Ishqadhura _ Another God of Sin - 2 in Hindi Moral Stories by archana books and stories PDF | इश्क़अधूरा _ एक और गुनाह का देवता - 2

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इश्क़अधूरा _ एक और गुनाह का देवता - 2

एपिसोड: निधि का संघर्ष और सुधांशु की चुप्पी

सवेरे की हल्की रोशनी धीरे-धीरे निधि के कमरे में प्रवेश कर रही थी। निधि धीरे-धीरे उठी। आँखों में थकान थी, लेकिन चेहरे पर आत्मविश्वास की झलक भी। उसने जैसे ही पूजा स्थान पर कदम रखा, मन में एक हल्का सा संतोष हुआ। उसने हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना की – “हे प्रभु, कृपया सब कुछ सही करें, मेरे परिवार में शांति बनी रहे।”

पूजा समाप्त करने के बाद निधि ने रसोई की ओर कदम बढ़ाया। आज भी उसने वही पुरानी दिनचर्या अपनाई – सभी के लिए नाश्ता तैयार करना, घर की सफाई करना, कपड़े धोना और सुखाने के लिए रखना। यह सब उसने बिना किसी शिकायत के किया। मन में विश्वास था कि सब सही होगा, लेकिन वह नहीं जानती थी कि घर के वातावरण में इस समय तकरार की हवा चल रही थी।

सुधांशु अभी भी अपने कमरे में सो रहा था। निधि के प्रेम और समर्पण के बावजूद, उसे यह एहसास नहीं हुआ कि उसकी पत्नी कितनी मेहनत कर रही है। निधि सब कुछ निष्ठा और प्रेम के साथ करती, लेकिन उसके सामने जो बाधाएं आतीं, वे किसी सामान्य दृष्टि से हल नहीं होतीं।

आज भी वही हुआ। जैसे ही निधि ने नई साड़ी निकालकर सुखाने के लिए रखी, उसकी सासू माँ ने उसे देख लिया। क्रोध और ईर्ष्या से भरी नजरें निधि पर टिक गईं। “क्या यह लड़की कभी ठीक से काम कर पाएगी? पहले ही कट लगाकर साड़ी को बिगाड़ दिया। मां ने क्या सिखाया इसे?” सासू माँ की आवाज़ में झुंझलाहट स्पष्ट थी।

निधि ने कुछ नहीं कहा। उसने अपने आंसू झरने नहीं दिए, केवल चुपचाप साड़ी को संभाला। वह जानती थी कि अगर घर में लड़ाई होगी तो सुधांशु परेशान हो जाएगा। इसलिए उसने हमेशा अपनी पीड़ा को भीतर दबा लिया। सुधांशु, जो पहले ही किसी और लड़की के प्रति आकर्षित था, देविका की यादों में खोया रहता था, और निधि के लिए उसके दिल को जीत पाना अब और भी मुश्किल हो गया था।

इसी बीच, घर में सब्जियों की बर्बादी, बर्तन इधर-उधर, चाय-पत्ती फैलाना, दूध गिराना जैसी छोटी-छोटी चीज़ें रोज़मर्रा की घटनाएं बन गईं थीं। उमा, जो कभी-कभी मदद करने आती, अक्सर उल्टा ही करती। ऐसा लगता था कि वह जानबूझकर घर में अव्यवस्था फैलाती।

निधि इन सब छोटी-बड़ी परेशानियों के बावजूद अपना काम करती रही। लेकिन मन में एक हल्की पीड़ा थी। वह सोचती – “अगर सुधांशु मुझे समझ पाते, तो ये सब कितना आसान हो जाता। वह चुप क्यों रहता है? क्यों कुछ नहीं कहते?”

