Demon The Risky Love - 76 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 76

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दानव द रिस्की लव - 76

अदिति को ढूंढना है.....

अब आगे....................

तक्ष हैरानी से पीछे मुड़ता है..... बबिता हाथ में चाय की ट्रे लिए खड़ी थी जैसे ही अदिति (तक्ष) के मुंह से आदित्य को मारने की बात सुनी तब उसके हाथ से ट्रे गिर जाती है...... बबिता अदिति के पास जाती है और उसको ध्यान से देखती हुई कहती हैं......" अदिति दी अभी क्या कहा आपने...आप साहब को मार देंगी ..... लेकिन वो तो आपके भाई है न...."
अदिति (तक्ष) : हां तो....तू अपने काम से मतलब रखो....!
अदिति के बिहेवियर को देखकर बबिता शक भरी नजरों से उसे देखती हुई पुछती है......." तुम अदिति दी नहीं हो...वो ऐसी नहीं है... तुम तो कोई बहरूपिया गलती हो......"
तक्ष के चेहरे पर डेविल मुस्कान आ जाती है और बबिता के पास जाकर धीरे से कहता है......" तुझे बड़ा ज्ञान है किसी के रूप के बारे में...सच कहूं तुझे नौकरानी नहीं एक गुप्तचर होना चाहिए था.... पहचाना तो तूने बिल्कुल सही है मैं अदिति नहीं हूं तक्ष हूं....." बबिता घूरती हुई उससे कहती हैं...." फिर अदिति दी कहां....?..."
तक्ष : वो कुछ दिनों के लिए आराम कर रही है.... इसलिए उसके बदले का काम मुझे ही करना होगा.....और बेचारी नौकरानी अपने मालिक को कुछ बता भी नहीं सकती(तक्ष हंसने लगता है)....
बबिता : तुम ये अच्छा नहीं कर रहे हो ..... क्या बिगाड़ा है अदिति दी ने तुम्हारा ....?... क्यूं उनकी जान के पीछे पड़े हो ...?
तक्ष बेरूखी आवाज में कहता है......" जो मेरे साथ हुआ था , उसका बदला तो मैं लूंगा ही न....आदिराज न सही उसके बच्चे उसका हिसाब देंगे.....तू क्यूं परेशान हो रही है इन दोनों के मरने के बाद ये घर तो तेरा ही होगा....
बबिता गुस्से में कहती हैं....." मुझे कोई घर नहीं चाहिए बस तुम इन्हें छोड़ दो.....
बबिता की बात सुनकर तक्ष को बहुत गुस्सा आने लगा था। उसके हाथों के चेहरे के बदलाव से पता चल रहा था अगर बबिता ने अब कुछ कहा तो उसके नुकीले दांत उसे छल्ली कर देंगे...... गुस्से में तक्ष बबिता के गले को पकड़ता हुआ कहता है...." जो मेरे रास्ते में आता है, उसे मुझे हटाने में ज्यादा समय नहीं लगता... इसलिए तेरे लिए बेहतर होगा तू अपना मुंह बंद रखें ...." तक्ष के गला पकड़ने से बबिता झटपटा रही थी,  जिसके कारण उसके पास रखा पानी का जग गिर जाता है जिसे सुनकर आदित्य रुम से बाहर आता है...
आदित्य की नजर अदिति पर पड़ती है जिसने बबिता के गले को दबा रखा है.... आदित्य गुस्से में चिल्लाता है..." अदि छोड़ उसे...." अदिति के पास जाता है.....
आदित्य : ये सब क्या है बबिता तुम ठीक तो हो न.....
बबिता : साहब मैं ठीक हूं...आप अदिति दी को कुछ मत कहिए.....
आदित्य वहीं नाराजगी जताते हुए कहता है...." अदि क्यूं किया ऐसा...?..." बदले में अदिति (तक्ष)की तरफ से कोई जबाव नहीं आता है तभी ऊंची आवाज में कहता है...." अदि बताएगी या नहीं, क्यूं किया ऐसा...?... इसे कुछ हो जाता तो..."
