Tera Lal Ishq - 3 in Hindi Crime Stories by Kaju books and stories PDF | तेरा लाल इश्क - 3

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तेरा लाल इश्क - 3

वहा लिवा अपार्टमेंट में लाइट चली गई तो यहां  हमारी हिटलर लीडर का दिमाग झल्लाया हुआ था। 
आजू बाजू घना जंगल और सुनसान बीच सड़क पर उसकी कार जो खराब हो गई थी। और वो गुस्से में किसी को कोसे जा रही थी इतनी बीजी थी की पीछे से गाड़ी के हॉर्न सुनाई  ही नहीं दी उसे


"अरे यार,,,इस खटारा को भी यही खराब 
होना था,,, सब लिवा अपार्टमेंट पहुंच गए होंगे (टायर पर जोर से लात मार) 
और अगर मैं देर हो गई,,,
तो वो ककड़चूड़ा सबके सामने मेरी इंसल्ट करेगा,,,बोलेगा "मीटिंग में तो अभी 2साल बाकी है
तुम तो बहुत जल्दी आ गई" 
हूं खडूस कही का" आशना उसकी ऐक्टिंग करते हुए मुंह बनाके बोली। 

" ऐक्टिंग अच्छी है पर ,थोड़ी और मेहनत लगेगी" एक लड़का जो आशना के पीठ की तरफ खड़ा था। 



"कृषभ कुंद्रा" उम्र 24, टीम का no 1 जासूस लीडर,,, बंदा हैंडसम इतना की,,,, हाय मैं मरजावा,,, pic में खुद ही देख लीजिए,,,हमेशा अपने आप को सख्त दिखा कर अपने टीम मेंबर्स को डराते रहता है,,, लेकिन जल्द ही इनका हिसाब किताब होगा,,,क्या होगा,,,? और इनकी असलियत सामने आएगी अब वो क्या,,,? जल्दी पता चल जाएगा,,,

उसकी आवाज को सुन कर आशना बुत बनी खड़ी थी वो धीरे से फुसफुसाकर "हे भगवान आपको मेरी खुशी देखी नही जाती क्या? मतलब हर जगह मेरे गले में फांसी की फंदे की तरह बांध देते हो इसे" 

कृषभ उसके पास जाकर घूरते हुए"क्या बोली,,,?जरा जोर से बोलना" 

उसके एकदम से ऐसे पास 
आने से काशना हड़बड़ा गई "क,,कुछ नहीं,,,ऐसे ही"

"इधर क्या कर रही,,,? इस वक्त ऑफिस में होना चाहिए तुम्हे" कृषभ ने सवाल किया।

"लो हो गया इसका KBC,,,एक मुसीबत जाती नही की दूसरी मुसी,,, नही बॉम फोड़ देते मेरे सर पे,,, भगवान करे कोई चमत्कार हो जाए,,,और ये ककड़ चूड़ा गायब हो जाए" 
काशना मन में भगवान को कोसते हुए बोली।


"अब भगवान से क्या,,,? उलजुलुल शिकायते कर रही हो और इधर देखो,,,वो हिटलर मैडम,,,मैं तुमसे बात कर रहा हूं" 
वो लड़का अपनी ऊंची आवाज में बोला। 

आशना खुद से "हिम्मत से काम लो आशना,,, क्या पता ये दिन का जीता जागता सपना हो,,,जो पीछे पलटने पर गीली गीली छू,,," 

और ये सोच उसकी तरफ पलटी और उस लड़के को ऊपर से नीचे तक रोबोट की तरह स्कैन करने लगी। 
काले बाल जेल से सेट किए हुए अंदर ढीली टी शर्ट साथ में ब्लैक जैकेट और जींस पहने हुए थे,,,गोरा रंग और पतले होठ बंदा हैंडसम की दुकान की देखते ही लड़कियों की लाइन लग जाए। 

