My Mafia Boyfriend - 3 in Hindi Love Stories by unknown writer books and stories PDF | My Mafia Boyfriend - 3

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My Mafia Boyfriend - 3

VS GROUP, मुंबई | सुबह 10:40 AM

रिहान के पहले दिन की शुरुआत बेहद औपचारिक थी।

PR हेड माया चौधरी सभी नए इंटर्न्स को लेकर एक ग्लास वॉल मीटिंग रूम में खड़ी थीं।

माया :–"यहां हर चीज़ का एक रूटीन है, और वीर सर… वो रूटीन से भी आगे की सोचते हैं।
गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। उम्मीद है, आप सब समझते हैं।"

रिहान बाकी इंटर्न्स के साथ चुपचाप खड़ा था। उसकी आंखें कमरे की हर दीवार, हर कैमरा, हर डिटेल को स्कैन कर रही थीं।

रिहान (मन में) :–"इस जगह की सुरक्षा भी… एक राज़ की तरह है। कहीं न कहीं… इसी में छुपा है मेरा जवाब।"

VS GROUP का गलियारा | वीर की केबिन के बाहर

          रिहान को Data Analysis सेक्शन में भेजा गया था।
एक चेहरा जो उसे तुरंत मिला — जुनैद।

जुनैद खान – एक स्मार्ट, बेफिक्र पर दिल से नेक लड़का, जो पहले दिन से ही रिहान से घुलने लगा।

जुनैद (मुस्कराकर) :–"भाई तू दिल्ली से है? Accent थोड़ा प्रो लग रहा है, जैसे Netflix से निकला हो!"

रिहान (हँसते हुए) :–"तू भी कोई कम नहीं है। Bollywood के dialogue तैयार लगते हैं तेरे पास!"

दोनों हँसते हैं। पहली बार रिहान थोड़ी देर के लिए मुस्कुराया था। पर अंदर... वो एक और ही प्लान बना रहा था।

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वीर का केबिन---------
           वीर सैयद के केबिन की दीवारें भी जैसे उसके व्यक्तित्व जैसी थीं — ठंडी, शांत, और खामोश।

शेखर वीर को एक रिपोर्ट दे रहा था जब अचानक…
वीर :– "वो नया लड़का… मेहरा। उसका बैकग्राउंड चेक हुआ?"
शेखर (संकोच में) :–"हाँ सर, Delhi University का है, सब क्लीन लग रहा है।"

वीर (आँखें सिकोड़ते हुए) :–"‘लग रहा है’ जैसे वो कोई जासूस है! उसके बारे में और पता लगाओ!!

शेखर :–"ज़रूरत हो तो… निकाल दें?"

वीर (धीरे से) :–"नहीं। कुछ लोग खुद अपने पैर से दलदल में आते हैं… और मैं इंतज़ार करता हूँ — वो कितना अंदर जाता हैं!!

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Data Room | गुप्त फाइल की झलक
         रात को, सभी के जाने के बाद, रिहान अकेला Data Room में था।
VS GROUP के पुराने केस स्टडीज़ में कुछ लॉग फोल्डर्स दिख रहे थे।
एक फोल्डर पर टेप चिपका था —
"OPERATION BLACK TRACE – Confidential"

       उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगा।

रिहान (मन में) :–"पापा की फाइल… यही थी? पर... इसमें कुछ पन्ने गायब हैं।"

वो जैसे ही फोल्डर को वापस रखने ही वाला था, तभी—

आवाज़ :–"काम का जुनून है… या कुछ और तलाश रहे हो?"
रिहान चौक कर पलटा।

दरवाज़े पर वीर सैयद खड़ा था।

अकेले में वीर और रिहान

वीर ने कमरे में कदम रखा।

वीर (शांत लहजे में) :– "तुम्हारा नाम… रिहान मेहरा है ना?"

