RADHA AND SIBU LOVE STORY in Hindi Fiction Stories by JAYANT VERMA books and stories PDF | राधा और सीबू

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राधा और सीबू

ग्रामीण छवि और शहरी सिबू की प्रेम कहानी
यह कहानी एक छोटे से गाँव की मासूम लड़की, राधा, और शहर से पढ़ाई करके लौटे सिबू की है। यह प्रेम, आकर्षण, और सामाजिक बंधनों के बीच की जटिलताओं की कहानी है, जो ग्रामीण जीवन की सादगी और शहरी जीवन की चमक के बीच टकराव को दर्शाती है।

प्रस्तावना: गाँव की राधा

राधा, एक 20 वर्षीय लड़की, गंगा किनारे बसे एक छोटे से गाँव, सूरजपुर में रहती थी। उसका जीवन सादगी से भरा था। सुबह-सवेरे वह खेतों में काम करती, गायों को चारा देती, और दोपहर में अपनी छोटी बहन के साथ गंगा के किनारे मिट्टी के बर्तन बनाती। राधा की आँखों में एक अनकही चमक थी, और उसका चेहरा गाँव की मिट्टी की तरह सादा, पर सुंदर था। उसकी लंबी चोटी और रंग-बिरंगे दुपट्टे गाँव के हर नौजवान के दिल में हलचल मचाते थे, पर राधा का मन इन बातों से दूर था। वह अपने सपनों में खोई रहती—सपने जो गाँव की सीमाओं से परे थे, पर जिन्हें वह शब्दों में बयाँ नहीं कर पाती थी।

सिबू का आगमन

सिबू, जिसका पूरा नाम सिद्धार्थ था, दिल्ली में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करके गाँव लौटा था। वह अपने पिता की बीमारी के कारण कुछ महीनों के लिए सूरजपुर आया था। सिबू का व्यक्तित्व शहरी रंग में रंगा था—जींस, चमकदार जूते, और एक ऐसी मुस्कान जो गाँव की लड़कियों को चौंका देती थी। उसका घर गाँव के सबसे बड़े ज़मींदार का था, और उसकी वापसी ने गाँव में चर्चा का बाज़ार गर्म कर दिया।
एक दिन, गंगा किनारे राधा मिट्टी के कुल्हड़ बना रही थी। सूरज ढल रहा था, और आसमान में लालिमा छा रही थी। तभी सिबू वहाँ टहलता हुआ आया। उसने राधा को देखा, जो मिट्टी से सने हाथों से कुल्हड़ को आकार दे रही थी। उसकी सादगी और मेहनत ने सिबू का ध्यान खींचा। वह पास आया और बोला, “यह कुल्हड़ इतने सुंदर कैसे बनते हैं? क्या राज़ है?”
राधा ने हँसते हुए जवाब दिया, “कोई राज़ नहीं, बस मिट्टी और मेहनत का प्यार।” उसकी आवाज़ में मासूमियत थी, जो सिबू के दिल को छू गई। यह उनकी पहली मुलाकात थी, और यहीं से उनकी कहानी शुरू हुई।

प्यार की शुरुआत

अगले कुछ हफ्तों में सिबू और राधा की मुलाकातें बढ़ने लगीं। सिबू अक्सर गंगा किनारे आता, और राधा के साथ बातें करता। वह उसे शहर की कहानियाँ सुनाता—बड़े-बड़े मॉल, चमचमाती गाड़ियाँ, और कॉलेज की मस्ती। राधा चुपके से सुनती, और उसकी आँखों में एक नई दुनिया की तस्वीर उभरती। सिबू को राधा की सादगी और उसकी हँसी में सुकून मिलता था, जो उसे शहर की भागदौड़ में कभी नहीं मिला।
एक दिन, सिबू ने राधा को अपने साथ गाँव के मेले में चलने के लिए कहा। राधा पहले हिचकिचाई, क्योंकि गाँव में ऐसी बातें जल्दी चर्चा का विषय बन जाती थीं। लेकिन सिबू की ज़िद और उसकी प्यारी मुस्कान के आगे वह मान गई। मेले में, सिबू ने राधा के लिए चूड़ियाँ खरीदीं और उसे झूले पर बिठाया। राधा की हँसी मेले की भीड़ में गूँज रही थी, और सिबू उसकी खुशी में खो गया। उस रात, जब वे वापस लौट रहे थे, सिबू ने राधा का हाथ पकड़ा। राधा ने शर्माते हुए अपना हाथ छुड़ाया, पर उसकी आँखों में एक अनकहा प्यार झलक रहा था।

