इशिता के होठो तक पहुंच चुका था , वैसे हीं कोई उसके हाथ को पकड़ लेता है , ऊमी घबरा गई...
..... " तुम कौन हो..?... " ऊमी घबराते हुए कहती है... " मै रांगा की सहायिका हूँ वीरा जी....
रांगा का नाम सुनते हीं इशिता गुस्से में बेड से खड़ी होकर कहती है.... " रांगा मुझे यहां क्यूँ लाया...?.. " ऊमी इशिता की गुस्से भरी आवाज को सुनकर डरते हुए कहती.... " वीरा जी सरदार आपको बता देंगे में जाती हूँ.... " ऊमी वहाँ से एक गहरी सांस लेते हुए बाहर चली गई....इशिता बाहर पहुँचती है, सभी काबिले के लोग अपने अपने काम में लगे हुए थे.. इशिता को देखकर आपस में खुसर फूसर करने लगे, वही काम करते हुए एक औरत से इशिता ने पूछा.... " सुनिए , आपके रांगा कहाँ है..?..." वो औरत इशिता की बातों को सुनकर कहती है... " तुम्हे सरदार से क्या काम है..?.. " इशिता अपने गुस्से को शांत करते हुए कहती है.... " जरुरी काम है... " वो औरत वहाँ से चली जाती है, जिसे देखकर इशिता खुद से कहती है... " मुझे उस रांगा के बारे में बातये बिना हीं चली गई.... " इशिता जैसे हीं आगे बढ़ती है किसी से टकरा के कहती है... " तुम्हे दिखाई नहीं देता क्या..?.. " इशिता जैसे हीं उससे देखती है कहती है.... " निरुपम तुम... " निरुपम इशिता को देखकर खुश होकर कहता है.... " वीरा जी, अच्छा हुआ आप मिल गई.... मैं आपको हीं ढूंढ़ने आया था.. चलिए यहां से, मुझे यहां के सारे रास्ते पता है... " इशिता खुश थी लेकिन कुछ सोचते हुए कहती है.... " मुझे उस रांगा को किडनैपिंग के लिये सबक तो सीखना है... " निरुपम उसे समझते हुए कहता है.... " वीरा जी पहले आप यहां से चलिए बाद में कुछ भी करने की सोचना , अभी आप काफ़ी घायल है... " इशिता हामी भरते हुए उसके साथ चली गई......दोनों अभी आधे रास्ते में हीं पहुंचे थे की तभी वही कम्बल लपेटे हुए शख्स उन दोनों के सामने था... जिसे देखकर इशिता कहती है.... " तुम... कौन हो तुम..?... " वो शख्स उसे गुस्से में देखते हुए कहता है... " तुमने रांगा को क्यू नहीं मारा..?.. अब क्या किसी और की जिंदगी ख़राब होने का इंतज़ार कर रही हो.... " वो शख्स इशिता को ताने दे कहता है.... " वैसे तो पुरे गॉव की मुखिया बनी फिरती हो और अब उस रांगा से डर गई... " निरुपम उसे बीच में हीं रोकते हुए गुस्से में कहता है.... " आप होते कौन है इनसे सवाल पूछने वाले..?.. " इशिता उसे रोकते हुए कहती है.... " इन्हे बोलने दो... " वो शख्स और ऊँची आवाज में कहता है... " तुम भी बाकियो की तरह कायर हो, मुझे तुमसे उम्मीद लगानी हीं नहीं चाहिए थी.... " इशिता पोलाइटली कहती है... " आप जो भी हो है तो गॉव के सदस्य हीं , इसलिए मुझे आपकी बात सुननी चाहिए... मैं रांगा से डरती नहीं हूँ लेकिन किसी चीज का एक फिक्स टाइम होता है, रांगा तो नहीं बचेगा बस कुछ समय और फिर पुरे गॉव में शांति होंगी... "
इतना कहकर इशिता आगे चलकर सोचती है... " मैं एक नन्ही जान को तो खतरे में नहीं डाल सकती... क्या करू..?... "