minded women in Hindi Motivational Stories by dinesh pal books and stories PDF | बुध्दिमान औरत

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बुध्दिमान औरत

Kaun kahata hai ki aurton ka Dimag ghutano me hot hai Han dosto aaj me Apani Es kahani ke madhyam Se batana chahunga  ki aurton ka dimag kisi bramhastr Se kam nahi hota !Agar aurat apana dimag Sahi tarike se estemal Kare to.    !!! !!!!Chaliye Ab kahani suru karte hain एक गाँव में दो भाई रहते थे बड़ा भाई जिसका नाम सोहन और छोटे भाई का नाम मोहन था बड़ा भाई सोहन कि उम्र 22 साल और छोटे भाई मोहन कि उम्र 15 साल है दोनों बहुत गरीब थे बड़ा भाई मज़दूरी करता था और छोटा भाई पढ़ता था इन दोनों के  अलावा घर मे कोई नहीं था इसलिए खाना बनाना और घर सम्भालना मुश्किल होता था तो एक दिन छोटे भाई मोहन ने अपने बड़े भाई सोहन से कहा कि भाई तुम शादी करो लो जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तो घर का काम भाभी सम्भाल लेगी और आप अच्छे से कमाने लगेंगे और मेरी पढ़ाई भी अच्छे होने लगेगी रहे बात सुन कर बड़े भाई ने कहा कि बात तो सही है लेकिन तुम्हें मालुम है कि अपने घर कि क्या हालत है मै जितना कमाता हूँ उसमें से आधी कमाई तुम्हारे पढ़ाई  में खर्च हो जाती हैं और आधी कमाई घर के खर्चे में चली जाती हैं ऐसे में शादी कैसे करेंगे  तब छोटे भाई ने कहा कि किसी से कर्ज लेकर शादी कर लो फिर शादी होने के बाद धीरे -धीरे कर्ज चुकता हो जायेगा छोटे भाई की बात सुन बड़ा मान गया और फिर उन दोनों ने मिल कर एक सुन्दर सुशील लड़की देख कर बड़े भाई ने गाँव के कुछ लोगों से कर्जा लेकर शादी करली शादी तो हो गई दोस्तों लेकिन अब जो समस्या थी वो था शादी का कर्जा लौटाना इस बात से बड़ा भाई  चिंता मे रहने लगा उतनी आमदनी नहीं थी की वो लोगों से लिया हुआ पैसा लौटा सके इस बात से परेशान होकर घर में सोहन मोहन और सोहन कि बीवी तीन ने मिलकर विचार विमर्स करने लगे काफी देर बातचीत करने के बाद एक रास्ता निकाला कि बड़े भाई ने कहा कि मै परदेश चला जाता हूँ वहाँ से मै पैसा कमाकर भेजुँगा और जब सब कर्जा खत्म हो जाएगा तो मै वापस लौट आऊँगा ।फिर क्या बड़ा भाई परदेश चला जाता है और अब घर मे मोहन और उसकी भाभी दोनों  रहने लगे कुछ दिनों के बाद बड़े भाई ने परदेश से पंद्रह सौ यानी एक हजार पाँच सौ रुपए भेजे डाकिया मनीअडर लेकर सोहन के घर पहुँचा तो उस समय मोहन स्कूल मे पढ़ने गया हुआ था इस करण घर में सोहन कि बीबी अकेली थी डाकिये ने जब सोहन कि बीबी को देखा तो उसकी नियत खराब हो गई  और उसने सोहन कि बीवी से कहा कि अगर तुम मेरे साथ एक रात सो लो तो मै तुम्हें पाँच हजार रुपए दूँगा यह बात सुन कर सोहन कि बीवी ने कहा कि ठीक है सोचकर