Kaatil Koun - 1 in Hindi Thriller by Manish Patel books and stories PDF | कातिल कौन - 1

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कातिल कौन - 1


रात के अंधेरे में जब हवाएं सरसराती हैं, तो वो सिर्फ पत्ते नहीं हिलातीं... कुछ यादें, कुछ डर, और कभी-कभी कोई राज़ भी हिलने लगता है।
रॉयल विला — शहर के एक कोने में खड़ा वो पुराना बंगला, जहां इस बार छह दोस्त इकट्ठा हुए थे एक पुराने कॉलेज रीयूनियन के बहाने। लेकिन सच ये था कि इस बार की मुलाकात, किसी की मौत पर खत्म होनी थी।

कव्या, एक जर्नलिस्ट — तेज़, चालाक और अंदर से टूटी हुई।
राहुल, सबका दिलबर दोस्त — जो हर बात को हंसी में टाल देता था।
विक्रम, अमीर बाप का बेटा — चुप, मगर खतरनाक निगाहों वाला।
अन्वी, वो लड़की जो सबकी नज़रें चुराती थी, लेकिन सबकी नजरों में थी।
शिवांश, जो कॉलेज में सबका हीरो था, अब खुद की पहचान भूल चुका था।
और आद्या, जिसे किसी ने कभी सीरियसली नहीं लिया… पर वो खुद सबसे ज़्यादा सीरियस थी।

इन छहों ने कॉलेज में वादा किया था — "हम हमेशा साथ रहेंगे।"
लेकिन अब... कोई एक किसी को ज़िंदा नहीं छोड़ना चाहता था।

विला में हँसी ठहाके चल रहे थे, लेकिन उनके पीछे एक सन्नाटा बैठा था — पुरानी रंजिशों का, जलन का, प्यार का और धोखे का।
शिवांश बार-बार मोबाइल देख रहा था, जैसे कोई मैसेज आने वाला हो।
कव्या ने अपनी डायरी से पन्ना फाड़कर जेब में रखा — वो राज़ अब कागज़ पर नहीं था।
राहुल पुराने मज़ाक दोहरा रहा था, लेकिन अब उसकी आँखों में वो चमक नहीं थी।
विक्रम पीते जा रहा था, और अन्वी… वो दरवाज़े की ओर देखती रही, जैसे कोई आने वाला हो।

रात के 11:49 पर, बिजली चली गई।
धड़ाम! एक दरवाज़ा तेज़ आवाज़ से बंद हुआ।
और फिर आई एक दिल दहला देने वाली चीख़…

"आआआह्ह्ह!"

सब दौड़कर बेसमेंट की तरफ भागे।
राहुल की लाश पड़ी थी।
उसका गला एक फोन चार्जर से लपेटा गया था, आँखें खुली थीं और एक हाथ ज़मीन की ओर फैला हुआ था — जैसे किसी को पकड़ने की कोशिश की हो।

इंस्पेक्टर मायरा चौहान सुबह 4 बजे घटनास्थल पर पहुंची।
"कोई जबरदस्ती नहीं हुई। सब यहीं थे। मतलब कातिल… इनमें से ही कोई है।"

एक टेबल पर रखे 6 वाइन ग्लास में से एक टूटा हुआ था।
किसी के हाथ पर खरोंच थी। किसी के बाल गीले थे।
और किसी की आँखों में वो डर था जो सिर्फ गुनहगार की आँखों में होता है।


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"सबने शराब पी थी?"
"नहीं मैम, आद्या ने नहीं पी। उसे एलर्जी है।" – कव्या बोली।

"तो आद्या को कोई बेहोश क्यों नहीं कर पाया?"
"क्योंकि शायद... कातिल वही थी?" – विक्रम बोला।

"या शायद… तुम?" – मायरा उसकी ओर घूरती है।


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हर कोई एक-दूसरे पर शक कर रहा था।
हर चेहरा कहता कुछ था, छुपाता कुछ और।
लेकिन एक बात साफ़ थी —
राहुल की मौत एक एक्सीडेंट नहीं थी।
ये मर्डर था — बहुत सोच-समझकर किया गया मर्डर।

कव्या ने सबको देख कर धीरे से कहा:
"हममें से एक… पहले भी मार चुका है।"

सन्नाटा छा गया।
सिर्फ घड़ी की टिक-टिक बची थी।
शायद वक्त भी देखना चाहता था कि… अगला नंबर किसका है।


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जारी रहेगा…

राहुल की मौत के बाद विला में खामोशी ऐसी फैल गई थी जैसे कोई चादर लिपट गई हो डर की।
इंस्पेक्टर मायरा चौहान ने सबको एक कमरे में इकट्ठा किया —
"अब कोई भी इस घर से बाहर नहीं जाएगा। तुम सब की गवाही एक-एक कर लूँगी, और अगर किसी ने झूठ बोला, तो याद रखो... सच लाश से भी निकलवाया जा सकता है।"

