कहानी शीर्षक: 🌿 "अनजानी सी दूरी"
लेखिका: InkImagination
प्रस्तावना
कभी-कभी दोस्ती समय की कसौटी पर टूटने लगती है, लेकिन एक छोटी सी कोशिश उसे फिर से जिंदा कर सकती है। यह कहानी है सिया और आराध्या की, जिनकी बारह साल की गहरी दोस्ती वक्त के साथ अनजानी दूरी में बदल गई। यह एक भावनात्मक और रोमांटिक सफर है, जो मातृभारती के पाठकों के दिल को छू जाएगा, जहाँ दोस्ती से कुछ ज्यादा की भावना छिपी है।
अध्याय 1: दोस्ती का आगाज
दिल्ली के एक छोटे से स्कूल में, बारह साल पहले, सिया और आराध्या की मुलाकात हुई थी। सिया, 6 साल की, अपने चंचल अंदाज़ और मासूम मुस्कान के लिए जानी जाती थी, जबकि आराध्या, थोड़ी शांत लेकिन गहरी सोच वाली, हमेशा अपनी किताबों के साथ दिखती थी। उनकी दोस्ती स्कूल की पहली कक्षा से शुरू हुई, जब सिया ने आराध्या की खोई हुई पेंसिल वापस की और कहा, “अब तू मेरी बेस्ट फ्रेंड है!” आराध्या हंस पड़ी, और वह पल उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया।
दोनों ने हर पल साथ बिताया—स्कूल की शरारतें, परीक्षा की रातें, और एक-दूसरे के घरों पर सोने की पार्टियाँ। सिया की हंसी और आराध्या की गहरी बातें एक-दूसरे को पूरा करती थीं। लोग उन्हें देखकर कहते, “दोस्ती हो तो ऐसी!” उनके बीच कोई राज़ नहीं था—सिया की पहली क्रश की कहानी से लेकर आराध्या के माता-पिता के झगड़ों तक, सब कुछ उन्होंने साझा किया।
अध्याय 2: वक्त का बदलाव
कॉलेज का समय आया, और दोनों की राहें थोड़ी अलग हुईं। सिया ने शिक्षण में अपना करियर चुना—वह बच्चों को पढ़ाना चाहती थी, उनकी मासूमियत को संभालना चाहती थी। दूसरी ओर, आराध्या ने बिजनेस की दुनिया में कदम रखा। उसने एक स्टार्टअप शुरू किया, जो धीरे-धीरे सफलता की ओर बढ़ रहा था। दोनों अपने सपनों में डूब गए।
शुरू में, वे दिनभर चैट करतीं—सिया अपनी क्लासरूम की कहानियाँ सुनाती, और आराध्या अपने ऑफिस के तनाव भरे पल साझा करती। लेकिन वक्त के साथ बातें कम होती गईं। पहले हफ्तों में “हाय, कैसी हो?” का मैसेज आता, फिर महीनों में सिर्फ “बिजी हूँ, बाद में बात करती हूँ” तक सीमित हो गया। दूरी बढ़ने लगी, और उनके बीच एक अनजानी खामोशी पसर गई।
अध्याय 3: मुलाकात का दर्द
कुछ साल बाद, एक रिश्तेदार की शादी में सिया और आराध्या की मुलाकात हुई। शादी का माहौल रंगीन था—संगीत, हंसी, और खाने की खुशबू, लेकिन दोनों के बीच एक अजीब सा सन्नाटा था। सिया ने मुस्कुराकर कहा, “कैसे हो, आराध्या?” उसकी आवाज में एक बनावटी खुशी थी, जो उसकी आँखों में छिपी उदासी को नहीं छुपा पाई।
आराध्या ने भी वही औपचारिक मुस्कान दी, “ठीक हूँ… तुम?” उसका जवाब ठंडा था, जैसे वह किसी अजनबी से बात कर रही हो। दोनों ने एक-दूसरे को देखा, और उनके दिलों में एक साथ एक टीस उठी। वो आराध्या, जो सिया की हर मुश्किल में उसके साथ खड़ी रहती थी, अब एक अनजान चेहरा लग रही थी। सिया के मन में सवाल कौंधा, “क्या हमारी दोस्ती सचमुच खत्म हो गई?”
शादी के बाद, सिया अपने कमरे में लौटी। उसने खिड़की के पास कुर्सी खींची और चाय का कप थामा। बाहर बारिश की हल्की बूंदें पड़ रही थीं, और उसकी आँखों में आंसुओं का समंदर था। वह सोचती रही, “क्या इतना आसान है… सालों की दोस्ती को ऐसे खो देना? क्या हम कभी वैसे नहीं बन सकते?”