बताऊँगी अभी आप जाऔ डाकिया चला उसके बाद सोहन कि बीवी ने सोचा कि डाकिये कि इस बात को लेकर सरपंच के पास शिकायत लेकर गयी और कहा कि डाकिये ने मुझसे कहा है कि अगर तुम मेरे साथ एक रात सो लो तो मै तुम्हें पाँच हजार रुपये दूँगा सरपंच जी अब आप बताइए मै क्या करू सरपंच जी ने कहा कि डाकिये को छोडो़ तुम मेरे साथ एक रात सो लो मै तुम्हें दस हजार रुपये दूँगा सरपंच जी का बात सुनकर सोहन कि बीबी बोली कि ठीक है सोचकर बताऊँगी फिर सोहन कि बीबी दारोगा के पास गयी और दारोगा से डाकिया और सरपंच जी कि शिकायत कि तो दरोगा ने कहा कि कहाँ उन लोगों के चक्कर में पड़ी हो तुम मेरे साथ एक रात सो लो मै तुम्हें बीस हज़ार रुपये दूँगा दरोगा कि बात सुन कर सोहन कि बीबी ने कहा कि ठिक है सोचकर बताऊँगी फिर सोहन कि बीवी वापस घर चली आई घर आकर उसने अपने देवर मोहन को लेकर बाजार गई और बाजार से तीन बड़े बक्सा खरीद के घर ले आई मोहन ने पूँछा कि भाभी ये बक्सा को क्या करेगी सोहन कि बीवी ने कहा कि तुम चुपचाप देखो कि मै क्या करती हूँ। अब सोहन कि बीबी डाकिये के पास गयी और डाकिये से बोली कि तुमने कहा था कि अगर मै तुम्हारे साथ एक रात सो लूँ तो तुम मुझे पाँच हजार रुपये दोगे तो मै तैयार हूँ आज रात दस बजे तुम मेरे घर आ जाना मै अकेले रहूंगी  आज मै तुम्हारी इच्छा पूरी कर सकती हूँ डाकिया खुश हो कर बोला ठीक है मेरी जान मै जरूर आऊँगा ।उसके बाद सोहन कि बीबी सरपंच जी के पास गयी और सरपंच जी से बोली कि आपने कहा था कि अगर मैं आप के साथ एक रात सो लूँ तो तुम मुझे दस हजार रुपये दोगे तो मै तैयार हूँ आज रात दस बजकर पाँच मिनट पर मेरे घर आ जाना मै तुम्हारी इच्छा पूरी करूँगी पर याद रहे दस बज कर पाँच मिनट पर ही आना है इसके पहले नहीं आना सरपंच ने कहा कि ठीक है। उसके बाद सोहन कि बीबी दरोगा के पास गयी और कहा कि आप ने कहा कि अगर मै तुम्हारे साथ एक रात सो लूँ तो तुम मुझे बीस हज़ार रुपये दोगे तो मै तैयार हूँ आज रात दस बजकर दस मिनट पे मेरे घर आ जाना मै तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूँगी दारोगा खुशी से बोला ठीक है  ।इसके बाद सोहन कि बीबी वापस घर लौट आई और अपने देवर से कहा कि आज रात तुम घर के बगल मे छिपकर बैठना और देखना आज रात घर में  पहले डाकिया फिर सरपंच उसके बाद दारोगा आऐंगे जब तीनो घर के अन्दर आ जाये तो तुम घर का दरवाजा खटखटाना  ठीक है भाभी कि बात सुन कर सोहन मान तो गया लेकिन उसके समझ मे कुछ नही आ रहा था कि आखिर भाभी करना क्या चाहती है उसने पूछना चाहा तो उसकी भाभी ने कहा कि धीरे धीरे सब समझ जाऔगे बस तुमसे जो कहा है वो करो। फिर क्या था  दोनों देवर भाभी रात होने का इन्तजार करने लगे जब रात के दस बजने वाले थे तो सोहन कि बीबी ने मोहन को घर के बगल मे छिपा दिया अब मोहन