Gul-Dastaan Part 2 in Hindi Classic Stories by Lalit Kishor Aka Shitiz books and stories PDF | गुल–दास्तां भाग 2

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गुल–दास्तां भाग 2

Part 2


टूटे काच को देख वह घर की ओर मुड़ गया पहुंचते ही सबसे पहले लेपटॉप खोला और बीते बरसो की तस्वीरे देखने लगा। काव्या के बर्थ-डे की फोटो देखी जिसमे लाल वन पीस और क्राउन तथा बर्थ-डे गर्ल का बेल्ट लगाये वह उसकी गोद मे बैठी थी और वैभव पीछे से उसे पकड कर कंधे पर सर रख रखा था दोनों पूरी स्माइल के साथ कैमरे में झांक रहे थे। उसे याद अया कि वह फोटो खिंचाने के जस्ट बाद उन्होंने केक काटा था और फिर डांस किया फिर खाना खाया और लास्ट में मूवी देखते देखते सो गये और अगले दिन दोपहर दो बजे आंख खुली। 


आँखो में पानी झलक आया और हल्की मुस्कान। हाथ फेरते हुए लेपटॉप बंद कर किचन में चला गया। सुबह की दाल पड़ी थी फटाफट चावल उबाले और अचार लेकर खाने बैठा । फोन में झांकते हीसहसा नजरे रुकी और अगले ही पल चेहरे पर रौनक आ लौटी । दरअसल काव्या का मैसेज था कि वो कल जयपुर आ रही है और काम के बाद उसके पास आयेगी । खुशी के मारे वह सुबह की ठंडी दाल और चावल को भी बडे चाव से खा रहा था। आधा खाना खत्म करने के बाद अचानक खुशी चिंता में बदल गयी जब घर में नजर दौडाई। इतने दिनों में कभी उसे नहीं लगा था कि कमरा इतना गंदा है। मगर आज उसे वह कबाड खाने सा लग रहा है । सोफे पर गंदे कपडो का पहाड और पायदान पर बेल्ट , मटकी के पास उसके नोट्स और कुर्सी पर उल्टी अंडरवियर , फर्स पर चाय का धब्बा और कांच के उपर लगे छींटे ,ये सब देखकर उसे एहसास हुआ कि वो किस हालत में रह रहा है। 

दाल चावल का आखिरी निवाला और आचार की फांक चूस कर थाली उठा किचन में गया। पुनर्जागरण के बाद जिस प्रकार यूरोप की जनता को शासन की कमिया दिखने लगी उसी प्रकार मास्टर साहब को किचन देख कर दिल्ली के ढाबो की याद आ गयी। किचन प्लेटफॉर्म पर सब्जियो के छिलके और गिरा हुआ दही जो सुख कर ऑस्ट्रेलिया के समान हो गया था। यहां तक तो ठीक था मगर जैसे ही हाथ मे रखी प्लेट देखी तो वह मसालेदानी का ढक्कन था पर अब मसालेदानी नहीं दिख रही। ड्रावर मे खाने की प्लेट में सभी मसालो के पैकेट पडे थे। सिंक आधा पानी से भरा था और ड्रेन होल में प्याज के छिलके फसे थे। 


 किचन से निकल ही रहा था कि पैर में सुबह की गिरी दाल चिपक गयी । ऐडी पर चलते चलते बाथरूम पहुंचे वहां काच में बड़ी मुश्किल से टूथपेस्ट और साबुन के छीटों के अंदर से अपनी शक्ल देखी । बढ़ी हुई दाढ़ी और तेल से जमाये हुए बाल । सबसे पहले सैलून मे कल सुबह का नाम लिखवाया और फिर धीरे-धीरे उजड़ी हुई सभ्यता को संवारना शुरू किया। करीब करीब दो घंटे लगे .हॉल और कमरा तो निपट गया मगर रसोई अब भी बाकी थी। खैर आदतन उसे कल पर टाला गया। नहा धोकर वह सो गया।

सवेरे जल्दी उठ कर सबसे पहले कोचिंग की छुटटी करी। बच्चे और उनके माता-पिता अचानक छुट्टी से स्तब्ध थे। आज पहली बार वैभव ने छुट्टी रखी थी, तो सबको यकीन नहीं हुआ, मगर फिर झूठी बीमारी का बहाना बना कर सबको मना ही लिया। अब सीधे सैलून गये और क्लीन शेव और बाल कटाने के बाद जो चेहरा निकल कर आया वह सैलून वाले को भी नया सा लगा। उत्सुकता में उसने फेशियल भी करवा लिया। पूरे 850 का बिल बना कर मास्टर साहब घर को पहुंचे। आते वक्त दो दूध की थैली और काव्या की पसंदीदा सूजी टोस्ट व नान खटाई ले आये। टेबल पर सारा सामान रखा और किचन साफ करने चल दिये। ऑस्ट्रेलिया को जल मग्न किया और धीरे-धीरे पूरी रसोई सेट कर ली। हॉल में देखा तो कपडो का पहाड अब भी अपनी जगह जमाये हुए था। उसे एक कोने में विस्थापित कर एक चद्दर से ढक दिया गया। 


जब सब कुछ ठीक से जम गया तब बैठ के फोन चालू किया तो काव्या के मैसेज और कॉल्स आ रखे थे। मैसेज खोलने से पहले उसके मन में हजारों विचार आ रहे थे कि कहीं उसने मना तो नहीं कर दिया। वह मन ही मन सोच रहा था और खुद से ही कह रहा था कि आज अगर उसने मना कर भी दिया तो भी वह छुट्टी लेकर उससे मिलने और उसे नान खटाई खिलाने जरूर जायेगा। यह इंतजारलंबा हो चुका था और अब ख्याल ज्यादा ख़राब आने लगे थे। गहरी सांस ली और मैसेज पढ़ा " अरे यार विभू वो काम तो डिले होगया है इसलिए मैं सीधा तुम्हारे पास आ रही हूँ। घण्टे भर में पहुंच जाऊंगी " 


.........To be continued