Wo jo Mera Tha - 4 in Hindi Love Stories by Neetu Suthar books and stories PDF | वो जो मेरा था - 4

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वो जो मेरा था - 4

"वो जो मेरा था..."
📖 Episode 4 – पन्नों के पीछे छुपा सच



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कभी-कभी कुछ पन्ने सिर्फ इसलिए अधूरे रह जाते हैं...
ताकि वक़्त आने पर वो किसी और की कहानी बन सकें।

आरव और काव्या के बीच अब एक अजीब-सा रिश्ता बनने लगा था।
ना तो दोस्ती…
ना ही मोहब्बत…
पर एक गहराई थी, जो दोनों को एक-दूसरे की कहानियों से जोड़ रही थी।


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🌧️ सुबह – ब्लू बेल पब्लिकेशन

बारिश अब भी चल रही थी… जैसे मौसम इस कहानी से बाहर निकलने को तैयार ही नहीं।

काव्या ऑफिस पहुँची तो देखा — उसकी टेबल पर एक बंद फाइल रखी थी। उस पर लिखा था:

“रिया – PERSONAL ARCHIVES”

उसका दिल तेजी से धड़कने लगा।
क्या उसमें वो सच छुपा था, जिससे आरव अब तक भागता रहा?


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📂 फाइल के अंदर

फाइल में रिया की कुछ स्क्रिप्ट्स थीं — अधूरी कहानियाँ, डायरी के कुछ पन्ने, और एक medical report।

काव्या ने धीरे-धीरे वो report पढ़ना शुरू किया।

> "Patient: Rhea Mehta
Diagnosis: Stage 3 Hodgkin Lymphoma
Prognosis: 6-8 months (if untreated)"



काव्या का चेहरा ज़र्द पड़ गया।

रिया को कैंसर था… और उसने किसी को बताया तक नहीं।


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📸 साथ ही एक फोटो

फोटो में रिया और आरव कॉलेज फेस्टिवल में एक साथ मुस्करा रहे थे।
रिया की आँखों में चमक थी… और आरव की आँखों में वही गहराई, जो आज भी है।

काव्या ने वो फोटो उठाई और अपने दिल से लगाकर आँखें बंद कर लीं…
जैसे रिया की आत्मा अब भी उस कमरे में घूम रही हो।


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⏳ फ्लैशबैक – काव्या की यादें

वो खुद भी तो टूट चुकी थी ना…

समीर के जाने के बाद, उसने भी खुद को शब्दों में कैद कर लिया था।
कभी-कभी उसे लगता —
"क्या कोई कभी मेरी कहानी भी समझेगा…?"

और आज, एक और अधूरी कहानी को पढ़ते हुए…
उसे ऐसा लग रहा था जैसे जवाब "हाँ" में है।


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📚 ऑफिस मीटिंग – बड़ा फैसला

आरव: “हम अब 'Unwritten Letters' को एक किताब के रूप में पब्लिश करेंगे। और उसका नाम होगा — ‘वो जो मेरा था…’”

पूरे ऑफिस में हलचल मच गई।

एक सहयोगी ने पूछा:
“पर सर, रिया की निजी डायरी, पर्सनल डॉक्यूमेंट्स… ये सब सार्वजनिक करना क्या सही होगा?”

आरव ने एक लंबी साँस ली:
“अगर किसी की कहानी किसी और को ज़िंदा कर सके,
तो उसे दुनिया से छुपाना गुनाह है।”


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🕯️ उसी रात – काव्या और आरव की गंभीर बातचीत

काव्या:
“कभी-कभी लगता है जैसे रिया मुझे अपना काम सौंप गई हो…”

आरव:
“शायद वो चाहती थी कि जो मैं कभी नहीं कह पाया… वो तुम दुनिया तक पहुँचाओ।”

काव्या (धीरे से):
“क्या आपने उससे कभी पूछा था… कि वो जा क्यों रही है?”

आरव:
“मैंने बहुत देर कर दी थी…
और जब जाना चाहा, तब वो जा चुकी थी।”


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📖 कहानी का अगला भाग – रिया के पत्र

काव्या ने फाइल में एक छोटा सा पत्र पाया —
जिस पर सिर्फ लिखा था: “A”

उसने पत्र खोला:

> “प्रिय आरव,
जब तुम ये पढ़ो, शायद मैं तुम्हारे पास न रहूँ।
लेकिन मैं चाहती थी कि तुम जानो —
तुमने मुझे बिना कहे प्यार करना सिखाया।
और मैंने बिना पाए प्यार करना…”



> “माफ़ करना…
कि मैंने तुम्हें कुछ नहीं बताया।
लेकिन अगर तुम कभी किसी और को पाओ,
तो उसे रिया मत बनाना…
उसे उसका नाम दो।
और अपना दिल फिर से खोलो।”



काव्या की आँखों से आँसू गिरने लगे।

शब्द उसके भीतर उतरते जा रहे थे… जैसे कोई उसे भी पहचान गया हो।


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🌌 रात का अंत – एक इमोशनल मोड़

आरव ऑफिस में देर तक बैठा रहा।
उसके सामने रिया की तस्वीर थी… और काव्या के लिखे कुछ पन्ने।

वो धीरे से बुदबुदाया:

“मैं फिर से जीने को तैयार हूँ… अगर तुम हो…”

पर किससे कहा?
रिया से… या काव्या से?


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📞 और तभी – एक कॉल

काव्या अपने कमरे में थी, जब उसका फोन बजा।

आरव का मैसेज:
“कल सुबह 7 बजे तैयार रहना। तुम्हें एक जगह ले जाना है।”

काव्या (मन में):
“कहाँ ले जाना है? और क्यों?”


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💫 To Be Continued...

अगला एपिसोड (Episode 5):
"जहाँ रिया ने आख़िरी बार लिखा था… वहीं से शुरुआत"
(कल एक और भावुक मोड़ के साथ)


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