Demon The Risky Love - 96 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 96

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दानव द रिस्की लव - 96

आज पिशाच की जीत हुई.....

अब आगे................

अघोरी बाबा अदिति से कहते हैं...." बेटी उस त्रिशूल का उपयोग करो , , खत्म कर दो उसे...."
अदिति हां में सिर हिलाते हुए त्रिशूल की तरफ देखती हुई उसे उठाने लगती है, , अघोरी बाबा की बात सुनकर गामाक्ष उस चमकते हुए अभिमंत्रित त्रिशूल को देखकर समझ जाता है अब ये शक्ति उसे खत्म कर सकती हैं इसलिए वो अपनी चाल चलता है.....
" ठहरो अदिति....अगर तुमने मुझ पर वार किया तो तुम हमेशा के लिए अपने भाई को खो दोगी.... मैं तो मर जाऊंगा लेकिन तुम्हारे इस भाई और उस विवेक को मारकर ही मरूंगा इसलिए सोच लो....." गामाक्ष एक शातिराना अंदाज से कहता है
अदिति उसकी बात सुनकर घबराकर हाथो को वापस उससे दूर कर लेती है.....उसकी हिम्मत टूटते देख अघोरी बाबा उससे कहते हैं...." इसकी बातों पर ध्यान मत दो ये तुम्हें छलना चाहता है , , इसके अंत से कुछ नहीं बिगड़ेगा... इसलिए खत्म कर दो इसे...." 
गामाक्ष गुस्से में अघोरी बाबा पर वार करता है जिससे वो वहीं अचेत हो जाते हैं और फिर गुर्राते हुए कहता है...." मुझे मेरे काम में रूकावट पैदा करने वाला पसंद नहीं...."
इशान कुछ बोलने के लिए उठता है तभी गामाक्ष उसे घूरकर देखता है जिससे वो चुपचाप वहीं बैठ जाता है....
" लगता है अब तुम सब मरना है...." गामाक्ष सबकी तरफ देखते हुए कहता है 
उसके बाद अपनी शक्ति से उबांक को ठीक कर देता है....उबांक गामाक्ष को देखकर खुश होकर कहता है...." दानव राज मुझे पता था आप मुझे बचाने जरूर आएंगे..." 
गामाक्ष हंसते हुए कहता है...." मुझे तो आना ही था उबांक अब हमारी आजादी बहुत नजदीक है , उसमें तुम्हारा होना बहुत जरूरी है...... उबांक जाओ और अब अपनी भूख मिटाने की तैयारी करो ....अब इन‌ सबको खाकर ही हम यहां से चले जाएंगे...." इतना कहते गामाक्ष उन सब पर नींद का आगोश फैला देता है जिससे सब वही बेहोश हो जाते हैं अब बस अदिति ही बाकी थी जो ये सब देखकर भी गुमसुम सी बैठी हुई थी..... उबांक उन सबकी तरफ बढ़ता है तभी अदिति अपने होश में आती है.....
अदिति अब किसी की जान से खिलवाड़ नहीं होने देना चाहती थी इसलिए गुस्से में खड़ी होकर चिल्लाती है...." गामाक्ष....बस अब और किसी की जान नहीं... तुम्हें मेरी बलि देनी है न ठीक है दो लेकिन मेरी एक शर्त के साथ..." अदिति के इस फैसले से गामाक्ष हैरानी भरी नजरों से उसे देखता हैं...
 लेकिन गामाक्ष के चेहरे पर उसकी जीत खुशी दिखने लगती है इसलिए अदिति से पूछता है...." बोलो क्या शर्त है , हर मरने वाले की आखिरी इच्छा पूरी की जाती है तुम भी बोलो..."  
अदिति अपने आंसूओं को पोछते हुए कहती हैं..." मेरी शर्त ध्यान से सुनो ...इन सबको तुम हाथ भी नहीं लगाओगे और मेरे भाई को ठीक कऱोगे...."
" इन सबको मैं छोड़ दूंगा.... लेकिन आदित्य को नहीं उसे मरना होगा..." 