प्यार और आकर्षण की गहराई

समय के साथ, राधा और सिबू का रिश्ता गहरा होने लगा। सिबू राधा को गाँव के बाहर के खेतों में ले जाता, जहाँ वे घंटों बातें करते। एक बार, बारिश के मौसम में, दोनों एक आम के पेड़ के नीचे बैठे थे। बारिश की बूंदें राधा के चेहरे पर गिर रही थीं, और सिबू ने उसे अपने रूमाल से पोंछा। उस पल में, दोनों की नज़रें मिलीं, और एक अनकही खामोशी ने उन्हें बाँध लिया। सिबू ने धीरे से राधा का चेहरा अपने हाथों में लिया और उसे चूमा। राधा ने पहले विरोध किया, पर फिर वह भी उस पल में खो गई। यह उनका पहला चुंबन था—मासूम, पर भावनाओं से भरा।
उनके बीच का आकर्षण अब सिर्फ़ बातों तक सीमित नहीं था। सिबू का स्पर्श राधा के लिए नया था, और उसका मन उसकी सादगी और शहरी आत्मविश्वास के बीच उलझ रहा था। एक रात, जब गाँव सो चुका था, सिबू राधा को गंगा किनारे एक सुनसान जगह पर ले गया। वहाँ, तारों भरे आसमान के नीचे, दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया। सिबू ने राधा के कंधों पर अपने हाथ रखे और धीरे-धीरे उसकी साड़ी का पल्लू सरकाया। राधा ने शर्माते हुए उसे रोका, पर उसकी आँखों में विरोध कम और स्वीकृति ज़्यादा थी। उस रात, दोनों ने अपनी भावनाओं को शारीरिक रूप दिया। यह पल उनके लिए एक नया अनुभव था—प्यार, आकर्षण, और एक अनजानी चाहत का मिश्रण।
सामाजिक बंधन और तनाव
लेकिन गाँव की हवाएँ खामोश नहीं रहतीं। राधा और सिबू की नज़दीकियाँ गाँव में चर्चा का विषय बनने लगीं। राधा के परिवार को जब इस बात का पता चला, तो उनके घर में तूफ़ान आ गया। राधा के पिता, एक सख्त और परंपरावादी इंसान, ने उसे घर से बाहर निकलने से मना कर दिया। सिबू के परिवार को भी यह रिश्ता मंज़ूर नहीं था, क्योंकि राधा एक गरीब परिवार से थी, और सिबू के पिता उसे किसी अमीर और पढ़ी-लिखी लड़की से शादी करवाना चाहते थे।
राधा और सिबू चुपके-चुपके मिलते रहे, पर अब उनकी मुलाकातों में डर शामिल हो गया था। एक दिन, राधा के भाई ने सिबू को गंगा किनारे राधा के साथ देख लिया। उसने सिबू को धमकी दी और राधा को घर खींच ले गया। राधा को उसके परिवार ने कड़ी सजा दी—उसे कमरे में बंद कर दिया गया, और उसकी शादी की बातें शुरू हो गईं।


प्यार का अंत या नई शुरुआत?

सिबू ने राधा से मिलने की हर संभव कोशिश की, पर गाँव की नज़रें और परिवार का दबाव उसे रोक रहा था। वह राधा के लिए अपने दिल की बात कहना चाहता था, पर उसे डर था कि उसका शहर लौटना तय था। एक रात, उसने हिम्मत जुटाई और राधा के घर के पीछे की खिड़की से उसे बुलाया। राधा, आँसुओं में डूबी, खिड़की पर आई।
“राधा, मेरे साथ शहर चल,” सिबू ने कहा। “मैं तुम्हें खुश रखूँगा।”
राधा ने सिसकते हुए जवाब दिया, “सिबू, मेरा गाँव, मेरा परिवार… मैं इन्हें कैसे छोड़ दूं? और तुम, तुम तो शहर की दुनिया के हो। क्या तुम मुझे वहाँ अपनाओगे?”
सिबू ने कोई जवाब नहीं दिया। वह जानता था कि उसका शहर का जीवन और राधा का गाँव का जीवन दो अलग-अलग दुनिया थे। उस रात, दोनों ने एक-दूसरे को आखिरी बार गले लगाया। सिबू ने वादा किया कि वह राधा को कभी नहीं भूलेगा, पर दोनों के दिल में यह सच्चाई थी कि उनका साथ शायद मुमकिन नहीं था।



उपसंहार
कुछ हफ्तों बाद, सिबू अपने पिता की मृत्यु के बाद शहर लौट गया। राधा की शादी गाँव के एक साधारण लड़के से हो गई। लेकिन राधा के दिल में सिबू की यादें हमेशा रहीं। वह गंगा किनारे कुल्हड़ बनाते वक्त अक्सर उस पेड़ की ओर देखती, जहाँ सिबू ने उसे पहली बार चूमा था। सिबू, शहर की चमक-दमक में, राधा की सादगी को याद करता। उनकी प्रेम कहानी अधूरी रह गई, पर वह पल, वह आकर्षण, और वह अनुभव दोनों के दिलों में हमेशा के लिए बसे रहे।