Demon The Risky Love - 95 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 95

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दानव द रिस्की लव - 95

तक्ष ने बदला अपना रुप....

अब आगे..............

तेज तेज हवाएं चलने से खिड़कियां जोरों से खड़खड़ की आवाज करने लगी जिससे सब सहम जाते हैं.....
अघोरी बाबा अपने क्रिया को आगे बढ़ाते हैं.... उबांक फिर से फड़फड़ा शुरू कर देता है लेकिन वो घेरे से बाहर नहीं निकल पा रहा था......
उधर तक्ष को अपने अंदर आग जैसी जलन महसूस होने लगती है जिससे वो अपने पास रखें पानी के जग से पानी को अपने ऊपर उड़ेल लेता है लेकिन उसकी बैचेनी और बढ़ने लगती है,,, तक्ष गुस्से में चिल्लाता है....." ये मुझे क्या हो रहा है कहीं उबांक को किसी को किसी शक्ति ने तो अपने कब्जे में नहीं ले लिया..... नहीं...."
तक्ष अपनी पैशाची शक्ति से उबांक को ढूंढ़ने लगता है थोड़ी ही देर बाद उसके सामने वो दृश्य बन जाता है जिसमें अघोरी बाबा ने उबांक को दैवीय शक्ति में कैद कर रखा था....
तक्ष गुर्राते हुए कहता है...." अघोरी.... नहीं छोडूंगा..." 
तक्ष वहां से जाने लगता है क्योंकि दैवीय शक्ति भी उसे उस पूजा स्थल पर खींच रही थी , , वो गुस्से में सीढियो से नीचे उतरता है , उसकी नज़र बेसुध पड़े आदित्य पर जाती है जिसे देखकर उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ जाती है.....तक्ष उसे देखकर कहता है..." अब मैं बताता हूं गामाक्ष कौन है..."
तक्ष आदित्य को उठाकर चला जाता है इधर अघोरी बाबा की आखिरी आहूति देते हुए कहते हैं....." अब तेरा विनाश निश्चित है पिशाच...." उनके आखिरी आहुति के बाद यज्ञ बेदी स्वरूप में से पीले रंग की रोशनी निकलकर उस छोटे से त्रिशूल में समा जाती है जिसे देखकर अघोरी बाबा कहते हैं....." अब ये पूरी तरह अभिमंत्रित हो चुका है......" 
सब तरफ तेज हवाएं तेज हवाओं के साथ अचानक मौसम में बदलाव शुरू हो जाता है बादलों की तेज तर्रार गर्जना से सबके रोंगटे खड़े हो जाते हैं.....इस अचानक हुए मौसम के बदलाव को समझकर अघोरी बाबा सबको चेतावनी देते हुए कहते हैं....." आप सब सावधान हो जाइए, , वो पिशाच बहुत करीब आ चुका है..." 
सब अघोरी बाबा की बात सुनकर काफी घबराने लगे थे आखिर इशान सबको शांत रहने के लिए कहता है.....
कुछ ही देर बाद मेन डोर धड़ाके के साथ खुलता है क्योंकि तक्ष ने पूरे गुस्से में दरवाजे पर पैर मारा था....सबका ध्यान वहीं जाता है और आदित्य को उसके कंधे पर देख हैरान रह जाते हैं लेकिन अदिति अपने भाई को ऐसे देखकर पैनिक हो जाती है....." भैय्या...."
अदिति घेरे से बाहर निकलने के लिए उठती है लेकिन अघोरी बाबा उसे याद दिलाते हैं कि उसका इसमें रहना विवेक और आदित्य दोनों के लिए जरूरी है.....
लेकिन बेबस अदिति अपने भाई के गर्दन से निकल रहे खून को देखकर  बहुत ज्यादा बैचेन हो उठती है, जो आंसू उसने अब तक रोके हुए थे, अब व़ो पूरी तरह बिखर जाती है और उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं,,, उसी भरे हुए आवाज से कहती हैं....." भैय्या......" अदिति तक्ष को देखकर गुस्से में कहती हैं....." तक्ष तुमने भाई पर वार करके अच्छा नहीं किया.... मैं तुम्हें छोडूंगी नहीं.... अघोरी बाबा खत्म कर दो उसे...." 