छिपकर देखने लगा। जैसे रात के दस बजे डाकिया आ पहुँचा उसने दरवाजा खटखटाया सोहन कि बीबी ने दरवाजा खोला और डाकिये को अन्दर ले गयी और बोली पैसा लेकर आए हो न डाकिया ने पैसा निकाला और बोला ये पूरे पाँच हजार है  अब जल्दी से काम शुरू करते हैं सोहन कि बीवी ने पैसे लेते हुए बोली अरे इतनी जल्दी क्या है अभी तो पूरी रात पड़ी है आखिर तुम्हारे आलावा इस घर मे और कौन है अब आए हो थोड़ा कुछ खा पी लो फिर आराम से जो चाहे वो करना । बस इसी बातचीत के दौरान दरवाजा खटखटाने की आवाज़ आई आवाज सुन कर डाकिया घबड़ा गया और बोला कि तुमने कहा था कि आज रात मे तुम अकेली हो तो दरवाजे पे कौन है। सोहन कि बीवी ने कहा कि तुम घबराऔ नहीं मै देखती हूँ उसने दरवाजे के छेद से झांक कर कहा कि बहर सरपंच जी आए हुए हैं डाकिया और ज्यादा घबरा गया और बोला अब क्या होगा तब सोहन कि बीवी ने कहा कि तुम घबराऔ नही तुम इस बक्से मे छिप जाऔ मै बाहर जाकर देखती हूँ कि इतनी रात मे सरपंच जी क्यो आये हुए हैं । सोहन कि बीवी कि बात सुन कर डाकिया बक्से के अन्दर छिप गया । उसके बाद सोहन कि बीबी ने दरवाजा खोला और सरपंच जी को अन्दर लेकर गयी बड़े उत्साह से सरपंच जी बोले देखो मै करेक्ट टाइम पर आ गया कोई दिक्कत तो नहीं है सोहन कि बीवी ने कहा कि नहीं कोई दिक्कत नहीं है आप तो एकदम सही टाईम पे आये हैं लेकिन जो आपने दस हजार रुपये कि बात कही थी वो सोहन कि बीवी कि बात पूरी नहीं कि की सरपंच जी ने पैसा निकाल कर देते हुए कहा कि लो मेरी जान गिनलो पूरे दस हजार है अब जल्दी शुरू करते हैं । सोहन कि बीवी ने कहा कि अरे इतनी जल्दी क्या है अभी तो पूरी रात पड़ी है पहले कुछ खा पी लो फिर आराम से जो चाहे वो करना बस ऐसे ही बातें हो रही थी की दरवाजा खटखटाने कि आवाज़ आई सरपंच जी घबराते हुए बोले कौन है तब सोहन कि बीवी बोली घबराऔ नहीं तुम इस बक्से मे छिप जाऔ मै देखती हूँ। सोहन कि बीवी ने दरवाजा खोला और दारोगा को अन्दर लेकर आई दरोगा ने कहा कि देख मै तुम्हारे बताये हुए समय पर आया हूँ न तब सोहन कि बीवी ने कहा कि हाँ तुम बहुत सही समय पर आए हुए हो पर जो तुमने कहा है कि तुम बीस हज़ार रुपये लाऐ हो न तभी दरोगा ने पैसो का बण्डल देते हुए बोला लो यार तु भी क्या याद रखेगी पकड़ और चल जल्दी शुरू करते हैं तो सोहन कि बीबी ने कहा कि हाँ ठीक है रुको पहले थोड़ा कुछ खा पी लो फिर जो चाहे वो करना आज की रात तो मै तुम्हारी ही हूँ  ।उधर मोहन घर के बगल मे छुपकर सब देख रहा था और जब उसने देखा कि डाकिया सरपंच और दारोगा तीनो आ चूके है तो उसने एक डंडा पटकते हुए आया और दरवाजा खटखटाया तो दरोगा घबरा कर बोला कौन है तो सोहन कि बीवी ने कहा कि लगता है कि मेरा देवर है रुको तुम इस बक्से मे छिप जाऔ मै उसको सुलाकर मै आती हूँ  ।