You Are My Choice - 62 in Hindi Short Stories by Butterfly books and stories PDF | You Are My Choice - 62

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You Are My Choice - 62

Haapy reading

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लिविंग रूम – दोपहर का समय


"ब्रो, मुझे नहीं लगता कि तुम्हें अकेले जाना चाहिए." आदित्य ने दृढ़ स्वर में कहा, आकाश की ओर देखते हुए।

"तुम साथ नहीं आ रहे, तो झूठी सलाहे मत दो." आकाश ने बिना नज़र उठाए जवाब दिया।

"पर—"

"नहीं। सच-सच बताओ, क्यों नहीं आ रहे? क्योंकि सच ये है कि इस वक़्त रोनित से ज़्यादा कुछ भी ज़रूरी नहीं है। और रही बात तुम्हारी कंपनी और बिज़नेस की, तो ऐसे मत दिखाओ जैसे हर वक़्त उसके लिए अवेईलेबल रहते हो। महीने में तीन हफ्ते तो तुम वैसे ही गायब रहते हो। फोर गोड सेक, अब तो सच बता दो?" आकाश को उसके ना कहेने की वजह समज नही आ रही थी।

काव्या ने अपनी बाहें मोड़ लीं और तेज़ी से बोली, जैसे उसने कुछ भांप लिया हो, "रहने दो। वो नहीं बताएगा। मैं तुम दोनों और रोनी से अकेले में बात करना चाहती हूँ, जब कोई और आसपास न हो।" उसने एक पल का लिए मायरा की ओर देखा।

"लेकिन अभी के लिए...?" आदित्य ने बात घुमाने की कोशिश की।

श्रेया, जय और मायरा चुपचाप यह सब देख रहे थे। माहौल में तनाव साफ़ महसूस हो रहा था। पर अब ये सिर्फ़ रोनित की बात नहीं रह गई थी, बात कहीं गहराई तक जा चुकी थी — उस चौथे इंसान तक जो उनकी ज़िंदगी में बेहद खास था।

"मैं संभाल लूंगा." आकाश ने ज़िद की।

"ये सिर्फ़ तुम्हारे बारे में नहीं है.." काव्या ने याद दिलाया। "और सिर्फ़ रोनित के बारे में भी नहीं।"

आकाश ने भौंहें उठाईं, संकेत देते हुए कि वो आगे कहे।

"उस लड़की की भी बात है जिससे उसने शादी की है।"

"बिलकुल। तुम शायद उस पर चिल्लाओगे, फिर घंटों बहस करोगे। क्योंकि हम जानते हैं तुम्हें." आदित्य ने तंज कसते हुए कहा।

काव्या ने शांत स्वर में जवाब दिया, "हमें किसी ऐसे की ज़रूरत है जिस पर वो लड़की भरोसा कर सके। कोई और लड़की। साफ़ है। हमें उस लड़की का भी ध्यान रखना है।"

"मैं साथ चल सकती हूँ." श्रेया ने प्रस्ताव रखा।

"तुम्हें एसा करने की ज़रूरत नहीं है—" आकाश ने कहना शुरू किया।

"ईट्स माय चोईस।" श्रेया ने नर्मी से लेकिन दृढ़ता से बात काट दी।

आकाश चुप रहा, पर उसने विरोध नहीं किया।

"तो फिर, अक्की, चलो अपने बैग्स लेकर आओ." काव्या बोली। "तब तक मैं थोड़ा आइसक्रीम खा लेती हूँ। चलो श्रेया।"

"अरे जय, विध्या ने मुझे पहले मैसेज किया था। मैंने उसे बता दिया कि तुम ठीक हो." श्रेया ने मुस्कुराते हुए कहा।

जय ने आंखें घुमाईं। "कम ऑन, अवस्थी! तुम उसे ये भी कह सकती थीं कि मैं स्युसाईड करने के बारे में सोच रहा हूँ, या शायद दो-तीन बार कूदने की कोशिश की है।"

