दानव द रिस्की लव in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 78

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दानव द रिस्की लव - 78

अदिति कहाँ है..?

अब आगे..........

आदित्य को बेहोश देखकर तक्ष के चेहरे पर हंसी आ जाती है लेकिन उसकी हंसी थोड़ी ही देर की थी.... अचानक मैंन डोर रिंग होता है और बबिता जल्दी से दरवाजा खोल देती है.... अचानक बबिता के ऐसा करने से तक्ष कन्फ्यूजन में हो जाता है लेकिन तभी विवेक और इशान को देखकर घूरते हुए बबिता को देखता है....तक्ष आंखों में आंसू लाकर अपना ड्रामा शुरू करता है....
अदिति (तक्ष) : विवेक ....भाई...आप .... देखिए न भैय्या को अचानक क्या हो गया (रोने लगती है)....
आदित्य को फर्श बेहोश देखकर दोनों घबरा जाते हैं....इशान आदित्य को उठाने की कोशिश करता है और विवेक अदिति के पास उसे संभालने के लिए उसके पास जाता है तो अदिति (तक्ष) उसे अपने से दूर कर देती है......
विवेक अदिति के इस बिहेवियर को इग्नोर करता हुआ आदित्य के पास जाता है कभी उसे पानी पिलाता है तो कभी उसके हाथों और पैरों को रगड़ता हैं..... लेकिन कोई फायदा नहीं होता इसलिए विवेक इशान से कहता है....." भाई इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है इन्हें जल्दी हाॅस्पिटल ले जाना होगा......" इशान हां में सिर हिलाता है और बबिता से पूछता है...." इसे हुआ क्या है क्या किसी चीज से एलर्जी हो गई है...?..।।
बबिता मना करते हुए कहती हैं....." पता नहीं साहब इन्हें तो कभी किसी चीज से कुछ नहीं होता...बस साहब आप इन्हें बचा लिजिए...."." बबिता ये सब कहते हुए अदिति (तक्ष) की तरफ अजीब नज़रों से देख रही थी जिसे विवेक ने नोटिस कर लिया था.....
विवेक हां में सिर हिलाते हुए इशान से कहता है....." भाई आप ये सब बाद में पूछना पहले इन्हें हाॅस्पिटल ले चलो....." 
इशान हां कहता है फिर दोनों आदित्य को सहारा देकर कार तक लेकर आते हैं और उसे कार में लिटा देते हैं इशान अदिति को आदित्य के पास जाकर बैठने के लिए कहता है... अदिति (तक्ष) बेमन से आदित्य के सिर को अपनी गोद में लेकर बैठती है.....
इशान आदित्य को लेकर लाइफ केयर हॉस्पिटल पहुंचते हैं.... जहां उसे तुरंत इमरजेंसी में एडमिट किया जाता है.... डाक्टर इशान को रिलेक्स रहने के लिए कहते हैं और उन्हें ठीक करने के लिए कहते हैं......
डाक्टर अंदर अपने ट्रीटमेंट में लग जाते हैं इशान विवेक दोनों की ही नज़रों इमरजेंसी वार्ड पर थी लेकिन तक्ष तो कुछ और ही सोच रहा था......
तक्ष अपने आप से कहता है......." ये पागल से इसे यहां ले तो आए हैं पर इन्हें क्या पता वो इस जहर के असर को कभी खत्म नहीं कर पाएंगे... इससे अच्छा उसे वहीं मरने देते...." तभी विवेक अदिति को गुमसुम सा देख उसके पास जाकर बैठता है और उससे कहता है....." टेंशन मत लो भाई ठीक हो जाएंगे.... लेकिन अचानक उन्हें हुआ क्या है...?...." अदिति (तक्ष) चुपचाप सामने की तरफ ही देख रहा था जैसे उसे विवेक की बात से कोई फर्क नहीं पड़ा ... विवेक उससे आगे कहता है....." खैर वो तो डाक्टर देख लेंगे तुम ये बताओ वो तक्ष कहां है.....?..."
