KALANK in Hindi Women Focused by Reshu Sachan books and stories PDF | कलंक

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कलंक

“ हाँथ पैर बांधो इसके और खूब मारो “, मारकर फांसी के फंदे में लटका दो इसे “ “ जीते जी कभी घर आ न जाना “ ,,,,, यह महज शब्द नहीं वो नमक और मिर्च था जो बुलबुल के दिल और जिन्दगी के घावों पर लगाया गया था , और लगाने वाले कोई और नहीं उसके खुद के माँ बाप थे | वो माँ बाप जिनके सपने पूरे करने के लिए बुलबुल ने जी जान लगा दी , प्रतिष्ठित जगह नौकरी करके माँ बाप को समाज में इज्ज़त दिलाई , जिनको अपने जीवनसाथी अपने पति से ऊपर अपनी जिंदगी में जगह दी ,, उन्होंने ने ही आज उसे इन शब्दों से उसके छोटे बच्चे के सामने जलालत का अहसास कराया | उस छोटे भाई, जिसे उसने अपने बेटे के बराबर प्यार और अपनापन दिया, उससे यह कुकृत्य करने को कहा गया | उस वक़्त बुलबुल की बात न तो कोई सुनने वाला था न ही मानने वाला, उसे तो घोषित चरित्रहीन मान लिया गया था | मानने के पीछे की वजह भी थी क्यूंकि यह आरोप किसी और ने नहीं बुलबुल के पति ने ही लगाये थे , जिसे उसके माँ - बाप, भाई – बहन सबने एक सुर में स्वीकार कर लिए थे | छोटे भाई ने तो गला तक दबाने की कोशिश की ताकि वो बुलबुल का फोन छीन सके और पति ने उस पर हाँथ उठाया, उसके ऊपर बार हुआ बैग पटक कर मारा | सब आवेश में बहे जा रहे थे मानों खून सवार हो सबके ऊपर , किसी को इतना तक फर्क नहीं पड़ रहा था कि बुलबुल के बेटे के सामने कम से कम यह आक्रोश यह तैश न दिखाएँ | एक बेटे के लिए सबसे पहला गुरु और आदर्श उसकी माँ होती है , पता नहीं उस बच्चे के मन में, दिल में क्या गुजर रहा होगा ? इस बात का ध्यान तो था ही नहीं बल्कि इसके उस समय बुलबुल के पति को दो दिन में दूसरी शादी और अपने बेटे के लिए दूसरी माँ की ज्यादा पड़ी थी| बुलबुल के बार-बार बेटे को इन सबसे दूर रखने की बात पर, बच्चे को सब पता होना चाहिए जैसी बात पर उसका पति अडिग था | उसके सर पर पूरी तरह से भूत सवार था कि आज बुलबुल को अपने घर से बाहर निकाल देगा और रिश्ता ख़त्म करके उसके बेटे से भी अलग कर देगा ताकि बुलबुल को पूरी तरह से तोड़ सके |

बुलबुल को वो शाम याद आ रही थी, जिस रात उसके पति मिहित का फ़ोन पहली बार उसके फोन पर आया था और वो उससे बात करके इतना ज्यादा प्रभावित हो गई थी कि शादी जैसा एक अहम् फैसला उसने पहली बार में ही ले लिया था | बिना कुछ आगे सोंचे समझे, बिना किसी की परवाह किये, अपना भविष्य दांव पर लगाकर उसे अपना सब सौंप दिया था | बुलबुल के सपने बहुत बड़े थे | बेहद गरीब परिवार की एक लड़की आसमान की ऊँचाइयों पर अपनी ऊँची उड़ान का सपना देख रही थी , वो आई ए एस बनना चाहती थी | उसे मालूम था वो एक दिन ऐसा जरुर कर लेगी , इसलिए उसने अपने घर से भी वक्त मांग लिया था कि कम से कम पांच साल तक उसकी शादी की बात न की जाये | घरवाले भी मान गए थे , पर एक दिन किसी रिश्तेदार के कहने पर मिहित के घर रिश्ता लेके चले गए थे और इस बात की जानकारी बुलबुल को नहीं थी | मिहित एक सरकारी अफसर था और उसे बुलबुल की नौकरी, फेसबुक पर उसकी प्रोफाइल इतनी पसंद आ गई कि उसने और उसके घरवालों ने बिना सामने से देखे मन बना लिया था कि वो बुलबुल से ही शादी करेगा और उसे अपने घर की बहु बनाएगा | बस इसी बात को बताने के लिए कि वो जब भी अपने घरवालों के साथ आयेगा तुम्हे देखने ,पसंद करके ही जायेगा, उसने बुलबुल को फोन किया था और बुलबुल की मर्जी जानना चाहता था | बुलबुल को उस दिन मिहिर के बारे में यही लगा था कि यह इंसान कितना अच्छा है जो बिना किसी रिश्ते के ही उसकी मर्जी उसकी ख़ुशी जानना चाहता है, वो बेहद खुशनसीब होंगे जिसके साथ मिहित का कोई न कोई रिश्ता होगा | बस इसी बात की मुरीद होकर बुलबुल ने उसे अपना जीवनसाथी स्वीकार कर लिया और अपने आई ए एस के सपने को भी एक किनारे कर दिया, उसके दिल ने यही महसूस किया था उस वक्त कि सपने तो पूरे हो जायेंगे यह भरोसा है पर ऐसा समझने वाला जीवनसाथी शायद नहीं मिलेगा तो खुद की ख़ुशी के लिए, एक सिक्यूरिटी के लिए उसने एक दांव खेल लिया| मिहित ने अपने स्वभाव से न सिर्फ बुलबुल का दिल जीता बल्कि उसके माँ-बाप, भाई- बहन सबके लिए एक आइडियल इन्सान बन गया| वक्त बीतता गया, बुलबुल एक बेटे की माँ बनी, उसने अपनी समस्त जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की कोशिश की मगर वो कभी वो जगह मिहित के घर और घरवालों में बना पायी जो बुलबुल के घर में मिहित की थी|  दरअसल बुलबुल हमेशा ससुराल में वो प्यार, वो सम्मान ढूंढती रही जो उसके घर में मिला या जो मिहित को उसके घर में मिला और वो सामंजस्य बन नहीं पाया | शादी के बाद बहुत कुछ छोड़ना होता है, दिल से निकालना होता है, और बुलबुल अपने मायके का वो प्यार निकल नही पाई| फिर भी उसे लगता था कोई बात नहीं मायका तो साथ है न, पति और बच्चा तो साथ है न|