"तुम्हें उससे बात करनी चाहिए। वो बहुत परेशान लग रही थी." श्रेया ने गंभीरता से कहा।

जब दोनों लड़कियां चली गईं, जय भी बाहर निकल गया, अपने फोन के साथ।

इसी बीच, आकाश ने देखा कि बातचीत के दौरान आदित्य का ध्यान भटक गया था। उसने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि मायरा गायब थी।

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रसोईघर


काव्या और श्रेया किचन काउंटर से टिककर आइसक्रीम खा रही थीं। दोनो के बीच अच्छा सा माहोल महसूस हो रहा था।

"तो... मिल गया तुम्हें अपना मौका, है ना?" काव्या ने चिढ़ाते हुए कहा।

"किस चीज़ का मौका?" श्रेया ने मासूमियत से पूछा।

"ओह कम ऑन, श्री..।" काव्या ने मुस्कुरा कर कहा, 'श्री' शब्द पर जोर देते हुए — जैसे आकाश उसे बुलाता है।

"आदि ने पूरा बिज़नेस क्लास कैबिन बुक किया है। बस तुम दोनों के लिए।"

"ये तो कुछ ज़्यादा ही हो गया, मिस सहगल." श्रेया ने मज़ाक में जय की तरह बोलने की कोशिश की। काव्या हँसी, उसके गालों पर हल्की सी लाली आ गई।

"तुम्हें भी कुछ वक्त अकेले में मिलेगा, डार्लिंग। रोनी नेवर सेटल्स फोर लेस धेन धीस।" श्रेया ने भी चुटकी ली।

"अब तो राखी की याद ज़्यादा आती है, रो... से भी ज़्यादा." काव्या ने धीरे से कहा।

श्रेया ने गंभीरता से सिर हिलाया। "सेड मत हो। दोनों वापस आएंगे।"

तभी मायरा रसोई में आ गई।

"मिस खन्ना, आइसक्रीम खायेंगी?" श्रेया ने सहज अंदाज़ में पूछा।

सिर्फ उसका नाम सुनते ही काव्या का चेहरा बदल गया।

"मायरा वुड बी फाईन." मायरा ने कहा।

"अच्छा घर है." उसने काव्या से कहा।

"मैंने तुम्हें बुलाया नहीं था." काव्या ने ठंडे स्वर में जवाब दिया।

"तुम्हें मौका ही नहीं मिला." मायरा मुस्कुरा दी, बगैर विचलित हुए।

"अब तक तो मैं यही सोचती रही कि मेरे दोस्तों को तुम इतनी पसंद क्यों हो?" काव्या ने झुंझलाते हुए कहा।

"जो भी हो... मैं बस पूछने आई थी—"

"रोनी ईझ नन ओफ योर कन्सर्न।" काव्या ने बात काट दी। "आदि तुम्हें घर छोड़ देगा, या टैक्सी बुक कर देगा।"

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बालकनी में


जब माहौल थोड़ी देर बाद शांत हुआ, आकाश ने आदित्य से पूछा, “मिस खन्ना तुम्हारे साथ है? क्योंकि मेरी प्रिंसेस अपने दोस्तों के बारे में कभी ग़लत नहीं सोचती। वो हमे जज नहीं करती। तो मैं दोबारा नहीं पूछूंगा। क्या चल रहा है?"

आदित्य ने लंबी साँस ली। "मैंने बहुत बडी गड़बड़ कर दी है। बहुत बुरी तरह।"

"क्या इसमें मिस खन्ना शामिल है?"

"हाँ..."

"तो फिर?"

आदित्य थोड़ी देर चुप रहा। "रोनित के वापस आने के बाद सब बताऊंगा। अभी वक्त चाहिए। मुझे... शायद डेड को मनाना पड़ेगा।"

आकाश गंभीर हो गया। "अब डरा रहा है, ब्रो। साफ-साफ बोल।"

"बात बहुत सीरियस है। मुझे उसकी परमिशन चाहिए।" आदित्य ने स्वीकारा।

"क्या तुम दोनों अब साथ हो?" आकाश ने चौंकते हुए पूछा।

"तेरे और श्रेया जैसे नहीं." आदित्य ने चुटकी ली।

"चुप कर। हम कोई कपल नहीं हैं." आकाश झुंझलाया।

"गाइस, सीरियसली! लेट हो रहे हो। अब मैचमेकिंग बंद करो। आकाश, तुमने बैग भी पैक किया है?" जय ने वापस आते हुए कहा।

"मेरे बैग मेरे अपार्टमेंट में रेडी हैं." आकाश ने जवाब दिया।

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फ्लाइट का सफर – रात का समय


आकाश बिज़नेस क्लास की सीट पर पीछे की ओर टिक गया, हाथ बांधे हुए और खिड़की के बाहर नज़रें गड़ाए हुए। नीचे शहर की रौशनी धीमे-धीमे छोटी और मद्धम होती जा रही थी, जैसे-जैसे विमान ऊंचाई पकड़ रहा था। लेकिन उसका मन विमान के साथ उड़ान नहीं भर रहा था। उसका दिमाग कहीं और उलझा था — रोनित में।

"क्या कुछ परेशान कर रहा है तुम्हें..? तुम मुझसे कुछ भी कह सकते हो।" श्रेया ने उसे दिलासा देने की कोशिश की।

"वो ऐसा... कर नहीं सकता." आकाश बड़बड़ाया, जैसे खुद से ही बात कर रहा हो, श्रेया से नहीं, जो चुपचाप उसके बगल में बैठी थी, हाथ गोद में रखे।

उसने उसकी ओर देखा। "हम्म?"

आकाश उसकी ओर मुड़ा, उसके जबड़े पर झुंझलाहट साफ़ दिखाई दे रही थी। "रोनित। वो किसी से बिना बताए शादी नहीं कर सकता। हम रोनित की बात कर रहे हैं। उसने हमेशा कहा कि वो कभी शादी नहीं करेगा। इस तरह नहीं। चुपके से नहीं। और अब ये लड़की सामने आ जाती है और अचानक सब कुछ बदल जाता है? कोई खबर नहीं, कोई चेतावनी नहीं।"

श्रेया ने हल्के से सिर हिलाया, सुनती रही।

आकाश ने कहा, "जानती हो सबसे ज़्यादा क्या चुभ रहा है? ये शादी नहीं... ये बात है कि उसने हम पर इतना भी भरोसा नहीं किया कि बता सके। मुझ पर, आदित्य पर... यहाँ तक कि काव्या पर भी। खासकर काव्या पर। उसने उससे कभी कुछ नहीं छुपाया।"कुछ क्षणों की चुप्पी छा गई। श्रेया ने अपनी निगाहें नीचे रखीं, अपनी अंगूठी से खेलने लगी।

आकाश ने गहरी साँस ली और अपनी नाक के पुल को मसलते हुए पीछे टिक गया। "मुझे बस... पता नहीं हम चंडीगढ़ में क्या पाएंगे। डर लग रहा है कहीं वो इससे भी बुरा न हो, जितना हम सोच रहे हैं।"

श्रेया ने आखिरकार उसकी ओर देखा, उसकी आवाज़ शांत और स्थिर थी। "आकाश, मैं समझ सकती हूँ तुम कैसा महसूस कर रहे हो। लेकिन शायद... शायद कुछ अनएक्सपेक्टेड हुआ हो। कुछ ज़रूरी। हम रोनित को जानते हैं। तुम रोनित को जानते हो। वो इतना बड़ा कदम बिना वजह नहीं उठाता। वो आवेश में आ सकता है, हाँ, लेकिन लापरवाह नहीं है।"

आकाश के होंठ एक पतली रेखा में सिमट गए।

श्रेया ने कहा, "यह सडन भी हो सकता है, या फिर कोई लीगल प्रोबलम। शायद उसके पास समय ही नहीं था बताने का। या उसे लगा बताने से चीज़ें और उलझ जाएंगी।"

आकाश उसकी ओर मुड़ा, भौंहें सिकुड़ी हुईं। "लेकिन फिर भी... एक मैसेज भी नहीं?"

