Adhoori Raat in Hindi Fiction Stories by Sumit Katoch books and stories PDF | अधूरी रात

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अधूरी रात

भाग 1 – अजीब कॉलरात के 11 बजे आदित्य अपने ऑफिस से घर लौट रहा था। रास्ता सुनसान था और चारों ओर हल्की धुंध छाई हुई थी। अचानक उसका फोन बजा—“अगर ज़िंदा घर पहुँचना चाहता है… तो पीछे मत देखना।”आवाज़ अजनबी थी और काँपती हुई भी। आदित्य का दिल तेज़ धड़कने लगा। उसने हिम्मत करके रियर-व्यू मिरर में देखा—एक काली परछाई उसकी कार के पीछे झलक रही थी।---भाग 2 – वीरान मकानघबराया हुआ आदित्य कार रोकता है तो देखता है कि सामने एक टूटा-फूटा पुराना मकान है। दरवाज़ा अपने आप चरमराकर खुलता है। मानो उसे अंदर बुला भाग 1 – अजीब कॉलरात के 11 बजे आदित्य अपने ऑफिस से घर लौट रहा था। रास्ता सुनसान था और चारों ओर हल्की धुंध छाई हुई थी। अचानक उसका फोन बजा—“अगर ज़िंदा घर पहुँचना चाहता है… तो पीछे मत देखना।”आवाज़ अजनबी थी और काँपती हुई भी। आदित्य का दिल तेज़ धड़कने लगा। उसने हिम्मत करके रियर-व्यू मिरर में देखा—एक काली परछाई उसकी कार के पीछे झलक रही थी।---भाग 2 – वीरान मकानघबराया हुआ आदित्य कार रोकता है तो देखता है कि सामने एक टूटा-फूटा पुराना मकान है। दरवाज़ा अपने आप चरमराकर खुलता है। मानो उसे अंदर बुला रहा हो।आदित्य डर के बावजूद अंदर चला जाता है। कमरों की दीवारों पर खून जैसे धब्बे और टूटी तस्वीरें टंगी थीं। अचानक ऊपर से पायल की आवाज़ आई—“ठक… ठक… ठक।”---भाग 3 – सच का सामनाआदित्य सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर पहुँचा तो उसने एक लड़की को सफेद कपड़ों में खड़ा देखा। उसके बाल खुले हुए थे और चेहरे पर गहरी उदासी।लड़की बोली—“तुम्हें यहाँ लाया गया है… क्योंकि मेरे कातिल को सज़ा दिलवाना सिर्फ़ तुम्हारे बस में है।”आदित्य हक्का-बक्का रह गया। उस लड़की ने बताया कि वह रिया है, जिसे इसी मकान में मारकर दीवारों के पीछे छुपा दिया गया था।---भाग 4 – अधूरी रातरिया की आत्मा ने आदित्य को दीवार के पीछे इशारा किया। वहाँ सचमुच हड्डियों के ढेर और खून से सनी चूड़ियाँ मिलीं।अचानक मकान हिलने लगा, जैसे कोई ताकत उन्हें बाहर धकेल रही हो।सुबह होने तक आदित्य पुलिस को सबूत दे चुका था। कातिल पकड़ा गया। लेकिन उस रात का रहस्य अब भी अधूरा रहा—क्योंकि आदित्य को अब भी हर रात वही अजनबी कॉल आता है—“अगली बार… पीछे मत देखना।”भाग 1 – अजीब कॉलरात के 11 बजे आदित्य अपने ऑफिस से घर लौट रहा था। रास्ता सुनसान था और चारों ओर हल्की धुंध छाई हुई थी। अचानक उसका फोन बजा—“अगर ज़िंदा घर पहुँचना चाहता है… तो पीछे मत देखना।”आवाज़ अजनबी थी और काँपती हुई भी। आदित्य का दिल तेज़ धड़कने लगा। उसने हिम्मत करके रियर-व्यू मिरर में देखा—एक काली परछाई उसकी कार के पीछे झलक रही थी।---भाग 2 – वीरान मकानघबराया हुआ आदित्य कार रोकता है तो देखता है कि सामने एक टूटा-फूटा पुराना मकान है। दरवाज़ा अपने आप चरमराकर खुलता है। मानो उसे अंदर बुला रहा हो।आदित्य डर के बावजूद अंदर चला जाता है। कमरों की दीवारों पर खून जैसे धब्बे और टूटी तस्वीरें टंगी थीं। अचानक ऊपर से पायल की आवाज़ आई—“ठक… ठक… ठक।”---भाग 3 – सच का सामनाआदित्य सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर पहुँचा तो उसने एक लड़की को सफेद कपड़ों में खड़ा देखा। उसके बाल खुले हुए थे और चेहरे पर गहरी उदासी।लड़की बोली—“तुम्हें यहाँ लाया गया है… क्योंकि मेरे कातिल को सज़ा दिलवाना सिर्फ़ तुम्हारे बस में है।”आदित्य हक्का-बक्का रह गया। उस लड़की ने बताया कि वह रिया है, जिसे इसी मकान में मारकर दीवारों के पीछे छुपा दिया गया था।---भाग 4 – अधूरी रातरिया की आत्मा ने आदित्य को दीवार के पीछे इशारा किया। वहाँ सचमुच हड्डियों के ढेर और खून से सनी चूड़ियाँ मिलीं।अचानक मकान हिलने लगा, जैसे कोई ताकत उन्हें बाहर धकेल रही हो।सुबह होने तक आदित्य पुलिस को सबूत दे चुका था। कातिल पकड़ा गया। लेकिन उस रात का रहस्य अब भी अधूरा रहा—क्योंकि आदित्य को अब भी हर रात वही अजनबी कॉल आता है—“अगली बार… पीछे मत देखना।”