अदिति (तक्ष) कड़क अंदाज में कहती हैं...." हुआ तो नहीं कुछ...?..जब गलती करेगी तो ऐसे ही समझाना पड़ेगा...
आदित्य : तू कबसे ऐसे समझाने लगी है.....
अदिति (तक्ष) : जबसे आपने मुझे समझना बंद कर दिया है...."
आदित्य : अदि तुझे हो क्या गया, क्यूं ऐसा रिएक्ट कर रही है.....?
अदिति (तक्ष) : मुझे कुछ कहना इस बारे में....(इतना कहकर वहां से चली जाती हैं)....
आदित्य अदिति को देखते हुए कहता है....." इस लड़की को हो क्या गया है , क्यूं ऐसी बातें करने लगी है...?
बबिता आदित्य को ध्यान को हटाते हुए कहती हैं..." साहब आप अदिति दी को ग़लत मत समझिए वो ऐसी बिल्कुल नहीं है वो तो बहुत अच्छी है....जबसे आप अपने साथ तक्ष को लाते हैं तबसे सब बदल चुका है...." बबिता की बात सुनकर आदित्य उससे इसकी वजह पूछता है....." आखिर तुम्हें भी ऐसा क्यूं लगता है बबिता....." आदित्य की बात सुनकर बबिता सकपका जाती है और मना करती हुई कहती हैं...." कुछ भी नहीं साहब बस ऐसा ही लगा...आप बताइए रात के खाने में क्या बनाऊं...." 
आदित्य  : कुछ भी बना देना बबिता....(आदित्य वहां से अपने कमरे में चला जाता है)....
और बबिता बस अदिति को ढूंढ़ने के लिए सोचती है...." आखिर अदिति दी कहां होंगी..?.. कहां छुपाया होगा इस पिशाच ने उन्हें...?.... मुझे उसके कमरे में ही ढूंढ़ना होगा.... लेकिन अभी कैसे जाऊं.....रात में देखना होगा.... हां यही सही होगा...." 
तक्ष अदिति के कमरे में बैठा दर्द से अपने हाथ को पकड़ रखा था..... उबांक उसके हाथ पर लेप लगाने की कोशिश कर रहा था लेकिन लगा नहीं पाया तक्ष गुस्से में उसे हटाकर खुद ही लेप लगाता है....
उबांक : दानव राज मैंने आपसे मना किया था कि उस लड़के से दूर रहना....
तक्ष चिढ़ते हुए कहता है...." ऐसा क्या है उसके पास...?.. जिसने मुझे चुनौती दी है... त्रिशूल तावीज के बाद अब ये कौन सी शक्ति है जो मुझे उसतक नहीं पहुंचने दे रही है..."
उबांक समझाते हुए कहता है....." दानव राज में जो भी शक्ति है आप भी उसके सामने कमजोर पड़ रहे हैं...." 
तक्ष गुस्से में कहता है....." नहीं उबांक नहीं......मेरी बरसों की तंत्र विद्या बेकार नहीं हो सकती....मेरी पैशाची शक्ति के सामने कोई शक्ति नहीं ठहर शक्ति.....(तभी कुछ ध्यान आता है)... हां..ये अघोरी के पास गया था लेकिन उससे आगे कुछ देख पाता ये आदित्य ने आकर सारा ध्यान भंग कर दिया..... लेकिन उबांक ये अघोरी जिंदा कैसे बच गया...?... मैं तो उसे खा चुका था.... 
उबांक : दानव राज जरुर उसने छल किया होगा....
तक्ष : तू ठीक कह रहा है.... उसने जरूर कोई तंत्र उपयोग किया होगा..... अघोरी अब तू नहीं बचेगा एक बार तो तूने मुझे धोखा दे दिया अब नहीं...... उबांक अगर विवेक के पास कोई सुरक्षा कवच है तो क्या हुआ , उसके परिवार के पास तो सुरक्षा कवच नहीं है.... मेरे रास्ते के के इस कांटे को मैं तड़पा दूंगा.....अब मैं दिखाता हूं मेरा असली रूप..."
 
................. to be continued...............
तक्ष की अगली चाल का शिकार बनेगा उसका परिवार.....?
जानने के लिए जुड़े रहिए.......
आपको कहानी कैसी लगी मुझे रेटिंग के साथ जरुर बताएं.......