chiku and magic pencil in Hindi Children Stories by Deepa shimpi books and stories PDF | चीकू और मैजिक पेंसिल

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चीकू और मैजिक पेंसिल




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कार्टून स्टोरी: "चीकू और मैजिक पेंसिल"



एक समय की बात है, चीकू नाम का एक छोटा खरगोश अपने माता-पिता के साथ जंगल के किनारे वाले गाँव में रहता था। वह बहुत शरारती लेकिन होशियार था। उसे ड्राइंग और पेंटिंग का बहुत शौक था, लेकिन उसके पास सिर्फ एक टूटी-सी पेंसिल थी, जिससे वह मुश्किल से ही चित्र बना पाता था। हर दिन वह पेड़ों की छाल पर चित्र बनाता और मन ही मन सोचता — "काश मेरी पेंसिल जादुई होती!"

एक दिन स्कूल से लौटते वक्त चीकू को जंगल में एक अजीब सी चमकती हुई चीज़ दिखी। वह डरते-डरते उसके पास गया, तो देखा — एक सुनहरी पेंसिल ज़मीन में गड़ी थी। चीकू ने उसे उठाया, और तभी उसके कानों में एक रहस्यमयी आवाज़ गूंजी,
“मैं हूँ मैजिक पेंसिल। जो कुछ भी तुम मुझसे बनाओगे, वह हकीकत में बदल जाएगा। लेकिन ध्यान रखना, इसका इस्तेमाल सिर्फ अच्छे कामों के लिए करना!”

चीकू चौंका और खुश भी हुआ। घर पहुँचते ही उसने पेंसिल से एक बड़ा-सा चॉकलेट केक बनाया — और झट से वो सामने आ गया! फिर उसने एक नई साइकिल बनाई, रंगीन पतंग बनाई, और एक छोटा टीवी भी बना लिया। उसका कमरा खिलौनों और मिठाइयों से भर गया।

धीरे-धीरे उसकी शरारतें बढ़ने लगीं। उसने स्कूल में होमवर्क से बचने के लिए नकली बुखार वाला थर्मामीटर बना लिया। एक दिन तो उसने अपनी क्लास टीचर का कार्टून बनाकर उन्हें डराने की कोशिश की। वह अपने दोस्तों को चौंकाने के लिए डरावनी चीज़ें बनाता। मैजिक पेंसिल उसे बार-बार चेतावनी देती, “याद रखो, अगर किसी को नुकसान हुआ तो तुम्हें पछताना पड़ेगा।” लेकिन चीकू अपनी मस्ती में मग्न था।

एक दिन गाँव में तेज़ तूफान आया। कई पेड़ गिर गए, नदी में पानी भर गया और पुल टूट गया। गाँव के जानवर डर के मारे रोने लगे। बत्तख मौसी का घर बह गया, कछुआ काका घायल हो गए, और बच्चों को स्कूल जाना बंद हो गया। चीकू भी परेशान हुआ, लेकिन तभी उसे मैजिक पेंसिल की बात याद आई।

वह दौड़ता हुआ नदी के पास गया और पेंसिल से एक मज़बूत लकड़ी और पत्थर का पुल बना दिया, जिससे सभी जानवर पार निकल सके। फिर उसने पेंसिल से टूटे हुए घरों की मरम्मत की, बीमार जानवरों के लिए दवाइयाँ बनाईं, और बच्चों के लिए गर्म कपड़े बनाए। चीकू ने सबके लिए खाना भी बनाया — गाजर का हलवा, मकई की रोटियाँ और मीठा रस।

अब सभी जानवर उसे ‘हीरो चीकू’ कहने लगे। चीकू को पहली बार लगा कि असली मज़ा तो दूसरों की मदद करने में है। उसकी शरारती मुस्कान अब सेवा के आत्मविश्वास में बदल गई थी।

कुछ दिनों बाद, मैजिक पेंसिल की चमक कम होने लगी। चीकू घबरा गया और बोला,
“तुम कहाँ जा रही हो, पेंसिल? मुझे अभी भी तुम्हारी ज़रूरत है!”

पेंसिल मुस्कराई और बोली,
“अब मेरी ज़रूरत तुम्हें नहीं, चीकू। अब तुम खुद समझदार, बहादुर और जिम्मेदार बन चुके हो। अब तुम्हारी कल्पना ही सबसे बड़ी जादू है।”

इतना कहकर पेंसिल चमकते हुए हवा में विलीन हो गई। चीकू थोड़ी देर उदास रहा, लेकिन फिर उसने अपनी पुरानी टूटी पेंसिल उठाई और एक नई तस्वीर बनानी शुरू की।

अब चीकू रोज़ बच्चों को चित्र बनाना सिखाता, कहानियाँ सुनाता और सिखाता —
"शक्ति वही, जो भलाई के काम आए!"


--दीपांजलि 

दीपाबेन शिम्पी