chinta wyarth hai in Hindi Moral Stories by dinesh pal books and stories PDF | चिंता व्यर्थ है

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चिंता व्यर्थ है

होगा वही जो ईश्वर चाहेगा हाँ दोस्तों हमारी यह कहानी आज उन लोगों के लिए हैं जो लोग सोचते हैं कि अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरे परिवार का क्या होगा मेरे बच्चों का क्या होगा...? चलो बिना देर करे बिना कहानी शुरू करते हैं....एक शहर में एक भिखारन रहती थी वह एक चौराहे पर भीख माँगा करती थी एक दिन उस भिखारन ने उसी चौराहे पर दो जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया और उसी दिन यमराज ने अपने दूतो को बुलाकर कहा कि जाऔ उस भिखारन ले आऔ यमराज कि बात सुन कर दोनो दूत चल पड़े जब दोनों दूत वहाँ पहुँचे तो देखा कि वो भिखारन अपने दोनों बच्चों को सम्भाल रही थी जो अभी अभी जनमे थे ये देख कर उन दूतो को उस भिखारन पर दया आ गयी और दोनों दूत वापस लौट गये । यमराज ने पूँछा कि ले आए उस भिखारन को तो दोनों दूतो ने यमराज से कहा कि महारज छम्मा करे हम उस भिखारन को नहीं लाऐ तो यमराज ने पूँछा क्यों नहीं लाऐ तो दूतो ने कहा कि महाराज उस भिखारन ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है अगर हम उस भिखारन को ले आते तो उसके बच्चों का क्या होगा इस लिये हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप उस भिखारन को कुछ समय और देदो ताकि उसके बच्चे थोड़ा बड़े हो जाए दूतो कि बात सुन कर यमराज गुस्से में बोले चुप रहो क्या तुम भूल गए हम म्रत्यु के देवता हैं जिसकी उम्र पूरी हो चुकी है उसको मारना हमारा कार्य है हमें किसी के भविष्य से कोई मतलब नहीं है ! यह बात कह कर यमराज स्वयं चल दिये उस भिखारन को लाने यमराज उस भिखारन कि आत्मा को लेकर यमलोक चले गए  अब तो भिखारन मर गई उसके दोनों बच्चे रो रहे थे उस चौराहे पर भीड़ इकठ्ठा हो गई सब देख रहे थे पर कोई भी उसे हाँथ नहीं लगाया तभी उसी चौराहे से राजा कि सवारी निकल रही थी तो राजा ने देखा कि ये भीड़ कैसी है क्या हुआ है पहुँच कर राजा ने देखा कि भिखारन जुड़वा बच्चों को जन्म देकर मर गई है और उसके बच्चे रो रहे थे तब राजा ने वहाँ खड़े लोगों से पूँछा कि क्या इस भिखारन का कोई और नहीं है तब लोगों ने बताया कि इसका कोई नहीं है  अब इसके बच्चों का क्या होगा तब राजा ने कहा कि इस भिखारन का अन्तिम संस्कार करने कि तैयारी करो और आज से ये दोनों  बच्चे मेरे हैं अगर किसी ने कभी भी ये कहा कि ये बच्चे भिखारन के है तो मै उसकी खाल खिचवा कर भूसा भरवा दूँगा यह कहकर राजा दोनों बच्चों को लेकर महल पहुँच गया और रानी से कहा कि देखो भगवान ने हमें क्या दिया है रानी ने देखा तो खुशी से झूम उठी क्योंकि रानी की कोई सन्तान नहीं थी इसलिए वह बहुत खुश हुयी और उन दोनों बच्चों को बड़े प्यार से लालन पालन करने लगी कुछ समय बीतने के बाद यमराज ने अपने उन दोनों दूतो को बुलाया और कहा कि  तुम दोनों ने जाऔ और पता करो कि उस भिखारन के मरने के बाद बच्चों का क्या हुआ यमराज कि बात सुनकर दोनों दूत भेष बदलकर उस शहर में पहुँच गए अब दोनों ने सोचा कि किसी से पूँछा जाये तो पता चलेगा कि क्या हुआ यह सोच कर दोनों उसी चौराहे पर एक चाय बेचने वाले के पास गये और उनसे पूछा कि आज से बारह साल पहले यहाँ एक भिखारन भीख माँगती थी और दो जुड़वा बच्चों को जन्म देकर मर गई थी तो अब उन बच्चों का क्या हुआ तब चाय वाले ने कहा चुप रहो भाई दोबारा उन बच्चों को भिखारिन के नाम से मत जोड़ना तभी दोनों बच्चे अपने अपने घोड़े पर सवार होकर उस चौराहे से गुज़र रहे थे तो चाय वाले ने इशारा करते हुए बोला वो देखो ये वही लड़के हैं  जिनकी आप बात कर रहे हैं ये लड़के अब इस राज्य के राजकुमार बन चुके है ये बात सुन कर दोनों दूत वापस यमलोक पहुँचे तब यमराज ने पूछा क्या हुआ लड़को का तब दूतो ने बताया की महाराज वे लड़के तो अब राजकुमार बन चुके हैं तब यमराज ने कहा कि अगर हम उस भिखारन को नहीं मारते तो ये लड़के आज उसी भिखारन के साथ भीख मांग रहे होते उन लड़को के नसीब में राज करना लिखा था इसीलिए कहते हैं कि होगा वही जो विधाता चाहता है तुम्हारे चिंता करने से कुछ नहीं होगा !    

                         धन्यवाद दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी   ।