मैंने एक बात ये देखी कि झग्गू पत्रकार अक्सर रात को ही ब्रेकिंग का बम फोड़ते और दिन भर खबरों के लिए कॉलोनी में ही भटकते.... खैर बात ये हैं कि आखिर वो साया कौन हैं..? यही सवाल अब भी कॉलोनी वासियों को चैन से नहीं बैठने दें रहा था...रात के 10 बज चुके थे... ब्रेकिंग का समय हो चला था कॉलोनी वासी बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहें थे तभी झग्गू जी ने फिर धमाका कर दिया। उन्होंने अपने ड्रॉइंग रूम से मोबाइल लाइव चालू कर दिया। टाइटल चमक रहा था:
“Exclusive Debate"
"साया सच या अफ़वाह?”
लाइव में जुड़ते ही कॉलोनी वाले इकट्ठा हो गए। कोई मोबाइल हाथ में लेकर छत पर खड़ा था, कोई गली में। यहां तक कि नाई की दुकान पर भी लोग बैठ गए।
FB पर लाइव बहस की शुरुआत हुई
झग्गू (माइक संभालते हुए):– “नमस्कार, FB न्यूज़ में आपका स्वागत है। आज हमारे साथ हैं मोहतरमा के पति, जो दावा करते हैं कि साया एक भ्रम है। जबकि हमारा चैनल कहता है— साया सच है। आइए सुनते हैं सच्चाई उन्हीं की ज़ुबानी।”
पति (गंभीर आवाज़ में):– “देखिए झग्गू जी, पत्रकारिता और अफ़वाह में फ़र्क होना चाहिए। कल रात कोई साया नहीं था। बस लाइट और कपड़ों का खेल था। मेरी पत्नी पर उंगलियाँ उठाना बंद कीजिए।”
चौराहे की भीड़:–
1.“वाह, क्या जवाब दिया!”
2.“लेकिन सच्चाई तो अभी भी रहस्यमय है।”
झग्गू का पलटवार
झग्गू:– “आप कह रहे हैं कि कपड़े थे। लेकिन हमारे पास चश्मदीद गवाह हैं। A ब्लॉक की अम्मा जी ने खुद देखा कि कोई परछाईं हलचल कर रही थी। अब बताइए, अम्मा जी झूठ बोल रही हैं?”
पति:– “अम्मा जी को चश्मे की ज़रूरत है। उन्हें दिन में सही से नहीं दिखाई देता हैं और उन्हें रात में 10 मीटर दूर से हिलते कपड़े को इंसान समझ लिया तो उसमें मेरी पत्नी का क्या कसूर?”
भीड़ हँसने लगी:-
3. “अरे सही तो कह रहे हैं!”
1.“झग्गू जी हार मानेंगे क्या?”
भीड में असमंजस
वही कॉलोनी वासियों की अलग अलग प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी
1. “अम्मा जी तो सच्ची हैं। झग्गू जी सही तो कह रहें है।”
2.“पति अपनी बीवी को बचा रहा हैं।”
3.“नहीं-नहीं, पति ने ठीक कहा। ये बस हवा का खेल था।”
लड़के मज़ाक उड़ाते हुए:
1.“अब तो लग रहा है ये साया प्रकरण सास-बहू प्रकरण बन जाएगा।”
2.“कल FB न्यूज़ की हेडलाइन होगी – "पति ने कपड़े को साया बताया।”
3.“अब तो ये पब्लिक डिबेट हो गया।”
4.“हम तो रोज रात को पॉपकॉर्न लेकर बैठेंगे।”
वही नाई की दुकान पर पब्लिक ओपिनियन पोल चालू हो गया पप्पू नाई ने दुकान पर बकायदा पोस्टर लगा दिया:
“आज की बहस का सवाल – साया सच या झूठ?”
ग्राहक वोट डालते जा रहे थे।
12 वोट – साया सच है
9 वोट – साया झूठ है
5 वोट – पता नहीं, पर मज़ा आ रहा है
एक बुज़ुर्ग बोले:-“भाई, साया सच है या झूठ, इससे हमें क्या? असली साया तो ये FB न्यूज़ है, जिसने सबको पागल कर रखा है।”
यहां पति (गुस्से में):–“झग्गू जी, अगर आपने मेरी पत्नी के बारे में झूठी खबरें फैलाईं तो मैं आपके खिलाफ़ शिकायत दर्ज कराऊँगा।”
झग्गू (सीना ठोककर):– “तो कीजिए! ऐसी धमकियों से किसी भी सूरमा से नहीं डरता FB न्यूज़ सच दिखाने से पीछे नहीं हटेगा। हमारे कैमरे ने जो परछाईं रिकॉर्ड की है, वो मैं कल एक्सक्लूसिव फुटेज में दिखाऊंगा।”
वहां भीड़ उछल पड़ी:–
6.“वाह! अब तो और मज़ा आएगा।”
3. “कल फुटेज देखेंगे, सच्चाई सामने आएगी।”
डिबेट ख़त्म होते-होते कॉलोनी में माहौल चुनावी रैली जैसा हो गया। कोई पति के पक्ष में था, कोई झग्गू जी के।
लेकिन एक बात सबने मान ली— साया सच हो या झूठ, FB न्यूज़ ने कॉलोनी की शाम को मनोरंजन का सबसे बड़ा शो बना दिया है। FB न्यूज़ पर झग्गू पत्रकार ने कल एक्सक्लूसिव फुटेज का धमाके का वादा करके लाइव बंद कर दिया.
