House no105 (Unsolved Mystery) - 10 - Last Part in Hindi Horror Stories by silent Shivani books and stories PDF | House no105 (Unsolved Mystery) - 10 - Last Part

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House no105 (Unsolved Mystery) - 10 - Last Part

मीरा सब कुछ ठीक करना चाहती थी,वो जानती थी, कि जैसे अनुराधा का बच्चा इस दुनिया में नहीं आया वैसे ही उसका भी नहीं आयेगा...
और मीरा किसी भी हाल में अपना बच्चा इस दुनिया मे लाना चाहती थी...

आरव : कहा गई थी तुम, मै तुम्हारा कबसे वेट कर रहा हूं, फोन क्यूं बंद था तुम्हारा....??

मीरा: शायद चार्जिंग खत्म हो गई है, मेरे फोन की...!!
आरव : क्या हुआ मीरा?? तुम परेशान लग रही हो??

मीरा : नहीं तो !! मै बिल्कुल ठीक हूं ( क्या करूं आरव को बता दूं, कि मैं प्रेग्नेंट हूं??)
आरव : क्या हुआ है, इतनी कंफ्यूज क्यूं हो ??

मीरा : आरव तुम्हें कुछ बताना है, 

आरव : हां बताओ....

मीरा : आरव मै प्रेगनेंट हूं!!

आरव : वाॅट??? क्या सच मे मीरा, ( वो उसे हग करता है) तुम्हें कब पता चला??

मीरा : आज सुबह डॉ.ने फ़ोन किया था, तभी मुझे पता चला...

आरव : और तुम मुझे अब बता रही हो , सिरियली मीरा???

मीरा : हां मुझे लगा, तुम आओगे तब बता दूंगी...

आरव : तुम खुश नहीं हो??

मीरा :मै बहुत खुश हूं, आरव ( मीरा आरव को हग करती है) 
तुम मेरे साथ चलो...

आरव : कहां ??

मीरा आरव को वहीं कमरे में ले जाती है, 
आरव :तुम मुझे यहां क्यूं लाई हो? कितना अंधेरा है, यहां...

मीरा कमरे की लाईट ऑन करती है, क्या तुम यहां पहले आये हो?? ( मीरा ने पुछा)

नहीं मीरा यहां ताला लगा था, रमेश जी ने कहा था ये तहखाना है, यहां बस चूहे है तो मैंने इसे नहीं खोला... मुझे लगा हम सिर्फ दो ही लोग हैं, इसलिए इस कमरे की कोई जरूरत नहीं है... इसलिए मैंने इसे नहीं खुलवाया मुझे लगा था कि बाद में हम इस कमरे के लिए कुछ और प्लान करेंगे...

मीरा आरव को अनुराधा और अनुराग के होने के सभी सबूत बताती है, जैसे कुछ लेटर , टेलीफोन, बडा सा मिरर... बस उस कमरे में एक ही चीज नहीं थी, वो थी अनुराग और अनुराधा की तस्वीर जिससे शायद सबकुछ साफ हो जाता कि मीरा जो भी महसूस कर रही है, वो सच है,
आरव : तो क्या हुआ, अफकोर्स हमसे पहले भी, यहां कोई रहता होगा...

मीरा : ( आरव को उस कमरे से बाहर लाती है) आरव यहां से चलो, ये घर हमारे लिए सेफ नहीं है, प्लीज़ यहां से चलो... यहां हमारा बच्चा सेफ नहीं है,

आरव : मीरा क्या कह रही हो तुम?? ऐसा कुछ नहीं है, तुम टेंशन मत लो... 

मीरा : तुम समझ क्यूं नहीं रहे हो आरव??? ( उसने जोर से चिल्ला कर कहा, और जमीन पर गिर पड़ी)

आरव : क्या हुआ मीरा...?? 

( आरव उसे उठाकर सौफे पर रखता है, और डाॅक्टर को बुलाता है, )

(सब कुछ ठीक है, मिस्टर आरव , ऐसी हालत में अक्सर चक्कर आना नार्मल है, पर फिर भी आप इनका ध्यान रखिए,, और ज्यादा से ज्यादा इन्हें आराम करने दिजिए)

मीरा होश में आती है....

