Chandrakanta - 1 in Hindi Drama by Md Sameer books and stories PDF | चंद्रकांता - 1

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चंद्रकांता - 1

चंदरकांता ्
देवकीनंदन खत्री
बयान - 1
शाम का वक्त है, कु छ-कु छ सरजू दिदखाई देरहा है, सुनसान मैदान मेंएक पहाड़ी केनीचेदो शख्स वीरें दरदिसंह ् और
तेजदिसंह एक पत्थर की चट्टान पर बैठ कर आपस मेंबातेंकर रहेहैं।
वीरें दरदिसंह ् की उम्र इक्कीस या बाईस वर्ष-की होगी। यह नौगढ़ केराजा सुरें दरदिसंह ् का इकलौता लड़का है।
तेजदिसंह राजा सुरें दरदिसंह ् केदीवान जीतदिसंह का प्यारा लड़का और कुँ वर वीरें दरदिसंह ् का दिदली दोस्त, बड़ा चालाक
और फु ती-ला, कमर मेंदिसफ- खंजर बाँधे, बगल मेंबटुआ लटकाए, हाथ मेंएक कमंद दिलए बड़ी तेजी केसाथ चारों
तरफ देखता और इनसेबातेंकरता जाता है। इन दोनों केसामनेएक घोड़ा कसा-कसाया दुरुस्त पेड़ सेबँधा हुआ है।
कुँ वर वीरें दरदिसंह ् कह रहेहैं – ‘भाई तेजदिसंह, देखो मुहब्बत भी क्या बुरी बला हैदिजसनेइस हद तक पहुँचा दिदया।
कई दफा तुम दिवजयगढ़ सेराजकु मारी चंदरकांता ् की दिचट्ठी मेरेपास लाए और मेरी दिचट्ठी उन तक पहुँचाई,
दिजससेसाफ मालमू होता हैदिक दिजतनी मुहब्बत मैंचंदरकांता ् सेरखता हँूउतनी ही चंदरकांता ् मुझसेरखती है,
हालाँदिक हमारेराज्य और उसकेराज्य केबीच दिसफ- पाँच कोस का फासला हैइस पर भी हम लोगों केदिकए कु छ भी
नहींबन पड़ता। देखो इस खत मेंभी चंदरकांता ् नेयही दिलखा हैदिक दिजस तरह बने, जल्द दिमल जाओ।’
तेजदिसंह नेजवाब दिदया - ‘मैंहर तरह सेआपको वहाँलेजा सकता हँ, ूमगर एक तो आजकल चंदरकांता ् केदिपता
महाराज जयदिसंह नेमहल केचारों तरफ सख्त पहरा बैठा रखा है, दसरे ू उनकेमंत्री का लड़का क्रूरदिसंह उस पर
आदिशक हो रहा है, ऊपर सेउसनेअपनेदोनों ऐयारों को दिजनका नाम नादिजम अली और अहमद खाँहैइस बात की
ताकीद करा दी हैदिक बराबर वेलोग महल की दिनगहबानी दिकया करेंक्योंदिक आपकी मुहब्बत का हाल क्रूरदिसंह और
उसकेऐयारों को बखबी ू मालमू हो गया है। चाहेचंदरकांता ् क्रूरदिसंह सेबहुत ही नफरत करती हैऔर राजा भी
अपनी लड़की अपनेमंत्री केलड़केको नहींदेसकता दिफर भी उसेउम्मीद बँधी हुई हैऔर आपकी लगावट बहुत
बुरी मालमू होती है। अपनेबाप केजदिरए उसनेमहाराज जयदिसंह केकानों तक आपकी लगावट का हाल पहुँचा दिदया
हैऔर इसी सबब सेपहरेकी सख्त ताकीद हो गई है। आप को लेचलना अभी मुझेपसंद नहींजब तक की मैंवहाँ
जा कर फसादिदयों को दिगरफ्तार न कर लँ।ू’
‘इस वक्त मैंदिफर दिवजयगढ़ जा कर चंदरकांता ् और चपला सेमुलाकात करता हँूक्योंदिक चपला ऐयारा और
चंदरकांता ् की प्यारी सखी हैऔर चंदरकांता ् को जान सेज्यादा मानती है। दिसवाय इस चपला केमेरा साथ देनेवाला
वहाँकोई नहींहै। जब मैंअपनेदुश्मनों की चालाकी और कार-वाई देख कर लौटंूतब आपकेचलनेकेबारेमेंराय दँ।ू
कहींऐसा न हो दिक दिबना समझे-बझे ू काम करकेहम लोग वहाँही दिगरफ्तार हो जाएँ।’
वीरें दर् – ‘जो मुनादिसब समझो करो, मुझको तो दिसफ- अपनी ताकत पर भरोसा हैलेदिकन तुमको अपनी ताकत और
ऐयारी दोनों का।’
तेजदिसंह – ‘मुझेयह भी पता लगा हैदिक हाल मेंही क्रूरदिसंह केदोनों ऐयार नादिजम और अहमद यहाँआ कर पुनः
हमारेमहाराजा केदश-न कर गए हैं। न मालमू दिकस चालाकी सेआए थे। अफसोस, उस वक्त मैंयहाँन था।’ ‘इस वक्त मैंदिफर दिवजयगढ़ जा कर चंदरकांता ् और चपला सेमुलाकात करता हँूक्योंदिक चपला ऐयारा और
चंदरकांता ् की प्यारी सखी हैऔर चंदरकांता ् को जान सेज्यादा मानती है। दिसवाय इस चपला केमेरा साथ देनेवाला
वहाँकोई नहींहै। जब मैंअपनेदुश्मनों की चालाकी और कार-वाई देख कर लौटंूतब आपकेचलनेकेबारेमेंराय दँ।ू
कहींऐसा न हो दिक दिबना समझे-बझे ू काम करकेहम लोग वहाँही दिगरफ्तार हो जाएँ।’
वीरें दर् – ‘जो मुनादिसब समझो करो, मुझको तो दिसफ- अपनी ताकत पर भरोसा हैलेदिकन तुमको अपनी ताकत और
ऐयारी दोनों का।’
तेजदिसंह – ‘मुझेयह भी पता लगा हैदिक हाल मेंही क्रूरदिसंह केदोनों ऐयार नादिजम और अहमद यहाँआ कर पुनः
हमारेमहाराजा केदश-न कर गए हैं। न मालमू दिकस चालाकी सेआए थे। अफसोस, उस वक्त मैंयहाँन था।’