The Unfinished Pages of Love in Hindi Love Stories by Abhay Marbate books and stories PDF | मोहब्बत के अधूरे पन्ने

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मोहब्बत के अधूरे पन्ने

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✨ अध्याय 1: पहली मुलाक़ात

बारिश की बूंदें गिर रही थीं जैसे आसमान भी किसी अधूरी मोहब्बत का मातम मना रहा हो।
अवनि अकेली सड़क पर भीगती जा रही थी। तभी एक बाइक उसके सामने आकर रुकी।
“Excuse me… छोड़ दूं कहीं?” लड़के ने पूछा।
अवनि हिचकी, फिर धीरे से बोली—“नहीं… मैं ठीक हूं।”
पर जब बारिश और तेज़ हो गई, तो वो लड़के की छतरी के नीचे आ गई।
यहीं से उनकी कहानी शुरू हुई…
नाम था उसका आरव।
और उनकी पहली मुलाकात ने दिल के बंद दरवाजे खोल दिए थे।


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✨ अध्याय 2: दिल के जज़्बात

कहते हैं ना… कुछ रिश्ते बनते नहीं, बस खुद-ब-खुद जुड़ जाते हैं।
अवनि और आरव की मुलाकातें अब अक्सर होने लगीं।
कॉफी, हँसी-मजाक और छोटी-छोटी बातें—लेकिन दोनों के दिलों में मोहब्बत के बीज धीरे-धीरे पनप रहे थे।
एक दिन आरव ने उससे कहा—
“पता नहीं क्यों… तुम्हारी आँखों में खो जाने का दिल करता है।”
अवनि मुस्कुरा दी… लेकिन उसकी आँखों में छुपा दर्द आरव फिर भी पढ़ न सका।


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✨ अध्याय 3: मोहब्बत का इम्तिहान

हर प्यार की कहानी में एक मोड़ आता है—जहाँ दिल तो साथ होते हैं, मगर हालात दुश्मन बन जाते हैं।
अवनि का अतीत उसे डराता था।
वो किसी से जुड़ने से डरती थी।
आरव ने सब समझा… लेकिन उसे वक़्त देने का फैसला किया।
“अगर तुम तैयार हो… तो मैं ज़िन्दगी भर तुम्हारा इंतज़ार करूंगा।”
शब्द तो बोल दिए गए, मगर दिलों में एक अनकहा डर बाकी था।


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✨ अध्याय 4: वक़्त की बेरुख़ी

किस्मत ने फिर खेल खेला…
अवनि को अचानक किसी और शहर जाना पड़ा।
जाते वक्त उसने आरव से बस इतना कहा—
“शायद हम फिर कभी न मिलें… लेकिन तुम्हारी यादें हमेशा साथ रहेंगी।”
आरव की आँखों में आंसू थे… पर उसने मुस्कराकर सिर हिला दिया।
कभी-कभी मोहब्बत जताई नहीं जाती, बस निभाई जाती है।


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✨ अध्याय 5: अधूरी मोहब्बत का आख़िरी सफ़र

वक़्त बीत गया… लेकिन आरव हर मोड़ पर अवनि की यादों के साथ जीता रहा।
कोई मैसेज नहीं, कोई खबर नहीं… लेकिन दिल की दीवारों पर सिर्फ उसकी तस्वीर टंगी रही।
फिर एक दिन अचानक उसे एक ख़त मिला—
“आरव, मैं खुश हूं… और तुम भी खुश रहना।
कुछ कहानियाँ मुकम्मल नहीं होतीं… पर वो हमेशा दिलों में जिंदा रहती हैं।”
आरव ने आसमान की तरफ देखा… और मुस्कुरा दिया।
मोहब्बत अधूरी थी… मगर अमर थी।
✨ अध्याय 6: यादों की लौ

कहते हैं कि वक़्त हर ज़ख्म भर देता है…
पर कुछ ज़ख्म ऐसे होते हैं जो वक़्त के साथ और गहरे हो जाते हैं।

आरव की ज़िन्दगी अब सामान्य हो चली थी—काम, दोस्त और दुनिया की रफ़्तार में वो खुद को खोने लगा था।
लेकिन हर खाली पल में… हर सन्नाटे में… उसकी आंखों के सामने बस अवनि की मुस्कान रहती थी।

एक शाम, अकेले बैठकर उसने वही पुरानी डायरी खोली, जिसमें कभी उसने अपनी मोहब्बत के पन्ने लिखे थे।
हर शब्द आज भी वही दर्द, वही मिठास लिए हुए थे।

तभी उसके फोन पर एक अनजान नंबर से मैसेज आया—
“क्या तुम अब भी मेरा इंतज़ार करते हो?”

आरव के हाथ काँपने लगे। दिल एक पल के लिए रुक सा गया।

वो जानता था—यह सवाल सिर्फ सवाल नहीं था…
यह उसकी अधूरी मोहब्बत की लौ थी… जो अब भी बुझी नहीं थी।

आरव ने जवाब लिखा—
“हां… क्योंकि कुछ मोहब्बतें कभी ख़त्म नहीं होतीं।”


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यह अध्याय कहानी में नई उम्मीद, इमोशन और सस्पेंस का तड़का लगा देगा।
अगर आप चाहो तो मैं अध्याय 7 (मुलाकात या पूरी मोहब्बत का अंत) भी लिख सकता हूँ।