विवेक के पास कौन सी शक्ति है....?
अब आगे…..................
कंचन हैरानी से विवेक से पूछती है....." तुम्हें कुछ नहीं हुआ विवेक , फिर हितेन को इतनी चोट कैसे लग गई, , इसे देखो इसका हाथ ऐसा लग रहा है जैसे जल गया हो....
विवेक : तुम्हारी बात तो बिलकुल ठीक है..... रूको मैं अभी आता हूं । अगर शोर मचाया तो सब देखने आ जाएंगे इसलिए मुझे ही बिना आवाज किए फर्स्ट एड बॉक्स लेकर आता हूं......
विवेक वहां से चला जाता है और थोड़ी देर बाद हाथ में फर्स्ट एड बॉक्स लेकर आता है....
विवेक : कंचन ये एंटीबायोटिक लगा दो .......
इधर विवेक कंचन हितेन को फर्स्ट एड देकर उसे रुम में ले जाते हैं उधर तक्ष अभी भी बेड पर लेटा हुआ बस खिड़की की तरफ देख रहा था,,, तभी अचानक विंडो पर से आवाज आती है । तक्ष तुरंत उठकर वहां चला जाता है....
तक्ष जोकि अदिति के रुप में था , विंडो के पास जाता है...
तक्ष : उबांक .....
उबांक जोकि वहीं कीड़े के रूप में था अदिति के मुंह से अपना नाम सुनकर हैरानी से उसे देखता है... उबांक को परेशान देखकर तक्ष अपने असली रूप में आता है। तंक्ष को असली रूप में आता देख उबांक भी अपने असली रूप में आता है लेकिन असली रूप में आते ही गिर जाता है....तक्ष उसको कमजोर हालत में देख बैचेन नज़रों से उसे देखता है और उसे उठाकर अपने कमरे में चला जाता है और दरवाजा बंद कर लेता है.....
तक्ष उबांक से उसकी उसकी इस हालत के बारे में पूछता है...." उबांक... क्या हुआ तुझे...?.... तुझे मेरे अलावा कोई हानि नहीं पहुंचा सकता फिर... क्या हुआ तुझे...?..."
उबांक जोकि बहुत घायल लग रहा था धीरे से बोला ..." दानव राज...वो...." उबांक बोलते बोलते चुप हो जाता है और अपनी आंखें बंद कर लेता है....
तक्ष जल्दी से अपनी खून की बूंदें उसके मुंह में डालता है और आंखें बंद करके कुछ बड़बड़ाता है जिससे उबांक के पंखों पर बने घाव भरने लगते हैं.... धीरे धीरे उसे होश आ जाता है... उसके होश में आते ही तक्ष वहीं छोटी सी बोतल में से द्रव्य की चार बूंदें उसे पिलाता है...इस औषधि से उबांक फिर से पहले जैसा हो जाता है.....
तक्ष गंभीर भाव में पूछता है....." तुझे इतने घाव कैसे हो गये ...?.. मेरे अलावा तुझे कोई नुक़सान नहीं पहुंचा सकता फिर किसने किया ये सब ....?...बोल ....तू इतनी आसानी से कैसे किसी के हाथ आ सकता है....?... कोई इंसान तो तुझे नहीं पकड़ सकता.. ... तुझे छूते ही वो जलन के मारे तड़पने लगता...?..बोल किसने किया...
उबांक : दानव राज आप बोलने का मौका तो दीजिए....
तक्ष : हां तो जल्दी बता किसे उसकी मौत बुला रही हैं...!
उबांक : बताता हूं पहले ये तो बताइए आपने इस लड़की का रूप क्यूं लिया ...?... मैं कितना घबरा गया था और वो लड़की कहां है...?
तक्ष उबांक को अलमारी के पास ले जाकर उसे दिखाता है..." ये अब कुछ समय यही रहेगी मेरी कैद में..."
उबांक : लेकिन दानव राज आपने इसका रूप क्यूं लिया...?
तक्ष : ये जब उस लड़के से बात कर रही थी तभी मैंने सुना की वो कुछ सबुत लेकर आएगा कल सुबह ताकि ये दोनों दोबारा मिल सके .....(एक तीखी मुस्कान के साथ कहा)... लेकिन मेरे होते हुए ऐसा नहीं होगा......
उबांक कुछ सोच कर कहता है...." दानव राज क्या इसने बेहोश होने से पहले ये कहा था कि अदिति सिर्फ विवेक की है...." तक्ष हैरानी से उससे पूछता है...." तुझे कैसे पता...?..."
उबांक : दानव राज मुझे नहीं पता था वो तो जब आपने मुझे उस लड़के की खबर लेने भेजा था , तब वो लड़का सोते हुए अचानक यही बोला था...."
"... क्या...?...." तक्ष काफी शाक्ड हो जाता है और उसी लहजे में कहता है
उबांक : हां दानव राज.... मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं....!
उबांक की बात सुनकर तक्ष काफी परेशान दिख रहा था और उबांक से दोबारा पूछता है...." तू ये बता इतनी देर में ये खबर मुझ तक क्यूं पहुंच..?... कहां था तू इतनी देर..?.. किसने की थी तेरी ये हालत...."
तक्ष काफी गुस्से में लगने लगा था जिससे उबांक बहुत जल्दी जल्दी कहता है...." जी दानव राज...वो जब (उबांक कार में हुई घटना से लेकर घर तक की सारी बात बता देता है)...बस यही बात थी दानव राज..... पता नहीं उस विवेक ने मुझे कैसे पकड़ लिया और उसके पकड़ ही मुझे कुछ झटका सा लगा जिससे मैं बेहोश हो गया था और जब मुझे थोड़ा होश आया तो मैं एक डब्बे में बंद था ....."
तक्ष : तुझे उस विवेक ने कैसे पकड़ लिया, उसे कुछ होने की बजाय तुझे ही झटका लगा....
उबांक : हां दानव राज..... लेकिन जब उसके दोस्त ने मुझे पकड़ा तब आपकी पैशाची शक्ति की वजह वो दर्द से कराह रहा था.....
तक्ष : ऐसा क्या पा लिया उस विवेक ने....?.... त्रिशूल तावीज तो उसका टूट चुका है... जरूर कोई और रहस्यमय चीज है जो उसकी रक्षा कर रही है लेकिन क्या.....?
उबांक : दानव राज.... आप अभी इस लड़की को वापस होश में ला दे ... मुझे लगता है वो इससे मिलने आएगा...!
तक्ष : वहीं मैं चाहता हूं... उससे मिलकर उसे खत्म करना है...!
उबांक : लेकिन दानव राज उसके पास कोई अद्वितीय शक्ति है... कहीं वो आपको नुकसान न पहुंचा दे...
तक्ष गुस्से में कहता है..." वो मेरा कुछ नहीं बिगड़ा सकती ... कोई भी शक्ति मेरी पैशाची शक्ति के सामने नहीं ठहर पाएगी.....बस मेरा एहसास सच नहीं हो सकता.... मैं उस लड़के से कमजोर नहीं पड़ सकता...बस बहुत हो गया अब तो तुझे मरना होगा....."
तक्ष ज़ोर से हंसने लगता है लेकिन उसके चेहरे पर चिंता दिख रही थी......
……................to be continued…...........
क्या तक्ष का एहसास सच होगा या जाएगी विवेक की जान.....?
जानने के लिए जुड़े रहिए.......
आपको कहानी कैसी लगी रही है मुझे रेटिंग के साथ जरुर बताएं........