इतना तो चलता है, कितना चलता है भाई, क्यों हम लड़कियों को हर जगह चुप रहने को मजबूर किया जाता है, यह जिव्हा जो हमें मिली हैं क्या उसका इस्माल केवल हमें ना ओर हा के लिए करना है।
अपनी आवाज उठाओ जहां तूने लगे वार तुम्हारे चरित्र पर हो रहा है, तुम्हारे आत्मसम्मान का चीरहरण किया जा रहे वहां वहां अपनी आवाज को बुलंद करो और भागवत का चूड़ा पहनो अपने हाथ में।
चुप रहो पर जहां जरूरी हो,
ओर बोलो जहां जरूरी हो,
कर आवाज को अपनी बुलंद,
क्यों कि तू कोई कठपुतली नहीं,
तेरे पास अपनी सोच है ओर तेरी शिक्षा तेरा धनुष है।
तेरे अल्फ़ाज़ तेरी बगावत की कहानी बताएंगे।
पिछड़ी सोच को मात देना तेरा हक नहीं तेरा कर्तव्य भी है।
तू है आज की नारी, तू है आज की नारी ,
जो कभी कुछ गलत सहेगी नहीं, ओर दृढ़ कर पलट जवाब देगी।
जब कोई इंसान तुम्हारे चरित्र ओर आत्मसम्मान के चीरहरण करने के लिए अपने हाथ तुम्हारे पर डाले उससे पहले ही तुम अपनी जिव्हा को शस्त्र बनाकरके उसके हाथों को काट दो। जब कोई तुम्हें माइक में मजाक मजाल बोलके नीचा दिखाए तो उसी माइक को लेके तुम जवाब दो, क्यों कि पुरानी सोच तुम्हारे दिमाग में भी होगी जो तुम्हे रोकेगी क्यों सबके सामने जवाब देना चुप रहते है ना, ये जिंदगी तुम्हारी हे, उसको कैसे जीना ये तुम तय करोगे, जब कोई तुम्हारे निजी जीवन को लेके कुछ बोले तो उसको वही चुप कराओ।
ये लोग ऐसेहिं होते हे, उनको मजा आता हे ये सब करने में,तुम उनके लिए केवल एक मोहरा होते हो तुम्हे गुस्सा दिला के खुद को फेमस होना होता हे ऐसी लोगों को तमाचे जरा प्यार से मारो।
लोग बहुत तरीके मिल सकते है, कोई इंसान ऐसा मिले जो फकीर हो पर तुम्हे उससे मिल के खुद को कम नाज आंकते तो वो फकीर दुनिया का सबसे बड़ा धनी इंसान है, ओर जो सुख समृद्धि से भरा इंसान है उसके मिल के तुम खुद को बहुत छोटा समझने लगते हो तो वो इंसान दरिद्र है धनी नहीं।
इंसान बहुत तरीके के होते है, लोगों को यह होता है हम ही है हमारा जितना होशियार कोई नहीं पर जीवन में खुद को भले ही होशियार समझा पर दूसरों को मूर्ख समझने की गलती ना करे कोई चुप है तो वो तूफान के आने का संकेत है, शांत पानी में पत्थर नहीं फेकना चाहिए उसको अपने हिसाब से बहने देना चाहिए।
शांत पानी कब तूफान का रुख लेके तबाह करदे वो कोई नहीं जानता, किसी भी इंसान के अच्छे स्वभाव से उसको कम नहीं आंकना चाहिए।उसे सब दिखाई भी देता है समझ भी आता है बस केवल हर बात पर बहस उसका स्वभाव नहीं है।उसके लिए उसको मानसिक शांति उसकी प्राथमिकता है तो उसको हल्के ने ना ले, क्यों ऐसे इंसान का जब तीसरा नेत्र खुलता है तो तुम उसके क्रोध से कोई नई बचा सकता।
जब बार चरित्र ओर आत्मसम्मान की आती है, दुनिया का कोई भी इन्सान लड़ने को तैयार बैठा होता है। लोगों लगता है क्यों, लड़की की, पर यह लड़ाई खुद के वजूद की होती है, अपने वजूद के लिए लड़ना उसको संभालना केवल ओर केवल इंसान की खुद की जिम्मेदारी है। तो कभी डरना नहीं है अपने आप के लिए लड़ने से, क्यों कोई कृष्ण भगवान नहीं आयेगे कलयुग में तुम्हारे आत्मसम्मान के चीरहरण को रोके ए के लिए। तुम्हें खुद ही अपना अर्जुन ओर कृष्ण बनना होगा।
जिंदगी यह जंग ने इतना तो चलता है यह शब्द अपनी शब्दावली से डिलीट कर दीजिए मेरे दोस्त।बात जब हो अपने आत्मसम्मान की ओर अपने चरित्र की तो कुछ भी नहीं चलता है।