अदिति घुटनों के बल‌‌ बैठ कर उससे कहती....." देखो मैं तुमसे रिक्वेस्ट करतीं हूं भाई को छोड़ दो...." 
गामाक्ष एक बार फिर मना करता है जिससे अदिति गुस्से में पास ही पड़े खंजर को उठाकर अपने गले पर लगाते हुए कहती हैं......" ठीक है फिर , जब भाई जिंदा नहीं रहेंगे तो फिर मैं क्या करूंगी तुम्हारे साथ जाकर , , मैं अभी अपने आप को खत्म कर दूंगी फिर दे देना तुम अपनी बलि....."
गामाक्ष अदिति के बिहेवियर से बैचेन होकर कहता है..." ठीक है ठीक है, , मैं तुम्हारे भाई को ठीक कर दूंगा लेकिन तुम्हें मरना सिर्फ मेरे ही हाथों है इसलिए ये खंजर नीचे करो...और उस घेरे से बाहर आओ..."
" मैं इस घेरे बाहर तब ही आऊंगी जब भाई का ये घाव ठीक हो जाएगा..." 
गामाक्ष अदिति की बात मानते हुए कहता है...." ठीक है, , तुम्हारी ये इच्छा पूरी कर रहा हूं लेकिन उसके बाद तुम्हें चलना पड़ेगा...."
" अदिति अपनी बात से मुकरती नहीं है.... पहले भाई को ठीक करो...." 
गामाक्ष आदित्य को वहीं लेटा देता है और फिर अपने अंगूठे को उसकी गर्दन पर रखकर कुछ बोलते हुए कहता है..." अब ये ठीक है ,चलो अब ...."
अदिति आदित्य को देखकर कहती हैं...." इन्हें होश कब तक आएगा...." 
गामाक्ष एक सटीक लहजे में कहता है....." सूरज की पहली किरण पड़ते ही इसे होश आ जाएगा....."
अदिति चुपचाप घेरे से बाहर आते हुए कहती हैं..." मैं आखिरी बार विवेक से मिलना चाहती हूं...." 
गामाक्ष कुछ नहीं कहता इसलिए अदिति विवेक के पास जाकर घुटनों के बल‌‌ बैठकर उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए कहती हैं......" विवेक एम सॉरी मैं तुम्हारा साथ इससे आगे नहीं दे पाऊंगी..... शायद हमारा प्यार यही तक के लिए था..... मैं तुम्हारी एक भी बात कही सुनती थी , उसके लिए भी मुझे माफ कर देना..." इतना कहकर अदिति विवेक के माथे पर किस करती है फिर धीरे से उसके होंठों पर किस करके कहती हैं..." .. मैं उम्मीद करती हूं तुम्हें मुझे बेहतर जीवन साथी मिले , , मैं तुम्हें धोखा देकर जा रही हूं....अपना ध्यान रखना और भाई को संभाल लेना...."
अदिति जाते हुए रूककर पीछे मुड़ती है और अपने हाथ में पहने ब्रेसलेट को निकालकर उसके हाथ में रखकर मुठ्ठी बंद करके कहती हैं...."  आई हॉप तुम समझ जाओगे और भाई को भी समझा दोगे...." 
अदिति वहां से उठकर आदित्य के गले लगकर सिसकारियां भरते हुए गामाक्ष के पास पहुंचती है....
" हो गया तुम्हारा मेल मिलाप , , " फिर विवेक को देखकर कहता है..." कितना बोलता था ये अगर तूने मेरी अदिति को हाथ भी लगाया तो अच्छा नहीं होगा , , अब क्यूं नहीं आ रहा है तुम्हें बचाने..." इतना कहकर गामाक्ष हंसने लगता है और अदिति के पास जाकर उसकी आंखों में देखते हुए अपनी आंखों से लाल रंग की रोशनी समा देता है , जिससे अदिति वहीं निढाल सी गिर जाती है और गामाक्ष उसे उठाकर ले जाता है......
गामाक्ष के जाते ही सब तरफ सन्नाटा छा जाता है, , सब बेसुध इधर उधर पड़े थे किसी को कोई होश नहीं यहां क्या हो गया,।।।
............to be continued........
क्या गामाक्ष अपने मकसद में कामयाब हो पाएगा......?
जानने के लिए जुड़े रहिए....