और सभी परिवार की तरह रहते थे।इसी मकान से मैने छोटे भाई की शादी की थी।स श्याम वकील होने के साथ उसका स्कूल भी था।मदन मोहन।स्कूल मौके की जगह था।श्याम की पत्नी से मेरी पत्नी की अच्छी दोस्ती थी।
श्याम के चार बच्चे थे।तीन लड़की और एक लड़का।श्याम के बाद कई लोग स्कूल के क्षेत्र में आये।जिन्होंने उससे गुर लिय वे श्याम से आगे निकल गए लेकिन उसके स्कूल की स्थिति धीरे धीरे गिरती ही गयी।इसकी वजह थी।औरते।
औरत का शोषण होता है।विशेष रूप से निजी क्षेत्र मे।स्कूल वाले क्या देते हैं।फिर एक नया खेल।जो टीचर समझौता कर लेती है।संचालक का बिस्तर गर्म ज करती रहती है।वे बनी रहती है।और उसे नई नई लड़कियों के जिस्म से खेलने का शौक था।यह बात उसकी पत्नी भी जानती थी।पर कर क्या सकती थी।और इसी चक्कर मे अपने स्कूल पर कम ध्यान देता था।और उस मकान में मैं तीन साल तक रहा था।
फिर उसी मकान में आ गया जिसे छोड़कर गया था।लेकिन दूसरे हिस्से में।पहले नीचे का हिस्सा था, अब ऊपर का।पहले इसी मकान में रहते हुए मैने बहन की शादी की थी।इसमें पत्नी ने पूरी जिम्मेदारी सम्हाली थी।उस समय मेरे मामा कन्हैया लालजी भी मौजूद थे।यायाऔर श्याम के मकान में छोटे भाई की शादी की थी।उससे पहले मेरी शादी हुई तब मेरे श्वसुर खान भांकरी में स्टेशन मास्टर थे बाद में उनका ट्रांसफर आसलपुर जोबनेर हो गया।वहाँ ज्यादा समय नही रहे।फिर वहा से ट्रांसफर होकर नरेना चले गए और यही से रिटायर हुए थे।
मेरे पांच साले थे।सबसे छोटे साले को मिर्गी की
रिटायरमेंट के बाद वह अजमेर में तानाजी नगर में किराए के मकान में रहे और फिर इसी कॉलोनी में जमीन लेकर मकान बनवा लिया था।उनकी तबियत खराब हुई और डॉक्टर ने केंसर बताया।तब पहले जयपुर में भी इलाजे चला बाद में पत्नी बोली,"पापा को यहा बुला लू क्या
मैने कहा,"तुम्हारे पापा यहां खाना तो खाते नही।आ जायेंगे
बेटी के घर का पुराने लोग नही खाते
"मैं मना लूंगी।वह बोली
"तो बुला लो
और वह आ गए थे।करीब 2 महीने रहे।में उन्हें एस एन कॉलेज ले जाता।मेरी सुबह की ड्यूटी होती तो मेरी पत्नी पापा को लेकर जाती और उस समय बच्चे छोटे थे और उन्हें घर छोड़कर जाती थी।
उन्ही दिनों मैने अपने छोटे भाई की शादी थी।खानदान बड़ा है हमारा।काफी परिवार क़े लोग आते है सभी ने मेरी पत्नी से कह दिया था।वह अपने पापा का ख्याल रखे।उन्ही दिनों मेरा सबसे छोटा साला भी आ गया था।वह अपने माँ बाप का बहुत खयाल रखता था।इसने जब वह बीमार थे बहुत सेवा कि पर काफी इलाज क़े बाद भी कोई फायदा नही हुआ।
ऐसा ही मेरी सास यानी पत्नी की माँ को भी केंसर हो गया औऱ मेरी सास भी यहा रही थी।उनका भी काफी इलाज कराया पर
आजकल बेटों से ज्यादा बेटी को अपने माँ बाप की बहुत चिंता होती है।।उनका मोह ज्यादा होता है।भले ही ससुराल में रहे वह हालचाल पूछती रहती है।
और यह भी एक संयोग था कि जब मेरी सास।ेेरे पास थी।तब भी मेरे एक भाई कि शादी हुई थी।
औऱ उनका यहा पर होम्योपैथी का इलाज कराया था, पर फिर भी
अब ऊपर वाले कि मर्जी के सामने डॉक्टर कि नही चलती