अध्याय 4: दिल की पुकार
रात गहरा गई, और सिया का मन बेचैन हो उठा। उसने अपना पुराना डायरी निकाला, जिसमें आराध्या के साथ बिताए पलों की यादें लिखी थीं—स्कूल की पिकनिक, कॉलेज की पहली परीक्षा, और देर रात की बातें। एक पुराना फोटो गिरा, जिसमें दोनों हंसते हुए दिख रही थीं। सिया के आंसू उस फोटो पर टपक पड़े।
उसने फोन उठाया और मैसेज टाइप किया:
“आराध्या… मुझे हमारी पुरानी वाली दोस्ती बहुत याद आती है। वो हंसी, वो बातें, वो पल… क्या हम फिर से वैसे बन सकते हैं? मैं मिस करती हूँ तुझे।”
मैसेज भेजते ही उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। क्या आराध्या जवाब देगी? या यह दूरी और गहरी हो जाएगी? वह रातभर जागती रही, फोन की स्क्रीन को निहारती रही।
अध्याय 5: दोस्ती का पुनर्जन्म
सुबह के साढ़े सात बजे, सिया के फोन की घंटी बजी। मैसेज था—आराध्या का। उसने स्क्रीन खोली, और उसकी आँखों में उम्मीद की चमक जगी। मैसेज पढ़ा:
“सिया… मैंने भी तुम्हें बहुत मिस किया। बिजनेस और जिंदगी के चक्कर में मैंने हमारी दोस्ती को नजरअंदाज कर दिया। तुम्हारा मैसेज पढ़कर मुझे एहसास हुआ कि मैं कितनी बड़ी गलती कर रही थी। हाँ… क्यों नहीं? दोस्ती फिर से शुरू करते हैं। कल मिलते हैं, उसी पुरानी कॉफी शॉप में।”
सिया के चेहरे पर मुस्कान खिल उठी। उसने तुरंत जवाब लिखा, “हाँ, कल 4 बजे!” उसका दिल खुशी से उछल रहा था, जैसे बारह साल पहले की वो मासूमियत वापस आ गई हो।
अध्याय 6: मुलाकात का जादू
अगले दिन, कॉफी शॉप में सिया और आराध्या आमने-सामने बैठीं। हल्की बारिश की बूंदें खिड़की पर पड़ रही थीं, और हवा में कॉफी की खुशबू तैर रही थी। दोनों ने एक-दूसरे को देखा, और उनकी आँखों में पुरानी यादें जाग उठीं।
सिया ने हंसते हुए कहा, “तू आज भी वही शांत वाली लगती है, आराध्या!”
आराध्या मुस्कुराई, “और तू वही शरारती! मुझे याद है, तूने मेरी कॉपी में चॉकलेट के दाग कैसे लगाए थे!” दोनों हंस पड़ीं, और वह पल उनकी दूरी को मिटा गया।
उन्होंने पुरानी बातें याद की—स्कूल की मस्ती, कॉलेज की रातें, और एक-दूसरे के सपनों के बारे में। आराध्या ने बताया कि उसका स्टार्टअप अब सफल हो रहा है, लेकिन अकेलापन उसे सताता था। सिया ने कहा, “मैंने बच्चों को पढ़ाते हुए तुम्हारी कमी महसूस की। तू मेरे साथ होती, तो हम स्कूल की तरह मस्ती करतीं!”
उस मुलाकात ने उनकी दोस्ती को नई जान दे दी। उन्होंने वादा किया कि अब वे एक-दूसरे से दूरी नहीं होने देंगे।
अध्याय 7: भावनाओं का आलिंगन
कुछ हफ्तों बाद, एक रात, सिया ने आराध्या को अपने घर बुलाया। बारिश की बूंदें खिड़की पर पड़ रही थीं, और दोनों पुराने गाने सुन रही थीं। सिया ने आराध्या का हाथ थामा और बोली, “तू मेरी जिंदगी का हिस्सा है, आराध्या… मैं बिना तेरे अधूरी हूँ।”
आराध्या की आँखें नम हो गईं। उसने सिया को गले लगाया और फुसफुसाई, “मैं भी… तू मेरी सबसे खास है।” उनकी बाँहों में एक गहरा बंधन था, जो दोस्ती से कुछ ज्यादा था—एक आत्मीयता, जो सालों की दूरी को मिटा देती थी।
✨ अंतिम पंक्तियाँ
“अनजानी सी दूरी भी प्यार की कोशिश से कम हो सकती है,
सिया और आराध्या की दोस्ती यही साबित करती है।
एक मैसेज, एक मुलाकात, और एक वादा—
रिश्ते को फिर से जिंदा करने के लिए बस इतना काफी है।”
🌟 पाठकों के लिए संदेश
प्रिय पाठकों, "अनजानी सी दूरी" सिया और आराध्या की एक ऐसी भावनात्मक और रोमांटिक कहानी है, जो आपके दिल को छू जाएगी। अगर आपको यह पसंद आई, तो कृपया मुझे फॉलो करें और अपने विचार कमेंट में साझा करें। आपका हर प्यार और समर्थन मेरी लेखनी को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा। मेरी अन्य कहानियाँ भी पढ़ें, और मुझे बताएँ कि आपको क्या अच्छा लगा—आपके शब्द मेरे लिए प्रेरणा हैं! ❤️
InkImagination
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