रिहान (साँस थामते हुए) :–"…जी सर।"

वीर :–"यहां कुछ ढूंढने आए हो क्या?!

रिहान की सांसें थम गईं।

पर अगले ही पल उसने खुद को संभाला।

रिहान (धीमे से मुस्कराकर) :–"सर, वो एक्चुअली कुछ फाइल्स लेने आया था!!

वीर उसके करीब आता है रिहान पीछे हटने लगता है पीछे वो दीवार तक पहुंचता है और खुदको दीवार पर चिपका देता है वीर आता है और एक हाथ दीवार पे रख उसके करीब आता है रिहाना आंखें नीचे कर लेता है!! वीर उसके करीब जा कर उसके काम में कहता है डर रहे हो क्या मुझसे "खरगोश"!!
मैं भेड़िया हूं तुम्हे खा जाऊंगा!! और वो उसका चेहरा अपनी तरफ करके किस करने लगता है रिहान को तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था तभी वो वीर को धक्का दे देता है वीर पीछे टेबल से जा टकराता है और उसके हाथ में चोट लग जाती है रोहिणी घबरा के कहता है :– सॉरी सर, मैने जानबूझ के नहीं किया मुझे माफ कर दीजिए!!!

वीर (धीरे से मुस्कुराकर) :–"तुम्हें मेरी फिक्र हो रही है क्या "खरगोश" मैं भेड़िया हूं मुझे दर्द नहीं होता!!

वो बिना कुछ और कहे वहाँ से चला जाता है।

रिहान वहीं खड़ा रह जाता है — एक अजीब सी कंपकंपी के साथ।


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रिहान का फ्लैट | रात----------
             वो वापस अपने छोटे फ्लैट में आता है। टेबल पर वही डायरी रखी है।

एक और पन्ना खोलता है।

डायरी :– "अगर तुम्हें ये फाइल मिल जाए, तो समझ जाना… सबूत कभी मिटाए नहीं जाते, बस बदल दिए जाते हैं।"
"VS GROUP का सबसे बड़ा सच… इसकी सबसे ऊँची मंज़िल पर छुपा है।"

रिहान (गहराई से सोचते हुए) :–"सबसे ऊँची मंज़िल... वीर सैयद का केबिन?"
उसने एक और फैसला कर लिया था — वो किसी भी कीमत पर उस मंज़िल तक जाएगा। और फिर बेड पर लेट जाता है वो जैसे लेट के आंखें बंद करता है उसे वो किस वाली सीन्स याद आने लगती हैं!!
वो गुस्से में कहता है "ये वीर सैयद कितना अजीब है ऐसे कैसे मुझे किस कर सकता है, और वो क्या अजीब कह रहा था क्या उसे मैं खरगोश लगता हूं! और खुदको भेड़िया कह रहा था पागल आदमी कहीं का!!!

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वीर का विला———

       वीर की बालकनी | समंदर के सामने

वीर, समंदर की ओर देख रहा था।

वीर (धीरे से) :–"ये लड़का… उसकी मौजूदगी बेचैन कर रही है मुझे मैं इसे कैसे पहचान नहीं पाया!!।"हंसते हुए कहता है मेरा "खरगोश"

शेखर (पीछे से) :– "किसी पुराने ज़ख्म की तरह?"

वीर (मुस्कुरा कर ऐसा प्रिटेंड करके कहता है जैसे वो रिहान को नहीं जानता) :–"शायद… या शायद वो कोई नया तूफ़ान है।
जो मासूमियत के चेहरे में आया है… पर आग भीतर लेकर।"

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अगले पार्ट में जानेंगे कि वीर रिहान को कैसे जनता है!!!

TO BE CONTINUED...

अगले एपिसोड में:

रिहान की VS GROUP की ऊपरी मंज़िल में एंट्री की पहली कोशिश

वीर और रिहान के बीच एक और निजी टक्कर

और जुनैद — क्या वो रिहान की सच्चाई के करीब आ जाएगा?


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