ये "
कस्तूरी ने किचन से बाहर झांकते हुए कहा....
" ये तो यही के बच्चों ने बनाया है "
कस्तूरी ने कहा तो वो हैरान रह गया
"'जानती हो बिल्कुल ऐसा ही लैंप मैंने बाजार से खरीदा था ... मुझे बहुत पसंद आया था "
अमोघ ने कहा
" हां तो यही से गया था ....वो...हम हर साल एक एग्जीबिशन लगाते हैं...ये लैंप यहां के एक दुकानदार को इतना पसंद आया कि उसने एक साथ पचास पीस का आर्डर दे दिया था "
कस्तूरी ने कहा
" वाकई....ये बच्चे अलग है"
अमोघ ने कहा तो वो मुस्कुरा दिया
" आय एम सॉरी...पता होता आप आ रहे है तो कुछ अच्छा बना देती ....आज तो ये सिंपल सी दाल ही है "
कस्तूरी ने कहा
" जरूर बताऊंगा अगर ये....हक तुम मुझे दे सको तो "
अमोघ ने कहा तो कटोरे में दाल डालते हुए उसके हाथ कांप उठे... पूरा चेहरा लाल पड़ गया था उसका
" तुमने बनाया है????
अमोघ ने पूछा....
" तो कस्तूरी ने ना में सर हिला दिया.... वैसे तो अपना खाना खुद ही बनाती हूं...पर आजकल कांचल बना रही है...बुखार के कारण......
कस्तूरी ने कहा
" पर मैं बता दूं.... खाने में नाम के मसाले है...मैं हमेशा से कम मसाले वाला खाना खाती हूं "
कस्तूरी ने कहा
"'तुम भी बैठो...ना ....
अमोघ ने कहा....तो वो उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई
अमोघ ने खाने की प्लेट थोड़ी आगे सरका दी....वो प्लेट अब दोनों के बीच में थी..... अमोघ ने उसे आंखों के इशारे से खाने को कहा....तो वो मना ना कर पाई.... उसने एक निवाला उठा कर मुंह में डाल लिया .....एक अजनबी सी मुलाकात से शुरू हुआ ये रिश्ता आज कितना मजबूत हो गया था
रात के वक्त वो दोनों सैर के लिए गार्डन चले गए
" कस्तूरी"
उसने चलते हुए कहा
"'जी "
उसने कहा
" शादी करोगी मुझसे "
अमोघ ने कहा तो वो एकदम से रुक गई.... उसने हैरानी से अमोघ को देखा
" अगर मैं कहूं....कि मुझे तुम्हारे साथ हर चीज मंजूर है.....अगर मैं कहूं...कि इन बच्चों के लिए मेरा एक कमिटमेंट रहेगा हमेशा....जितना भी मैं कर पाऊं....अगर मैं कहूं....कि मैं कभी तुम पर कोई और जिम्मेदारी नहीं डालूंगा....अगर मैं कहूं....कि तुम्हारा इंतज़ार कर सकता हूं.....जितना वक्त तुम चाहो..... फौजी हूं....सब्र के मामले में तुम्हें कभी निराश नहीं करुंगा तो....
उसने एक नजर कस्तूरी पर डाली जो अभी भी शॉक में थी
" जानता हूं... शादी सारी उम्र का रिश्ता होता है....तो अपने बारे में बता दूं....मेरा नाम अमोघ रघुवंशी है ... इंडियन नेवी में कमांडर की पोस्ट पर हूं....फिल्हाल पुरी में पोस्टिड हूं....बनारस का रहने वाला हूं..... परिवार में मां बाप के अलावा दो भाई और बहन है.... जिनमें मैं सबसे छोटा हूं.....
मेरे परिवार का कपड़े का कारोबार है.... दोनों भाई भी वही है... भाभियां हाउसवाइफ है और बहन भी शादीशुदा है...
अमोघ ने कहा और खामोश हो गया
वहीं कस्तूरी की आंखों में नमी उतर आई थी.....अमोघ ने उसकी और देखा और कहा
" मेरी तरफ से कोई दबाव नहीं है कस्तूरी.... तुम्हारी ना भी सर आंखों पर होगी....जानता हूं.... तुम्हारा मकसद जिंदगी की बहुत सारी छोटी छोटी चीजों से कहीं ऊपर है..... मैं बस तुम्हारा साथ देना चाहता हूं....और तुमसे बस थोड़ा प्यार चाहता हूं......बाकी जिंदगी के हर कदम पर मैं रहूंगा तुम्हारे साथ....इसलिए आराम से सोच कर फैसला लेना ....
