Episode 2: पहली हत्या और पहला clue
सुबह का सूरज धुंध को धीरे-धीरे चीर रहा था। रात की ठंडी हवा अभी भी गलियों में ठहरी हुई थी, और हल्की-सी धूप पुराने पत्थरों पर बिखरी पड़ी थी। आरव मेहरा ने खिड़की से बाहर झाँका। उसकी आँखों के नीचे काले घेरे साफ़ झलक रहे थे। पिछली रात मंदिर में जो कुछ हुआ था, उसकी गूँज अब भी उसके दिमाग में तैर रही थी—वह रहस्यमयी फुसफुसाहट, झिलमिलाती रोशनी, और बंद हो चुका रास्ता।
उसने सिर पकड़ा और खुद से कहा—“क्या यह सब सच था या मैं पागल हो रहा हूँ?”
कमरे के कोने में बैठी नैना कपूर चुपचाप अपनी डायरी में कुछ नोट्स लिख रही थी। उसकी आँखें गहरी सोच में डूबी थीं।
आरव ने धीरे से पूछा, “नैना… क्या तुम सच में समझती हो कि वो संकेत क्या थे? वो रोशनी, वो आवाज़ें… और वे अजीब प्रतीक?”
नैना ने अपनी कलम रोक दी और उसकी तरफ देखा। उसकी आँखों में चिंता और दृढ़ता दोनों थी।
“मुझे यकीन है कि ये किसी प्राचीन समाज का हिस्सा हैं। मैंने ऐसे प्रतीक पुराने manuscripts में देखे हैं। लेकिन…” वह ठहर गई, “…ये सब किसी बड़े रहस्य से जुड़ा है। और शायद यह शहर में लगातार घट रही अजीब घटनाओं से भी।”
आरव कुछ कह पाता, तभी उसका फोन तेज़ी से वाइब्रेट करने लगा। स्क्रीन पर एक खबर का अलर्ट चमक रहा था।
“पुराने शहर में एक युवक की बेरहमी से हत्या।”
आरव ने तुरंत नैना की ओर देखा। दोनों की आँखों में एक साथ बेचैनी और जिज्ञासा चमकी। बिना देर किए वे घटना स्थल की ओर निकल पड़े।
---
हत्या का दृश्य
पुराने शहर की वही तंग गलियाँ, जहाँ रात को वे मंदिर गए थे, अब पुलिस की गाड़ियों और लोगों की भीड़ से भरी थीं। जगह-जगह बैरिकेड लगे थे और हवा में बेचैनी थी।
जैसे ही आरव और नैना उस जगह पहुँचे, उन्होंने देखा—एक आदमी का शव गली के बीच पड़ा था। उसके शरीर के चारों ओर खून फैला था, लेकिन सबसे भयावह बात थी उसके सीने और हाथों पर बने अजीब निशान। ये निशान ऐसे थे जैसे किसी ने चाकू से त्वचा पर प्रतीक उकेरे हों।
आरव ने ठंडी सांस ली। “हे भगवान… ये…”
नैना आगे बढ़ी और शव के पास झुकी। उसके चेहरे का रंग उड़ चुका था।
“ये वही प्रतीक हैं… बिल्कुल वही… जो हमने मंदिर की दीवारों पर देखे थे।”
उसकी आवाज़ काँप रही थी, लेकिन आँखों में डर से ज्यादा हैरानी थी।
आरव ने तुरंत अपना कैमरा निकाला और फोटो खींचना शुरू किया। क्लिक-क्लिक की आवाज़ें गूँजने लगीं। उसके लिए हर तस्वीर एक सबूत थी।
अचानक उसने देखा कि मृतक की मुट्ठी कसकर बंद है। पुलिस वालों की नज़र से बचाकर अराव ने हाथ खोलने की कोशिश की। अंदर एक छोटा सा मुड़ा हुआ कागज़ था।
“नैना, देखो…” उसने कागज़ सावधानी से निकाला। उस पर कुछ लिखा था—घुमावदार लाइनों और अजीब चिह्नों से भरा हुआ।
नैना ने तुरंत कागज़ को हाथ में लिया। उसने गहरी नज़र डाली और कहा, “ये किसी symbolic language में लिखा है… बहुत पुरानी। शायद कोई secret code है। मुझे इसे decipher करने के लिए समय लगेगा। लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि यह उसी secret society से जुड़ा है।”
आरव की आँखों में चमक आ गई। “मतलब ये हत्या… और वो समाज… दोनों एक ही धागे से बंधे हैं।”
---
इंस्पेक्टर का आगमन
