Ishq - 15 in Hindi Love Stories by om prakash Jain books and stories PDF | इश्क. - 15

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इश्क. - 15

आप पाठकों  से  मुझे अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।मैं ओमप्रकाश जैन उपन्यासकार, कहानीकार लेखक हूं।मेरा संघर्ष और सपने उपन्यास नेट में सर्च कर सकते हैं। 

    इश्क एक धारावाहिक प्रेम कथा ,पारिवारिक ,इमोशन और सवेदन शील प्रेरणादाई कहानी है ।आगे की कहानी पाठकों को बता रहा हूं ।

  सिम्मी बहुत घबराई हुई है अपने वेदांत की बीच की प्रेम प्रसंग को लेकर बैचेन हो जाती है ।क्योंकि सिम्मी एक गरीब परिवार से हैं ।और उनके मां बाप को सिम्मी की वेदांत के साथ प्रेम प्रसंग की भनक तक नहीं है ।सिम्मी के पिता जी को संदेह होता है परंतु शेखर का आना जाना होने से सक नहीं करता ।

     शेखर सिम्मी के अमेरिका वाली सहेली के भाई है ।और सिम्मी के पिता जी अमेरिका वाली सहेली को मिलने घर बुलाए है ।अब सिम्मी घबराई हुई है।चिंता कर रही है ।शेखर कहा से मेरी सहेली बना के मेरे पिता जिन के समक्ष प्रस्तुत कर सकेगी ।नहीं तो मैं बाबूजी के नजर में झूठी फरेबी बन जाऊंगी। बाबूजी को मै कैसे समझाऊं चपरासी से शादी नहीं कर सकती हूं।मेरे सपनो की राजा और कोई नहीं वेदांत है ।इस बात को बाबूजी को बताना ही पड़ेगा ।जो भी हो मैं कब तक डरती रहूंगी।

      सिम्मी की बाबूजी आज उसका दिमाग फिर हुआ है।रात को देशी दारू पीने से नसा उतरा नहीं है।और बडबडा रहा है । सिम्मी को डाट रहा है ।तेरा अमेरिका वाली सहेली कब आएगी किससे मिलने जाती है ।शेखर आज आने वाला था तेरे सहेली के साथ ।क्या हुआ ।तेरे को इतना बड़े आदमियों से दोस्ती करने की क्या जरूरत पड़ गई 

   बाबू जी आप मेरे पर बेवजह ही सक कर रहें है।कल आएगी आज कंपनी के सीईओ के साथ मीटिंग में है।आप ही शेखर से बात कर लेते क्या सच और क्या झूठ है ।दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा ।

       मैं क्यों बात करूं तुम चपरासी के बेटे से शादी करना पड़ेगा ।कमाऊ लड़का है ।25 हजार तनख्वाह है।ऊपर की कमाई कोई नहीं बताता है।तू राज करेगी उसका बाप भी चपराची है ।इतवार को तेरी मंगनी है।कान खोल के सुन ले ।तेरा बहाना बाजी नहीं चलेगा ।

     सिम्मी रोने लगती है।बाबू जी कहीं अन्यत्र दारू पीने  उतारा करने चले जाते है । मां कहती है –सिम्मी क्यों र रही है ।तेरा बाप से तेरे को खरी खोटी सुनाया होगा ।

     नहीं मां मेरी किस्मत ही खराब है ।मै अभागी औरत हूं ।मै अपने दिल की बात बता नहीं पा सक रही हूं ।कितना बुदजील हुं ।

          किसी से प्रेम हो गया है । कहूं तो शादी करने वाला नहीं हो।मैं जानती हूं आप लोग पुराने ख्याल के हो ।चपरासी के गले बांधना चाहते हो ।मुझे अपने जीवन साथी के चुनाव करने में आप लोग मुझे स्वतंत्रता नहीं है ।मैं अभी भी अंग्रेज के गुलाम हूं ।

        मां ,तू साफ साफ बताए तेरा किसी लड़के से लफड़ा है क्या । मां लफड़ा क्या होता है ।शादी के पहले शहर के लड़की लड़के  प्रेम प्रसंग को वासना में बदल देते है ।फिर नशा चढ़ने लगता है ।पेट में बच्चा  फिर शादी करते हैं ।हमारा समाज की उत्थान नहीं हो रहा है ।गर्त में चल जा रहा है ।हमारे जमाने में दूल्हा के शादी के पहले सूरत नहीं देखते थे।माता पिता जो वर पसंद कर दे उसे जीवन भर निभाना पड़ता था ।    

मां मुझे समझ आ गया आप और बाबूजी का पटरी इसी लिए नहीं खाता ।आप बाबूजी को देखे रहती तो पहले समझ पाई रहती ।बाबू को देशी दारू पीने से फुर्सत नहीं है ।चपरासी के लड़के से शादी करने के लिए रट लगाए जा रहा है ।पता है वह लड़का एक नंबर के जुआड़ी ,शराबी,और अय्याशी है। मुझे सब कुछ मालूम चल गई है।६माह जेल में भी था ।बांध दो शराबी के खूंटे से ।मुझे एतराज नहीं है ।

     मां सोचने लगती है ।सिम्मी क्या कहा रही है।उनके बातों को सोचने के लिए के लिए विवश हो जाती है।और रात में सिम्मी के एक बात को याद करती है ।