तुम यहीं आराम करो.. मीरा, मै तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाता हूं....( आरव ने कहा)

मीरा खिड़की पर खडे होकर, बाहर देख रही थी.. रात के करीब 8बज रहे थे, पर सबकुछ बिल्कुल सुनसान था... बाहर उसकी नजर फिर झूले पर पड़ती है, पर झूला इस बार खाली था... अचानक वो नियती को डाॅल लेकर आते हुए देखती है, बाल बिलकुल बिखरे हुए, हाथ मे डाॅल , और धीरे से नियती झुले पर बैठती है... झूला अपनी गति से तेज झूल रहा था, तभी मीरा अपने कानों में फुसफुसाने की आवाज सुनती है, ( तुम यहां से जाना चाहती हो , मै वहां भी आ जाऊंगी, और फिर खिलखिला कर हंसने की आवाज....)

मीरा जोर से चीख कर उठती है, आरव दौड़कर आया... 
आरव : क्या हुआ??? मीरा, कोई सपना देखा???
सपना था,, मीरा  चैन की सांस लेती है, 
हां आरव शायद मैंने सपना देखा ( मीरा ने कहा)
आरव मीरा को हग करता है, तुम्हें पता है मीरा मै तुम्हारे बिना नहीं सकता,, पता नहीं आज कुछ अजीब सा फील हो रहा है, "आरव ने कहा"

आय लव यू टू आरव तुम टेंशन मत लो मै हमारा बेबी हम दोनों बिल्कुल ठीक है,,

ठीक है, तुम आराम करो ..."इतना कहकर आरव‌ कमरे से बाहर चला गया"

मीरा: ये सपना नहीं, ये नियती ने मुझे बताया है कि मै कही सेफ नहीं हूं, वो मुझे हर जगह ढूंढ सकती है, मतलब मै कहीं भी जाओ, नियती हर जगह मेरे साथ रहेगी....

अगर मुझे अपने आप को और मेरे बच्चे को बचाना है तो मुझे पास्ट में जाकर नियती को बचाना होगा, और अनुराधा को भी, अगर दोनों बच गए तो मै और मेरा बच्चा भी, अपने आप बच जायेगा....???

मीरा अब सिर्फ  रात 3:30 का इंतजार कर रही थी, आरव के सोने के बाद मीरा बिल्कुल अनुराधा की तरह तैयार होकर घडी के सामने खड़ी थी, 
आज मे सबकुछ ठीक कर दूंगी, घडी की सुई मीरा की धड़कनें तेज बढा रही थी, मीरा ने ऐक बार अपने पेट पर हाथ सहलाते हुए कहा, मम्मा आपको कुछ नहीं होने देगी, बेबी आप जरूर इस दुनिया में आओगे आय लव यू बेबी....

घडी की सुई एक बार फिर 3:30 का टाइम बता रही थी, और फिर हमेशा की तरह सब कुछ वैसे ही हुआ जैसे रोज होता है, 

अब मीरा पास्ट में आ चुकी थी, उपर से खेलने की आवाजे आ रही थी, 
मुझे पकडो, अनुराधा....( छोटी बच्ची के हंसने की आवाज)
मीरा धीरे धीरे ऊपर ग ई...

ओफ हो नियती मै तो थक गई, कितना दौड़ती हों तुम?? ( अनुराधा ने कहा)

अनुराधा मैम साब वो कमरे में धुआं कर दिया है, क्या मै अब जा सकता हूं!! ( एक नौकर ने आकर कहा)
ठीक है, चंदू अब तुम जाओ ( अनुराधा ने कहा)

नियती अब तुम सो जाओ... तुम्हारे मां पापा तो देर रात तक आयेंगे!! तुम थोड़ी देर आराम करो...

अनुराधा ये कोई सोने का समय है, दिन मे कोई सोता है भला!!!  ( नियती ने अपनी प्यारी सी आवाज में कहा)

नीचे किसी के आने की आहट हुई...
शायद वासू आ गया ( अनुराधा ने कहा)
अब क्या करूं?? अगर नियती ने इसे देख लिया तो सबको बता देगी...

नियती हम न लुकाछिपी खेलते हैं, तुम जाओ छुपो मै तुम्हे ढूंढूंगी!!! ( अनुराधा ने कहा)
पर मै कहा छिपूंगी??? ( नियती ने कहा)

ये कमरे में जाकर छुप जाओ, और जब तक मै न ढूंढ लू तब तक तुम बाहर मत आना.... ( अनुराधा ने कहा)

अनुराधा नीचे चली गई....

मीरा ने धीरे से जाकर कमरा खोल दिया...
अरे तुमने तो मुझे इतने जल्दी ढूंढ लिया...( नियती ने कहा) 
हां नियती, अंदर बहुत धुआं हो रहा था, न इसलिए , तुम जाकर मेरे कमरे में खेलो में अभी आई... ( मीरा ने कहा)

मीरा अब धीरे से नीचे ग ई उसने अनुराधा और अनुराग की बातें सुनी, 
तुम अभी चलो मेरे साथ ( वासू ने उसका हाथ पकड़ कर कहा)
नहीं वासू तुम जाओ यहां से देखो मै अभी नहीं आ सकती समझने की कोशिश करो ( अनुराधा ने कहा)
वासू गुस्से में वहां से निकल गया, 

अनुराधा भी उपर चली गई...