सोहन कि बीवी कि बात सुन कर दरोगा बक्से में बैठ गया तब सोहन कि बीवी ने बक्सा बन्द करके ताला लगा दिया फिर अपने देवर मोहन  से कहा चलो अब सोते है कल सुबह देखते है  ।सुबह होते ही सोहन कि बीवी ने अपने देवर मोहन से कहा कि मोहन तुम जाकर पता करो की सबसे अच्छा मेला कहाँ पर लगता है तब मोहन बोला भाभी मुझे मालुम है कि सबसे अच्छा मेला कहाँ लगता है उस मेले की सबसे खास बात  यह है कि उस मेले यदि किसी दुकानदार की बिक्री नहीं होती तो उस दुकानदार का सारा सामान राजा खुद खरीदता हैं यह बात सुनकर सोहन कि बीवी ने कहा कि ठीक है चलो सो जाऔ कल मेला मे अपनी दुकान लगेगी   ़़़़़़़। सुबह होते ही दोनों ने मिलकर एक गाड़ी बुला कर उसमे तीनों बक्से लोड करके मेला पहुँच गए  । मैले में दुकान लगा कर बैठ गए अब जो भी ग्राहक उनसे पूछता की इन बक्से में क्या है तो सोहन कि बीवी कहती कि हमतुम  रहा बात सुनकर ग्राहक भड़क जाता और चला जाता इसलिए किसी ने भी एक भी बक्सा नही खरीदा जब मेला खत्म हुआ तो राजा देखने आया कि किस किस के दुकान से बिक्री नहीं  हुई तो पाया कि एक दुकान है जिसकी बिक्री नहीं हुई है तो राजा को आश्चर्य हुआ कि ऐसा क्या है जो उस दुकानदार की बिक्री नहीं हुई चल कर देखना पड़ेगा कि क्या माजरा है जब राजा पहुँचा तो पूँछा कि क्यों लड़की तुम्हारा एक भी सामान नहीं बिका  तो सोहन कि बीवी ने कहा कि नहीं महाराज हमारी तो बोहनी भी नहीं हुई है और ऊपर से जो खर्च हो गया सो अलग तब राजा बोला ठीक है परेशान मत हो मै तुम्हारा सारा सामान खरीद लूँगा पर यह बताऔ कि क्या है इस बक्से में तब सोहन कि बीवी ने कहा कि हम तुम यह सुन कर राजा भी हैरान हो गया कि इसका क्या मतलब है चलो कोई बात नहीं खरीदना तो पड़ेगा ही नहीं तो हमारे राज्य की बदनामी होगी फिर कोई दुकानदार अपनी दूकान लेकर नहीं आएगा इसलिये खरीद ही लेता हूँ ये सोच कर राजा बोल कि क्या कीमत है तुम्हारे इन बक्सो कि तब सोहन कि बीवी ने कहा कि पाँच लाख का एक बक्सा हैं महाराज  फिर राजा ने पंद्रह लाख रुपये देकर तीनो बक्से खरीद लिया और कहा कि अब तो तुम खुश हो ना अब ये किसी से मत कहना कि मेरे राज्य में बिक्री नहीं हुई  सोहन कि बीवी ने कहा जी महाराज  ।फिर राजा ने तीनों बक्से लेकर राजमहल पहुँचा और मंत्री से कहा कि मंत्री इन बक्सो को खोलो देखो कि क्या है मंत्री ने एक बक्सा खोला तो उसमें से डाकिया निकला तो राजा ने देखा तो पूँछा तू कौन है बे तब डाकिया ने कहा कि महाराज मै डाकिया हूँ लोगों के घर चिट्ठी मनीअडर पहुँचाता हु तब राजा ने कहा वो तो ठीक है पर इस बक्से में कैसे आया  तब डाकिया बोला महाराज गलती हो गई राजा बोला कैसी गलती डाकिया बोला महाराज मै पंद्रह सौ का मनीअडर लेकर उस औरत के घर गया था और उस औरत को देख कर मेरी नियत खराब हो गई थी तो मैने उससे