मगर आज इस शाम जब उसका पति उसके घरवालों के साथ उसे चरित्रहीन घोषित करके घर से बाहर निकल जाने की धमकी दे रहा था तो बुलबुल को अब और बर्दाश्त नही हुआ और उसे  अपने आत्मसम्मान से समझौता करना ठीक नहीं लगा और उसने घर छोड़कर जाने का पूरा मन बना लिया | उसे दिल में बहुत पीड़ा बहुत महसूस हो रही थी क्योंकि  घर के साथ उसे अपने बेटे को भी छोड़ना पड़ता | जिस बेटे को एक अच्छा इन्सान बनाने के लिए उसने जी जान लगा दी, जो उसके जीने का एकमात्र सहारा था,जिसकी वजह से वो इतने सालों की शादीशुदा जिन्दगी से समझौता कर रही थी आज तक, बात जब उसे छोड़कर जाने की हो तो किसी भी माँ के पास जीने के लिए कुछ नहीं बचा रह सकता है | पर अगर उसका पति, उसके अपने माँ-बाप, भाई-बहन, उसके आत्मसम्मान की लड़ाई को उसके चरित्र के साथ जोड़ दें तो वो पत्नी, बेटी, बहन जिन्दा रहने की चाहत खो देती है | इस कहानी में आप बार बार बुलबुल के चरित्रहीन होने के दोषारोपण को सुन रहे हैं | बात दरअसल यह है कि आज के मॉडर्न दौर में हम यह स्वीकार ही नहीं कर पाते कि कोई कामकाजी महिला और पुरुष जो साथ में काम करते हैं, बात करते हैं, एक-दूसरे के साथ खड़े होते हैं, वो बहुत अच्छे दोस्त, मेंटर भी हो सकते हैं | कामकाजी महिलाओं के लिए ऑफिस उनका दूसरा घर सद्र्श होता है , जहाँ वो अपने घर से ज्यादा वक्त अपने सहकर्मियों के साथ गुजारती हैं , जो उनके अच्छे – बुरे में उनके साथ खड़े होते हैं | सबसे अहम् बात कि पुरूषों को समझने में महिलाओं के पास सिक्स सेंस होता है , उन्हें अच्छे- बुरे व्यक्ति में , उनकी सोंच को समझने की पूरी समझ होती है ,तो किसी भी महिला को यह बेहतर मालूम होता है कि वो जिस पुरुष के संपर्क में है वो उसके लिए कितना सही है और उसे अपनी औरत होने की मर्यादा को किस हद तक निभाना है | तो अगर हम रूढ़िवादिता दिखाते हुए किसी महिला का पुरुष से बात करना ,उसके चरित्र से जोड़ देंगे तो यह कितना न्यायसंगत होगा?

इस बात से अक्सर आप अनजान रहते हो कि आपके साथ दिखने वाली पूरी दुनियां एक वक्त के बाद आपकी ही बर्बादी का कारण बनती है | आप हमेशा एक ग़लतफ़हमी की ख्यालों की दुनियां में यह कहते हुए नहीं थकते कि आपने जिंदगी भर पैसे भले ही न कमायें हो मगर रिश्ते कमाने में आपको महारथ हासिल है  और इसी बात का गुमान करते हुए आप एक ऐसे मोड़ पर पहुचंते हो जहाँ आपके पास आपके खून के रिश्ते भी आपका साथ न सिर्फ छोड़ते हैं बल्कि आपकी बर्बादी का कारण भी वही बनते हैं | ऐसा ही कुछ बुलबुल की जिंदगी में घटित हुआ, जहाँ उसका रिश्तों, अपनों के प्यार, खून का सम्बन्ध ऐसे समस्त शब्दों और अहसासों से विश्वास ही उठ गया और तमाम सवाल छोड़ गया कि आखिर उसे किस गलती कि सजा मिली? आखिर क्यूँ उसके आत्म सम्मान को तार तार किया गया ? आखिर क्यूँ उसके खुद के माँ-बाप को अपनी परवरिश / संस्कारों पर ही भरोसा नहीं रहा ? क्या आज के दौर में किसी भी महिला और पुरुष का रिश्ता सिर्फ जिस्मानी ही समझा जायेगा ? क्या आज लोगों की सोंच में किसी भी रिश्ते की पवित्रता रही ही नहीं ? अगर आपके पास इन सबके जवाब हैं तो लिखियेगा जरुर .....