सबकी नजरें झुक गईं।


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1. अन्वी का सच

पहली थी — अन्वी, जो बाहर से कॉन्फिडेंट, लेकिन अंदर से टूटी हुई थी।

"मैं राहुल को कॉलेज से जानती थी। वो मेरा पहला प्यार था, लेकिन उसने मुझे कभी सीरियसली नहीं लिया। मैंने उसे माफ कर दिया था… लेकिन जब मैंने एक हफ्ता पहले उसके फ़ोन में वो वीडियो देखा — जिसमें वो मुझे बदनाम कर रहा था — मैं हिल गई थी।"

"वीडियो किसे भेजा था उसने?" – मायरा ने पूछा।

"मुझे नहीं पता। शायद किसी को ब्लैकमेल कर रहा था।"

"तो क्या तुमने बदला लिया?"

अन्वी की आँखें भीग गईं, पर होंठ खामोश रहे।


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2. विक्रम का झूठ

अब बारी थी विक्रम की — वो अमीर, मगर खतरनाक शख्स।

"मैं राहुल का दोस्त था, लेकिन उसका एक सीक्रेट था — वो मेरे डैड के बिज़नेस के डॉक्युमेंट्स चुराकर किसी को बेचने वाला था। मैं उससे बस सबूत लेना चाहता था।"

"क्या तुमने उसे धमकाया था?"

"हाँ… पर मारा नहीं।"

"तुम्हारे हाथ में खरोंच है। कैसे लगी?"

विक्रम झेंप गया, बोला – "गिर गया था बेसमेंट में…"

मायरा ने नोट किया — झूठ की बू थी उसकी बातों में।


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3. आद्या की चुप्पी

अब आई आद्या — सबसे शांत, सबसे कमज़ोर समझी जाने वाली लड़की।

"मैं राहुल को पसंद करती थी। उसने कभी ध्यान नहीं दिया। जब मैंने उसे प्रपोज किया… उसने सबके सामने मुझ पर हँसा था। मैं बहुत टूटी थी… पर मैंने उसे कभी नुकसान नहीं पहुँचाया।"

"कहाँ थी जब लाइट गई?"

"मैं अपने रूम में थी, लैपटॉप पर फिल्म देख रही थी।"

"गवाह?"

"नहीं…"

लेकिन मायरा ने देखा — आद्या के हाथ कांप रहे थे। उसकी पलकों के नीचे दबा था कोई तूफान।


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4. कव्या की चालाकी

कव्या, जो जर्नलिस्ट थी, शायद सबसे तेज़ थी सबमें।

"राहुल एक खबर के पीछे था — मेरे करियर को खत्म करने वाली खबर। मैं उसे रोकना चाहती थी, और हाँ, मैंने उसकी धमकी का सामना किया… लेकिन मैं उसे नहीं मार सकती।"

"तुमने डायरी का पन्ना फाड़ा था, क्यों?"

"क्योंकि उसमे मेरा पास्ट था, जिसे मैं भूलना चाहती थी।"

मायरा ने उसकी आँखों में झाँका — वहाँ डर नहीं, बल्कि कोई योजना चमक रही थी।


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5. शिवांश की बर्बादी

अब बचा शिवांश — जो कॉलेज का हीरो था, अब खुद की पहचान के लिए तरस रहा था।

"मैं राहुल से जलता था। कॉलेज में सब मुझे पसंद करते थे, पर धीरे-धीरे वो छा गया। उसने मेरा एक राज़ जान लिया था — मैं ड्रग्स लेता हूँ… और उसने मुझे ब्लैकमेल किया।"

"क्या तुमने उसे मारकर मुसीबत खत्म की?"

"काश ऐसा कर पाता… लेकिन मैं इतना भी नहीं गिरा।"

"तुम गिर चुके हो, सिर्फ जमीन पर नहीं गिरे हो अभी तक।"

शिवांश चुप हो गया।


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अब मायरा ने कमरे की ओर देखा।
"तुम सबके पास कारण था — प्यार, बदला, ब्लैकमेल, जलन और डर।
लेकिन कातिल... सिर्फ एक है।
और वो ये सोच चुका है कि अगली मौत किसकी होगी।"

अचानक बिजली फिर से गुल हो गई।

एक और चीख!

"नहीं... छोड़ो मुझे!" – ये आवाज़ अन्वी की थी।

जब सब बेसमेंट में पहुँचे…
अन्वी नहीं थी।
सिर्फ दीवार पर लिखा था —
“तुमने उसे मारा, अब तुम्हारी बारी है।”