कहा कि अगर तुम मेरे साथ एक रात बिता लो तो मै तुम्हें पाँच हजार रुपये दूँगा तब उसने कहा कि ठीक है सोचकर बताऊँगी फिर उसने मुझे एक दिन बुलाया मै पैसा लेकर गया जेसे ही घर मे गया कि कोई आ गया तब उसने मुझे इसी बक्से में छिपा दिया डाकिया की बात सुनकर राजा गुस्से से कहा कि ले जाऔ इस डाकिये को इसको काल कोठरी में डाल दो फिर मंत्री ने दूसरा बक्सा खोला तो उसमें से सरपंच जी बाहर आएं तब राजा ने पूँछा कि तुम कौन हो और इस बक्से में क्या कर रहे हो तब सरपंच जी बोले महाराज मै सरपंच हूँ वो औरत मेरे पास डाकिये कि सिकायत लेकर आई थी लेकिन महाराज उसकी सुन्दरता देखके मेरी नियत खराब हो गई मुझे छमा करे महाराज राजा गुस्से  से बोला पराई स्त्री पर बुरी नजर डालते हुए शर्म नहीं आई निर्लज कहीं के ले जाऔ इसको झाढू पोछा का काम देखो फिर मंत्री ने तीसरा बक्सा खोला तो उसमें दरोगा निकला राजा ने देखा तो कहा अबे साले दरोगा तू भी इस बक्से में दरोगा बोला क्षमा कीजिए महाराज गलती हो गई क्षमा करे राजा बोला इस गलती कि कोई माँफी नहीं ले जाऔ इस दरोगा को इसको दरोगा की पोस्ट से हटा कर जूते चप्पल मे पालिस करने का काम दे दो   ।।।।़़़़़़़अब सोहन कि बीवी और मोहन अपने घर पहुँचे तब सोहन कि बीवी ने मोहन से कहा कि अब तुम अपने भैय्या  को चिट्ठी लिखो और उनसे कहो कि सारा कर्ज ख़त्म हो गया है अब वापस घर आ जाऔ   ।़़़़़़़़जब चिट्ठी सोहन के पास पहुँची तो सोहन को आश्चर्य हुआ कि मैने तो मात्र पंद्रह सौ रूपय भेजे थे फिर सारा कर्जा कैसे खत्म हो गया क्या किया होगा ये सोच कर सोहन परेशान हो गया सोहन के मन में उल्टे सीधे सवाल उठने लगे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसने सोचा अब घर जाकर ही पता चलेगा  कि कैसे हुआ । सोहन तुरन्त घर वापस आया और अपनी बीवी से पूछा कि ऐ कैसे हुआ कहीं तुमने कुछ गलत तो नहीं किया तब सोहन कि बीवी ने कहा कि परेशान मत हो मोहन को आने दो वो तुम्हें सब कुछ बताऐगा कि तुम्हारे पंद्रह सौ को पंद्रह लाख पैंतीस हजार कैसे बनाये हैं । जब मोहन स्कूल से घर आया तो अपने बड़े भाई सोहन को सारी बात बताई तो सोहन के आँखों में आँसू आ गये और कहने लगा कि मैने खाँ मा खाँ तुम्हारे बारे में बुरा सोच डाला मुझे माँफ कर दो मैने सुना था कि औरत घर कि लक्ष्मी होती हैं और आज देख भी लिया सच मे जो काम तुमने एक दिन में कर दिखाया है वो मै काम मुझे सालो लग जाते  । सोहन कि बीवी ने कहा इतना मत सोचो जी आखिर घर हमारा है तो हमारी भी कुछ जिम्मेदारी है इस घर कि इज्ज़त हमेशा याद रखुँगी आप टेंशन मत लो चलो अब पहले घर बनाते है फिर एक दुकान खोल देते हैं और यही घर पर रहकर कमाते हैं । फिर तीनों लोग ख़ुशी खुशी रहने लगे ।।।

तो दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी