"वो जो मेरा था..."
📖 Episode 8 – जब आरव ने काव्या के लिए पहली बार लिखा...
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कभी-कभी किसी और की कहानी लिखते-लिखते, हम अपनी कहानी भी लिखना शुरू कर देते हैं।
काव्या के लिए अब रिया सिर्फ एक कहानी नहीं थी, वो उसके अपने अंदर की एक आवाज़ बन चुकी थी।
पर आज… कहानी का रुख बदलने वाला था।
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🌤️ सुबह – ब्लू बेल पब्लिकेशन, एक नई शुरुआत
ऑफिस में आज एक अजीब सी हलचल थी।
“वो जो मेरा था…” के प्री-लॉन्च इवेंट की तैयारी जोरों पर थी।
काव्या और आरव दोनों ने इस प्रोजेक्ट के हर पन्ने को दिल से जिया था।
लेकिन आज, काव्या के लिए एक और खास वजह थी।
आज आरव पहली बार उसके लिए लिखने वाला था।
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✍️ आरव का पहला शब्द – काव्या के लिए
आरव अपने केबिन में बैठा था।
टेबल पर एक खाली पेज, हाथ में पेन, और आँखों में हज़ारों अधूरे एहसास।
वो हमेशा दूसरों के लिए लिखता था… रिया के लिए, कहानियों के लिए, यादों के लिए।
लेकिन आज वो पहली बार किसी के लिए “मौजूद” होकर लिखने जा रहा था।
उसने पहला वाक्य लिखा:
> “वो लड़की जो दूसरों की कहानियों में खुद को ढूंढती रही,
आज मेरी कहानी बन गई है।”
आरव के शब्दों में एक अलग गर्मी थी…
एक एहसास, जो सिर्फ काव्या के लिए था — न रिया के लिए, न किसी अधूरे अतीत के लिए।
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🌼 काव्या की मुलाकात – खुद से
दूसरी तरफ, काव्या अपनी डायरी में खुद को लिख रही थी।
> “मैंने हमेशा दूसरों की मोहब्बत को सुना है,
पर कभी अपनी आवाज़ को महसूस नहीं किया।”
> “आरव की कहानी में खुद को देखना आसान है,
पर खुद की कहानी में उसे देखना… शायद यही असली मोहब्बत है।”
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📝 आरव का Letter to Kavya
आरव ने एक पेज पर लिखा, मोड़कर लिफाफे में रखा और काव्या के डेस्क पर छोड़ दिया।
लिफाफे पर सिर्फ लिखा था:
“For Kavya – My First Page”
काव्या ने जैसे ही लिफाफा खोला, उसमें लिखा था:
> “काव्या,
मैं नहीं जानता कि ये कब हुआ,
पर मैं जानता हूँ कि अब ये रुकने वाला नहीं है।
तुम्हारे शब्द, तुम्हारी चुप्पियाँ, तुम्हारा डर… सब मुझे रिया से जोड़ते हैं,
पर इस बार फर्क ये है कि मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता।”
> “तुम मेरी कहानी की शुरुआत हो,
और शायद… मैं तुम्हारी।”
काव्या के हाथ काँपने लगे।
उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे, लेकिन इन आँसुओं में पहली बार दर्द नहीं… सुकून था।
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☕ Chapter Café में एक नया पन्ना
शाम को आरव ने काव्या को Chapter Café बुलाया।
वो वही जगह थी जहाँ उनकी पहली असली बातचीत हुई थी — रिया की डायरी के पन्नों के साथ।
पर आज माहौल कुछ और था।
टेबल पर एक छोटी सी डायरी रखी थी — बिल्कुल नई।
आरव ने कहा:
“रिया की कहानी हमने पूरी कर दी…
अब ये डायरी तुम्हारे लिए है।
इसमें सिर्फ वो लिखा जाएगा, जो तुम हो… तुम्हारे लिए, तुम्हारे शब्दों में।”
काव्या ने डायरी खोलकर पहला पन्ना लिखा:
> “ये मेरी कहानी है…
और इस बार, मैं इसे अधूरा नहीं छोड़ूँगी।”
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🌌 Rooftop Conversation – जब चुप्पियाँ बोलने लगीं
इवेंट के बाद दोनों ऑफिस की छत पर बैठ गए।
शहर की लाइट्स, हवा की ठंडक, और दोनों के बीच की सुकूनभरी चुप्पी।
आरव:
“क्या तुम्हें लगता है कि हम कभी किसी को पूरी तरह पा सकते हैं?”
काव्या (हल्की मुस्कान के साथ):
“शायद नहीं… पर हम कोशिश कर सकते हैं कि वो हमें अधूरा न छोड़ें।”
आरव:
“रिया के साथ मैंने सीखा कि प्यार में खोना भी एक तरीका है जीने का।
पर तुम्हारे साथ… मैं सिर्फ जीना चाहता हूँ, खोना नहीं।”
काव्या ने उसकी तरफ देखा।
उसकी आँखों में अब रिया की परछाई नहीं थी।
अब वहाँ सिर्फ “काव्या” थी।
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📩 Unexpected Mail – A Twist
जब काव्या घर पहुँची, उसके मेल में एक नया संदेश था:
Subject: “RIA – The Unsaved Recording”
Sender: Unknown
मेल में एक ऑडियो फाइल थी।
काव्या ने फाइल प्ले की — और रिया की आवाज़ गूंजी:
> “अगर आरव कभी फिर से किसी के लिए लिखे,
तो समझ लेना कि वो वक़्त आ गया है जब मेरी कहानी पूरी हो गई है।”
काव्या की आँखें नम हो गईं।
ये रिया का आशीर्वाद था… जैसे वो खुद कह रही हो — “अब मैं तुम्हारे लिए जगह छोड़ रही हूँ।”
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📖 “Woh Jo Mera Tha…” – The Book is Ready
कई हफ्तों की मेहनत के बाद किताब का आखिरी पन्ना पूरा हुआ।
इस बार आखिरी पन्ना सिर्फ रिया की कहानी का नहीं था…
वो काव्या और आरव की कहानी का पहला पन्ना भी था।
बुक कवर पर लिखा था:
> “वो जो मेरा था… और अब मेरा है।”
– By Aarav Malhotra & Kavya Sharma
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📚 Book Launch Event – जहाँ कहानी जिंदा हो गई
इवेंट हॉल में सैकड़ों लोग थे।
सामने स्टेज पर काव्या और आरव, और हाथों में उनकी कहानी — ‘Woh Jo Mera Tha…’
आरव ने मंच पर कहा:
“कहानी सिर्फ लिखी नहीं जाती…
कभी-कभी किसी और की कहानी में खुद को जीना पड़ता है।”
काव्या ने जोड़ा:
“और जब आप अपनी आवाज़ उस कहानी में पा लें,
तो वो सिर्फ उनकी नहीं रहती — आपकी भी हो जाती है।”
पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।
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🌙 इवेंट के बाद – Final Confession
रात को दोनों समंदर किनारे बैठे थे — वही जगह, जहाँ कभी रिया के नाम का निशान था।
आरव ने धीरे से कहा:
“मैं डरता था कि कहीं तुम्हें भी खो न दूँ…
पर अब एहसास हुआ है कि तुम कहीं जाने वाली नहीं हो।”
काव्या ने उसकी तरफ देखा और कहा:
“क्योंकि मैं सिर्फ कहानी में नहीं, तुम्हारे हर दिन में जीना चाहती हूँ।”
दोनों की आँखों में अब कोई अधूरापन नहीं था।
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📷 एक तस्वीर – जो कहानी की नई शुरुआत है
आरव ने फोन निकाला और एक सेल्फी ली —
दोनों की मुस्कुराहट में वो सुकून था, जो सिर्फ तब आता है जब कोई कहानी मुकम्मल हो जाती है।
फोटो के नीचे लिखा:
“Woh Jo Mera Tha… Ab Mera Hai”
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📖 To Be Continued…
अगला एपिसोड (Episode 9):
"जब काव्या ने पहली बार आरव के लिए लिखा..."
(एक नए एहसास और रिश्ते की शुरुआत)
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