Demon The Risky Love - 77 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 77

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दानव द रिस्की लव - 77

वैषिले पत्तो का असर आदित्य पर हो रहा है....

अब आगे...............

तक्ष काफी गुस्से में लग रहा था इधर तक्ष विवेक के परिवार को तकलीफ़ देने की सोच रहा था उधर विवेक अदिति और हितेन के लिए काफी परेशान दिख रहा था.....
विवेक इधर उधर घुमता हुआ सो च विचार कर रहा था....." ये सब क्या हो रहा है कभी अदिति का बिहेवियर बदलता है और आज हितेन....?..... हितेन क्यूं डरा डरा सा लग रहा है... आखिर हुआ क्या है...?.... अदिति वीडियो क्लिप देखकर भी मुझपर ब्लिव नहीं कर रही है क्यूं अदिति क्या तुमने मुझे पहचाना नहीं..... क्या तुम मेरे प्यार को परख नहीं पाई हो क्यूं.....?...." विवेक वहीं अपसेट सा लेट जाता है...
कुछ देर ख्यालों में खोया रहने के बाद विवेक अचानक उठकर बैठता है और जल्दी से अपने बैग में रखे वशीकरण लाकेट को निकालकर देखते हुए कहता है......" वशीकरण...अगर ये बात सच है तो इसका मतलब अदिति उस तक्ष के वश में है.. हां वो उसके वश में है लेकिन ये तक्ष ऐसा क्यूं कर रहा है....? आखिर मेरी अदिति से इसकी क्या दुश्मनी है क्यूं उसे अपने कब्जे में कर रखा है.......जो भी हो मैं अदिति को बचा कर रहूंगा । ये जड़ी बूटी की खुशबू तुम्हें हमेशा के लिए उसकी कैद से फ्री कर देगी......कल अदिति तुम हमेशा के लिए उसकी कैद से फ्री हो जाओगी...." 
इधर विवेक सुबह होने का इंतजार कर रहा था उधर तक्ष रात के खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठा कुछ सोच रहा था और आदित्य बस उसी को नोटिस कर रहा था बहुत देर तक ऐसे खोये रहने के कारण आदित्य अदिति से कहता है..." अब क्या इतना नाराज़ रहोगी अपने भाई से.... मुझसे आज कुछ नहीं पूछोगी....." अदिति (तक्ष) कुछ नहीं कहती बस चुपचाप बैठी खाने को देख रही थी, बबिता खाना परोसने के लिए जैसे ही अदिति के पास जाती है तो उसके हाथ कांपने लगते हैं , अदिति (तक्ष) तिरछी नजर से उसको घूरती है लेकिन आदित्य अचानक उसके हाथों के कांपने का कारण पूछता है...." बबिता क्या हुआ इस तरह क्यूं कांप रही हो...." बबिता आदित्य को देखती हुई कहती हैं...." साहब कुछ नहीं बस थोड़ी थकान की वजह से ऐसा हो रहा है....."
आदित्य : ठीक है अपना ध्यान रखा करो....
आदित्य फिर से अदिति से बात करने की कोशिश करता है उससे पहले ही अदिति (तक्ष) कहती हैं......" भाई एम सॉरी मैं कुछ ज्यादा ही रूड बन गई...." अचानक अपनी ग़लती के लिए साॅरी बोलने से आदित्य मुस्कुरा देता है और कहता है....." कोई बात नहीं स्वीटी बस तुझे रियलाइज तो हुआ की तेरी गलती है...." 
अदिति (तक्ष) मुस्कुरा हां में सिर हिला कर अपने आप से कहती हैं....." तुझे जहर देना है तो कुछ तो मस्का लगाना पड़ेगा न...." अदिति (तक्ष) आदित्य से कहती हैं....." भाई आप खाना फिनीश कीजिए मैं आपके लिए कुछ डेजर्ट लेकर आती हूं....." इतना कहकर अदिति (तक्ष) वहां से चली जाती हैं और बबिता भी उसके पीछे रसोई में पहुंचती है....
रसोई में पहुंचकर तक्ष उबांक को वैषिले पत्ते लाने के लिए कहता है और खुद कटोरी में कस्टर्ड लेकर फ्रूट को काटता  है.... थोड़ी देर बाद उबांक वैषिले पत्ते लेकर पहुंचता है जिसे तक्ष तुरंत छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़कर कस्टर्ड में मिलाया है , बबिता तुरंत उसका हाथ पकड़कर उसे ऐसा करने से रोकती हुई हाथ जोड़कर उसके सामने गिड़गिड़ाने लगती है....." ऐसा मत करो... क्या बिगाड़ा है उन्होंने तुम्हारा क्यूं उन्हें मारना चाहते हो..... छोड़ दो उन्हें बदले में मुझे मार दो ...." तक्ष उसे अपने पैरों के पास से दूर करता हुआ कहता है....." तुझे मारकर मुझे कुछ नहीं मिलेगा... मैं सिर्फ इन दोनों को मरते देखना चाहता हूं। अगर मेरे रास्ते में आने की कोशिश की तो तू मेरा पैशाची रूप देखने के लिए तैयार रहना जो किसी पर रहम नहीं करता....." 
बबिता फिर भी उसे रोकते हुए कहती हैं......" अपने भाई को बचाने के लिए अदिति दी कुछ भी कर जाएंगी..." बबिता ये जानबूझकर कहा ताकि तक्ष उसे अदिति के बारे में कुछ बता दें लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ...
तक्ष उससे कहता है....." वो खुद को तो बचा ले पहले फिर ही तो अपने भाई को बचाएगी .... जबतक मैं नहीं चाहूंगा वो होश में नहीं आएगी..... अच्छा ही देख दोनो के लिए दोनों ही एक दूसरे की मौत नहीं देख पाएंगे....." तक्ष हंसने लगता है और बबिता वहीं लाचार सी खड़ी रह जाती है.... लेकिन बबिता ने हार नहीं मानी वो तुरंत अपने आंसू पोछकर अपना फोन लेकर पीछे के दरवाजे से बाहर चली जाती हैं.....
अदिति (तक्ष) आदित्य को बनाया हुआ कस्टर्ड फ्रूट देती है जिसे आदित्य खुशी खुशी लेकर तुरंत खाने लगता है....खाते हुए ही आदित्य कहता है...." Wow अदि मुझे नहीं पता था मेरी स्वीटी इतना अच्छा कस्टर्ड बना लेती है..... रियली दूं यमी...."
आदित्य कस्टर्ड को आधा खा चुका था तभी उसे खांसी होने लगती है..... अदिति (तक्ष) ऊपरी हमदर्दी के साथ उसे संभालता है लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है..... जिसे आदित्य देख लेता है अचानक अदिति के हंसने से आदित्य अपने हाथ को छुड़ाकर बाथरुम की तरफ बढ़ता है लेकिन अचानक हुई कमजोरी से वो आगे नहीं बढ़ पा रहा है और वही फर्श पर गिर जाता है....वैषिले पत्ते को खाने के कारण उसके मुंह से खून आना शुरू हो जाता है ...तक्ष वहीं बैठा चुपचाप आदित्य की हालत को देख रहा था.....
थोड़ी ही देर में आदित्य पूरी तरह बेहोश हो चुका था लेकिन उसी सांसे धीरे धीरे चल रही थी......
 
................ to be continued................
 
क्या आदित्य बच पाएगा तक्ष के दिये वैषिले पत्तो के जहर से......?
जानेंगे अगले भाग में......
आपको कहानी कैसी लगी मुझे रेटिंग के साथ जरुर बताएं.......