बहलोल खान अकबर का बड़ा सिपहसालार था। जिस पर अकबर को बड़ा नाज़ था। उसने कभी कोई युद्ध नहीं हारा। नाश्ते में एक बकरा खाता था। दो शराब पिये मदमस्त हाथियों के बिच घुस कर सुंड पकड़कर धकेल देता था। इतना शक्तिशाली था। क्रूर इतना कि तीन दिन के बालक को भी गला रेत कर मार देता।
महाराणा प्रताप से युद्ध करने कोई जाना नहीं चाहता था जो जाता मारा जाता। अकबर ने दरबार लगाया दरबार में बीड़ा फिराया महाराणा को जिन्दा या मुर्दा पकड़ लाने का। और किसी ने तो उठाया नहीं, इस बहादुर बहलोल खां ने उठा लिया। लेकिन मन में भय था इसलिए घर आकर बेगमो की हत्या कर दी। पता नहीं वापस लौटूँ न लौटूँ।
फिर हुआ हल्दीघाटी का युद्ध, अकबर और महाराणा प्रताप की सेनाए आमने सामने थी। अकबर प्रताप से बहुत डरता था इसलिये कभी उनके सामने नहीं आया। अब इसी बहलोल खां को अकबर ने भिड़ा दिया, हिन्दू वीर शिरोमणि जिनका नाम सुनकर ही मुग़ल सैनिको के पसीने छुट जाते थे ‘महाराणा प्रताप’ से। लड़ाई पूरे जोर पर थी कि तभी बहलोल खां का सामना हो गया महाराणा प्रताप से। दोनों में जबरजस्त भिड़त शुरू हो गई कुछ देर तक तो महाराणा यूं ही मजाक-सा खेलते रहे कि तभी महाराणा ने एकाएक क्रोध में भरकर ऐसा वार किया कि बहलोल खां को उसके शिरस्त्राण, बख्तरबंद, रक्षा कवच, घोड़े सहित दो भागो में चीर दिया। ऐसा चीरा की बहलोल खां का आधा शरीर इस तरफ और आधा उस तरफ गिरा।
ऐसे महावीर थे प्रताप। अकबर तो कभी युद्ध करने आया नहीं, सलीम एक बार सामने आया तो मरते-मरते बचा।
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बहलोल खान अकबर का बड़ा सिपहसालार था। जिस पर अकबर को बड़ा नाज़ था। उसने कभी कोई युद्ध नहीं हारा। नाश्ते में एक बकरा खाता था।, दो शराब पिये मदमस्त हाथियों के बिच घुस कर सुंडे पकड़ कर धकेल देता था इतना शक्तिशाली था। क्रूर इतना कि तीन दिन के बालक को भी गला रेत कर मार देता।
महाराणा प्रताप से युद्ध करने कोई जाना नहीं चाहता था जो जाता मारा जाता। अकबर ने दरबार लगाया दरबार में बीड़ा फिराया महाराणा को जिन्दा या मुर्दा पकड़ लाने का। और किसी ने तो उठाया नहीं, इस बहादुर बहलोल खां ने उठा लिया। लेकिन मन में भय था इसलिए घर आकर बेगमो की हत्या कर दी। पता नहीं वापस लौटूँ न लौटूँ।
फिर हुआ हल्दीघाटी का युद्ध, अकबर और महाराणा प्रताप की सेनाए आमने सामने थी। अकबर प्रताप से बहुत डरता था इसलिये कभी उनके सामने नहीं आया। अब इसी बहलोल खां को अकबर ने भिड़ा दिया, हिन्दू वीर शिरोमणि जिनका नाम सुनकर ही मुग़ल सैनिको के पसीने छुट जाते थे ‘महाराणा प्रताप’ से। लड़ाई पूरे जोर पर थी कि तभी बहलोल खां का सामना हो गया महाराणा प्रताप से। दोनों में जबरजस्त भिड़त शुरू हो गई कुछ देर तक तो महाराणा यूं ही मजाक-सा खेलते रहे कि तभी महाराणा ने एकाएक क्रोध में भरकर ऐसा वार किया कि बहलोल खां को उसके शिरस्त्राण, बख्तरबंद, रक्षा कवच, घोड़े सहित दो भागो में चीर दिया। ऐसा चीरा की बहलोल खां का आधा शरीर इस तरफ और आधा उस तरफ गिरा।
ऐसे महावीर थे प्रताप। अकबर तो कभी युद्ध करने आया नहीं, सलीम एक बार सामने आया तो मरते-मरते बचा।