"वो किसी को प्रोटेक्ट कर रहा होगा." उसने नरमी से कहा। "या खुद को। जब लोग घिर जाते हैं, तो अजीब फैसले लेते हैं। तुम ये मुझसे बेहतर जानते हो।"

उसके शब्दों ने उसे एक कम्बल की तरह ढक लिया — नरम, लेकिन पूरी तरह से सुकून नहीं दे पा रहे थे।

"मैं बस ये नहीं मानना चाहता कि वो हमसे छुप रहा है." आकाश ने एक विराम के बाद कहा। "ऐसा लग रहा है जैसे हमने पहले ही कुछ खो दिया हो।"

श्रेया ने आगे बढ़कर अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया। "तुमने उसे नहीं खोया है। जब हम वहाँ पहुँचेंगे, सब जान जाओगे। बस... अपने दोस्त पर भरोसा रखो। रोनित अब भी वही है।"

आकाश ने उनके जुड़े हुए हाथों को देखा, वो गर्माहट जो उसके सीने में फैले तूफान को कुछ हद तक स्थिर कर रही थी।

और फिर, श्रेया का हाथ धीरे-धीरे पीछे खिसक गया, और उसने फुसफुसाकर कहा, "आकाश"

उसकी आवाज़ असामान्य रूप से नरम थी। उसने उसकी ओर देखा, उस स्वर में बदलाव को महसूस करते हुए।

"मुझे तुमसे कुछ कहना है। और पता नहीं मुझे दोबारा मौका मिलेगा या नहीं." उसने कहा।

आकाश सीधा बैठ गया। उसकी निगाहें सीटबेल्ट साइन पर टिकी थीं, उस पर नहीं। बस यही बात उसे बेचैन कर गई।

"मेरे भाई ने... मेरे लिए कुछ तय कर लिया है। बिना पूछे।"

"क्या?" आकाश ने पूछा, भौंहें सिकुड़ गईं।

उसने मुश्किल से निगलते हुए कहा, "उसने मेरी शादी तय कर दी है।"

आकाश ने उसे घूरा।

"जनवरी में। बस एक महीने बाद। कोई पारिवारिक जान-पहचान वाला लड़का है। सब कुछ मेरे बीना तय हुआ है। मुझे कल माँ ने फोन पर बताया। मैंने किसी को नहीं बताया अभी तक।"

वो पलकें झपकता रह गया, कुछ कहने की कोशिश की लेकिन शब्द नहीं निकले। केबिन की हवा अचानक ठंडी लगने लगी।

"श्री..."

"मुझे इसके बारे में कल ही पता चला। मैंने सोचा था इंतज़ार करूँगी... जब तक सब कुछ यहाँ शांत नहीं हो जाता। लेकिन अब... अब मुझे लगता है मुझे बताना चाहिए।"

आकाश कुछ नहीं कह पाया। उसका एक हिस्सा चिल्लाना चाहता था, दूसरा मानने से इनकार कर रहा था। वो कोई ऐसी नहीं थी जिसे वो खो सकता था — इस तरह नहीं। बिना चेतावनी के। फिर से नहीं।

लेकिन इससे पहले कि वो कुछ कह पाता, श्रेया झुकी, चुपचाप, और उसे चूम लिया।

ये कोई हल्का-सा किस नहीं था।

एक असली किस। होंठों पर। कोमल, लेकिन निश्चित। उसकी आँखें बंद थीं, उसकी उंगलियाँ आकाश की कलाई को हल्के से छू रही थीं।

