहीं होता… बस अपना चेहरा बदल लेता है।”
 
और उसके नीचे किसी ने ताज़ा खून से लिखा —
“राज़ लौटेगा।”
 
 
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