Cycle Wala Pyaar - Ek Aakhri Nazar - 2 in Hindi Love Stories by shivam pandey books and stories PDF | साइकिल वाला प्यार - एक आखिरी नज़र - 2

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साइकिल वाला प्यार - एक आखिरी नज़र - 2

Episode 2 एक Signal, एक Cycle, और एक Aakhri Nazar…

वही थी मेरी कहानी की turning point…

हर दिन मैं अपनी पुरानी साइकिल से कॉलेज जाता,

पर उस शाम का Signal…

उसे मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा।”

हर शाम की तरह मैं अपनी साइकिल पर कॉलेज से घर की ओर लौट रहा था।

सड़क की धूल, हवा में मिट्टी-घुली खुशबू, और कानों में बस मेरे ही विचार।

दिनभर उसकी मुस्कान की यादें दिल को हल्का कर देती थीं, पर उस शाम… सब कुछ बदल गया।

जब मैं Signal पर रुका, बगल में एक चमचमाती कार आकर रुकी।

कार की शीशे नीचे हुए और मैंने देखा — वो थी…

वही लड़की, जिसे मैंने दिल से चाहा, और साथ बैठा था उसका नया “Ameer” प्रेमी।

उसने मुझे देखा, हल्की मुस्कान दी —

शायद संकोच था… या वो जताना चाह रही थी कि सब कुछ ठीक है।

पर मेरे दिल में हलचल मच गई।

अचानक मेरी साइकिल की हैंडल उसकी कार से हल्के से टकरा गई।

बस इतना काफी था उसके अहंकारी प्रेमी के गुस्से को भड़काने के लिए।

वो गाड़ी से उतर कर मेरी तरफ बढ़ा,

मुझे धक्का दिया और चीखा —

“अपनी औकात में रहो! कार छूने की भी हैसियत नहीं है तेरी!”

मैं घबरा गया, कुछ कह पाता उससे पहले ही वो मुझे मारने को हाथ उठाने लगा।

उसी वक़्त वो लड़की सामने आई और मुझे उसके थप्पड़ से बचा लिया।

उसने उसे रोका और कहा —

“बस करो, गलती से टकराई है साइकिल। मत बनो इतने छोटे दिल के।”

उसने उसे तो रोक लिया… पर कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।

अगले दिन कॉलेज में…

जब मैं अपने दोस्त के साथ कैंटीन की ओर जा रहा था,

वही अमीर लड़का और उसके 3-4 दोस्त मुझे घेर लेते हैं।

इस बार कोई लड़की बीच में नहीं थी।

ना कोई रोकने वाला, ना कोई देखने वाला।

बिना कुछ कहे उन्होंने मुझ पर टूट पड़ने की तरह लात-घूसे बरसाए —

चेहरे पर मुक्के, सीने पर लात, और मेरी इज्ज़त को रौंद दिया।

मैं चिल्लाया, गिरा, पर वो नहीं रुके।

“अब फिर से मेरी गर्लफ्रेंड की तरफ देखा तो आँखें निकाल लूंगा”,

ये कहते हुए उसने मुझे जमीन पर छोड़ दिया।

मेरा दोस्त वहाँ पहुंचा, मुझे उठाया,

और ऑटो लेकर सीधे अस्पताल ले गया।

अस्पताल के सफेद बिस्तर पर लेटा मैं सिर्फ छत देखता रहा,

सोचता रहा —

“क्या गलती थी मेरी? कि मैं उससे प्यार करता था?

या ये कि मैं एक साधारण लड़का था?”

जिस लड़की के लिए मैंने हर ख्वाब बुना,

वो आज कहीं और थी — शायद उसी लड़के की बाँहों में।

पर अब…

अब सब कुछ बदलने वाला था ।

उस लड़की को सायद ये नहीं पता था की 

अमीरी और अमीर के पैसे की चमक बस 

चार दिन की होती है ।

और एक सचा प्यार उमर भर का होता है ।

पर उससे यह बात तब समझ आई जब वो 

एक दिन बिना बताए उस अमीर लड़के के घर गई 

उसे मेरी हालत के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था 

वो तो बस उस अमीर लड़के के प्यार में खोई हुई थी 

और उसके साथ सायद घर बसाने का फैसला भी 

कर ली थी और यही ख्वाब लिए वो बेहद ख़ुशी से 

उसके घर जा रही थी ।

पर उस बेचारी को नहीं पता था की उसे वहाँ जो देखने 

को मिले गा बेहद ही दिल कुरेदने वाला दृश्य होगा ।

जिन आँखो में सपने उस अमीर लड़के के साथ 

घर बसाने के थे अब वो टूटने वाले थे ।


“वो कमरे का दरवाज़ा खोलते ही जैसे पूरी ज़िंदगी पलट गई…

जिसे अब तक ख़्वाब समझती थी, वो एक भयानक सच्चाई बन चुका था…

आँखें फटी की फटी रह गईं…

और अब…

उसे समझ आ गया था —

किसे खो दिया… और किसे थामा ही नहीं कभी…”

To be continued....