तक्ष ज़ोर से हंसने लगता है और उसी हंसी में कहता है...." तुम अभी मुझे नहीं जानती अदिति...ये अघोरी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता....अब देखो मेरा असली रूप...."
तक्ष इतना कहते ही अपने पिशाची रूप में आ जाता है जिसे देखकर सब डर जाते हैं लेकिन अदिति उसे देखकर अपने आप पर गुस्सा होते हुए कहती हैं....." मेरी ग़लती थी जो तुम्हें मैंने उस पिंजरे से आजाद किया....." 
तक्ष एक बार फिर हंसते हुए कहता है...." तुम्हें तो आना ही था अदिति,,, तुम न चाहते हुए भी मेरे वश में आकर ये सब करती , लेकिन इस विवेक ने मेरे रास्ते में आकर अच्छा नहीं किया था...."
अदिति बेबस सी चिल्लाती है......" तुम चाहते क्या हो ‌‌..?.. क्यूं ये सब कर रहे हो....?..."
" मुझे चाहिए आजादी और उसके चाहिए तुम्हारी बलि जिससे मेरी शक्तियां पूर्ण हो जाएंगी , फिर राज होगा पिशाच राज गामाक्ष का...." तक्ष इतना कहते ही जोर जोर से हंसने लगता है...
अदिति हैरानी से उससे पूछती है...." तुम ये सब गामाक्ष के लिए कर रहे हो..." तक्ष उससे टोकते हुए कहता है....." नादान अदिति गामाक्ष कोई और नहीं मैं हूं पिशाचों का राजा गामाक्ष हूं मैं , , तक्ष तो तुम्हारे लिए छलावा था , अब ये है मेरा असली रूप गामाक्ष का ....." 
अदिति पोलाइट होकर कहती हैं....." देखो तुम जो भी हो भाई को छोड़ दो , , !
गामाक्ष अघोरी की तरफ देखकर अदिति से कहता है..." तुम इसके सहारे मुझे मारने की धमकी दे रही थी...."
अघोरी बाबा गुस्से में उससे कहते हैं...." अरे दुष्ट ! तेरा अंत समय अब निश्चित है...." गामाक्ष अघोरी बाबा की बात सुनकर जोर जोर से हंसते हुए कहता है....." इस भूल मत रह अघोरी.... तूने क्या सोचा मेरे उबांक के जरिए तू मुझे अपने वश में करेगा..... ऐसा नहीं हो सकता..."
अघोरी बाबा उसी तेज तर्रार आवाज में कहते हैं......" अरे दुष्ट ! तेरे अंत का समय है अब ..." और अपनी मुट्ठी में भभूत लेकर उसे माथे से लगाकर कुछ मंत्र सा पढ़ते हैं फिर उसके ऊपर फैंकते हैं.....
लेकिन गामक्ष पर उसका कोई असर नहीं होता देख दंग रह जातें हैं और गामाक्ष एक बार फिर भयानक हंसी हंसने लगता है.....
अब बारी थी गामाक्ष की वो अपनी पैशाची शक्ति से उनपर वार करता है जिससे वो यज्ञ वेदी से दूर गिर जाते हैं....गामाक्ष उनपर हंसता हुआ कहता है...." तुझे क्या लगा अघोरी मेरी ऊर्जा सिर्फ इस लड़की से है ... नहीं ये इसका ही भाई है और दोनों की रगों में एक ही खून बहता है इसलिए तू मुझे चाहकर भी मार नहीं पाएगा...." 
अघोरी बाबा उसके एक ही वार से काफी घायल हो चुके थे , उनसे खड़े होने में भी तकलीफ़ महसूस हो रही थी.... अदिति बेबस सी अघोरी बाबा को देख रही थी , उसकी आखिरी उम्मीद भी अब खत्म हो रही थी.....
 
....................to be continued...............
अदिति की मदद कौन करेगा.....?
जानने के लिए जुड़े रहिए