"कृषभ तुम,,," वो हैरानी से बोली। 

उसे यकीन नहीं हो रहा था वो बार,,,बार उसे ऊपर से नीचे,,,नीचे से ऊपर घूरते हुए यकीन करने की कोशिश कर रही थी। 
की वो सच में उसके सामने खड़ा हैं या फिर उसे दिन में सपने देखने की बीमारी हो गई है। 

"बोलो,,,तुम यहां बीच सड़क पर खड़ी क्या कर रही हो।और ऐसे क्या घूर रही हो,,,?" कृषभ उसे अजीब तरह से देखते हुए बोला।

"अरे ये तो हकीकत है" आशना उसे 
घूरते हुए ही बोली।

"क्या हकीकत है,,,? तुम क्या सपने जीती हो,,,? और ऐसे घूरना बंद करो मुझे,,,मैं इसी ग्रह का प्राणी हू कोई एलियन नही समझी" उसने बिना भाव के सख्त होते हुए कहा ।

"वो,,,मैं,,मैं,,,मैं वो कार,,,यहां,,,खड़ी
ख,,राब नही,,,चल" वो हड़बड़ाहट में बोले 
जा रही थी उसे खुद ही नहीं पता था कि वो क्या बोले जा रही है। 

कृषभ "वो मैं,,,वो मैं क्या,,,? क्या बोले जा रही हो,,,? और तुम ऐसे हड़बड़ा क्यू रही हो जैसे मैं तुम्हे खा जाऊंगा,,,साफ साफ बोलो" 

आशना को बड़ा गुस्सा आ रहा था उसकी 
बातो से उसने गहरी सांस लेकर खुद 
को शांत किया और बोली "वो मैं लिवा अपार्टमेंट की तरफ ही जा रही थी की यहा
मेरी कार खराब हो गई।
मैने ठीक करने की बहुत कोशिश की पर स्टार्ट ही नहीं हो रही और फिर क्या करू यही सोच रही थी
की एक दम से मेरे पीछे आवाज आई तो मैं डर गई" 

उसने एक ही सास में अपनी सफाई पेश कर दी ठीक वैसे ही जैसे कोई मजदूर अपने मालिक के सामने करता है । 

कृषभ उसे घूरकर "मेरी आवाज ही थी,,,किसी खुखार राक्षस की नही जो डर गई" 

"तुम में और उसमे कोई फर्क है क्या,,,?" काशना धीरे से बुदबुदाई जो शायद कृषभ ने सुन ही ली थी आखिर दोनो एक दुसरे पास ही तो खड़े थे। 

"क्या कहा,,,? जोर से बोलना" 
कृषभ अपने कान उसके नजदीक ले जाते हुए बोला। 

काशना दो कदम पीछे हट कर "कु,, कुछ नहीं,,कुछ भी नहीं,,,गाड़ी ठीक करने के लिए क्या करू सोच रही थी" 

"क्या करू ये सोच रही थी या मेरी तारीफ की पुल बांध रही थी" 
कृषभ उसे तिरछी नजरों से देखते हुए बोला। 

उसकी बात सुनकर आशना अनजान बनते हुए इधर उधर देखने लगी " क्या बोल रहे हो तुम मुझे कुछ समझ न नही आया"  

कृषभ डेंजर्स स्माइल कर "आशना महाजन इतनी बेवकूफ तो है नही की किसी की बाते समझ न पाए" 

आशना तिरछी नजरों से उसे घूरने लगी।


"खैर अपनी कार यही पड़ी रहने दो और
मेरी कार में बैठो" 
कृषभ की ये बात सुनकर काशना
उसे अजीब तरह से घूरने लगी 
बोली "मेरी कार को क्या कोई भंगार समझ रखा है,,,जो यही पड़ी रहने दू,,,?" 