सुधांशु की चुप्पी निधि के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई थी। वह जानती थी कि अगर वह अपनी बात कह दे, तो घर में और तनाव बढ़ सकता है। इसलिए उसने फिर भी सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से संभाला।

आज भी नाश्ता तैयार करने के बाद निधि ने सभी को बुलाया। “नाश्ता तैयार है।” उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा। लेकिन सुधांशु का मूड खराब था। उसने सोचा – “इतनी मेहनत करने वाली लड़की, पर बेकार ही लगी। यह शादी भी बेकार लग रही है।”

निधि ने सुधांशु की नजरों में निराशा देखी। उसके दिल ने जोर से धड़कना शुरू किया, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। उसने समझा कि प्यार में धैर्य और सब्र सबसे बड़ी ताकत है।

जैसे ही सभी ने नाश्ता किया, निधि ने बर्तन धोने शुरू किए। सासू माँ बार-बार उसके काम में खोट निकाल रही थीं। निधि ने ध्यान नहीं दिया। उसकी नजर भगवान पर थी। उसके मन में विश्वास था कि एक दिन सुधांशु भी उसे समझेगा।

दिन के समय निधि ने कपड़े धोकर सुखाने के लिए रखा। वही साड़ी, जिस पर पहले कट लगा था, अब भी उसका ध्यान खींच रही थी। उसने धीरे-धीरे कपड़े फहराए। उसने अपने मन में सोचा – “सभी संघर्ष, सभी कठिनाइयाँ मुझे मजबूत बना रही हैं। मैं हार नहीं मानूंगी। भगवान ने मेरी मेहनत और धैर्य को जरूर देख लिया होगा।”

इसी बीच, सुधांशु अपने कमरे में बैठा, मन में उलझन लिए। वह जानता था कि देविका अब उसके जीवन में नहीं है, और निधि उसके सामने हर रोज़ समर्पण और प्रेम के साथ खड़ी होती है। लेकिन पुराने प्यार और उसकी खुद की भावनाओं ने उसे बाधित किया हुआ था। वह चुप रहता, सोचता, लेकिन बोल नहीं पाता।

घर की वातावरण में तनाव और भी बढ़ गया। लेकिन निधि का हृदय अब भी साफ था। उसने मन में ठान लिया कि चाहे कितना भी संघर्ष आए, वह अपने परिवार के लिए प्रेम और सेवा जारी रखेगी। उसने देखा कि सासू माँ की नजरें धीरे-धीरे थोड़ी नरम होती जा रही हैं। शायद यह समय की मांग थी कि लोग धीरे-धीरे समझें कि निधि केवल सेवा और प्रेम के लिए जीती है, और किसी की नजर में दोष नहीं ढूँढती।

दिन ढलते-ढलते, निधि ने सबके लिए चाय बनाई। बर्तन, कपड़े और सब्जियों की व्यवस्था फिर से ठीक की। घर अब थोड़ी व्यवस्थित दिख रहा था। निधि की थकान साफ नजर आ रही थी, लेकिन उसके चेहरे पर संतोष की चमक थी। वह जानती थी कि भगवान उसकी मेहनत देख रहे हैं।

संध्या समय आया। निधि ने पूजा स्थान पर बैठकर दिनभर की मेहनत और संघर्ष के लिए धन्यवाद किया। उसने मन ही मन सुधांशु के लिए प्रार्थना की कि वह भी उसे समझ पाए। उसकी उम्मीद अभी भी जीवित थी।

सुधांशु अब भी चुप था, लेकिन उसके दिल में धीरे-धीरे बदलती भावनाओं की हल्की सी हवा महसूस होने लगी। वह समझ रहा था कि शायद उसने निधि की कीमत अब तक नहीं समझी। लेकिन अभी भी समय था। अभी भी अवसर था कि वह अपनी चुप्पी को तोड़े और अपने दिल की सच्चाई को सामने लाए।

निधि की दृढ़ता, प्रेम और धैर्य ने पूरे घर के वातावरण में एक नया संदेश भेजा – कि सच्चा प्रेम और सेवा कभी व्यर्थ नहीं जाते। चाहे कितनी भी मुश्किलें आएँ, वह अपनी दिनचर्या, विश्वास और पूजा के माध्यम से सब कुछ संभालती रही।

आज का दिन समाप्त हुआ, लेकिन संघर्ष और प्रेम की यह कहानी अभी जारी थी। निधि ने फिर भी विश्वास किया कि कल नया अवसर लेकर आएगा – एक अवसर, जब सुधांशु उसके प्रति सच्चे भाव महसूस करेगा।