आकाश ठिठक गया। उसका दिमाग सुन्न हो गया। वो पलटकर किस नही नहीं पाया। वो कर ही नहीं पाया।

वो धीरे से पीछे हटी, उसकी आँखों में आंसुओं की नमी थी।

"मैं अपना पहला किस खोना नहीं चाहती थी." उसने फुसफुसाकर कहा। "किसी ऐसे इंसान को नहीं, जिसे मैंने चुना नहीं।" उसकी आँखें भीगी हुई थीं।

वो वहीं बैठा रहा, जड़, स्तब्ध, उसकी साँसें जैसे अटक गई हों।

श्रेया ने दूसरी ओर देखा, अपनी नज़र उस छोटी-सी खिड़की पर टिका दी।

काफी देर तक दोनों में से किसी ने कुछ नहीं कहा। बाहर का आसमान पूरी तरह से अंधेरा हो गया था। लेकिन विमान के अंदर उनकी चुप्पी उस अंधेरे से कहीं ज़्यादा भारी थी।

वो अब भी उसके बगल में थी, अपने ख़्यालों में खोई हुई, जब उसने धीरे से पूछा,
"क्या मैं...कैन आई गेट अ हग, प्लीज़?"

आकाश धीरे से उसकी ओर मुड़ा। उसके सीने में अब भी हर एक अनकहे शब्द का बोझ था। कुछ पलों की चुप्पी के बाद उसने धीरे से सिर हिलाया।

वो उसमें धीरे-धीरे समा गई, सावधानी से, जैसे किसी को यह यक़ीन न हो कि उसे सुकून पाने का हक़ है। और उसने अपनी बाँहों में उसे समेट लिया, धीरे से अपने सीने से लगा लिया। उसका चेहरा उस पर टिक गया, और थोड़ी ही देर में वो उसके कंधे पर काँपती महसूस हुई।

"आई विल फाईन्ड अ वे, टु सेव यु." आकाश ने उसके बालों में फुसफुसाया। "टु सेव अस।"

"प्लीज़." उसने टूटी हुई आवाज़ में कहा, वो शब्द जैसे उसकी साँसों में उलझ गया हो। आकाश उसकी आँखों के आँसू अपनी कमीज़ पर महसूस कर सकता था। उसकी श्रेया के आँसू।

वो हर सांस के साथ उसका दर्द महसूस कर सकता था, जो उसकी छाती से टकरा रही थी। उसकी अपनी आवाज़ भी भर्रा गई जब उसने कहा,
"मैं तुम्हें फिर से खोना नहीं चाहता। मैं अब उस तरह ज़िंदा रहने की हिम्मत नहीं रखता, तुम्हारे बिना।"

आकाश ने धीरे से उसका चेहरा ऊपर किया, उसकी उंगलियाँ उसके आँसूओं से भीगे गालों पर गर्माहट दे रही थीं। उसने उसे देखा — सच में देखा।

"मैं वादा करता हूँ." उसने धीरे से कहा। "आई विल फाईन्ड अ वे। हम साथ होंगे। हम खुश होंगे। एई स्वेर।"

और इससे पहले कि वो कुछ कह सके, आकाश झुक गया और उसे चूम लिया।

न तो भ्रम के साथ, न ही झिझक के साथ।

बल्कि हर उस भावना के साथ जो उसने कभी नहीं कही थी।

जो उसने दिल में दबा रखी थी।

ये किस न पेशनेट था, न ही नाटकीय।

ये कोमल था, निश्चित था।

और उस पल में, बिना ज़ुबान से कहे भी, वो सब कुछ कह चुका था - कि उसका दिल हमेशा से सिर्फ उसी का था।

वो पीछे हटा। उसके चेहरे पर गिरे बालों को ठीक किया। उसके माथे पर एक चुम्बन दिया और वहीं रुक गया।

उसे बाहों में लिए हुए। वहीँ। यूँ ही।

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Countinues in the next episode...