थोड़े देर के लिए सब कुछ शांत हो चुका था, जैसे वो दिन निकल गया हो, और दूसरा दिन आ गया हो.... मीरा की नजर टेबल पर रखी डायरी पर जाती है, उसने वो डायरी उठाई....

मीरा के दिल में एक राहत थी कि उसने नियती को बचा लिया,

तभी बाहर एक गाड़ी आकर रुकती है, मीरा डायरी में खोई हुई थी, उसने आवाज नहीं सुनी,, 
पीछे से अनुराग ने उसके कंधे पर हाथ रखा, मीरा थोडा डर गई... मीरा समझ गई थी कि अनुराग उसे अनुराधा समझ रहा है,

वो पीछे पटली, आरव को वो अनुराग के रूप में देखकर, वो थोड़ा घबराई... उसने मन मे सोचा भलेहि चेहरा सेम है, पर मेरा आरव मुझ पर जान देता है, और ये इसने अपनी ही बीवी की जान लेली....

क्या कर रही हो तुम??? ( अनुराग ने जोर से चिल्लाकर कहा)
कुऽऽऽछ नहीं, मै बस ( मीरा हिचक कर बोली)

ये क्या हैं, अनुराग ने मीरा के हाथ से डायरी छीनी... डायरी अनुराधा की थी, और उसमें अनुराधा और वासू के भागने वाली बात लिखी थी, 
अनुराग गुस्से से तिलमिला उठा, वो उपर गया और गन लेकर आया.... मीरा इससे पहले कुछ बोल पाती...
अनुराग ने धड़ाधड़ तीन चार गोलियां मीरा के उपर चला दी... ...और मीरा जिसे अनुराग ने अनुराधा समझ कर मारा था, वो इस टाइम लाइन में ही मर गई.....


( पास्ट कभी ठीक ही नहीं हुआ, जब मीरा ने नियती को कमरे से बाहर निकाल कर दुसरे कमरे में जाने को कहा,तब नियती बाहर तो निकल गई... पर उसकी डॉल वहीं रह गई थी, और उसे लेने नियती फिर से कमरे में गई, तेज हवा की वजह से दरवाजा जोर से लग गया, और दरवाजा जाम होने की वज़ह से, अटक गया, नियती ने आवाज भी लगाई, पर अनुराधा ने खोला ही नहीं, और मीरा तब तक दूसरी टाइम लाइन में चली गई थी, जहां अनुराग ने उसे अनुराधा समझ कर मार डाला....
फिर धुआं बढ़ने लगा, और दम घुटने की वजह से नियती की मौत हुई)

उसके बाद सबकुछ वैसे ही हुआ जैसा कि उस बूढ़ी औरत, ने मीरा को बताया था....

मीरा ने पास्ट में जाकर सबकुछ ठीक करने की कोशिश की पर सब कुछ वैसे ही हुआ, जैसा होना तय था.... न वो नियती को बचा पाई और न ही अपने बच्चे को, और हमेशा के लिए टाइम लूप मे फंस कर रह गई... पर क्या ये टाइम लुप कभी खत्म होगा, क्या नियती की आत्मा फिर से अनुराधा को ढूंढेगी????

चार महीने बाद.....

कितना प्यारा घर है ऋषभ , ये तो मेरी एक्सेप्टेशन से बहुत बडा है....

राजेश ( केयरटेकर): लगता है मेडम जी को घर बहुत पसंद आया...

हां मुझे बहुत पसंद आया... वाओ यहां झूला भी है??

ऋषभ: हां देखो तुमहे झूला पसंद है न???

ये डॉल किसकी है??? "उस न ई लड़की ने कहा"

ये क्या राजेश जी, मैंने आपसे कहा था न, पुराना सामान बाहर निकाल दिजिए...
साॅरी सर कुछ रह गया होगा मै कल साफ करवा दूंगा....
ये इतनी बड़ी घडी क्यूं???
मैडमजी ये पहले से ही लगी है, आप चाहें तो हटवा सकते हैं.....

( फिर एक नया कपल ,मतलब ये टाइम लुप कभी खत्म नहीं होगा!!!)


The End.......

आपको कहानी कैसी लगी??? प्लीज़ काॉमेट में बताये......!!!🙏🙏