अमोघ ने कहा
कस्तूरी....को कब से इंतजार था... इस पल का लेकिन आज सारे शब्द कहीं खो से गए थे....फैसला लिया था कभी शादी नहीं करेंगी.....कौन सा इंसान उसे इस तरह अपनाएगा...सादे कपड़े....ना कोई साज और ना कोई श्रृंगार....ऊपर से ज्यादा कुछ नहीं दे पाएगी अपने जीवनसाथी को....हर किसी की उम्मीदे होती है.... अपने जीवनसाथी से....वो जानती है वो उन पर खरा नहीं उतर पाएगी..... लेकिन अमोघ..... कहां से आया था ये इंसान.....जो उसे हर कंडीशन के साथ अपनाना चाहता था ....
" चले..... नहीं तो फिर बीमार पड़ जाओगी..... वैसे भी अभी फेरे नहीं लेने है।।।।।
अमोघ ने हंसते हुए कहा.....
उसने कस्तूरी का हाथ पकड़ा और घर की और चल दिया.... कस्तूरी की नजरें सारा रास्ता उसके पकड़े हुए हाथ पर गई....
उसने एक बार भी हाथ छुड़ाने की कोशिश नहीं की....
अमोघ को आए पंद्रह दिन हो गए थे.... उसने ये पंद्रह दिन वैसे ही गुजारे थे.... जैसे पहले बीस दिन उसके गुजरे थे...इन पंद्रह दिनों में एक बार भी उसने कस्तूरी से जवाब नहीं मांगा
उसने अपनी बात कह दी थी... अब जवाब देने की बारी कस्तूरी की थी.... वो कब देती है...कैसे देती है.... ये पूरी तरह से उसका फैसला था और वो उसके इस फैसले का सम्मान करता था..... आखिरकार शादी ब्याह मजाक तो नहीं होते
उसके वापस जाने की एक रात पहले दोनों नदी किनारे बैठे हुए थे....दोनों लंबे वक्त से खामोश थे
" मेरा एक भाई था.... मेरे मां-बाप की पहली संतान थी...
कस्तूरी ने खामोशी तोड़ते हुए कहा
" तब बहुत खुश हुए थे वो... हेल्दी बच्चा था... दिखने में सुंदर था.... मेरी मां तो उसकी बलाएं लेती नहीं थकती थी....पांच महीने का था....वो।।।जब उसे एक अटैक आया ....मां पापा तुरंत डॉक्टर के पास लेकर भागे.... लेकिन डॉक्टर को कुछ समझ में नहीं आया... कोई कहता कि दिमाग पर बुखार चढ़ गया है और कोई कहता कि बच्चे में पैदाइशी कोई फॉल्ट था ....लेकिन एक्जेक्टली क्या था.... किसी को समझ में नहीं आया ...मां पापा उसे लेकर कहां नहीं गए... दुनिया के किस कोने में नहीं गए ....पर वह ठीक नहीं हुआ.....दस साल का होकर वो गुजर गया....और इन दस सालों में उसने नरक झेला था ....बैठ नहीं सकता था ....बोल नहीं सकता था ..... कितनी रातें रो कर गुजरती थी उसकी.... क्योंकि बता तो सकता नहीं था कि उसे क्या तकलीफ़ हो रही है....मेरी मां उसे संभालती रह जाती.....धीरे धीरे मां डिप्रेशन में जाने लगी..... उसकी मौत के बाद मां का भी जिंदगी से मोह टूट गया ....और छः महीने बाद वो चली गई....महज सात साल की थी मैं....तब....डैड ने जैसे तैसे संभाला हमें....
कहते हुए वो सिसक उठी..... अमोघ ने उसका हाथ थाम लिया
" मेरे लिए ये कोई मोरल ड्यूटी नहीं है अमोघ....ये मेरी जिंदगी है.....अगर मैं किसी बच्चे की जरा सा भी मदद कर सकूं...तो जरूर करुंगी....ताकि कोई मां ऐसे ना तड़पे जैसे मेरी मां तड़पी थी......
रोते हुए उसने अमोघ के कंधे पर सर रख लिया
" हां तुम पसंद हो मुझे......पर मैं तुम्हें कुछ नहीं दे सकती अमोघ.....मेरे साथ तो वक्त भी तुम्हें टुकड़ों में मिलेगा ..... तुम्हारे परिवार को भी तो कोई उम्मीद होगी तुम्हारी जीवनसाथी से.... उनके साथ भी अन्याय हो जाएगा "
कस्तूरी ने कहा.....पर अमोघ ने कुछ नहीं कहा .....वो बस उसका सर सहलाता रहा .....जब तक वो शांत नहीं हुई
" अच्छा लग रहा है अब....
