Looking for love in Hindi Thriller by Jatin Kumar books and stories PDF | प्यार की तलाश

Featured Books
Categories
Share

प्यार की तलाश

घर के आँगन में अक्सर सन्नाटा पसरा रहता था। दीवारें ऊँची थीं, लेकिन उनके भीतर कोई अपनापन महसूस नहीं होता था। सुबह उठते ही डाँट-फटकार सुननी पड़ती, कभी पढ़ाई को लेकर, कभी छोटी-छोटी गलतियों को लेकर। खाने की मेज़ पर बैठते समय भी बातचीत नहीं, बस चुप्पी और ताने। किताबें खोलकर सामने रखी रहतीं, लेकिन मन उनमें रमा ही नहीं रहता। दिल भीतर ही भीतर किसी सहारे की तलाश करता।

हर दिन यह एहसास और गहरा होता गया कि घर में बातें तो होती हैं, पर उनमें स्नेह की मिठास नहीं है। मन चाहता कि कोई हो, जो पूछे – "कैसे हो? थक तो नहीं गए?" लेकिन ये सवाल कभी सुनाई नहीं दिए। इस कमी ने दिल को भीतर से खाली कर दिया।

धीरे-धीरे बाहर की दुनिया ने अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया। गली के मोड़ पर बैठकर बातें करने वाले, खेल के मैदान में हँसी बाँटने वाले, या स्कूल में हाल-चाल पूछने वाले साथी – यही दिल को सुकून देने लगे। वहाँ कोई शिकायत नहीं थी, न कठोर शब्द। वहाँ सिर्फ अपनापन था।

जब घर के कमरे भारी लगते, तो बाहर की सड़कें हल्की लगतीं। बाहर का हर छोटा-सा पल, चाहे वो हँसी-मज़ाक हो या बिना वजह की बातचीत, दिल को राहत देने लगता। यही बाहर का अपनापन धीरे-धीरे दिल के बहुत करीब हो गया।

रोज़ की डाँट-फटकार के बाद बाहर की एक सच्ची हँसी दिल के लिए दवा जैसी लगती। जब घर में कोई बात सुनने वाला न था, तब बाहर का एक छोटा-सा ध्यान भी अमूल्य हो जाता। खेलते समय अगर कोई कंधे पर हाथ रखकर कह देता – "चलो, सब ठीक हो जाएगा" – तो यह शब्द अंदर की सारी उदासी मिटा देते।

समय बीतने के साथ यह अंतर साफ हो गया कि जहाँ घर के रिश्तों में स्नेह की कमी है, वहीं बाहर की दोस्ती में अपनापन और समझ है। यही कारण था कि दिल बाहर की दोस्ती को ज्यादा जगह देने लगा। घर लौटते समय फिर वही सन्नाटा, वही भारीपन इंतज़ार करता, लेकिन अगली सुबह बाहर निकलने की उम्मीद ही जीवन में ऊर्जा भर देती।

असल में, हर इंसान को प्यार, अपनापन और समझ की ज़रूरत होती है। अगर यह सब घर की दीवारों के भीतर न मिले, तो दिल बाहर इसकी तलाश करता है। यही तलाश दोस्ती को और गहरा बना देती है। दोस्ती सिर्फ समय बिताने का नाम नहीं रहती, बल्कि ज़िंदगी का सहारा बन जाती है।

धीरे-धीरे यह अहसास हुआ कि दोस्ती कोई साधारण रिश्ता नहीं है, यह इंसान की भावनात्मक ज़रूरत का जवाब है। घर में अगर कोई दिल की बात सुनने वाला नहीं है, तो बाहर वही दोस्त दिल की किताब बन जाते हैं। यही कारण है कि बाहर की दोस्ती ज़्यादा मजबूत और गहरी होती जाती है।

आख़िरकार, यह कहानी यही सिखाती है कि इंसान को सबसे पहले अपने घर-परिवार में प्यार और अपनापन देना चाहिए। अगर यह न मिले, तो रिश्तों की नींव कमजोर हो जाती है, और फिर इंसान बाहर उसे ढूँढने लगता है। दोस्ती भले ही अनमोल है, परंतु परिवार का स्थान कोई नहीं ले सकता। इसीलिए ज़रूरी है कि हर घर में प्यार और समझ बनी रहे, ताकि बच्चों को अपनी तलाश बाहर न करनी पड़े।