Gagan - 21 in Hindi Biography by Kishanlal Sharma books and stories PDF | गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 21

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गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 21

-जब1से मैने होश सम्हाला क्या देखा

सबसे पहली बात लडक़ी अपना घर छोड़कर पति के घर आती है

उससे पहले उसकी शादी होती है।अग्नि के सात फेरे जिसे सप्तपदी भी कहते हैं।पंडितजी अनेक बाते बताते हैं उनमें एक है

पति पत्नी में कोई छोटा नही है, दोनों बराबर है।लेकिन यह बात वही गलत हो जाती है जब पंडितजी फेरो क़े बाद वधु से वर के पैर छूने के लिये कहते हैं।

औऱ जब लडक़ी  विवाह के बाद ससुराल आ जाती है, तब मैं बात कर रहा हूँ,50-52 साल पुरानी।सास यह भूल जाती है कि वह भी बहु बनकर ही आयी थी।बहु को बेटी नही समझती इसका नतीजा यह होता है कि बहु के ऊपर सारे काम लाद दिये जाते हैं, मानो वह नौकर हो1

सास ही नही उस पर देवर ननद सभी हुक्म चलाते हैं।और अगर कोई गलती हो जाये तो सास कहती है, फूहड़ है, कुछ नही जानती और बेटे से भी शिकायत करती है औऱ बहुत से पत्नी को पीटते है।पपत्नी को दोयम दर्जे का समझा जाता था।और पुरुष को श्रेष्ठ।और यह खानपान में भी बरकरार रहती है।आदमी काम करता है तो उसे पोष्टिक भोजन भी चाहिए और औरत दिन भर घर मे मेहनत करती है उसे रूखा सुख दे दो।

दाम्पत्य में विश्वास जरूरी है।लेकिन मर्दों को मैने अपनी पत्नियों पर शक करते हुए देखा।अगर औरत किसी पराए मर्द से हंसकर बात कर ले तो पति फ़ौरन उस पर शक करने लगता और अपनी पत्नी के चरित्र पर खुद ही उंगली उठाने लगता।पति खाना न खा ले तब तक पत्नी खाना नही खा सकती।पति की सलामती के लिय पत्नी को व्रत करने है।

पत्नी का कर्तव्य है, वह रात को पति के पैर दबाए, सिर में दर्द हो तो सिर

और पत्नी के चाहे कुछ भी हो।और मासिक धर्म मे उसे अछूत समझ लिया जाए

और अनेक विसंगति, विरोधाभास हमारे समाज मे थे जो मैने हमारे समाज मे देखे थे।

और वो सारी विसंगतियों को मैने अपने मन मे बैठा

लिया था। 

मेरी सगाई 30 सितंबर 1971 को हुई थी और शादी 24 जून 1973 को ऐसा कोई मुहर्त न निकलने के कारण हुआ।सगाई से पहले मै अपने कजिन के साथ लड़की देखने गया था।बस उसके बाद हम बीच मे नही मिले।एक बार अवसर आया था कि शायद मुलाकात हो जाये, वह था, मेरे बडे साले साहब की शादी जो1972 में हुई थी।

हमारे यहाँ परम्परा है कुंवारे मांडे लड़का लडक़ी के घर नही जा सकता,इसलिय मैं सीधा बारात में गया था।यह उम्मीद थी कि लड़कियां भी बारात में आएगी पर ऐसा नही हुआ।

और24 जून को शादी हुई औऱ25 को पत्नी आ गई थी।एक बार जरूर उसने मेरे पैर छुए शादी के समय  जब करवा चचौथ को वह पैर छूने को हुई तो"मैं बोला,"हम दोनों बराबर है

जब पति पत्नी बराबर होते हैं तो वह पर क्यो छुए

मुझे जो वेतन मिलता मैं उसे दे देता हूँ, वो ही तय करती है खर्च कैसे चलाना है।

आधी सदी से लंबे दाम्पत्य में हमारे बीच तू तू  में भी होती रहती है लेकिन आज तक मारपीट नही हुई

कभी मैने नही टोका वह किससे बात करती है

आज तक मैने कभी पैर सिर नही दबाने को कहा

मैं पत्नी को बराबर की समझता हूं