"ज्यादा दिमाग मत चलाओ,,,मैने मैकेनिक को मैसेज कर दिया है ओ देख लेगा,,,अब जल्दी बैठो तुम,,,तुम्हारी फिजूल 
की बाते सुनने के लिए टाइम नही है,,,सब लिवा अपार्टमेंट पहुंच गए होंगे,,,वहा वेट कर रहे होंगे वो हमारा"  वो सख्त आवाज में बोला। 

और कार की ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ गया। आशना अब भी वही खड़ी थी। 

वो मन में बोली "हे भगवान,,, कौन सी मिट्टी से बनाया है आपने इसे,,,कितना खडूस है कोई मौका नहीं छोड़ता मुझे नीचा दिखाने का,,,ककड़चूड़ा कही का हूं" 

"मुझे कोसना बंद करो,,,अब क्या वही खड़े खड़े अकेली मीटिंग करोगी,,,?  जल्दी कार में बैठो" 
कृषभ उसे चिल्लाते हुए बोला। 

उसके ऐसे चिल्लाने से आशना चौक गई
और जल्दी से कार के सामने वाली सीट पर आकर बैठ गई। 
और कृषभ बोलने ही वाला था की आशना ने उसे बोलने ही नही दिया और जल्दी से सीट 
बेल्ट लगा ली फिर कृषभ ने कार स्टार्ट की ओर आगे बढ़ा दी कार में सन्नाटा पसरा हुआ था। 
आधे रास्ते तक दोनो में से किसी ने एक शब्द नहीं कहा आशना तो इसलिए चुप थी की कही उसके कुछ बोलने से कृषभ फिर से उल्टा ना सुना दे
कृषभ उसकी मन की बात समझ गया । 

"क्या हुआ  हिटलर मैडम,,,ऐसे उदास कुमारी क्यू बनकर बैठी हुई हो boyfriend से ब्रेकअप हो गया क्या? वैसे उसने धोका दिया इसलिए ब्रेकअप किया  या फिर तुम्हारे हाथ में गन देखकर डर के भाग गया" 
वो उसे जानबूझकर चिढ़ाते हुए बोला। 

आशना ने उसे अपनी गुस्से 😡भरी नजरो से घूरने लगी उससे अब और कंट्रोल नही हो रहा था।
वो गुस्से से बिफरते हुए बोली "बस बहुत हुआ,,,अपनी बकवास बंद करो,,,ज्यादा दिमाग चलाने की जरूरत नहीं और ऐसे बेतुका सवाल आते कहा से है तुम्हारे दिमाग में,,,बिना सच जाने जो मुंह में आए बकते जा रहे हो,,,नही कुछ भी बचकानी बाते बोलते रहते हो और अभी खुद ही इतनी बक बक कर रहे हो,,, अगर मैं कुछ बोलूं तो मेरी बातो का गलत मतलब निकाल कर मुझे ताना मारोगे,,,माना की तुम  इस मिशन में टीम के लीडर हो,,,तो इसका मतलब ये नहीं की तुम कुछ भी बकवास करके मनमानी झाड़ोगे और मैं चुप चाप झेलू ,,,सिर्फ तुम नहीं मैं भी इस मिशन को लीड कर रही हू,,, तो महेरबानी करके मुझे सबकी नजरों में गिराना बंद करो" 

इतना बोल चलती कार से बहार कूद गई उसके ऐसा करने से कृषभ हैरान रह गया और घबराते हुए ब्रेक लगाई वो हड़बड़ाते हुए कार से बहार आया तो और भी ज्यादा हैरान रह गया। 
आशना उसे कही नजर नहीं आई उसने चारो तरफ देखा कही कोई हलचल नहीं उसने अपना सिर 
पीट लिया और बोला " अआ आआ,,,ये लड़की भी न पूरी झल्ली है,,, 
अब बताओ,,,गुस्से में ज्वाला मुखी की तरह मुझ पर ही फट गई,,,
चलो अब गुस्सा किया तो किया  लेकिन चलती कार से बहार कूदने की क्या जरूरत थी,,,
और अब मिस्टर इंडिया की 
तरह गायब भी हो गई" 