अदिति (तक्ष) घूरकर देखती हुई कहती हैं....." तुम्हें तक्ष की पड़ी है..... मेरे पास से दूर जाओ मुझे छूने की जरूरत नहीं है..." विवेक उलझन भरी नजरों से उसे देखता हुआ सोचता है....." मैं तो तुम्हें नहीं छू रहा फिर इतना क्यूं डर रही हो जैसे मेरे छूने से तुम्हें करंट लग जाएगा....कहीं ये तक्ष तो नहीं जो मेरे रुद्राक्ष कवच की वजह से डर रहा हो ... नहीं अगर ये तक्ष है तो अदिति कहां है...?.... लेकिन क्यूं मुझे अजीब सा फील हो रहा है जैसे अदिति मुझे पुकार रही हो....हे शिवजी क्या सच है , मेरी मदद कीजिए....."
विवेक अदिति के हाथ की तरफ देखते हुए कहता है...." तुम्हारा हाथ कैसे जल गया...." जैसे अदिति के हाथ को पकड़ने वाला होता है अदिति गुस्से में चिल्लाती है....." मैंने मना किया न मुझे छूने की जरूरत नहीं है समझ नहीं एक बार में...." अदिति के अचानक हाइपर होने से इशान तुरंत उसके पास आकर उसे शांत कराता है..." अदिति रिलेक्स हमें पता है तुम्हें आदित्य के इस हालत को देखकर टेंशन हो रही है...." विवेक की तरफ देखकर कहा...." विवू जब अदिति मना कर रही है तो उसे अकेले रहने दे ... मैंने मां को कह दिया है वो आने वाली होंगी...."
विवेक ठीक है कहकर चला जाता है और अदिति (तक्ष) वापस बैठ जाती है..... थोड़ी देर में सुविता जी और कामनाथ जी के साथ आती है....आते अदिति के पास बैठकर उसे कंधे से पकड़कर उसे संभालती हुई कहती हैं....." बेटा तू फ़िक्र मत कर आदित्य जल्दी ठीक हो जाएगा। हम सब है तेरे साथ...." बदले में अदिति (तक्ष) कोई जवाब नहीं देता बस अपने उबांक को बुलाता है....(मैंने पहले ही बताया था तक्ष चाहे कितनी ही दूर और पास क्यूं न हो ये दोनों आपस में किसी को बिना जताए बात कर सकते हैं).......
अदिति (तक्ष)  वहां से ये कहकर चली जाती हैं की मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है इसलिए मैं यही कोरिडोर में हूं....
इधर आदित्य को ट्रीटमेंट दिया जा रहा था उधर बबिता कुछ ढूंढ रही थी बबिता अदिति के कमरे की तरफ बढ़ ही रही थी तभी उबांक कमरे से बाहर आता है, उसे देखकर बबिता छुप जाती है लेकिन उबांक सीधा बाहर जाता है जिससे बबिता अपने आप से कहती हैं......" यही सही मौका है अदिति दी को ढूंढ़ने का , जरूर उस पिशाच ने उन्हें यही कहीं कैद कर रखा होगा....."
बबिता अदिति के कमरे में उसे ढूंढती है पूरा कमरा छानने के बाद उसे अदिति नहीं मिलती तो परेशान होकर कभी स्टोर रूम में ढूंढती है कभी स्टडी रूम के पास सारे कमरों में ढूंढ़ने के बाद बबिता दुखी मन से वही जमीन पर बैठ जाती है....
और अपने आप से कहती हैं....." कहां ढूंढूं आपको...?... कहां हो अदिति दी इतने अच्छे लोगों के साथ ही बूरा क्यूं होता है....हे ! भगवान जी इनकी मदद कीजिए , उस पिशाच ने उन्हें कहां छुपा रखा है...." 
 
......................to be continued...............
क्या बबिता अदिति को ढूंढ पाएगी....?
जानेंगे अगले भाग में......
आपको कहानी कैसी लगी मुझे रेटिंग के साथ जरुर बताएं.......