उसने पूछा
"हां..... बहुत बेहतर "
उसने कहा
" मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए कस्तूरी.....इन बच्चों की तरह मुझे भी अपना लो बस ....जब साथ रहने का बहाना होगा तो वक्त भी निकल ही जाएगा ...और हां परिवार से बात करके ही आया हूं..... उन्हें कोई प्रोब्लम नहीं है.... इन्फैक्ट दे आर प्राउड ऑफ यू.....हम देश की भविष्य की सुरक्षा करते हैं तो तुम....तुम उस फ्यूचर को सही दिशा देती हो... गुरु की पदवी यू ही इतनी ऊंची नही होती.....और मेरे घर वाले इस बात को समझते है "
अमोघ में कहा और उसके बाल खोल दिए
" कितने वक्त से कहना चाहता था... बस कभी कहा नहीं खुले बालों में बहुत खूबसूरत लगती हो तुम....तो बताओ अब बारात लेकर आ सकता हूं "
अमोघ ने कहा तो वह नम आंखों से भी मुस्कुरा दी...
अमोघ ने आगे बढ़कर उसका माथा चूम लिया
अगली सुबह जब वो तैयार हो रही थी....तो अमोघ ने पीछे से आकर उसकी कमर पकड़ ली.....वो चौंक उठी
" आदत डाल लो ... कस्तूरी..... बहुत हिसाब किताब वसूलना है तुमसे "
अमोघ ने कहा तो वो मुस्कुरा दी... अचानक ही अमोघ ने अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख दिए और वहां फिराने लगा .... कस्तूरी का रोम रोम कांप गया....पैंतीस साल के इस सफर में पहली बार ऐसे स्पर्श से रुबरु हुईं थीं.... दोनों के हाथ आपस में बंध गए थे.... उसकी गर्दन पर आकर एक जगह वो आकर रुक गया....और वहां बहुत गहरे से चूम लिया....वहीं जगह जहां चूमते हुए कस्तूरी के साथ बहुत जोर से कस गए....अमोघ मुस्करा दिया.... बिल्कुल सही जगह पकड़ी थी उसने...... अपने अंदर बहते हुए जज्बात जब वो रोक ना सकी....तो पलट कर उसने अपने होंठों को अमोघ के होंठों पर रख दिया..... दोनों का छूना हर पल ....हर सेकेंड गहरा होता गया.... कस्तूरी के लिए ये पल छप गया था उसके अंदर....उसका पहला स्पर्श उसके लिए.....जो उसे पसंद था....और हर तरह से उसी का था.....जाने से पहले इस मीठी से छुअन ने दोनों के दिलों को भिगो दिया था ।।।।।
ठीक छः महीने बाद उसकी और अमोघ की शादी सादगी से ही..... सितारे में हुई..... शादी के बाद जो डर कस्तूरी को था....वैसा कुछ नहीं हुआ.....अमोघ और उसके घरवाले दोनों ही बहुत सुलझे हुए थे....वो अक्सर छुट्टियां लेकर आता तो
कुछ वक्त कस्तूरी के साथ बिताता और कुछ परिवार के साथ .... कस्तूरी भी साल में दो से तीन बार बनारस जाती थी....कभी दस था पंद्रह दिनों के लिए....सब ठीक चल रहा था ....अमोघ का प्यार कस्तूरी के लिए हमेशा पहले से ज्यादा ही होता था
" आठ साल बाद "
सितारे.....
वो अपने कमरे में आराम से सोया हुआ था.... उसकी बगल में पांच साल की दो बच्चियां सो रही थी ....
" अरे ओ फौजी साहब चाय बन गई है आ जाइए "
बाहर से आई आवाज से उसकी नींद खुली
उसने देखा तो घड़ी में सुबह के नौ बज रहे थे.... उसने एक नजर पास में सोई हुई दोनों बच्चियों पर डाली और उन्हें अच्छे से ढ़क दिया.... वो उठा और बाहर आ गया
कांचल ने उसकी चाय टेबल पर रख दी......
" थैंक्यू "
अमोघ ने कहा....वो मुस्कुरा दी
बच्चों को उठा दूं....
कांचल ने पूछा
" सोने दो उन्हें... उठ गई तो कस्तूरी को कुछ नहीं करने देंगी अमोघ ने कहा और अपनी चाय उठा खिड़की के पास आ गया उसने देखा तो बाहर गार्डन में कस्तूरी बच्चों के साथ मगन थी....उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई
कस्तूरी..... जितना सादा नाम..... उससे कहीं सादा जीवन और किरदार....... शादी के बाद भी उसमें मंगलसूत्र और सिंदूर के अलावा कोई बदलाव नहीं आया था......वहीं सूती साड़ी और गूंथी हुई चोटी..... जिससे उसे हमेशा से प्यार था
वो जब से उसकी जिंदगी में आई थी..... उसकी खुशियां दोगुनी हो गई थी.....
कांचल से जब उसे कस्तूरी का बैकग्राउंड पता चला था... तो वो हैरान रह गया था.... दिल्ली के एक बहुत बड़े उद्योगपति की बेटी थी वो...जिनके पास अरबो की संपत्ति थी.... लेकिन वो हमेशा से इस चकाचौंध से दूर रही थी और आज भी है
कस्तूरी --- जन्म से राजकुमारी और कर्म से योगिनी....
वो अक्सर कहा करता था