और कार स्टार्ट कर वो निकल गया। कृषभ बेपरवाही से कार चला रहा था उसे पता है की आशना जितनी मासूम दिखती है वो है नही वो कुछ भी बिना सोचे समझे नही करती,,,उससे पहले आखिर वही टीम की लीडर थी। 

उसने हर मिशन सफलता पूर्वक पूरे किए है उसका प्लैन इतना कमाल का होता की वो और उसकी टीम हर मिशन में कामियांब होते और इस मिशन में शायद उसने उसकी जगह छीन ली थी 
वो जानता था की इस बात को लेकर आशना कही न कही उससे नाराज हैं और मन ही मन वो उसे चाहने भी तो लगा है ।

उसे आशना को चिढ़ाने में बहुत मजा आता है
उसका गुस्सा होना,,, उसका उसके सामने हड़बड़ाना,,,उसकी बच्चो की तरह बचकानी हरकते उसके दिल में और प्यार जगाता जाता ये सब सोचते हुए उसकी होठों में मुस्कुराहट और आखों में उदासी छाई हुई थी।

वो liva अपार्टमेंट पहुंच गया उसने गाड़ी पार्क की ओर अंदर जाने लगा की उसे आशना दिखी दोनो अंदर ही जा रहे थे।
कृषभ ने उसे आवाज लगाई "आशना सुनो,,,," पर आशना ने उसे एक नजर तक नहीं
देखा वो उसे इग्नोर कर लिफ्ट की ओर बढ़ गई।

कृषभ को उसका उसे ऐसे इग्नोर करना 
अच्छा नहीं लगा वो भी लिफ्ट की ओर बढ़ गया आशना लिफ्ट के अंदर थी और लिफ्ट बंद होने ही वाला था की कृषभ हाथ बीच में कर के लिफ्ट के अंदर आ गया। 

आशना ने अभी भी उसे नही देखा जब की कृषभ उसे ही निहारे जा रहा था। 
उसका आशना के प्रति गुस्सा सख्ती तो सिर्फ दिखावा था ये  तो उसका दिल ही  जानता था की वो कितनी सिद्धत से उसे चाहता है। 

वो चाहता था की आशना भी उसे महसूस करे उसके प्यार को उसके दिल को धड़कता हुआ महसूस करे उसे उसकी चाहत का एहसास हो पर आशना तो उससे दूर भागती रहती थी। 

लिफ्ट में अजीब खामोशी पसरी हुई थी की तभी लिफ्ट अचानक जोर जोर से हिलने लगती है आशना खुद को संभाल नही पाती और कृषभ से जा टकराती है कृषभ उसे कमर से पकड़ लेता है  पर लिफ्ट के हिलने से संभल नही पाता और दोनो गिर जाते है। 

आशना नीचे और कृषभ उसके ऊपर कृषभ तो उसमे ही खो गया आशना ने आखें बंद कर ली थी। 
कृषभ एक टक उसे निहारे जा रहा था उसे तो लिफ्ट की कोई परवा ही नही थी। 

लिफ्ट अचानक से बंद हो कर रुक जाती है तब जाकर वो होश में आता है। 
आशना भी अपनी आखें खोलती है और कृषभ को ऐसे देख कर  उसे एक तरफ धकेल कर खुद उठ कर खड़ी हो गई और उसे गुस्से से घूरने लगती हैं।

ना जाने क्या होगा अब कृषभ का,,,?

हेलो मेरे नन्हे मुन्ने पढ़ाकुओ  💕🥰🥰  ऐसे ही अपना प्यार बनाए रखे । मैं आप सबके लिए और मेहनत करूंगी अच्छा सा अच्छा लिखने की । मैं किसी को जबरदस्ती कमेंट या फॉलो करने के लिए नही बोलूंगी। लेकिन प्लाइस्स 😜प्लीज पार्ट kesa laga apni समीक्षा जरूर दे । बाय गुड नाईट 💕💕🙏🙏🙏🙏