Towards the Light – Reminiscence in Hindi Moral Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | उजाले की ओर –संस्मरण

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उजाले की ओर –संस्मरण

सभी मित्रों को

स्नेहिल नमस्कार

आशा है सभी आनंद में हैं।

    जीवन की गति हम न जाने, जो होना है, होना ही है। हम यदि समझें केवल प्रेम को, सभी समाधान पा जाएं।

     हम सब ही इससे तो परिचित हैं  ही हैं कि संसार का हर एक व्यक्ति तीन नियमों से बंधा हुआ है। एक दिन हम दुनिया में आए थे, अभी जीवित हैं और एक दिन दुनिया से जाना है। आना और जाने का समय तो निश्चित है ही,बस बीच के समय को कैसे जीना है ये हमें चुनना है। क्या सही है क्या गलत? यह सबकी अपनी-अपनी सोच है लेकिन  हमें क्या पसन्द है क्या नापसंद? इसके बारे में हमें खुद ही सोचना होगा।

बस अपना पसंदीदा काम करना है लेकिन स्नेह और प्रेम के साथ!। इसलिए यह कहा जाता है कि अपना समय नष्ट न करें। समय एक ऐसा तोहफा है जो हमें कभी भी वापिस नहीं मिलेगा। इसका जो हिस्सा हमने गुजार लिया वो गया, चाहे वो कैसे भी गुजरा हो। उसमें से आप एक सेकंड भी हासिल नही कर सकते हैं। 

     इसीलिए इसका इस्तेमाल बहुत सोच समझ कर करना चाहिए। चाहे तो इसको मैं अपने ज्ञान को बढ़ाने, मौज-मस्ती में, परिवार के साथ, या अपनी काबिलियत को इस्तेमाल करने में लगा दूं ओर चाहे तो कुछ भी न करके इसको बर्बाद कर दूं। इसका निर्णय हमें स्वयं करना है बस इतना याद रखना है कि यह कभी भी लौट कर नहीं आएगा।

हमारा मन बहुत चंचल होता है। इसे काबू में रखना आसान नहीं है। यदि आपने इसे काबू में कर लिया तो समझिये तो आप नकारात्मकता, बुरी आदतों, अहंकार, गलत संगत या यूं कहें कि जो भी नेगेटिव एनर्जी है उससे दूर होने की राह पर अग्रसर हो जाते हैं। आपके जीवन मे सच्चाई, अच्छाई, ईमानदारी, सात्विकता आने लगती है। फिर हमें अपने अंदर की बुराइयों से लड़ने की जद्दोजहद नही करनी पड़ती है। मन शांत हो जाता है। ईर्ष्या, नफरत और तनाव खत्म हो जाता है। सच्ची खुशी और शांति प्राप्त होती है। यही आत्म सशक्तिकरण का रास्ता है।