यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है। इसमें जो कुछ भी हुआ, वह किसी की ज़िंदगी का वह दौर है जिसे शब्दों में बयान करना आसान नहीं है। यह कहानी उन सभी के लिए एक सीख है जो सच्चाई को ठुकराकर लालच, धोखे और दिखावे के पीछे भागते हैं।"
किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुँचाना या बदनाम करना लेखक का उद्देश्य नहीं है। अगर किसी भी पात्र या घटना की समानता किसी व्यक्ति या स्थान से हो, तो वह मात्र संयोग होगा।"
नई शुरुआत
हीरो अब बाहर जाता है और दूसरी कंपनी में हेल्पर की नौकरी पाता है — Heidelberg मशीन पर।
मशीन चलानी नहीं आती, तो 6 महीने तक सफाई करते-करते सीखता है।
फिर दूसरी कंपनी में इंटरव्यू देता है और पास हो जाता है।
अब उसे अच्छी सैलरी मिलने लगती है।
लेकिन कभी-कभी उस लड़की की याद आ जाती है,
कभी-कभी तो आँखों से आँसू भी निकल जाते हैं।
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फिर एक ज़ोर का झटका
दो महीने बाद पिछली कंपनी से दोस्त का फोन आता है —
“उस लड़की को कंपनी से निकाल दिया गया है।”
हीरो पहली बार उसे फोन करता है —
“मैंने तुम्हारे लिए नौकरी छोड़ी थी और तुमने क्या किया? नौकरी भी छोड़ दी?”
हीरो लड़की बहुत गालियाँ देता है, उल्टा-सीधा बोलता है और फोन काट देता है।
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हीरो का पलटवार
हीरो गांव आता है और कंपनी में जाकर पता करता है —
लड़की को मैनेजर ने सिर्फ इस्तेमाल किया था।
काम निकलते ही निकाल दिया गया।
हीरो को बहुत बुरा लगता है।
वह रात में कुछ दोस्तों को भेजता है और छोटा मैनेजर इतना पिटता है कि उसका सिर फट जाता है।
अगले दिन वह नौकरी छोड़ देता है।
हीरो फिर अपने काम पर लौट जाता है।
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लड़की की हालत
कुछ समय बाद पता चलता है — लड़की ने शादी कर ली थी,
लेकिन शादी ज़्यादा दिन नहीं चली। पति ने उसे छोड़ दिया।
गांव वालों ने उसे बदनाम कर दिया — "र… वाली लड़की" का नाम दे दिया।
अब वह अपने आप से शर्मिंदा रहती है।
जिसे भी उसके बारे में पता चलता, वही कहता — “वो र… वाली लड़की।”
एक दिन लड़की को हीरो की याद आती है,
वह फोन करती है।
हीरो कहता है —
“सॉरी, मैं इस नाम की किसी लड़की को नहीं जानता।”
और फोन काट देता है।
लड़की अपना घर छोड़कर कहीं चली जाती है।
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अंतिम पंक्तियाँ
यह बात 2018 की है।
2018 से दोनों केवल 10 किलोमीटर के अंदर रहते हैं —
लेकिन कभी नहीं मिले।
जब भी लड़की को हीरो की याद आती है,
वह चुपचाप अपना WhatsApp खोलती है…
लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है।
तुमने हीरो की ज़िंदगी बर्बाद की थी,
अब तुम्हारा नंबर है…
जो सच्चा था, वो तेरी आँखों में छोटा हो गया,
और जो दौलत वाला था, तू उसी का होता हो गया।
दिल को खिलौना समझा, खेलती रही तू,
अब सुन—ये वक़्त है, और ये भी तेरे जैसा धोखेबाज़ हो गया।
तेरे इश्क़ में जिसने खुद को मिटा दिया,
आज वो आईना देखकर मुस्कुराता है — और तू… खुद से नज़रें चुराती है।
Hero ने कभी नहीं कहा ‘तू क्या है’,
पर अब तो तेरे गाँव और पड़ोस वाले भी तुझे ‘R… कहने लगे हैं।
कभी शर्म से झुकता नहीं था तेरा सिर,
अब आईने में भी अपनी सूरत से घबराती है
मेरी दुआ है कि किसी के साथ ऐसा न हो,
क्योंकि जब किसी को प्यार में धोखा मिलता है,
तो इंसान टूट जाता है...
और अगर वही इंसान सच्चा होता है,
तो वो मानसिक रूप से बिखर जाता है।
मोहब्बत अगर वफ़ा न बने,
तो ज़हर से भी ज़्यादा खतरनाक हो जाती है..."**