इतने में भारी जूतों की आवाज़ पास आई। पुलिस की भीड़ में से एक मजबूत कद-काठी का आदमी बाहर निकला—इंस्पेक्टर राघव सिंह। उसकी आँखों में सख़्ती और चेहरे पर गंभीरता थी।
उसने सीधे आरव और नैना की ओर देखा।
“तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो?” उसकी आवाज़ कड़ी थी।
आरव ने खुद को सँभालते हुए कहा, “मैं journalist हूँ, और ये archaeologist हैं। हमें लगता है कि यह मामला किसी बड़े रहस्य से जुड़ा है। हम…”
राघव ने बीच में ही टोक दिया, “मैं जानता हूँ कि तुम दोनों रात को भी यहाँ घूम रहे थे। शहर में अब सिर्फ़ हत्या नहीं हो रही। हर घटना के पीछे कोई hidden plan है। और अगर तुम इसमें और गहराई तक गए, तो यह तुम्हारे लिए खतरनाक साबित होगा।”
उसकी चेतावनी ठंडी हवा जैसी लगी।
नैना ने धीमी आवाज़ में कहा, “लेकिन इंस्पेक्टर साहब, ये प्रतीक किसी सामान्य अपराध का हिस्सा नहीं हो सकते। इनका संबंध बहुत पुरानी सभ्यता और शायद किसी गुप्त society से है।”
राघव ने आँखें तरेरीं। “तुम्हें जितना पता है, उतना ही काफी है। आगे का काम पुलिस का है। अब पीछे हटो।”
आरव ने नैना की ओर देखा। दोनों को समझ आ गया कि पुलिस इस मामले की सतह से गहराई में जाने को तैयार नहीं थी।
---
पहला Clue
कुछ देर बाद जब भीड़ छँट गई और पुलिस शव को लेकर चली गई, आरव और नैना एक कोने में खड़े हुए।
आरव ने धीरे से कहा, “हमारे पास पहला clue है—ये कागज़। अगर हम इसे समझ लें, तो शायद हमें society की अगली चाल का पता चल जाएगा।”
नैना ने कागज़ को ध्यान से अपनी डायरी में रखा।
“ये समाज… हमें देख रहा है। मुझे लगता है वे हमें चेतावनी देना चाहते हैं। लेकिन उन्होंने यह कागज़ पीछे क्यों छोड़ा? शायद ये कोई परीक्षा है… या जाल।”
आरव ने गंभीर स्वर में कहा, “जो भी हो, हमें इसे सुलझाना होगा। सच्चाई तक पहुँचना अब सिर्फ़ curiosity नहीं, बल्कि ज़रूरत है।”
दोनों चुप हो गए। गली की दीवारों पर सुबह की धूप अब हल्की सुनहरी चमक बिखेर रही थी। लेकिन उनके भीतर का अंधेरा और भी गहरा हो चुका था।
---
रात का डर
शाम होते-होते शहर पर फिर से अंधेरा छाने लगा। आसमान में बादल घिर आए और हवा में बेचैनी थी।
आरव अपने कमरे में बैठा कैमरे की तस्वीरें देख रहा था। हर फोटो उसकी नसों में तनाव भर रहा था—शव पर बने प्रतीक, खून के धब्बे, और वो रहस्यमयी कागज़।
नैना खिड़की के पास खड़ी थी। बाहर अंधेरा और हल्की बारिश शुरू हो चुकी थी। उसने धीरे से कहा, “आरव, मुझे लगता है यह समाज हर जगह फैला है। शायद पुलिस के बीच भी। हमें बहुत सावधान रहना होगा।”
आरव ने सिर हिलाया। “सही कह रही हो। लेकिन एक बात साफ है—हम अब खेल में शामिल हो चुके हैं। और पीछे हटना आसान नहीं होगा।”
उसी पल, बिजली चमकी और कमरे की दीवार पर एक अजीब-सी परछाई दिखाई दी। दोनों ने चौंककर पीछे देखा—लेकिन वहाँ कुछ नहीं था।
नैना ने कांपती आवाज़ में कहा, “ये society… अब हमें देख रही है।”
---
यह केवल शुरुआत थी।
एक हत्या, एक cryptic clue, और एक समाज जिसकी परछाइयाँ हर कदम पर उनका पीछा कर रही थीं।
शहर की रात और गहरी हो गई थी।
और आरव और नैना जानते थे—यह रहस्य अब और भी खतरनाक मोड़ लेने वाला है।