सुबह-सुबह जैसे ही लोग उठे, व्हाट्सऐप ग्रुप और कॉलोनी FB न्यूज़ पर एक ही मैसेज घूम रहा था:
👉 “आज दोपहर 12 बजे झग्गू जी दिखाएँगे एक्सक्लूसिव फुटेज – मोहतरमा की बालकनी का साया।”
A ब्लॉक से लेकर D ब्लॉक तक हर घर में यही चर्चा थी। दूधवाले से लेकर सब्ज़ीवाले तक चर्चा फिर शुरू हो गई नाई की दुकान का माहौल सुबह से ही बदल गया पप्पू नाई ने आज अपनी दुकान पर टीवी और मोबाइल स्पीकर का पूरा इंतज़ाम कर लिया। दाढ़ी बनाने आए ग्राहक से सीधा सवाल:
– “भैया, फुटेज सच निकला तो मोहतरमा की इज़्ज़त गई समझो, और झूठ निकला तो झग्गू जी की पत्रकारिता!”
ग्राहक (हंसते हुए):
– “जो भी हो पर मज़ा बहुत आ रहा है।”
दोपहर 12 बजे – फुटेज रिलीज़
झग्गू जी ने जैसे ही मोबाइल लाइव चालू किया, “FB न्यूज़" पर 300 से ज़्यादा व्यूज़ जुड़ गए जबकि कॉलोनी की आबादी ही 250 थी ।
स्क्रीन पर वीडियो चला।
अंधेरी रात, मोहतरमा की बालकनी, और हल्की रोशनी में एक परछाईं वाकई हिलती-डुलती नज़र आ रही थी।
झग्गू (जोश में):
– “देखिए साथियों! यह रहा सबूत। ये वही साया है जिसने कॉलोनी में हलचल मचाई। अब बताइए— ये कपड़ा है या इंसान?”
कॉलोनी की प्रतिक्रियाएँ शुरू हो गई
अम्मा जी ताली बजाकर बोलीं:–“लो देख लो, मैंने कहा था न! इंसान था, कपड़ा नहीं।”
एक पति का समर्थक बोला:–“अरे इसमें साफ दिख रहा है कि कपड़े हवा से हिलढुल रहा हैं। झग्गू जी फुटेज को बड़ा चढ़ा रहे हैं।”
तभी एक लड़का हंसते-हंसते हुए बोला:
1.“भाई, ये तो हॉरर मूवी का ट्रेलर हैं!”
2. “FB न्यूज़ अब भूत न्यूज़ में बदल गया।”
पति का बयान:-“ये वीडियो धुंधला है। इसमें इंसान कहां दिख रहा है? ये बस झग्गू जी की कल्पना है। अगर सच में कोई होता तो मैं सबसे पहले देखता।”
झग्गू (गरजकर):-“तो फिर ये साया किसका है? FB न्यूज़ जनता को गुमराह नहीं करता। अब इसका फैसला जनता ही करेगी।”
नाई की दुकान पर पोल
पप्पू नाई ने तुरंत नया पोस्टर टांगा:
“फुटेज देखने के बाद – साया कपड़ा या इंसान?”
18 वोट – इंसान
15 वोट – कपड़ा
7 वोट – भूत
दुकान पर बैठे बुजुर्ग बोले:-“अब तो मोहल्ला पंचायत बैठानी ही पड़ेगी। ये मसला भारत- पाक वार से भी बड़ा हो गया है ये ऐसे मसला ऐसे हल नहीं होगा।”
शाम का क्लाइमेक्स
शाम तक कॉलोनी में माहौल गरमा गया। बच्चे खेल छोड़कर चुपके से वीडियो बार-बार प्ले करके देख रहे थे। महिलाएँ चौखट पर बैठकर चर्चा कर रही थी.
“अगर सच में कोई था तो उसका क्या होगा?”
“और अगर झूठ है तो...?
हर गली में सिर्फ यही मुद्दा था। सच कहें तो रात का खाना भी लोग जल्दी निपटा रहे थे ताकि फिर FB न्यूज़ की अगली अपडेट देख सकें।
साया प्रकरण का फुटेज कॉलोनी की सबसे बड़ी मिस्ट्री बन चुका था।
सच क्या है—ये अब भी रहस्य था।
पर एक बात साफ थी—
लेकिन एक बात थी झग्गू जी ने अपनी पत्रकारिता से कॉलोनी वालों को टीवी चैनल से ज़्यादा मनोरंजन दे दिया था।
क्रमशः-