गाना बज रहा था और मै पुरानी यादो मे खोती जा रही थी ।
वो सोमवार का दिन था और मै हफ्ते कि शुरुआत मे ही थक गई थी । आखिर किसको फसंद है मन डे ! मैने क्लास मे आकर अपनी सीट पर पैर जमाए और झटके के साथ बैठ गई।
आज कॉलेज आने का बिल्कुल भी मन नहीं था, पर ये मम्मी मुझे भेज ही देती है ! अगर एक दिन कॉलेज नहीं गई तो क्या हो जाएगा ?
इतना सोचते-सोचते मैंने अपनी नोटबुक और बुक निकाली। इतिहास...जो मुझे पसंद था, पर मैं इस विषय में थोडी कमज़ोर थी। मुझे ये तारीखें याद नहीं आ रही थीं। मैंने पहला अध्याय पढ़ना शुरू किया, तभी मेरी सहेली आ गई। जैसे ही वो आई, मैंने पढ़ना बंद कर दिया, उसकी बात सुनी और जो कहना था वो बोलना शुरू कर दिया।
पूरी क्लास में शोर था और अब कोई कुछ नहीं कर रहा था, सब अचानक से चुप हो गए। मेरी सहेली भी चुप हो गई पर मैं नहीं। मैं अभी भी बोल रही थी। और मेरी सहेली! कभी वो डर कर मेरे सामने देखती तो कभी दूसरी तरफ!
"क्या हुआ?", मैंने उससे पूछा और उसने सामने की तरफ इशारा किया। जब मैंने सामने देखा तो मैं दंग रह गई! मेरे सामने एक 24-25 साल का लड़का खड़ा था और मेरी तरफ देख रहा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कहाँ जाऊँ , क्या करु ! ना जाने क्या हुआ और मै खो गई उसकी गहरी भूरी आंखो मे ।
अचानक से मेरी दोस्त ने मुझे हिलाया और मैं होश में आई।
"क..क्या हुआ?" , मैने हडबडी मे कहा ।
" मै बताता हू ! आप मेरी क्लास मे खुली आंखो से नींद ले रही थी वो भी खडे होकर ! " , लडके ने कहा ।
" मेरी क्लास ! " , मै बुदबुदाई और मेरे साथ पुरी क्लास खुसुर-पुसुर करने लगी ।
" साइलेंस ! " , वो तेज आवाज मे बोला और सब शांत हो गए।
" मै आपका प्रोफेसर अमर राजपूत और अब से मै आप लोगो को हिस्ट्री पढाने वाला हूं । मेरी क्लास के कुछ नियम है और अगर मेरी क्लास मे आना है तो नियमो का पालन करना होगा । अंडरस्टेंड ! " , अमर बोला ।
सभी आपस मे बात करने लगे कि एक बार फिर अमर ने अपनी आवाज से सबको शांत कर दिया । मेरी आंखे अपने आप ही बंद हो गई और उसकी आवाज सुनने लगी । वो रूल्स बता रहा था और मै...मै बस उसकी आवाज को आपने अंदर घुलते हुए महसूस करने लगी ।
तभी एक आवाज आई और मै हडबडा गई।
" मिस अब आप बैठेंगी या मुझे आपको बिठाना होगा ! "
अमर ने कहा और मै झेंप गई। मै चुपचाप बैठ गई और वो पढाने लगा ।
अगर उस दिन मै अमर से ना मिली होती तो शायद कभी भरोसा नही कर पाती पहले नजर के प्यार पर । मेरे लिए भी प्यार बॉलीवुड मुवी मे दिखाई देने वाला ही था । जैसे मेरी उम्र कि बाकी लडकिया की फैंटेसी थी वैसे ही मेरी भी थी । कच्ची उम्र का प्यार और उसमे छुपा लड़कपन ! मै भी इस से अछूती ना रही ।
मै अमर को निहारने लगी और तभी उसकी नजर मुझ पर चली गई।
उसने मेरी तरफ इशारा किया तो मै खडी हो गई।
" बताओ अभी क्या पढाया मैने ? "
उसने कहा और मैने एक नजर बुक को देखा फिर बोर्ड। और बता दिया कि अभी क्या पढाया गया था ।
वो हैरान था । बिना क्लास मे ध्यान लगाए आखिर कैसे मैने सब बता दिया इस से भौचक्का था वो। हालांकि कुछ चीजे छुट गई थी लेकिन मोटा मोटा मैने बता दिया था ।
" बैठो ! ", उसने कहा और मै मुस्कुराते हुए बैठ गई।
मै पढाई मे अच्छी थी । वो बात अलग है कि मेरा पढाई की तरफ रुझान कम था । लेकिन फिर भी पहले से ही अगले दिन पढाए जाने वाले टॉपिक स्टडी करती थी । कुछ सपने थे मेरे जिनके लिए मुझे पढाई करनी ही थी और मै कर रही थी ।
क्रमशः
इस भाग मे इतना ही और मिलते है अगले भाग के साथ ।
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