📚 Title: बस एक बार और...
✍️ Author: InkImagination
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"मैं कोई लेखिका नहीं हूँ… बस उस अधूरी कहानी को सुना रही हूँ, जो कभी मेरी ज़िंदगी में आई और फिर बिना कुछ कहे चली गई।
कुछ लोग वक़्त बनकर आते हैं… और याद बनकर रह जाते हैं। ये कहानी वैसी ही एक याद की है..."
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मैंने आज फिर उसे देखा।
वही मुस्कान… वही निगाहें… बस फर्क इतना था कि अब वो किसी और के साथ था।
कहते हैं कि वक़्त सब कुछ बदल देता है। लेकिन क्या वक़्त उन लम्हों को भी मिटा देता है जो हमने कभी पूरे दिल से जिए थे?
हमारी कहानी वहीं से शुरू होती है, जहाँ ज़्यादातर अधूरी कहानियाँ शुरू होती हैं — एक अनजाने मोड़ से।
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मैं और आरव — दो बिलकुल अलग दुनिया के लोग।
मैं एक सीधी-सादी लड़की, जो अपनी किताबों में खोई रहती थी।
वो… एक आज़ाद परिंदा, जो ज़िंदगी को हर पल जीता था।
हम पहली बार लाइब्रेरी में मिले थे। मैंने गलती से उसकी किताब ले ली थी, और उसने बड़े ही फिल्मी अंदाज़ में मुझसे कहा था,
"आपके पास जो है, वो मेरा है… और जो मेरा है, वो आपका हो सकता है।"
मैं उस वक़्त झेंप गई थी, लेकिन उसी दिन शायद हमारी कहानी की शुरुआत हो गई थी।
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वो हर रोज़ मुझे खोज ही लेता था — कभी कैंटीन में, कभी क्लास के बाहर, कभी लाइब्रेरी में।
धीरे-धीरे हमारी बातें बढ़ने लगीं।
उसकी हर बात में एक जादू था, जो मेरे दिल को छू जाया करता था।
वो कहता था,
"अगर दुनिया तुझसे सवाल करे, तो मेरा नाम ले लेना।"
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मैंने कभी सोचा नहीं था कि कोई मुझे इतने अपनेपन से देखेगा।
हमने पूरे दो साल साथ बिताए — कॉलेज के सबसे खूबसूरत दो साल।
हर बारिश में भीगना, हर एग्ज़ाम के बाद आइसक्रीम खाना, हर नए दिन को एक साथ जीना।
लेकिन फिर…
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एक दिन सब बदल गया।
वो अचानक दूर रहने लगा। न कॉल, न मैसेज… और जब मिला भी तो बस इतना कहा —
"हमारा अब कोई भविष्य नहीं है। मैं अब इस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ा सकता।"
मैं कुछ नहीं कह पाई।
बस उसकी आँखों में देखा और खुद से सवाल करती रही — क्या मेरी मोहब्बत अधूरी थी?
या शायद किस्मत को हमारी कहानी मंज़ूर नहीं थी।
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महीनों गुज़र गए।
मैंने खुद को समेटा, फिर से जीना सीखा, लेकिन हर मुस्कान के पीछे एक खालीपन था।
और आज… इतने सालों बाद… जब मैंने उसे देखा,
वो एक लड़की का हाथ थामे हुए हँस रहा था — उसी मुस्कान के साथ जो कभी सिर्फ मेरी थी।
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मैंने नज़रें फेर लीं।
लेकिन शायद किस्मत अभी भी हमारे बीच कुछ अधूरा छोड़ना चाहती थी।
वो मेरे पास आया। कुछ सेकंड्स तक हम दोनों चुप रहे।
फिर उसने धीमे से कहा —
"कैसी हो?"
मैं मुस्कराई, और बस इतना कहा —
"वैसी ही, जैसी तुम्हारे जाने के बाद बनी थी। थोड़ी टूटी हुई, लेकिन अब और टूटने से डर नहीं लगता।"
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उसकी आँखों में कुछ था… शायद पछतावा, शायद सिर्फ guilt…
उसने कहा,
"मैंने जो किया, उसका अफ़सोस है… लेकिन अब मैं बहुत आगे बढ़ चुका हूँ। शादी करने वाला हूँ।"
मैंने सिर हिलाया।
"मुझे खुशी है तुम्हारे लिए।"
वो जाने के लिए मुड़ा… और तभी मैंने कहा —
"आरव… अगर वक़्त तुम्हें फिर एक मौका देता… क्या तुम फिर से मुझे चुनते?"
वो कुछ पल चुप रहा… फिर पलटा और कहा —
"बस एक बार और… तो हाँ, मैं तुझे ही चुनता।"
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वो चला गया।
मैं वहीं खड़ी रही, आँखों में एक अधूरी सी मुस्कान लिए।
ज़िंदगी में कुछ जवाब कभी नहीं मिलते, लेकिन कुछ सवाल दिल में हमेशा ज़िंदा रहते हैं।
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मैंने उस दिन सीखा…
हर मोहब्बत का अंजाम शादी नहीं होता।
कुछ लोग सिर्फ तुम्हारी ज़िंदगी में आते हैं, तुम्हें महसूस करवाने कि तुम प्यार के काबिल हो।
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💬 अंत में बस इतना ही कहना चाहती हूँ…
अगर आपकी ज़िंदगी में भी कोई ऐसा शख्स था…
जिससे आप आज भी दिल से प्यार करते हैं… लेकिन कह नहीं पाए…
तो कम से कम दिल में एक बार जरूर कह लेना...
बस एक बार और…
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📍 अगर ये कहानी आपके दिल को छू गई हो, तो नीचे ज़रूर बताएं —
आप भी क्या किसी को बस एक बार और… कहना चाहते हैं?
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🖤 ~ InkImagination
(कहानियों से जुड़े रहने के लिए follow करना ना भूलें... अगली कहानी और भी खास होगी!)
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Thankyou🥰🥰...
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